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फल मक्खी के लार्वा फलों में छेद करके उनके भीतरी भाग को खाते हैं और इनसे ग्रसित फल खराब होकर गिर जाते हैं।
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मक्खी प्रायः कोमल फलों पर ही अंडे देती है और अपने अंडे देने वाले भाग से फलों में छेद करके उन्हें हानि पहुचाती है। इन छेदों से, फलों का रस निकलता हुआ दिखाई देता है। अंततः छेद ग्रसित फल सड़ने लगते हैं।
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इसके प्रबंधन के लिए ग्रसित फलों को इकट्ठा करके नष्ट कर देना चाहिए।
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इन मक्खियों को नियंत्रित करने के लिये कद्दू वर्गीय फसलों की कतारों के बीच में मक्के के पौधों को उगाया जाना चाहिए। पौधे की ऊंचाई ज्यादा होने के कारण मक्खी पत्तों के नीचे अंडे देती है।
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गर्मी के दिनों में, गहरी जुताई करके मृदा के अंदर उपस्थित, मक्खी की सुप्त अवस्था (प्यूपा) को नष्ट कर देना चाहिए।
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कीट के प्रभावी नियंत्रण के लिए लाइट ट्रैप या फेरोमोन ट्रैप का उपयोग करें।
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इसके अलावा थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC 80 मिली/एकड़ या प्रोफेनोफोस 40% + साइपरमेथ्रिन 4% EC @ 400 मिली/एकड़ या फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG 40 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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