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यह सूंडी काले रंग की होती है जो पूरी तरह से विकसित होने पर अर्थात 1 से 2 इंच लम्बी होने पर दिन के समय मिट्टी में छुपी रहती है और रात में नए पौधे को मिट्टी के पास वाले भाग से काट देती है l
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कटुआ कीट की इल्लियां पत्तियों पर ही रहती है और पत्तियों को बीच में से खाकर, उन पर जालीनुमा संरचना बना देते है।
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इसके क्षति के लक्षणों में पत्तियां कटी हुई और पौधे मुरझाए हुए दिखाई देते है।
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इसके नियंत्रण के लिए क्लोरपायरीफास 20 ईसी @ 1 लीटर 20 किलो बालू में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से खेत में डालें या लीथल 10 जी (क्लोरपायरीफॉस 10% दानेदार) @ 4 किलो प्रति एकड़ बुवाई के समय उपयोग करें।
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कटे पौधे के पास की मिट्टी खोदकर सुंडी को बाहर निकालकर नष्ट करें।
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खड़ी फसल में प्रोफेनोवा (प्रोफेनोफोस 40% + साइपरमेथ्रिन 04% ईसी) @ 400 मिली या इमानोवा (इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एससी) 100 ग्राम या बैराज़ाइड (नोवालुरॉन 5.25% + इमामेक्टिन बेंजोएट 0.9% एससी) @ 600 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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जैविक नियंत्रण के लिए बवे कर्ब (बवेरिया बेसियाना) @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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