Control of Thrips

थ्रिप्स पौधों का रस चूसता हे जिससे पौधे पीले व कमज़ोर हो जाते है उपज कम होती है| इसके नियंत्रण के लिए प्रोफेनोफोस 400 मिली. प्रति एकड़ या फिप्रोनिल 400 मिली. प्रति एकड़  या थायमेथोक्जोम 100 ग्राम प्रति एकड़ का स्प्रे हर 10 दिन के अंतराल पर करे |

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Irrigation in Moong (Green Gram)

मुंग में सिंचाई :-मूंग मुख्य रूप से खरीफ फसल के रूप में उगाया जाता है। जलवायु परिस्थितियों के आधार पर सिंचाई की आवश्यकता होती है|  गर्मी के मौसम की फसल के लिए, मिट्टी के प्रकार और जलवायु स्थिति के आधार पर तीन से पांच सिंचाई आवश्यक हैं। अच्छे उपज के लिए बुवाई के 55 दिनों बाद सिंचाई रुक देना चाहिए ।

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Bulb splitting In Onion (physiological Disorder)

प्याज़ में कंदों का फटना:

कारक:-

  • प्याज़ के खेत में अनियमित सिंचाई के कारण इस विकार में वृद्धि होती है|
  • खेत में ज्यादा सिंचाई, के बाद में पुरी तरह से सूखने देने एवं अधिक सिंचाई दोबारा करने के कारण कंद फटने लगते है|
  • कंद के फटने के कारण कंदों में मकड़ी (राईज़ोफ़ाइगस प्रजाति) चिपक जाती है|

लक्षण:-

  • प्रथम लक्षण कंद के फटने पर आधार पर दिखाई देते है|
  •  प्रभावित कंद फटे उभार के रूप में आधार भाग में दिखाई देते है|

रोकथाम:-

  • एक समान सिंचाई और उर्वरकों की मात्रा उपयोग करने से कंदों को फटने से रोका जा सकता है|
  • धीमी वृद्धि करने वाले प्याज की किस्मों का उपयोग करने से इस विकार को कम कर सकते है|

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किसानों के लिए राहत

माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज जी चौहान ने किसान महासम्मेलन में घोषणा की है कि गेहू एवं धान के समर्थन मूल्य के साथ 200 रु. प्रति क्विंटल बोनस राज्य सरकार प्रदेश के किसानों को देगी | साथ में ये भी कहा के मौसम के कारण हुए नुकसान के लिए बीमा राशि के साथ राहत राशि भी दी जायेगी |

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प्रधानमंत्री बीमा योजना का लाभ लें

प्रधानमंत्री बीमा योजना में मौसम के कारण होने वाले नुकसान का प्रावधान हे जिन किसान भाईयों ने बीमा करवाया है और वर्तमान में हुई ओला वृष्टि से फसल को नुकसान हुआ है वे बीमा कंपनी के अधिकारी से संपर्क करें एवं अपने खेत का मूल्यांकन करवाए ताकि उन्हें बीमा योजना का लाभ मिला सके|

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Bolting in Onion (Physiological disorder)

प्याज के फूल निकलना (देहिक विकार)

कारण :-

  • विभिन्न किस्म की आनुवांशिक विविधता के कारण|
  • तापमान में अत्यधिक उतर चढाव होने से|
  • निम्न बीज गुणवत्ता के कारण|
  • नर्सरी बेंड पर पौधो का विकास अवरूध्द हो जाने से|
  • शुरुआत में अत्यधिक कम तापमान फुलो का विकास करता हें|

लक्षण:-

  • यह अवस्था तब होनी हें जब पौधे पांच पत्तियों की अवस्था में होता हें|
  • इसमें अचानक प्याज के कंद के सिर पर केंद्र पर वृन्त विकसित हो जाता है|
  • इस अवस्था में कन्द हल्के एवं रेशेदार हो जाते हें|

