भेड़ और बकरी पालन हैं आय बढ़ाने का अच्छा जरिया

  • किसान भाइयों यदि आप पशुपालन के शौकीन है और कम निवेश में नया व्यवसाय शुरू करना चाहते है तो बकरी एवं भेड़ पालन एक अच्छा विकल्प है। बकरी एवं भेड़ पालन प्रायः सभी जलवायु में कम लागत, साधारण आवास, सामान्य रखरखाव तथा पालन-पोषण के साथ संभव है।

  • सूखा पड़ने के दौरान भी इसके खाने का इंतज़ाम सरलता से हो सकता है। इसकी देखभाल का कार्य भी महिलाएं एवं बच्चे आसानी से कर सकते हैं।

  • बकरियां एवं भेड़ें अन्य जानवर जैसे गाय, भैंस से कम दर पर मिल जाती है एवं इसके दाना, चारे में भी कम खर्च लगता है। बकरी को गरीब की गाय भी कहा जाता है। 

  • बकरी एवं भेड़ पालन मांस, दूध, खाल एवं ऊन के लिए किया जाता है इसके अतिरिक्त इसके मल-मूत्र का उपयोग खाद बनाने में भी किया जाता है। 

  • बकरियाँ एवं भेड़ कम आयु में वयस्क होकर दो वर्ष में कम से कम 3 बार बच्चों को जन्म देती हैं एवं एक बार में 2-3 बच्चों को जन्म देती हैं। 

  • बकरी की प्रमुख नस्लें – 

  • दुधारू नस्लें – जमुनापारी, जखराना, सूरती, बरबरी और बीटल आदि। 

  • मांस उत्पादक नस्लें – ब्लैक बंगाल, मारवाडी, मेहसाना, संगमनेरी, कच्छी तथा सिरोही आदि।  

  • ऊन उत्पादक नस्लें –  कश्मीरी, चांगथांग, गद्दी, चेगू आदि। 

  • भेड़ की प्रमुख नस्लें- नेल्लोर, मांड्या, मारवाड़ी, गद्दी आदि।

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