जान लें रबी धान की खेती के लिए खेत की तैयारी एवं पोषण प्रबंधन!

वैसे तो ज्यादातर किसान धान की खेती खरीफ मौसम में हीं करते हैं जब पूरे देश में मानसून की बारिश होती है। पर आजकल बहुत सारे किसान रबी सीजन में भी धन की खेती करते हैं और अच्छा मुनाफा कमाते हैं। इस सीजन में अगर आप भी धान की खेती करने की प्लानिंग कर रहे हैं तो आपको इसके लिए खेत की तैयारी से लेकर पोषण प्रबंधन आधी का ख़ास ख्याल रखने की जरूरत है। इस लेख में आइये विस्तार से जानते हैं इन्हीं विषयों की जानकारी। 

खेत की तैयारी: ऐसे खेत का चयन करें जिसकी मिट्टी अच्छी तरह से तैयार खरपतवार रहित हो तथा जल धारण क्षमता भी अधिक हो। मिट्टी में में पाए जाने वाले जैविक तत्व एवं जीव अच्छी तरह से काम करते हों। इससे पौध का जड़ विकास सही से होता है। खेत में चारों तरफ से मजबूत मेढ़ बंदी कर दें। इससे पानी खेत में लंबे समय तक संचित रखा जाता है। एक अच्छी जुताई से खेती योग्य भूमि में ऑक्सीजन की उपलब्धता बनी रहती है। एवं खरपतवार भी कम उगते हैं। धान की रोपण के लिए, मुख्य खेत की तैयारी के समय, जुताई से 1 या 2 दिन पूर्व गोबर की खाद @ 4 टन + स्पीड कम्पोस्ट @ 4 किग्रा + कॉम्बैट – ट्राईकोडर्मा विरिडी 1.0% डब्ल्यूपी @ 2 किग्रा, प्रति एकड़ के हिसाब से समान रूप से भुरकाव करें एवं खेत में सिंचाई कर दें और पानी को सोखने दें। जुताई के समय पानी की गहराई 2.5 सेमी रखें। धान की फसल के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें तथा 2-3 जुताई कल्टीवेटर से करें, इसके बाद खेत को मचाकर समतल कर ले। समतल खेत में पानी की सामान्य गहराई बनी रहती है।

पोषण प्रबंधन: रोपाई के दिन कीचड़ में यूरिया- 20 किग्रा + एसएसपी- 50 किग्रा + डीएपी- 25 किग्रा + एमओपी- 20 किलो + धान समृद्धि किट – 11 किग्रा, समृद्धि किट में शामिल उत्पाद (ट्राई कोट मैक्स – जैविक कार्बन 3%, ह्यूमिक, फुल्विक, जैविक पोषक तत्वों का एक मिश्रण, @ 4 किलोग्राम + टीबी 3 – नाइट्रोजन स्थिरीकरण बैक्टीरिया, फास्फेट घुलनशील बैक्टीरिया और पोटेशियम गतिशील बैक्टीरिया, @ 3 किलोग्राम + ताबा जी – जिंक घुलनशील बैक्टीरिया, @ 4 किलोग्राम) को आपस में मिलाकर एक एकड़ क्षेत्र के हिसाब से समान रूप से भुरकाव करें। पौध रोपण के लिए कतार से कतार एवं पौध से पौध की दूरी 20×15 सेमी रखें।  

किसान भाई रबी मौसम में भी काफी जगहों पर धान की कीचड़ मचाकर सीधी बुवाई करते हैं। तो आइये जानते है, बुवाई से पूर्व खेत की तैयारी एवं बीज को अंकुरित व उपचारित कैसे करें!

धान की कीचड़ मचाकर सीधी बुवाई विधि 

सबसे पहले जिस किस्म का चुनाव किया गया है बुवाई के लिए, उसे किसी पात्र में पानी में डुबा दें और इसे डुबो कर अच्छी तरह से हिलाएं जिससे ख़राब बीज ऊपर तैरने लगेगा। ख़राब बीज को पात्र से निकाल कर बाहर कर दें, एवं शुद्ध बीज को 18 से 20 घंटे के लिए पानी में डूबा कर छाया में रखें। 18 से 20 घंटे पूरा हो जाने के बाद, धान को बोरे में या साफ सूती कपड़े में पानी से बाहर निकाल लें और बीज उपचार के रूप में, स्प्रिंट (कार्बेन्डाजिम 25%+ मैंकोजेब 50% डब्ल्यूएस) @ 35 ग्राम, प्रति 10 किग्रा के हिसाब से समान रूप से भुरकाव कर बीजों को अच्छी तरह से मिला लें। इसके बाद इसे पुवाल या बोरे के माध्यम से ढक कर रख दें। उचित नमी बनाए रखने के लिए, समय समय पर ऊपर से पानी का हल्का छिड़काव करते रहें। इससे अंकुरण अच्छा होता है। पर्याप्त नमी एवं तापमान मिलने पर 24 घंटे में अच्छा अंकुरण हो जायगा। फिर इसे मचाकर तैयार किये गए, भूमि में समान रूप से बुवाई कर दें एवं खेत में अधिक पानी हो तो उसे खेत से बाहर निकाल दें। 

धान की गीली सीधी बुवाई के लिए, खेत की तैयारी के समय जुताई के 2 दिन पूर्व गोबर की खाद @ 4 टन + स्पीड कम्पोस्ट @ 4 किग्रा + कॉम्बैट – ट्राईकोडर्मा विरिडी 1.0% डब्ल्यूपी @ 2 किग्रा, प्रति एकड़ के हिसाब से समान रूप से भुरकाव करें एवं खेत में पानी भर दें और पानी को सोखने दें। जुताई के समय पानी की गहराई 2.5 सेमी रखें। धान की फसल के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें तथा 2-3 जुताई कल्टीवेटर से करें एवं पाटा चलाकर खेत को अच्छी तरह से मचाकर समतल कर ले। बुवाई के दिन कीचड़ में, एसएसपी- 50 किग्रा + डीएपी- 25 किग्रा + एमओपी- 20 किलो + धान समृद्धि किट – 11 किग्रा, किट में शामिल तत्व (ट्राई कोट मैक्स – जैविक कार्बन 3%, ह्यूमिक, फुल्विक, जैविक पोषक तत्वों का एक मिश्रण, @ 4 किलोग्राम + टीबी 3 – नाइट्रोजन स्थिरीकरण बैक्टीरिया, फास्फेट घुलनशील बैक्टीरिया और पोटेशियम गतिशील बैक्टीरिया, @ 3 किलोग्राम + ताबा जी – जिंक घुलनशील बैक्टीरिया, @ 4 किलोग्राम) को आपस में मिलाकर एक एकड़ क्षेत्र के हिसाब से समान रूप से भुरकाव कर,  एक पाटा चलाकर खाद को कीचड़ में अच्छी तरह से मिला दें एवं बीज की बुवाई करें साथ ही अतिरिक्त पानी को बाहर निकाल दे। 

कीचड़ मचाकर सीधी बुवाई विधि से 25% तक श्रम की बचत होती है। रोपण पद्धति की अपेक्षा 7 से 10 दिन पहले इसकी फसल पक कर तैयार हो जाती है। वहीं सीधी बुवाई में नर्सरी उगाने एवं रोपाई करने की जरुरत नहीं होती है।

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