आलू की खुदाई ज्यादातर फरवरी से शुरू होकर मार्च के दूसरे सप्ताह तक की जाती है और आलू की फसल में खुदाई का सही प्रबंधन बहुत आवश्यक होता है, ताकि आलू के कंद को कम से कम नुकसान पहुंचे। अक्सर खुदाई के दौरान आलू के कंदों के ऊपरी हिस्से पर कई बार कटे का निशान लग जाता है, जिसके कारण भंडारण के दौरान आलू के खराब होने की संभावना बढ़ जाती है। इससे बचने के लिए खुदाई के समय कुछ सावधानियां बरतने की जरुरत होती है।
सावधानियां:
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आलू की खुदाई फसल बुवाई के 80 से 90 दिनों के बाद जब फसल परिपक्व हो जाए, एवं पौधों की पत्तियां पीली पड़ जाए तब करनी चाहिए।
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तापमान लगभग 30 डिग्री सेंटीग्रेट होने से पहले ही खुदाई कर लेनी चाहिए।
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खुदाई करते समय, मौसम सूखा रहना जरुरी होता है।
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खुदाई के 2 सप्ताह पहले सिंचाई बंद कर देनी चाहिए।
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खुदाई के बाद आलू के कंदों को कुछ दिनों तक खुली हवा में रखना चाहिए, इससे कंदों के छिलके कड़े हो जाते हैं।
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अगर खुदाई करते समय कुछ कंद कट जाए तो कटे हुए कंदो को छटाई के दौरान हटा देना चाहिए।
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आलू के कंदों को धूप में न सुखाएं, अगर कंदों को धूप में सुखाया तो उनकी भंडारण क्षमता प्रभावित होती है।
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