किसान भाइयों तिलहनी फसलों के बीजों से तेल निकालने के बाद जो अवशिष्ट पदार्थ बच जाता है उसे खली कहते हैं। जब इसे खेत मे खाद के रूप में प्रयोग किया जाता है तब यह खली की खाद कहलाता है।
खली 2 प्रकार की होती है –
-
खाद्य खली: यह पशुओं के खाने योग्य होती हैं जैसे – बिनौला, सरसों, तारामीरा, मूंगफली, तिल, नारियल आदि l
-
अखाद्य खली: यह पशुओं के खाने योग्य नहीं होती हैं, इन्हें खेत में खाद के रूप में उपयोग किया जाता है। जैसे अरण्डी, महुआ, नीम, करंज आदि। यह फसल में कीटनाशक का कार्य भी करती हैं।
खलियों में गोबर की खाद एवं कम्पोस्ट की तुलना में नाइट्रोजन अधिक मात्रा में पाई जाती है, साथ ही खलियों में फास्फोरस एवं पोटाश भी पाया जाता है।
विभिन्न खली की खादों में उपलब्ध पोषक तत्वों की मात्रा –
खली |
नाइट्रोजन % |
फास्फोरस % |
पोटाश % |
---|---|---|---|
अरण्डी |
4.37 |
1.85 |
1.39 |
महुआ |
2.51 |
0.80 |
1.85 |
नीम |
5.22 |
1.08 |
1.48 |
करंज |
3.97 |
0.94 |
1.27 |
खली की खाद सान्द्र कार्बनिक खादों के वर्ग में आती है इसका प्रयोग खेत में बुवाई पूर्व एवं पश्चात दोनों समय कर सकते है।
बुवाई के पहले खलियों का प्रयोग –
-
महुआ की खली के अतिरिक्त सभी खलियो का चूर्ण बुवाई के 10 -15 दिन पूर्व खेत में प्रयोग करना चाहिए।
-
महुआ की खली देरी से अपघटित होती है इसलिए इसका उपयोग खेत में बुवाई के 2 माह पहले करना चाहिए। इसमें सेपोनिन नामक रसायन पाया जाता है जिसकी उपस्थिति के कारण धान की फसल के लिए यह एक उत्तम खाद है।
-
खलियों को खेत में बिखर कर हल्की जुताई कर मिट्टी में मिला देना चाहिए।
बुवाई पश्चात खलियों का प्रयोग –
-
अंकुरण के पश्चात पौधे के पास पिसी हुई खली के चूर्ण का प्रयोग करें।
-
कंद मूल वाली फसलों में मिट्टी चढ़ाते समय खलियों का प्रयोग कर सकते है।
-
ध्यान रखे खलियों को खेत मे डालने के बाद उनके अपघटन के लिए मिट्टी में पर्याप्त नमी होना अति आवश्यक है।
Shareफसल की बुआई के साथ ही अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।