चने की फसल में जैविक खेती की ये सिफारिशें होंगी लाभदायक

चने की खेती शुष्क और कम पानी वाले क्षेत्रों में अधिक की जाती है। इसलिए जैविक चना उत्पादन भी सरलता से किया जा सकता है। इसकी जैविक खेती के लिए निम्न सुझाव अपना सकते हैं।

  • गर्मियों में भूमि की गहरी जुताई करें।

  • 4 टन गोबर की खाद तथा ट्राइकोडर्मा 2.5 किग्रा को 100 किग्रा केंचुआ खाद में मिलाकर बुवाई से पूर्व भूमि में मिलाएं।

  • बीज का उपचार राइजोबियम 5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज + पी एस बी 2 ग्राम + ट्राइकोडर्मा 5 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से करें।

  • गोमूत्र 5 लीटर + 5 किलो नीम की पत्तियां का सत् या एन पी वी 250 एल इ या नीम की निम्बोली के सत् का दो छिड़काव फली छेदक कीट का प्रकोप प्रारम्भ होने पर तथा दूसरा छिड़काव 15 दिन पश्चात पुनः दोहराएं।

  • “T” आकार की 20-25 खपच्चियाँ प्रति एकड़ की दर से खेत में लगाएं। यह खपच्चियाँ चने की ऊँचाई से 10-20 सेंटीमीटर अधिक ऊंची लगाना लाभदायक रहता है l इन खपच्चियो पर चिड़िया, मैना, बगुले आदि आकर बैठते है जो फली छेदक का भक्षण कर फसल को नुकसान से बचाते हैं।

  • गोबर की कच्ची खाद प्रयोग में ना लें। यह दीमक प्रकोप का प्रमुख कारण होती है।

  • कटुआ इल्ली के बचाव के लिए बुवाई के समय मेटाराइजियम या बवेरिया बेसियाना फफूंद का प्रयोग करें।

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