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किसान भाइयों अभी अधिकतर स्थानों पर करेले की फसल लगी हुई है।
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कहीं – कहीं पर फल लगने प्रारम्भ हो चुके है परन्तु पूरी तरह विकसित नहीं हो रहे हैं और आकार में छोटे भी रह जा रहे हैं।
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मुख्यतः यह समस्या मौसम परिवर्तन के कारण मधुमक्खियों की कार्यशीलता में कमी के कारण होता है।
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जैसे कि आप सभी जानते हैं की मधुमक्खियां प्राकृतिक रूप से कद्दू वर्गीय फसलों में परागण के लिए सहायता करती है।
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यदि मधुमक्खियों की क्रियाशीलता में कमी होती है तो करेले की फसल में फलों का विकास अपूर्ण होता है या फल लगते ही नहीं हैं।
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इसका दूसरा कारण पौधों में बोरॉन की कमी होने से भी हो सकता है। इसके लिए बोरॉन 1 किलो प्रति एकड़ की दर से ड्रिप में दे सकते हैं।
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