किसानों के द्वारा हमेशा पारम्परिक फसलों की खेती के कई नुकसान देखने को मिलते हैं इसीलिए आजकल कई किसान बहुत सारे अपारम्परिक फसलों की खेती में आगे बढ़ रहे हैं। सरकार भी इस बाबत किसानों को कई प्रकार से मदद पहुंचा रही है। छत्तीसगढ़ सरकार भी अपने राज्य के किसानों को रबड़ की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है और मदद पहुंचाने के लिए पहल कर रही है।
गौरतलब है की कुछ महीने पहले इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर (छत्तीसगढ़) और रबड़ अनुसंधान संस्थान, कोट्टायम (केरल) के मध्य हुए समझौते के अनुसार रबड़ अनुसंधान संस्थान, कोट्टायम एक हेक्टेयर के पैमाने पर बस्तर में प्रायोगिक रबड़ की खेती करेगा और प्रदेश में रबड़ की खेती से जुड़ी संभावनाओं का अध्यन करेगा।
इस समझौते के तहत रबड़ संस्थान इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय को बस्तर में इसकी खेती के लिए 7 साल तक सरकार से मदद मिलेगी। जिसमें किसानों को पौध से जुड़ी सामग्री, खाद-उर्वरक, कृषि दवाई और अन्य कृषि खर्च के लिए सहायता दी जाएगी।
स्रोत: कृषि जागरण
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