आम के पेड़ में फल छेदक कीट की पहचान तथा नियंत्रण के उपाय

fruit borer in Mango tree
  • इस कीट का वयस्क रूप पतंगे के रूप में होता है जिसके आगे के गहरे भूरे पंख व पिछले पंख सफेद- स्लेटी रंग के होते हैं।
  • यह पतंगा फलों पर अण्डे देता है, जिससे लार्वा निकल कर फल में प्रवेश कर गुदा को नुकसान पहुंचाता है।
  • इस लार्वा का सिर काला तथा शरीर फीके गुलाबी रंग का होता है जो बाद में लाल-भूरे रंग में बदलता है।
  • आरम्भ में, ये लार्वा फल के छिलके को खुरचता है जिससे पपड़ी जैसे धब्बे बन जाते है। बाद में यह भीतर घुस जाते हैं।
  • प्रभावित फलों में काले प्रवेश छिद्र दिखाई पड़ते हैं जिसमें से गूदा और रस निकलता है।
  • इसका प्रकोप फल के मटर आकार से ही शुरू हो जाता है जो फल के परिपक्क्व होने तक रहता है।
  • इससे प्रभावित फलों को इकट्ठा कर नष्ट कर देना चाहिए।
  • 15 दिनों के अंतराल पर नीम का तेल या नीम आधारित दवा का 5 मिली प्रति लीटर पानी से साथ छिड़काव फल बनने की अवस्था से ही कर देना चाहिए। या
  • 20 मिली लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 4.9% EC के साथ 75 ग्राम ब्यूवेरिया बेसियाना या 5 ग्राम वर्टिसिलियम कीटनाशी को 15 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
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जानें क्या है कपास समृद्धि किट के उपयोग का तरीका

  • कपास समृद्धि किट का उपयोग करने के लिए खेत की अंतिम जुताई के समय या बुआई से पहले किट के उत्पादों को गोबर की सड़ी हुई खाद में उपयुक्त मात्रा के अनुसार मिला देना चाहिए।
  • कपास समृद्धि किट जिसमें एस.के. बायोबिज़, ग्रामेक्स, कॉम्बैट और ताबा-जी जैसे उत्पाद हैं, को 8.1 किलो प्रति 4 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद में बुआई से पहले एक एकड़ के खेत में मिलादें।
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11 से 13 मई के बीच इन राज्यों में हो सकती है बारिश एवं अल्पकालिक ओलावृष्टि: मौसम विभाग

Take precautions related to agriculture during the weather changes

पिछले महीने देश के कई राज्यों में बारिश और ओले गिरने के कारण किसानों को नुकसान झेलना पड़ा था। अब भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने आने वाले दो तीन दिनों के लिए फिर से बारिश एवं अल्पकालिक ओलावृष्टि की संभावना जताई है।

कल से ही देश के कई क्षेत्रों में बादल छाए हुए हैं और कहीं कहीं तूफ़ान के साथ बारिश भी हुई है जिसके कारण तापमान में भी गिरावट देखने को मिली है। अब भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने इसी कड़ी में अलर्ट जारी करते हुए चेतावनी जारी की है की आने वाले कुछ दिनों में भी मौसम ख़राब रह सकता है।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक आने वाले दिनों में 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की तीव्रता से हवाएं चल सकती है। इसके अलावा पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय हो जाने तथा इसके उत्तर-पूर्व दिशा में आगे बढ़ने से मैदानी क्षेत्रों में चल रहे पूर्वी हवाओं के साथ मिलना मौसम में बदलाव का संकेत है। इसके कारण 11 से 13 मई तक मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार, उत्तरप्रदेश, झारखंड एवं छत्तीसगढ़ के ज्यादातर क्षेत्रों में बारिश और अल्पकालिक ओलावृष्टि हो सकती है |

स्रोत: किसान समाधान

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ऐसे करें आम के पेड़ में मिलीबग की समस्या का नियंत्रण

Control of Mealybugs in Mango tree
  • यह कीट मधुरस स्त्रावित करता है जिसके ऊपर हानिकारक फफूंद विकसित होती है और प्रकाश संश्लेषण क्रिया बाधित करता है।
  • इस कीट के निम्फ और वयस्क मादा दोनों ही फसलों को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं, फल वृंतों, फूल, फल और मुलायम टहनियों के रस को चूसकर आम के फसल को ये नुकसान पहुंचाते है।
  • मादा कीट पेड़ की जड़ों के पास भूमि में अण्डे देती है।
  • पेड़ के आसपास खरपतवार और सफाई रखना चाहिए। गर्मियों में बागों की अच्छी जुताई करके छोड़ देना चाहिए ताकि इस कीट की मादा और अंडे पक्षियों और तेज धूप से नष्ट हो जाए।
  • थियामेथोक्सोम 12.6% + लेम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 9.5% ZC 80 ग्राम या 35 मिली क्लोरोपायरीफास के साथ 75 ग्राम वर्टिसिलियम या ब्यूवेरिया बेसियाना कीटनाशी को 15 लीटर पानी में मिलाकर आम की टहनियों पर, आम के बौर पर, आम के फलों पर छिड़काव करें।
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जाने कपास समृद्धि किट के बेहतरीन उत्पाद