रोकथाम:-

  • किस्मो की बुवाई उचीत समय पर करनी चाहिये|
  • उर्वरक का अत्यधिक उपयोग नहीं करना चाहिए|

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Storage of Wheat

गेहू का भंडारण:-

  • सुरक्षित भंडारण हेतु दानों में 10-12% से अधिक नमी नहीं होना चाहिए।
  • भंडारण के पूर्व कोठियों तथा कमरो को साफ कर लें और दीवालों व फर्श पर मैलाथियान 50%  के घोल  को 3 लीटर प्रति 100 वर्गमीटर की दर से छिड़कें।
  • अनाज को बुखारी, कोठियों  या कमरे में रखने के बाद एल्युमिनियम फास्फाइड 3 ग्राम की दो गोली प्रति टन की दर से रखकर बंद कर देना चाहिए।

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Disease Free Nursery Raising For Vegetables

सब्जियों के लिए रोग मुक्त नर्सरी बनाना:-

  • बुआई के लिए स्वस्थ बीज का चयन करें|
  • बुआई के पूर्व बीजों का उपचार अनुशंसित फफूंदनाशक से करना चाहिए|
  • एक ही प्लाट में बार-बार नर्सरी नहीं लेना चाहिये|
  • नर्सरी की ऊपरी मिट्टी को कार्बेन्डाजिम 5 ग्राम/वर्ग मी. से उपचारित करना चाहिये तथा इसी रसायन का 2 ग्राम/ लीटर पानी का घोल बनाकर नर्सरी में प्रत्येक 15 दिन में ड्रेंचिंग करना चाहिये|
  • मृदा सोर्यकरण जिसमे गर्मियों में फसल बुआई के पहले नर्सरी बेड को 250 गेज के पोलीथीन शीट से 30 दिन के लिए ढक दिया जाता है, करना चाहिए|
  • आद्रगलन रोग के नियंत्रण के लिए जैव-नियंत्रण के लिए ट्रायकोड्रमा विरिडी 1.2 किलोग्राम/ हे. के अनुसार देना चाहिए|

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Nutrient Management in Sponge Gourd

गिल्की में पोषक तत्व प्रबंधन:-

  • खेत की तैयारी के समय 20-25 टन प्रति हेक्टेयर के दर से गोबर की खाद का प्रयोग करे|
  • मध्य भारत में प्राय: 75 कि.ग्रा. यूरिया, 200 कि.ग्रा. सिंगल सुपर फॉस्फेट और 80 कि.ग्रा. म्युरेट ऑफ़ पोटाश को अंतिम जुताई के समय डाले|
  • अन्य बचे हुए 75 कि.ग्रा. यूरिया की आधी मात्रा को 8-10 पत्ति अवस्था में आधी मात्रा को फूल आने की अवस्था में डाले|

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Nursery bed preparation for Cauliflower

  • बीजो की बुआई क्यारियों में की जाती है| प्रायः 4-6 सप्ताह पुरानी तैयार हुई पौधो को रोपित किया जाता है|
  • क्यारियों की उचाई 10 से 15 सेंटीमीटर होना तथा आकार 3*6 मीटर होना है|
  • दो क्यारियों के बीच की दुरी 70 सेंटीमीटर होती है| जिससे अंतर्सस्य क्रियाये आसानी से की जा सके|
  • नर्सरी क्यारियों की सतह भुरभुरी एवं समतल होनी चाहियें|
  • नर्सरी क्यारियों का निर्माण करते समय 8-10 किलोग्राम गोबर की खाद का प्रति वर्ग मीटर की दर से मिलाना चाहियें|
  • भारी भूमि में ऊची क्यारियों का निर्माण करके जल भराव की समस्या को दूर किया जा सकता है|
  • अद्रगलन बीमारी व्दारा पौध को होने वाली हानि से बचाने के लिए कार्बेन्डाजिम 50% WP का 15-20 ग्राम /10 लि. पानी में घोल बनाकर अच्छा तरह से भूमि में मिलाना चाहियें|

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