मिर्च में फली छेदक के प्रकोप से होने वाले नुकसान एवं नियंत्रण के उपाय

Damage and control of pod borer in chilli

यह एक पॉलीफेगस कीट है। इस कीट की इल्ली अक्सर फल में छेद करके फसल को नुकसान पहुंचाती है। शुरूआती अवस्था में युवा लार्वा (इल्लियां) फूलों की कलियों एवं युवा फल को गोलाकार छेद बनाकर खाते हैं। बाद में, यही इल्लियां फल के अंदर अपना सिर डालकर फल को अंदर से खाते हैं। संक्रमण बढ़ने पर फल सड़कर झड़ने लगते हैं।

नियंत्रण:  इस कीट के नियंत्रण के लिए इमानोवा (इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एससी) @ 80 मिली प्रति एकड़ या कवर (क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18. 50 % एससी) @ 60 मिली प्रति एकड़ साथ ही बवे कर्ब (ब्यूवेरिया बेसियाना) @ 250 ग्राम प्रति एकड़ के दर से 150-200 लीटर पानी में छिड़काव करें। 

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फिर बदल सकता है मौसम, गिरेंगे तापमान, पहाड़ों पर बर्फबारी जारी

know the weather forecast,

लगातार नए वेस्टर्न डिस्टरबेंस आ रहे हैं। फरवरी के महीने में ऐसे ही एक के बाद एक वेस्टर्न डिस्टरबेंस आते रहेंगे तथा पहाड़ों पर बर्फबारी देते रहेंगे। उत्तर भारत सहित मध्य भारत में तापमान में उतार चढ़ाव जारी रहेगा। असम तथा अरुणाचल प्रदेश में बारिश और बर्फबारी हो सकती है। 17, 18 फरवरी के आसपास उत्तर भारत में भी हल्की बारिश के आसार हैं। देश के अधिकांश भाग का मौसम शुष्क बना रहेगा।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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सिर्फ 23900 रुपये में लगेगा ढाई लाख रुपये का सोलर पंप, जानें क्या है सरकार की योजना?

PM Kusum Yojana

किसान बिजली की कमी से राहत प्राप्ति हेतु उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही कुसुम योजना का लाभ ले रहे हैं। इस योजना से किसान भारी सब्सिडी पर ‘सोलर पंप’ लगवा सकते हैं जिससे बेहद कम लागत में सिंचाई का पूरा काम हो जाता है और सही सिंचाई की वजह से फसल का उत्पादन भी अच्छा होता है।

इस योजना की मदद से महज 23,900 रुपये में प्रदेश के किसान सोलर पंप लगवा सकते हैं, अगर बात बिना सब्सिडी के यह सुविधा प्राप्त करने की करें तो इसके लिए किसान को 2.50 लाख रुपये तक चुकाना पड़ेगा। किसान इतनी बड़ी रकम खुद खर्च नहीं कर सकता इसीलिए सरकार इस योजना के माध्यम से बेहद कम खर्च पर सोलर पंप लगवाती है।

इस योजना के माध्यम से अनुसूचित जनजाति की किसान 100 प्रतिशत तक संपूर्ण सब्सिडी पर सोलर पंप लगवा सकते हैं। खेती में मदद के साथ साथ सोलर प्लांट से उत्पन्न अतिरिक्त ऊर्जा को बेचकर किसान इससे कमाई भी कर सकते हैं।

योजना का लाभ लेने के लिए किसान उत्तर प्रदेश सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर विजिट कर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। अगर इस योजना से जुडी अधिक जानकारी चाहिए तो आप अपने नजदीकी बिजली विभाग कार्यालय जा सकते हैं या फिर उत्तर प्रदेश सरकार की पीएम कुसुम की आधिकारिक वेबसाइट देख सकते हैं।

स्रोत: कृषि जागरण

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मध्य प्रदेश के मंडियों में क्या चल रहे हैं सरसों के भाव?

Mustard mandi bhaw

सरसों के मंडी भाव में तेजी देखने को मिल रही है। देखिये मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों में क्या चल रहे हैं सरसों के भाव!

मध्य प्रदेश की मंडियों में सरसों के ताजा मंडी भाव
जिला कृषि उपज मंडी किस्म न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल) अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)
शाजापुर आगर सरसों 5250 5400
अनुपुर अनुपपुर सरसों(काला) 5000 5000
मुरैना बनमोरकलां सरसों 4980 5010
शिवपुरी बराड़ सरसों 5650 5650
राजगढ़ ब्यावरा सरसों 5080 5080
मंडला बिछिया सरसों 5350 5350
दतिया दतिया सरसों 5480 5540
डिंडोरी डिंडोरी सरसों 4750 4900
डिंडोरी डिंडोरी सरसों(काला) 5100 5100
इंदौर इंदौर सरसों 4350 4555
राजगढ़ जीरापुर सरसों(काला) 4451 5465
मुरैना कैलारस सरसों 5671 5761
टीकमगढ़ खरगापुर सरसों 5012 5012
राजगढ़ खिलचीपुर सरसों 4480 5350
राजगढ़ कुरावर सरसों-जैविक 4405 4705
ग्वालियर लश्कर सरसों 5810 5905
छतरपुर लवकुशनगर(लौंदी) सरसों 5350 5400
मुरैना मुरैना सरसों 5550 5650
राजगढ़ पचौर सरसों 4460 4700
राजगढ़ पचौर सरसों 4205 4900
सागर सागर सरसों 5235 5425
सागर सागर सरसों-जैविक 4140 5375
सतना सतना सरसों 5800 6000
शाजापुर शाजापुर सरसों 5000 5000
श्योपुर श्योपुरकलां सरसों 4600 5400
श्योपुर विजयपुर सरसों 5675 5725