ग्रामोफ़ोन की पेशकश “कपास समृद्धि किट” का इस्तेमाल आपकी कपास की फसल के लिए वरदान साबित होगा। आइये जानते हैं इस किट में मौजूद बेहतरीन उत्पादों के बारे में।

  • एस. के. बायोबिज़: यह एन.पी.के. बैक्टीरिया का कंसोर्टिया है जो एजोटोबैक्टर, फॉस्फोरस सोलूबलाइज़िंग बैक्टीरिया और पोटेशियम मोबिलाइज़िंग बैक्टीरिया से मिलकर बना है। यह पौधों को नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटेशियम उपलब्ध कराते हैं।
  • ग्रामेक्स: इस उत्पाद में ह्यूमिक एसिड, एमिनो एसिड, समुद्री शैवाल और माइकोराइजा आदि तत्वों का ख़ज़ाना होता है।
  • कॉम्बैट: इस उत्पाद में ट्राइकोडर्मा विरिडी है जो मिट्टी में पाए जाने वाले अधिकांश हानिकारक कवकों की रोकथाम में सक्षम है।
  • ताबा-जी: इसमें जिंक सोलूबलाइज़िंग बैक्टीरिया होते हैं, जो पौधे को जिंक तत्व उपलब्ध कराता है।
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मिर्च की नर्सरी हेतु मिट्टी उपचार कैसे करें?

soil treatment
  • 150 किलो अच्छी सड़ी गोबर की खाद में 750 ग्राम डीएपी, 100 ग्राम इंक्रील (समुद्री शैवाल, एमिनो एसिड, ह्यूमिक एसिड और माइकोराइजा) और 250 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी प्रति वर्ग मीटर की दर से भूमि में मिलाएँ।
  • इससे मिट्टी की संरचना में सुधार के साथ-साथ पौधे का विकास अच्छा होता है।
  • हानिकारक मृदाजनित कवक व रोगों से भी सुरक्षा हो जाती है तथा जैविक उत्पाद होने के कारण पौध और मिट्टी में रसायनों का दुष्परिणाम भी नहीं होता है।
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कैसे करें केला रोपण के लिए तैयारी?

Preparation for Banana plantation
  • बेहतर रोपण करने से केले की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
  • केला रोपण हेतु 1.5 मीटर की दूरी पर 50 X 50 सेमी के गड्ढे बना लें।
  • 10 किलो सड़ा हुआ गोबर या कम्पोस्ट की खाद, 10 ग्राम कार्बोफ्यूरान, 50 ग्राम फास्फोरस तथा खेत के ऊपर की मिट्टी मिलाकर इन गड्ढों को भरें।
  • रोपित केले में 25 ग्राम नाइट्रोजन पौधे से 50 सेमी दूर गोलाई में डालकर मिट्टी में मिलाकर सिंचाई करें।
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मध्यप्रदेश में सभी किसानों का होगा फसल बीमा, सरकार जल्द लेगी फैसला

Crop Insurance

मध्यप्रदेश की सरकार ने किसानों के हितों के लिए पिछले कुछ दिनों से कई कदम उठाये हैं। इसी क्रम में सरकार ने इस बात पर भी चर्चा की है की राज्य के सभी किसानों का प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा कराया जाए। इस पर सरकार जल्द ही निर्णय ले सकती है।

इस विषय पर मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने मीडिया से बात करते हुए कहा की “प्रदेश के हर किसान का प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फसल बीमा कराया जाएगा, यह निर्णय राज्य सरकार जल्दी ही करने वाली है।”

ग़ौरतलब है की मध्य प्रदेश में करीब 65 लाख किसान हैं और इनमें 36 लाख किसान अपनी फसल का बीमा करवाते हैं। फसल बीमा का प्रीमियम 12% है जिसमें किसान करीब 2% राशि देता है और शेष राशि राज्य तथा केंद्र सरकार मिल कर देती है। आने वाले समय में इस योजना से ज्यादा से ज्यादा किसानों के जुड़ने से प्रीमियम के और कम होने की संभावना है।

