तरबूज की फसल में गमी तना झुलसा के लक्षण एवं नियंत्रण के उपाय

Gummy stem blight symptoms and control in watermelon crop

तरबूज की फसल में गमी तना झुलसा रोग गंभीर पर्णीय रोगों में से एक है। इस रोग में तने एवं पत्तियों पर भूरे धब्बे हो जाते हैं और यह धब्बे पीले ऊतकों से घिरे होते हैं। साथ ही तने में यह घाव बढ़कर गलन की समस्या बढ़ा देती है और इससे चिपचिपे, भूरे रंग के द्रव का बहाव होता है। इस रोग में फल शायद ही कभी प्रभावित होते हैं, लेकिन पर्णसमूह के नुकसान से उपज और फलों की गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती है।

नियंत्रण: गमी तना झुलसा से बचने के लिए रोग रहित बीज का उपयोग करें साथ ही सभी कद्दू वर्गीय फसलों में 2 वर्ष के फसल चक्र  अंतर रखें। साथ ही रोग के लक्षण दिखाई देने पर रासायनिक नियंत्रण के लिए संपर्क फफूंदनाशक जैसे जटायु (क्लोरोथॅलोनिल 75% डब्लूपी) @ 200 ग्राम प्रति एकड़ या एम 45 (मॅन्कोझेब 75% डब्लूपी)@ 600-800 ग्राम प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के दर से छिड़काव करें।

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पहाड़ों पर फिर हुई बर्फबारी, 22 जनवरी से कई राज्यों शुरू होगी भारी बारिश

know the weather forecast,

इस साल जनवरी में पहाड़ों पर लगातार बर्फबारी हो रही है। अगले 24 घंटे के दौरान ऊंचे पहाड़ों पर बर्फबारी होगी। उसके बाद 22 जनवरी से 24 जनवरी के बीच भारी बर्फबारी हो सकती है। 22 जनवरी से ही उत्तर भारत का मौसम बदलने लगेगा तथा 23 और 24 जनवरी को पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कई जिलों में बारिश की संभावना है। एक दो स्थानों पर ओले भी गिर सकते हैं। अगले दो दिनों के दौरान चेन्नई सहित तमिलनाडु के कई जिलों में बारिश की संभावना बन रही है। दक्षिणी आंध्र प्रदेश और केरल में भी बारिश की संभावना है। पूर्वी तथा उत्तर पूर्वी भारत का मौसम साफ बना रहेगा। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सहित उड़ीसा का मौसम शुष्क बना रहेगा।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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वांगी पिकामध्ये कोळी व्यवस्थापन

Mites management in brinjal crop
  • कोळीची लक्षणे :- हे किडे लहान आणि लाल रंगाचे असतात. जे पाने, फुलांच्या कळ्या आणि डहाळ्यांसारख्या पिकांच्या मऊ भागांवर मोठ्या प्रमाणात आढळतात.

  • ज्या झाडांवर कोळ्याच्या जाळ्यांचा प्रादुर्भाव झालेला असतो त्या झाडावर दिसतात हे कीटक वनस्पतीच्या मऊ भागांचा रस शोषून त्यांना कमकुवत करतात आणि शेवटी वनस्पती मरतात.

  • वांगी पिकावरील कोळी किडीच्या व्यवस्थापनासाठी खालील उत्पादने वापरली जातात. 

  • प्रोपरजाइट 57% ईसी 400 मिली स्पाइरोमैसीफेन 22.9% एससी 200 मिली ऐबामेक्टिन 1.8% ईसी 150 मिली/एकर या दराने फवारणी करा. 

  • जैविक उपचार म्हणून मेट्राजियम 1 किलो/एकर या दराने वापरले जाऊ शकते.

