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शेतकरी बंधू आणि भगिनींनो, नायट्रोजन, फॉस्फरस आणि पोटॅशनंतर पिकांच्या वाढ, विकास आणि उत्पादनासाठी चौथा सर्वात महत्त्वाचा पोषक घटक म्हणजे सल्फर, ज्याला सल्फर असेही म्हणतात.
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सल्फरच्या कमतरतेच्या कारणांमुळे कोवळी पाने पिवळसर हिरवी होतात. जर त्याची कमतरता खूप जास्त असेल तर संपूर्ण झाडाचा रंग पिवळसर हिरवा होतो
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पाने आणि देठांना जांभळा रंग येतो, झाडे आणि पाने लहान राहतात.
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सल्फर पानांमध्ये क्लोरोफिल तयार होण्यास मदत करते, ज्यामुळे झाडांच्या पानांचा रंग हिरवा होतो.
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सल्फर वनस्पतींमध्ये एंजाइम आणि विटामिन तयार करण्यास मदत करते.
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डाळी पिकांमध्ये हे मूळ ग्रंथींच्या निर्मितीसाठी वापरले जाते, नायट्रोजन स्थिरीकरणासाठी हे आवश्यक आहे.
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मोहरी, कांदा, लसूण आणि मिरची यामध्ये प्राकृतिक गंध केवळ सल्फरच्या कारणांमुळेच राहतो.
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तेलबिया पिकांच्या बियांमध्ये तेलाचे प्रमाण वाढते.
टमाटर की फसल में लीफ माइनर कीट के लक्षण एवं नियंत्रण के उपाय!
लीफ माइनर क्षति के लक्षण: यह बहुत ही छोटे कीट होते हैं। इसकी क्षति के लक्षण सबसे पहले पत्तियों पर दिखाई देते हैं। इस कीट की मादा, पत्तियों के अंदर सुरंग बनाकर अंडे देती हैं। जिससे लार्वा बाहर आकर पत्तियों के हरे पदार्थ को खुरच कर खाते हैं जिसके कारण पत्तियों पर सफेद रंग की टेढ़ी-मेढ़ी लकीरें दिखाई देती हैं। अधिक संक्रमण होने पर पत्तियां कमजोर होकर गिरने लगती हैं।
नियंत्रण के उपाय: इस कीट के नियंत्रण के लिए, बेनिविया (साइंट्रानिलिप्रोएल 10.26% ओडी) @ 360 मिली + नीमगोल्ड एजाडिरेक्टिन 3000 पीपीएम) @ 1000 मिली + सिलिकोमैक्स गोल्ड 50 मिली + नोवामैक्स (जिब्रेलिक एसिड 0.001 % एल) @ 300 मिली, प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।
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आलू की फसल में पछेती झुलसा रोग के लक्षण एवं नियंत्रण के उपाय!
क्षति के लक्षण: इस रोग से पौधों की पत्तियाँ, तने एवं कंद प्रभावित होते हैं। सबसे पहले इस रोग के लक्षण पत्तियों के सिरों और किनारों पर पानी से लथपथ छोटे-छोटे भूरे धब्बे के रूप में विकसित होते हैं। इन धब्बों के चारों ओर कवक की एक सफेद कपास जैसी वृद्धि दिखाई देती है। अनुकूल मौसम की स्थिति में जैसे – कम तापमान, उच्च आर्द्रता आदि में रोग तेजी से फैलता है और पूरी फसल 10-14 दिनों के भीतर नष्ट हो सकती है और झुलसा हुआ रूप ले सकती है।
नियंत्रण के उपाय: इस रोग के नियंत्रण के लिए, नोवाक्रस्ट (एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकनाज़ोल 18.3% एससी) @ 300 मिली या करमानोवा (कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63% डब्ल्यूपी) @ 700 ग्राम + नोवामैक्स (जिब्रेलिक एसिड 0.001 % एल) 300 मिली + सिलिकोमैक्स गोल्ड 50 मिली, प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।
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भारी बारिश और बर्फबारी के बने आसार, जानें अपने क्षेत्र का मौसम पूर्वानुमान
एक नया वेस्टर्न डिस्टरबेंस पहाड़ों पर पहुंच रहा है। बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र बने हुए हैं। राजस्थान के ऊपर भी एक साइक्लोनिक सर्कुलेशन बनेगा। आज से राजस्थान में हल्की बारिश शुरू होगी। 11 जनवरी तक बारिश हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश तक भी पहुंच जाएगी। तमिलनाडु में बारिश की गतिविधियां तेज होने वाली हैं। उत्तर और मध्य भारत में रात के तापमान अब बढ़ेंगे।
स्रोत: स्काइमेट वेदर
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तरबूज़ की फसल में लीफ माइनर कीट के लक्षण एवं नियंत्रण के उपाय!
लीफ माइनर क्षति के लक्षण: यह बहुत ही छोटे कीट होते हैं। इसकी क्षति के लक्षण सबसे पहले पत्तियों पर दिखाई देते है। इस कीट की मादा पत्तियों के अंदर सुरंग बनाकर अंडे देती हैं। इससे लार्वा बाहर आकर पत्तियों के हरे पदार्थ को खुरच कर खाते हैं जिसके कारण पत्तियों पर सफेद रंग की टेढ़ी-मेढ़ी लकीरें दिखाई देती हैं। अधिक संक्रमण होने पर पत्तियां कमजोर होकर गिरने लगती हैं।
नियंत्रण के उपाय: इस कीट के नियंत्रण के लिए, (तमिलनाडु एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के अनुसार) नीमगोल्ड (एजाडिरेक्टिन 0.3%) 3000 पीपीएम, @ 150 मिली, प्रति 15 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। इसके 2 दिन बाद, नोवामैक्स (जिब्रेलिक एसिड 0.001 % एल) @ 30 मिली + 19:19:19 @ 80 ग्राम, प्रति 15 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।
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कल से देश के कई राज्यों में मूसलाधार बारिश की संभावना, देखें मौसम पूर्वानुमान
दो दिनों के बाद देश के कई राज्यों का मौसम बदलने वाला है। एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र राजस्थान के ