आलू की चमक बढ़ाने के लिए फसल में जरूर करें ये कार्य!

How to increase the brightness of potatoes

आलू की त्वचा चमकदार, साफ, आकर्षक हो तो इससे बाजार मूल्य एवं मांग भी अधिक होती है। पर काला स्कर्फ, पाउडरी एवं कॉमन स्कैब जैसे संक्रमणों की वजह से आलू कम आकर्षक लगता है साथ ही इसकी भण्डारण क्षमता भी प्रभावित होती है। इसलिए पोषक तत्व की सही मात्रा से आलू की त्वचा विकार को कम कर सकते है और त्वचा की चमक को बढ़ा सकते हैं। 

  • कैल्शियम: आलू की त्वचा की रंगत निखारने में कैल्शियम की अहम भूमिका होती है। कैल्शियम कंद की ऊपरी परत को मजबूत करता है, जिससे ब्लैक स्कर्फ, सिल्वर स्कर्फ, पाउडर स्कैब या कॉमन स्कैब सहित कई बीमारियों से सुरक्षा हो जाती है।

  • सल्फर: सल्फर कॉमन एवं पाउडरी स्कैब के स्तर को कम करने में मदद करता है। यह समस्या मिट्टी की पीएच में कमी के कारण भी हो सकता है। इससे बचाव के लिए, सल्फर का उपयोग किया जाता है।  

  • बोरॉन: बोरॉन कैल्शियम की प्रभावशीलता में सुधार करता है। यह कोशिका भित्ति में कैल्शियम को स्थिर करने में मदद करता है और कैल्शियम के अवशोषण को भी बढ़ाता है।

  • जिंक: जिंक रोग के संक्रमण को कम करने में मदद करता है। इसका उपयोग आमतौर पर पाउडरी स्कैब से बचाने के लिए किया जाता है। ज़िंक का उपयोग केवल मिट्टी के अनुप्रयोगों में पाउडर स्कैब  के लिए प्रभावकारी है।

  • मैग्नीशियम और मैंगनीज: मैग्नीशियम और मैंगनीज कॉमन स्कैब के स्तर को कम कर सकते हैं।

  • मात्रा: आलू की चमकदार त्वचा एवं कंद का आकार बढ़ाने लिए, कैलबोर 5 किग्रा + जिंक सल्फेट 5 किग्रा + मैग्नीशियम सल्फेट 5 किग्रा + पोटाश 20 किग्रा, इन सभी को आपस में मिलाकर एक एकड़ क्षेत्र के हिसाब से सामान रूप से भुरकाव कर हल्की सिंचाई कर दें। 

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मध्य प्रदेश से महाराष्ट्र तक बारिश के आसार, देखें मौसम पूर्वानुमान

know the weather forecast,

दिल्ली को सर्दी से राहत मिली है परंतु 10 जनवरी को हल्की बारिश हो सकती है। अगले तीन दिनों के दौरान दक्षिण भारत में भारी बारिश होगी तथा महाराष्ट्र, पूर्वी गुजरात, पूर्वी राजस्थान और मध्य प्रदेश के कई जिलों में बारिश की संभावना बन रही है। दिल्ली और दक्षिणी हरियाणा में भी हल्की बारिश के आसार है। उत्तर भारत में छाया कोहरा अब कम होने लगेगा तथा दिन के तापमान बढ़ेंगे।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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चने में फली छेदक प्रकोप की रोकथाम व अधिक फूल धारण हेतु आवश्यक छिड़काव

Necessary spraying for pod borer caterpillar and more flowers in gram crop

फली छेदक इल्ली की युवा लार्वा पत्तियों की शिराओं को छोड़ कर सभी भाग को खा लेती है साथ ही फूल एवं फली की अवस्था में फूल एवं फली को भी खाते है। हरी फली में – गोलाकार छेद करके दाने को खा कर फली को खाली कर देती हैं जिससे उत्पादन में भारी कमी आती है। 

नियंत्रण के उपाय: चने की फसल में अधिक फूल धारण एवं फली छेदक इल्ली नियंत्रण के लिए, कोस्को (क्लोरट्रानिलिप्रोल 18.5% एससी) @ 50 मिली या सेलक्विन (क्विनालफॉस 25% ईसी) @ 400 मिली + बवे कर्ब (बवेरिया बेसियाना 5% डब्ल्यूपी) @ 250 ग्राम +  न्यूट्रीफुल मैक्स (फुलविक एसिड का अर्क– 20% + कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटैशियम सूक्ष्म पोषक तत्व मात्रा में 5% + अमीनो एसिड) @ 250 मिली + सिलिकोमैक्स गोल्ड @ 50 मिली, प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

न्यूट्रीफुल मैक्स:

  • इससे फूल अधिक लगते है, एवं फलों की रंग एवं गुणवत्ता बढ़ती है। 

  • सूखे, पाले आदि के खिलाफ पौधो की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

  • जड़ से पोषक तत्वों का परिवहन भी तेजी से होता है।

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भीषण ठंड से फसलों में पड़ सकता है पाला, समय रहते कर लें बचाव के उपाय!

Know how to save the crop from frost!
  • पाले की समस्या आमतौर पर दिसंबर से मध्य फरवरी तक होता है।

  • जब वातावरण का तापमान 8 डिग्री सेंटीग्रेड से कम होते हुए शून्य डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुंच जाता है तब पाला पड़ता है। 

  • पाला पड़ने से फसल की कोशिका में उपस्थित जल, बर्फ में परिवर्तित हो जाती है जिससे पौधों की कोशिकाएं फट जाती हैं। 

  • इसके कारण पत्तियां झुलस जाती हैं और प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभावित हो जाती है, जिससे फसल में बढ़वार नहीं हो पाती है। 

  • फूल फली एवं बाली की अवस्था में पाला के प्रकोप से फूल फल गिर जाते हैं एवं दानों का रंग काला हो जाता है।  इससे उपज बुरी तरह प्रभावित होती है।  

  • पाला की यह अवस्था देर तक बनी रहे तो पौधे मर भी सकते हैं। 

बचाव के उपाय 

  • खेतों की सिंचाई जरूरी – सुबह के समय फसल में हल्की सिंचाई करें। सिंचाई करने से 0.5 – 2 डिग्री सेल्सियस तक तापमान में बढ़ोतरी हो जाती है।

  • वायु अवरोधक ये अवरोधक शीतलहर की तीव्रता को कम करके फसल को होने वाले नुकसान से बचाते हैं। इसके लिए खेत के चारों ओर ऐसी फसलों की बुवाई करनी चाहिए जिनसे की हवा कुछ हद तक रोका जा सके जैसे चने के खेत में मक्का की बुवाई करनी चाहिए। 

  • खेत के पास धुंआ करें – शाम के समय, सूखी घास फूस एवं उपलों को जलाकर धुआं करें। हालांकि यह प्रक्रिया पर्यावरणीय दृष्टि से उचित नहीं है, पर इससे भी पाला से बचाव में सहायता मिलती है।

  • हो सके तो फसल की पत्तियों पर पानी का छिड़काव करें।

  • पौधे को ढकें – तापमान कम होने का  सबसे अधिक नुकसान नर्सरी में होता है। नर्सरी में पौधों को रात में प्लास्टिक की चादर से ढकने की सलाह दी जाती है। ऐसा करने से प्लास्टिक के अन्दर का तापमान 2-3 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाता है।

जैविक विधि से बचाव के उपाय 

  • पाले पड़ने की सम्भावना होने पर, मोनास कर्ब (स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस 1.0% डब्ल्यूपी) @ 500 ग्राम, प्रति एकड़ 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। 

रासायनिक विधि से बचाव के उपाय 

वोकोविट (सल्फर 80% डब्ल्यूडीजी) @ 35 ग्राम, प्रति 15 लीटर पानी के हिसाब से फसलों के ऊपर छिडक़ाव करें। इससे दो से ढाई डिग्री सेंटीग्रेड तक तापमान बढ सकता है।

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आधी कीमत पर मिलेंगे खेती के मशीन, इस तारीख से पहले जरूर कर दें आवेदन

Expensive farming machines are available at half the price

खेती को आसान बनाने में किसानों की मदद करते हैं नए जमाने के नए कृषि यंत्र। हालांकि ये यंत्र बेहद महंगे होते हैं इसी कारण साधारण किसान इन्हें खरीद नहीं पाते। पर इन किसानों की मदद के लिए सरकार की तरफ से चलाई जा रही विभिन्न योजनाएं अहम भूमिका निभाती हैं। साधारण किसान भी इन महंगे उपकरणों का उपयोग करें और अपनी खेती को आसान बनाएं इसी उद्देश्य से कई राज्यों में कृषि यंत्र अनुदान योजना चल रही है। देश के कई राज्यों में जैसे हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश में किसानों को इस योजना का लाभ मिल रहा है।

अगर बात हरियाणा की करें तो यहाँ किसानों को 32 प्रकार के खेती के मशीनों पर 50 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जा रही है। इस सब्सिडी का लाभ लेने के लिए हरियाणा के किसान आवेदन कर सकते हैं। इस योजना में आवेदन की आखिरी तिथि 15 जनवरी 2024 है तो इस तारिख से पहले आवेदन की प्रक्रिया जरूर पूरी कर लें।

हरियाणा की ही तरह दूसरे राज्यों के किसान भी अपने राज्य से संबंधित कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर विजिट कर के इस योजना के अंतर्गत सब्सिडी के लिए आवेदन कर सकते हैं।

स्रोत: कृषि जागरण

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मध्य प्रदेश के मंडियों में क्या चल रहे हैं सरसों के भाव?

Mustard mandi bhaw

सरसों के मंडी भाव में तेजी देखने को मिल रही है। देखिये मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों में क्या चल रहे हैं सरसों के भाव!

मध्य प्रदेश की मंडियों में सरसों के ताजा मंडी भाव
जिला कृषि उपज मंडी किस्म न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल) अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)
भोपाल बैरसिया सरसों(काला) 4920 4920
दमोह दमोह सरसों 4600 5650
भिंड गोहाद सरसों(काला) 5165 5180
राजगढ़ जीरापुर सरसों(काला) 4885 4885
मुरैना कैलारस सरसों(काला) 5236 5305
कटनी कटनी सरसों(काला) 4075 5015
गुना कुम्भराज सरसों(काला) 5125 5400
छतरपुर लवकुशनगर सरसों 4750 4910
भिंड मेहगांव सरसों 4890 4910
शिवपुरी पोहरी सरसों(काला) 5205 5205
मुरैना पोरसा सरसों(काला) 4850 5030
मुरैना सबलगढ़ सरसों(काला) 4850 4970
सतना सतना सरसों(काला) 4905 4905
सीहोर सीहोर सरसों(काला) 5740 5740

स्रोत: एगमार्कनेट

खेती से सम्बंधित जानकारियों और ताजा मंडी भाव जानने के लिए पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। आज की जानकारी पसंद आई हो तो  शेयर जरूर करें।

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गेहूँ की फसल में फफूंद जनित रोगों से बचाव के उपाय!

Measures to prevent fungal diseases in wheat crops

गेहूँ की फसल की वर्तमान अवस्था में फफूंद जनित रोग जैसे रस्ट की समस्या आती है। गेहूँ में रस्ट मुख्यतः 3 प्रकार के होते हैं। इनकी क्षति के लक्षणों में भी थोड़ा बहुत अंतर देखने को मिलता है।  