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लहसुन के भाव में तेजी जारी, 27000 रुपये तक पहुंचे उच्च भाव

garlic mandi rate

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों में क्या चल रहे हैं लहसुन के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

मध्य प्रदेश की मंडियों में लहसुन के ताजा मंडी भाव
जिला कृषि उपज मंडी किस्म न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल) अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)
शाजापुर आगर लहसुन 3100 7700
धार बदनावर लहसुन 1000 11800
भोपाल भोपाल लहसुन 3000 15850
मन्दसौर दलौदा लहसुन 5963 21002
इंदौर गौतमपुरा लहसुन 2500 8811
इंदौर इंदौर लहसुन 4200 18400
रतलाम जावरा लहसुन 15300 17500
शाजापुर कालापीपल लहसुन 1500 10027
शाजापुर कालापीपल (F&V) लहसुन 4500 15150
नीमच मनसा लहसुन 4000 16700
मन्दसौर मन्दसौर लहसुन 7300 18500
मन्दसौर मन्दसौर लहसुन-जैविक 11800 11800
राजगढ़ नरसिंहगढ़ लहसुन 6000 14000
नीमच नीमच औसत 1500 19800
नीमच नीमच लहसुन 750 27000
मन्दसौर पिपल्या लहसुन 2602 12020
मन्दसौर पिपल्या लहसुन-जैविक 3301 17600
धार राजगढ़ लहसुन 1200 17000
रतलाम रतलाम देसी 5700 16300
रतलाम रतलाम लहसुन 8300 16600
सागर रहली लहसुन 6200 6200
रतलाम सैलाना औसत 12290 12701
रतलाम सैलाना लहसुन 11500 15401
रतलाम सैलाना(F&V) लहसुन 5400 15801
सीहोर सीहोर लहसुन 3000 18300
शाजापुर शाजापुर लहसुन 4100 15100
मन्दसौर शामगढ़ लहसुन 7900 16500
शाजापुर शुजालपुर देसी 1000 15001
शाजापुर शुजालपुर(F&V) लहसुन 1500 17500
मन्दसौर सीतामऊ (F&V) औसत 5800 18500
मन्दसौर सीतामऊ लहसुन 1010 1280
शाजापुर सोयतकलां लहसुन 7000 7000
उज्जैन उज्जैन लहसुन 11600 11600

स्रोत: एगमार्कनेट

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गेहूँ की फसल में फॉल आर्मी वर्म के लक्षण एवं नियंत्रण के उपाय!

Symptoms and control of fall armyworm in wheat crop

मौसम में आए परिवर्तन के चलते गेहूँ की फसल पर इल्लियों का प्रकोप बढ़ गया है। हैरानी की बात तो यह है कि गेहूँ की फसल में पहले कभी भी यह इल्ली नहीं देखी गई थी। लेकिन पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी गेहूँ की फसल पर इल्ली का प्रकोप दिखाई दे रहा है। इस कीट का नाम फॉल आर्मी वर्म है। यह बहुभक्षी कीट है। यह मुख्य रूप से मक्का की फसल को नुकसान पहुंचाता है। लेकिन आज कल  यह कीट गेहूँ की फसल को भी नुकसान पहुंचा रहा है। इसका प्रकोप बादलों वाले मौसम में अधिक बढ़ता है। साथ ही ऐसे वक़्त में यह फसलों को ज्यादा नुकसान पहुंचाता है। ज्यादा ठंड पड़ने पर कीट प्रकोप कम हो जाता है।

कीट की पहचान: नव निषेचित इल्ली सामान्य रूप हल्के पीले हरे रंग की होती है जिसका सिर काला होता है। द्वितीय अवस्था के पश्चात सिर का रंग लाल भूरा हो जाता है। इस लाल रंग के सिर पर उल्टे वाई आकार की काली संरचना इस कीट की प्रमुख पहचान है। वयस्क इल्ली तम्बाकू की इल्ली से काफी समानता लिए हुए धब्बेदार धूसर से गहरे-भूरे रंग की होती है। मादा कीट अंडों को धूसर रंग की पपड़ी से ढक देती है जो सामान्यतः: फफूंद होने का आभास देती है। 

नियंत्रण के उपाय: इस कीट के नियंत्रण के लिए, इमानोवा (इमामेक्टिन बेंजोएट 5 % एसजी) @ 80 ग्राम + बवे कर्ब (बवेरिया बेसियाना 5% डब्ल्यूपी) 250 ग्राम + सिलिकोमैक्स गोल्ड @ 50 मिली, प्रति एकड़ 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

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मध्य प्रदेश के मंडियों में क्या चल रहे हैं सरसों के भाव?

Mustard mandi bhaw

सरसों के मंडी भाव में तेजी देखने को मिल रही है। देखिये मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों में क्या चल रहे हैं सरसों के भाव!

मध्य प्रदेश की मंडियों में सरसों के ताजा मंडी भाव
जिला कृषि उपज मंडी किस्म न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल) अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)
शाजापुर आगर सरसों 4201 4201
अशोकनगर अशोकनगर सरसों 5540 5711
शिवपुरी बराड़ सरसों 5951 5951
भोपाल बैरसिया सरसों(काला) 5245 5245
राजगढ़ ब्यावरा सरसों 4805 5500
सागर बीना सरसों 5551 6880
दमोह दमोह सरसों 4210 5775
देवास देवास सरसों 4500 4800
डिंडोरी डिंडोरी सरसों(काला) 5200 5300
विदिशा गंज बासौदा सरसों 5200 5655
हरदा हरदा सरसों 4001 4001
जबलपुर जबलपुर सरसों 5190 5285
जबलपुर जबलपुर सरसों-जैविक 5600 5600
रतलाम जावरा सरसों 5400 5400
टीकमगढ़ जतारा सरसों 5500 5500
कटनी कटनी सरसों 5280 5899
शिवपुरी कोलारस सरसों 3685 5635
ग्वालियर लश्कर सरसों 5805 6150
नीमच मनसा सरसों 4800 5600
मन्दसौर मन्दसौर सरसों 2100 5751
भिंड घास काटना सरसों 5770 5770
सतना नागोद सरसों 5350 5650
सतना नागोद सरसों-जैविक 5050 5700
राजगढ़ नरसिंहगढ़ सरसों 4790 4790
नीमच नीमच सरसों 4200 5770
होशंगाबाद पिपरिया सरसों 4700 4700
मुरैना पोरसा सरसों 5690 5690
रीवा रीवा सरसों(काला) 5300 5399
सागर सागर सरसों 4900 5605
सतना सतना सरसों 5150 6105
जबलपुर शाहपुरा(जबलपुर) सरसों(काला) 5200 5215
शाजापुर शाजापुर सरसों 3825 3825
श्योपुर श्योपुरबडोद सरसों 5851 5851
श्योपुर श्योपुरकलां सरसों 5755 5800
विदिशा सिरोंज सरसों 4600 5050
उज्जैन उज्जैन सरसों 5800 5801
उज्जैन उज्जैन सरसों(काला) 3826 3826
विदिशा विदिशा सरसों 4800 5680
श्योपुर विजयपुर सरसों 5950 6010

स्रोत: एगमार्कनेट

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सिंचाई की समस्या को दूर करने के लिए शुरू होगी 1400 करोड़ की परियोजना, जानें पूरी डिटेल

Sendhwa Micro Udvahan Sinchai Pariyojana

सफल खेती के लिए उचित सिंचाई सबसे ज्यादा आवश्यक होती है। पर कई क्षेत्रों में ऐसा देखने को मिलता है की किसानों को अपने खेतों के लिए उचित सिंचाई नहीं मिल पाती है। किसानों की इसी समस्या के समाधान के लिए अब मध्य प्रदेश सरकार ने “सेंधवा माइक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना” शुरू की है। इस परियोजना के माध्यम से सरकार जल स्रोतों से पाइपलाइनों के माध्यम से पानी खेतों तक पहुंचाएगी।

इस परियोजना में आधुनिक माइक्रो इरिगेशन तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए किसानों को कम पानी में अधिक क्षेत्र की सिंचाई उपलब्ध करवाई जायेगी। इससे जल की बचत, फसल उत्पादन में वृद्धि और कृषि खर्च में कमी जैसे कई मिलेंगे और यह परियोजना किसानों के लिए एक वरदान साबित हो सकता है।

ख़बरों के अनुसार इस सिंचाई परियोजना के लिए 1402.74 करोड़ रुपये की लागत का निर्धारण किया गया है और इससे जिले के 98 गांवों में करीब 44148.50 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी। बता दें की इस परियोजना से लगभग 53 हजार किसान लाभ प्राप्त करेंगे।

इस परियोजना के तहत अगर कोई किसान लाभ प्राप्त करना चाहता है तो वो अपने नजदीकी कृषि विभाग कार्यालय या परियोजना कार्यालय में संपर्क कर सकता है।

स्रोत: कृषि जागरण

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भिंडी की फसल में 15 दिन की अवस्था में पोषक तत्व प्रबंधन!

Nutrient management in okra crop at 15 days old stage

भिंडी की फसल में बुवाई के 15 से 20 दिन की अवस्था में, यूरिया @ 50 किग्रा + कोसावेट (सल्फर 90% डब्ल्यूजी) @ 5 किग्रा + जिंक सल्फेट @ 5 किग्रा + कैल्बोर 5 किग्रा,  को आपस में मिलाकर एक एकड़ क्षेत्र के हिसाब से भुरकाव करें एवं हल्की सिंचाई करें। 

उपयोग के फायदे

  • यूरिया: फसल में यूरिया नाइट्रोज़न की पूर्ति का सबसे बड़ा स्रोत है। इसके उपयोग से, पत्तियों में पीलापन एवं सूखने की समस्या नहीं आती है। यूरिया प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को भी तेज़ करता है।

  • ज़िंक: जिंक भिंडी के पौधों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और क्लोरोफिल निर्माण में मदद करता है। जो चयापचय प्रतिक्रियाओं को चलाने के लिए जिम्मेदार होता है। इससे उत्पादन के साथ-साथ फसल की गुणवत्ता में भी वृद्धि होती है। जिंक के अलावा, इससे फसलों को सल्फर की उपलब्धता भी होती है एवं सल्फ़र फल निर्माण में भी सहायक होता है। साथ ही सल्फर प्रोटीन निर्माण में भी मदद करता है।

  • कैलबोर: कैलबोर में कैल्शियम + बोरोन होते हैं जो पोषण, विकास, प्रकाश संश्लेषण, शर्करा के परिवहन और कोशिका भित्ति निर्माण के लिए आवश्यक होते हैं।

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21 जनवरी से मूसलाधार बारिश के आसार, देखें अपने क्षेत्र का मौसम पूर्वानुमान

know the weather forecast,

देश के कई राज्यों में बारिश के साथ साथ गरज-चमक के साथ बौछारें गिरी हैं। पहाड़ों पर एक बार फिर हल्की से मध्यम बर्फबारी हुई। अगले 4 दिनों के दौरान मौसम लगभग शुष्क बना रहेगा। परंतु तमिलनाडु सहित केरल में तेज बारिश हो सकती है। अगले दो-तीन दिनों के दौरान उत्तर और मध्य भारत में न्यूनतम तापमान बढ़ेंगे। एक नया वेस्टर्न डिस्टरबेंस 18 जनवरी से पहाड़ों को प्रभावित करना शुरू करेगा। 18 जनवरी से 23 जनवरी के बीच पहाड़ों पर फिर बर्फबारी होगी। हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कई जिलों में 21 और 22 जनवरी को तेज बारिश की संभावना है।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को इस योजना से मिलेगा लाभ!

National Natural Farming Mission

संपूर्ण देश के किसान अपनी आमदनी में वृद्धि कर पाएं और खुशहाल हो पाएं इस उद्देश्य की पूर्ती के लिए सरकार कई प्रकार की लाभकारी योजनाएं चला रही है। इन्हीं योजनाओं में से एक है केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई ‘राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन’ जिसकी मदद से प्राकृतिक खेती करने वाले किसान कई प्रकार के लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इस मिशन के माध्यम से प्राकृतिक खेती की पद्धतियों को बढ़ावा दिया जाएगा और मिट्टी की उपज क्षमता बेहतर करने के साथ साथ उपज की गुणवत्ता भी बेहतर की जाएगी।

जैसा की आप जानते ही होंगे की प्राकृतिक खेती में रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं होता है और इनकी जगह पर जैविक विधियों का उपयोग होता है। इनमे गोबर, गोमूत्र और कृषि अपशिष्टों का उपयोग भी किया जाता है। ये पद्धातियाँ न सिर्फ पर्यावरण के लिए लाभकारी हैं बल्कि इससे मिट्टी उपज क्षमता भी बेहतर होती है।

इस मिशन के माध्यम से किसानों को प्रशिक्षण दी जाएगी साथ ही साथ तकनीकी मदद और जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से प्राकृतिक खेती के महत्व और लाभों से अवगत करवाया जाएगा। इसके अलावा, कृषि विज्ञान केंद्र और स्थानीय कृषि विभाग किसानों की सहायता के लिए उपलब्ध रहेंगे।

स्रोत: कृषि जागरण

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