स्रोत: एगमार्कनेट

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तरबूज की फसल में फल नोक सड़न के लक्षण एवं नियंत्रण के उपाय

Symptoms and control of blossom end rot in watermelon crop

ब्लॉसम एंड रोट पौधे में कैल्शियम की कमी के कारण होता है। जब इसके लक्षण दिखाई देते है, तब यह हो सकता है की मिट्टी में पर्याप्त कैल्शियम नहीं है, या कैल्शियम मौजूद है लेकिन पौधों की जड़ वो कैल्शियम अवशोषित नहीं कर पाती है। इस रोग में फल के सिरे पर गहरा भूरा या काला धब्बा दिखाई देता है, जो बाद में सूख जाता है, या चमड़े जैसा हो जाता है। शुरुआती अवस्था में यह हल्का हरा होता है लेकिन जैसे -जैसे फल परिपक्व होते है यह भूरा एवं काला हो जाता है।

नियंत्रण: इसके नियंत्रण के लिए चिलेटेड कैल्शियम @ 1 – 2 ग्राम प्रति लीटर पानी के दर से छिड़काव करें, या यारा लिवा कैल्सिनेट (कैल्शियम नाइट्रेट) @ 0.5 – 1.25 किलोग्राम प्रति दिन प्रति एकड़ के दर से ड्रिप के माध्यम से एक सप्ताह के लिए उपयोग करें। साथ ही खेत में लगातार पर्याप्त नमी बनाए रखें।

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कुछ राज्यों में दिखेगा वेस्टर्न डिस्टरबेंस का प्रभाव, अब तापमान में होगी वृद्धि

know the weather forecast,

वेस्टर्न डिस्टरबेंस के प्रभाव से अगले 4 दिनों के दौरान गिलगित बालटिस्तान, मुजफ्फराबाद, लद्दाख, जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में बारिश और बर्फबारी होगी। उत्तराखंड में हल्की बारिश हो सकती है। सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में बारिश और बर्फबारी की संभावना है। पूर्वी असम में भी हल्की बारिश हो सकती है। राजस्थान, दिल्ली और हरियाणा में मध्यम और ऊंचाई वाले बादल दिखाई देंगे परंतु बारिश नहीं होगी। उत्तर भारत सहित मध्य भारत में न्यूनतम तापमान अब कुछ बढ़ सकते हैं।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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आलू की खुदाई के समय इन सावधानियों से उपज को नहीं होगा नुकसान

The yield will not be harmed by these precautions at the time of potato digging

आलू की खुदाई ज्यादातर फरवरी से शुरू होकर मार्च के दूसरे सप्ताह तक की जाती है और आलू की फसल में खुदाई का सही प्रबंधन बहुत आवश्यक होता है, ताकि आलू के कंद को कम से कम नुकसान पहुंचे। अक्सर खुदाई के दौरान आलू के कंदों के ऊपरी हिस्से पर कई बार कटे का निशान लग जाता है, जिसके कारण भंडारण के दौरान आलू के खराब होने की संभावना बढ़ जाती है। इससे बचने के लिए खुदाई के समय कुछ सावधानियां बरतने की जरुरत होती है। 

सावधानियां:

  • आलू की खुदाई फसल बुवाई के 80 से 90 दिनों के बाद जब फसल परिपक्व हो जाए, एवं पौधों की पत्तियां पीली पड़ जाए तब करनी चाहिए। 

  • तापमान लगभग 30 डिग्री सेंटीग्रेट होने से पहले ही खुदाई कर लेनी चाहिए। 

  • खुदाई करते समय, मौसम सूखा रहना जरुरी होता है।

  • खुदाई के 2 सप्ताह पहले सिंचाई बंद कर देनी चाहिए। 

  • खुदाई के बाद आलू के कंदों को कुछ दिनों तक खुली हवा में रखना चाहिए, इससे कंदों के छिलके कड़े हो जाते हैं।

  • अगर खुदाई करते समय कुछ कंद कट जाए तो कटे हुए कंदो को छटाई के दौरान हटा देना चाहिए। 

  • आलू के कंदों को धूप में न सुखाएं, अगर कंदों को धूप में सुखाया तो उनकी भंडारण क्षमता प्रभावित होती है।

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जानें मल्चिंग के प्रकार और इस विधि सें खेती करने पर मिलने वाले लाभ