भूरा रतुआ/ लीफ रस्ट: इसे ब्राउन रस्ट के रूप में भी जाना जाता है। यह केवल पर्णसमूह पर हमला करता है। पत्तियों की सतह पर लाल-नारंगी से लाल-भूरे रंग के फफूंद के फलने वाले रोगाणु होते है जो लगभग पूरी ऊपरी पत्ती की सतह को कवर कर लेते हैं। यह रस्ट स्टेम रस्ट की तुलना में छोटे, वृत्ताकार या थोड़े अण्डाकार होते हैं एवं फलने वाले रोगाणु आपस में नहीं जुड़ते हैं। 

धारी रतुआ/पीला रस्ट : यह मौसम की शुरुआत में दिखाई देता है क्योंकि यह ठंडा, नम मौसम पसंद करता है। इससे आमतौर पर पत्तियों के ऊपर धारियां बन जाती है जिनमे पीले से नारंगी-पीले फफूंद के फलने वाले रोगाणु होते हैं, जो पत्तियों के आवरण, गर्दन, बाली के आवरण को भी प्रभावित करते हैं।

तना रतुआ / काला रतुआ: पीले और भूरे रस्ट की तुलना में स्टेम रस्ट के धब्बे अधिक लंबे होते हैं। पत्तियों के दोनों किनारों पर, तनों पर और बाली पर गहरे लाल भूरे रंग के फफूंद के फैलने वाले शरीर होते हैं। जो आमतौर पर अलग और बिखरे हुए खुरदरे होते हैं। इसे काला रतुआ भी कहा जाता है क्योंकि इसके बीजाणु बाद में काले हो जाते हैं।

नियंत्रण के उपाय: इन सभी प्रकार के रस्ट/रतुआ को नियंत्रण करने के लिए, जेरोक्स (प्रोपिकोनाज़ोल 25% ईसी) @ 200 ग्राम या गोडीवा सुपर (एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 18.2% + डाइफ़ेनोकोनाज़ोल 11.4%  एससी) @ 200 मिली, प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

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राजस्थान और मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में बारिश के आसार

know the weather forecast,

9 जनवरी के आसपास दिल्ली और मुंबई में बारिश की संभावना दिखाई दे रही है। राजस्थान और मध्य प्रदेश सहित महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में भी बारिश के आसार हैं। पहाड़ों पर फिर से बर्फबारी होगी। पंजाब, हरियाणा और उत्तरी राजस्थान में पाला पड़ने की भी संभावना दिखाई दे रही है। इन राज्यों में न्यूनतम तापमान में भारी गिरावट दर्ज की जाएगी तथा शीतलहर जैसी स्थिति पैदा हो सकती है।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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मुफ्त की सिंचाई और घर बैठे कमाई, आधे से कम दाम पर सोलर पंप

Get solar pumps installed in the fields at 75 percent subsidy

देश का एक बड़ा भूभाग कम बारिश की वजह से पानी की किल्लत झेलता है। इन क्षेत्रों के किसानों को इसकी वजह से खेती करने में भारी समस्या पेश आती है। यहाँ किसानों को फसलों में सिंचाई के लिए भूजल पर निर्भर होने पड़ता है। भूजल की निकासी में महंगे सिंचाई उपकरण की जरूरत पड़ती है जिसे हर किसान खरीद भी नहीं पाता है। इन उपकरणों में डीजल का उपयोग होता है जिसकी बढ़ती कीमतें किसानों को इसके इस्तेमाल से में रुकावटें पैदा करती हैं। किसानों की इन्हीं समस्याओं को देखते हुए केंद्र एवं राज्य सरकारें कई प्रकार की सिंचाई से जुड़ी योजनाएं चला रही हैं। इन योजनाओं की मदद से किसानों को आर्थिक मदद दी जाती है। “प्रधानमंत्री कुसुम योजना” ऐसी ही एक महत्वपूर्ण योजना है। आइये जानते हैं इस योजना के बारे में विस्तार से जानते हैं।

प्रधानमंत्री कुसुम योजना का उद्देश्य किसानों के बीच सोलर पंप को बढ़ावा देना है और इसके लिए सरकार इस योजना की बड़द से सोलर पंप पर सब्सिडी देती है। इसकी मदद से किसान अपने खेतों की सिंचाई सौर ऊर्जा के उपयोग से करते हैं।

