अप्रैल माह में किए जाने आवश्यक कृषि कार्य

  • किसान भाइयों, अप्रैल माह कृषि कार्य करने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माह होता है। इस समय गहरी जुताई करने के बाद खेत को खुला छोड़ दें, ताकि मिट्टी में उपस्थित कृमिकोष, कीट, उनके अंडे एवं खरपतवार, फफूंद  जनित रोग फैलाने वाले रोगकारक नष्ट हो जाएँ। 

  • इस महीने फसल कटने के बाद खेत के मिट्टी की जांच जरूर कराएं। मिट्टी परीक्षण से मिट्टी का पीएच, विद्युत चालकता, जैविक कार्बन के साथ साथ मुख्य और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी का पता लगाया जाता है जिसे समयानुसार सुधारा जा सकता है। 

  • गेहूँ की कटाई के बाद मिट्टी की सेहत सुधारने के लिए हरी खाद जैसे ढैंचा, लोबिया, मूंग आदि की बुवाई कर सकते हैं। 

  • मूंग की फसल में अगर मिट्टी में नमी की कमी हो तो एक हल्की सिंचाई अवश्य करें। सिंचाई के पहले निराई-गुड़ाई करें ताकि मिट्टी में नमी ज्यादा दिनों तक रह सके। थ्रिप्स, माहू और हरा तेला की समस्या हो तो, थायोमेथोक्साम 25% डब्ल्यूजी [थियानोवा 25] @ 100 ग्राम प्रति एकड़ का छिड़काव करें। 

  • कद्दू वर्गीय फसलों में अधिक फूलों की संख्या एवं विकास के लिए होमोब्रेसिनोलीड्स 0.04% [डबल] @ 100 मिली प्रति एकड़ का छिड़काव करें।

  • कपास की खेती करने के लिए गहरी जुताई कर 3-4 बार हैरो चला दें ताकि मिट्टी भुरभुरी होने के साथ इसकी जलधारण क्षमता भी बढ़ जाए। ऐसा करने से मिट्टी में उपस्थित हानिकारक कीट, उनके अंडे, प्युपा तथा कवकों के बीजाणु भी नष्ट हो जायेंगे।

  • पशुओं में खुरपका – मुंहपका रोग से बचाव के लिए टीका अवश्य लगवाएं एवं बदलते हुए मौसम के अनुसार सुपाच्य तथा पौष्टिक चारे की व्यवस्था करें।

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