Benefits and types of plastic mulching

प्लास्टिक मल्चिंग दरअसल प्लास्टिक फिल्म के साथ पौधों के चारों ओर की मिट्टी को व्यवस्थित रूप से ढकने की प्रक्रिया है। आइये जानते हैं इस विधि से खेती करने से क्या लाभ आपको मिलते हैं।

प्लास्टिक मल्चिंग के लाभ:

  • प्लास्टिक मल्चिंग से मिट्टी में नमी लंबे समय तक बनी रहती है और इसके कारण पानी की भी बचत होती है।

  • मल्चिंग से मिट्टी के तापमान को नियंत्रित रखने में भी मदद मिलती है।

  • इससे फसल में खरतपवार उगने की संभावना कम होती है और जड़ विकास तेजी से होता है।

  • इससे फसलों को पाले से बचाने में भी मदद मिलती है।

  • इससे मिट्टी का कटाव नहीं होता, साथ ही यह मिट्टी को भुरभुरा एवं मुलायम बनाए रखने में भी मदद करता है।

  • इससे उत्पादन में वृद्धि होती है, साथ ही उपज की गुणवत्ता में सुधार होता है।

प्लास्टिक मल्चिंग के प्रकार:

  • काली मल्चिंग: यह मल्चिंग अधिकतर बागवानी फसलों में खरपतवार नियंत्रण के लिए इस्तेमाल करते हैं। इसके काले रंग के कारण सूर्य का प्रकाश मिट्टी में प्रवेश नहीं करता जिससे खरपतवारों का प्रकाश संश्लेषण नहीं हो पाता है तथा उनकी वृद्धि मल्च के नीचे ही रुक जाती है।

  • नीली मल्चिंग: नीले रंग की मल्च फसलों में माहु तथा थ्रिप्स के प्रकोप को कम करता है। इसके इस्तेमाल से कद्दूवर्गीय फसलों में फलों की अधिक संख्या प्राप्त होती है।

  • पारदर्शी मल्चिंग: इस प्रकार के मल्चिंग का उपयोग अधिकतर मिट्टी में सौर उपचार के लिए किया जाता है। साथ ही सर्दियों के मौसम में सब्जियों की खेती के लिए इसका उपयोग  किया जा सकता है।

प्लास्टिक मल्चिंग की मोटाई: मल्च फिल्म की मोटाई फसल के प्रकार एवं उम्र के अनुसार निश्चित किया जाता है। मल्च की मोटाई फसल के जीवन चक्र को पूरा करने वाली होनी चाहिए। अधिकतर सब्जी वाली फसलों में पलवार की मोटाई 25 माइक्रोन और फल वाली फसलों में 100 माइक्रोन की होनी चाहिए।

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नारियल उत्पादन में भारतीय किसानों का बोलबाला, दुनिया में पहले नंबर पर है भारत

Indian Farmers Lead in Coconut Production

कृषि क्षेत्र में कई ऐसी कमोडिटी है जिसके उत्पादन में भारत पूरे विश्व में सबसे आगे है। इन्हीं में से एक है नारियल जिसके उत्पादन में भारत वर्तमान में बाकि सभी देशों को पीछे छोड़ चुका है। 4 फरवरी को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संसद में प्रश्नकाल के इस बाबत जानकारी दी है।

इस दौरान उन्होंने किसानों की आय बढ़ाने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया। कृषि क्षेत्र से जुड़े प्रश्नों का जवाब देते हुए कृषि मंत्री चौहान ने कहा कि “भारत दुनिया का शीर्ष नारियल उत्पादक देश बन गया है।” उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि केंद्र नारियल की फसलों को प्रभावित करने वाले रोगों को नियंत्रित करने के लिए सरकार जरूरी कदम उठा रही है।

स्रोत: गांव जंक्शन

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टमाटर में जीवाणु पत्ती धब्बा रोग के लक्षण एवं नियंत्रण के उपाय

Symptoms and control of bacterial leaf spot disease in tomato

इस रोग का जीवाणु ज्यादातर वातावरण में नमी और हलकी-हलकी बारिश होने पर या उच्च आद्रता के कारण सक्रिय होता है। प्रभावित पौधों की पत्तियों पर पीले घेरे वाले छोटे, भूरे, पानी से भरे, गोलाकार धब्बे दिखाई देते हैं। पुरानी पत्तियां झड़ने लगती हैं साथ हीं हरे फलों पर छोटे, पानी से भरे धब्बे बन जाते हैं और इन धब्बों का केंद्र अनियमित, हलके भूरे रंग का और पपड़ीदार सतह वाला हो जाता है।

नियंत्रण: इस रोग के नियंत्रण के लिए जैसे हीं रोग का प्रकोप दिखाई दे तब, स्ट्रेप्टोसाइक्लिन (स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट 90% + टेट्रासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड 10% एसपी) @ 20-24 ग्राम प्रति एकड़ के दर से 150-200 लीटर पानी में  मिलाकर छिड़काव करें।

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