गौरतलब है की प्रधानमंत्री कुसुम योजना को 2019 में ऊर्जा मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया था। इसके तहत केंद्र सरकार और राज्य सरकार 30-30% की सब्सिडी देती है। इसका मतलब हुआ की किसानों को इससे कुल 60% तक की सब्सिडी मिलती है। कुछ राज्यों में तो इस योजना के माध्यम से 90% सब्सिडी भी किसानों को दी जाती है।

स्रोत: कृषि जागरण

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मध्य प्रदेश की मंडियों में सोयाबीन के उच्च भाव 5000 रुपए के करीब

soybean mandi Bhaw

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों में क्या चल रहे हैं सोयाबीन के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

मध्य प्रदेश की मंडियों में सोयाबीन के ताजा मंडी भाव
जिला कृषि उपज मंडी किस्म न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल) अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)
रतलाम अलोट सोयाबीन 3600 4851
शाजापुर आगर सोयाबीन 4311 4728
शाजापुर अकोदिया सोयाबीन 4600 4600
आलीराजपुर आलीराजपुर सोयाबीन 4500 4611
गुना एरोन सोयाबीन 4200 4650
अशोकनगर अशोकनगर सोयाबीन 3990 4572
छतरपुर बड़ामलहेड़ा पीला 4000 4000
शिवपुरी बदरवास सोयाबीन 4270 4485
उज्जैन बड़नगर सोयाबीन 4600 4765
धार बदनावर पीला 3000 4800
धार बदनावर सोयाबीन 4015 4140
शाजापुर बड़ोद सोयाबीन 4009 4726
खरगोन बड़वाह सोयाबीन 3850 4440
भोपाल बैरसिया पीला 3450 4625
बेतुल बेतुल पीला 4550 4750
बेतुल बेतुल सोयाबीन 4000 4851
खरगोन भीकनगांव सोयाबीन 3671 4970
भोपाल भोपाल सोयाबीन 4541 4541
सागर बीना सोयाबीन 4350 4656
गुना बीनागंज सोयाबीन 4410 4700
अशोकनगर चंदेरी सोयाबीन 4280 4280
मन्दसौर दलौदा सोयाबीन 4381 4790
मन्दसौर दलौदा अन्य 3631 4350
दमोह दमोह सोयाबीन 4420 4420
देवास देवास पीला 4590 4647
देवास देवास सोयाबीन 1280 4811
धार धामनोद सोयाबीन 4205 4250
धार धार सोयाबीन 1600 4900
नरसिंहपुर गाडरवाड़ा सोयाबीन 4550 4635
धार गंधवानी सोयाबीन 4450 4650
विदिशा गंज बासौदा सोयाबीन 4110 4130
इंदौर गौतमपुरा पीला 4320 4320
डिंडोरी गोरखपुर पीला 4300 4450
गुना गुना सोयाबीन 4250 4530
देवास हाटपिपलिया सोयाबीन 2901 4600
हरदा हरदा पीला 3751 4711
हरदा हरदा सोयाबीन 4403 4403
खंडवा हरसूद पीला 4300 4510
खंडवा हरसूद सोयाबीन 4050 4590
सीहोर इछावर सोयाबीन 3700 4681
इंदौर इंदौर पीला 2800 4680
इंदौर इंदौर सोयाबीन 1450 4755
इंदौर इंदौर (F&V) सोयाबीन 3500 4820
सागर जैसीनगर पीला 4250 4350
रतलाम जावरा पीला 4485 4822
रतलाम जावरा सोयाबीन 4251 4835
सीहोर जावर पीला 4299 4749
आलीराजपुर जोबट सोयाबीन 4475 4500
देवास कन्नोड सोयाबीन 4515 4515
नरसिंहपुर करेली पीला 4550 4665

स्रोत: एगमार्कनेट

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