स्रोत: आईएएनएस

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बुआई से पहले बेहतर भूमि प्रबंधन कर कपास की फसल से प्राप्त करें अच्छा उत्पादन

  • कपास में कृषि प्रक्रिया गहरी जुताई के साथ आरंभ करने के बाद 3-4 बार हैरो चला दें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो और इसकी जल धारण क्षमता भी बढ़ जाये। ऐसा करने से मिट्टी में उपस्थित हानिकारक कीट, उनके अंडे, प्युपा तथा कवकों के बीजाणु भी नष्ट हो जाते हैं।
  • ग्रामोफ़ोन की पेशकश कपास समृद्धि किट में मिट्टी उपचार करने के लिए अनेक उत्पाद है जो भूमि प्रबंधन को बेहतर करते है। इस किट में जिंक सोलूबलाइज़िंग बैक्टेरिया, समुद्री शैवाल, एमिनो एसिड, ह्यूमिक एसिड, माइकोराइजा, ट्राइकोडर्मा विरिडी और एनपीके कन्सोर्टिया बैक्टेरिया शामिल हैं।
  • इस कपास समृद्धि किट का वज़न 8.1 किलो है, इसे 4 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद में मिला कर बुआई से पहले एक एकड़ खेत में मिला दें।
  • ऐसा करने से भूमि की संरचना व जल धारण क्षमता में सुधार होता है, पौधें का संपूर्ण विकास व संपूर्ण पोषण वृद्धि के साथ-साथ हानिकारक मृदाजनित कवक रोगों से भी सुरक्षा हो जाती है।
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ग्रामोफ़ोन बना सलाहकार तो किसान ने उगाई रोगमुक्त और उन्नत मिर्च की फसल

खेती के लिए जो सबसे अहम जरुरत होती है वो होती है मिट्टी की, इसीलिए मिट्टी का स्वस्थ होना किसी भी फसल से ज़बरदस्त उत्पादन प्राप्त करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसी तथ्य को समझा खरगोन जिले के गोगावां तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम खारदा के रहने वाले किसान श्री जीतेन्द्र यादव जी ने। जीतेन्द्र ने मिर्च की खेती से पहले ग्रामोफ़ोन सॉइल समृद्धि किट का उपयोग अपने खेत में किया था जिसका उन्हें बहुत फायदा भी मिला है।

मध्यप्रदेश के निमाड़ क्षेत्र में आमतौर पर जून जुलाई में मिर्च की फसल लगती पर जीतेन्द्र ने दिसंबर महीने में मिर्च की खेती शुरू की थी जो उस क्षेत्र के हिसाब से ऑफ़ सीजन कहलायेगा। ऐसे में फसल को रोग लगने लो ज्यादा संभावना रहती है पर हुआ बिलकुल इसके विपरीत। बहरहाल फसल की बुआई के करीब 3 महीने बाद जब ग्रामोफ़ोन के संवाददाता उनसे मिलने उनके खेतों में पहुंचे तो जीतेन्द्र का उत्साह देखते ही बन रहा था।

जीतेन्द्र ने बताया की उनकी 50 दिन पुरानी मिर्च की फसल बिलकुल रोग मुक्त और स्वस्थ है। इसके पीछे की वजह को बताते हुए वे बहुत ज्यादा उत्साहित नजर आये। उन्होंने कहा की “मैंने अपने खेत में फसल बुआई से पहले ग्रामोफ़ोन के सॉइल समृद्धि किट का इस्तेमाल किया था जिसका परिणाम है यह रोग मुक्त और स्वस्थ फसल।”

ग़ौरतलब है की ग्रामोफ़ोन के सॉइल समृद्धि किट का इस्तेमाल करने से खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है और फसल को अन्य किसी बाहरी पोषक तत्व की जरुरत नहीं पड़ती है इसीलिए जीतेन्द्र की फसल भी स्वस्थ रही और इसमें किसी प्रकार के रोग नहीं लगे। जीतेन्द्र ने बताया की उन्हें इस बार अपनी फसल से अच्छे उत्पादन की उम्मीद है।

जीतेन्द्र की ही तरह अगर अन्य किसान भाई भी मिर्च की खेती करने की सोच रहे हैं तो वे ग्रीष्मकालीन मिर्च की फसल की खेती कर सकते हैं। इसके लिए बुआई मार्च और अप्रैल महीने में होती है। मिर्च की खेती या सॉइल समृद्धि किट से जुड़ी किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए टोल फ्री नंबर 18003157566 पर मिस्ड कॉल करें।

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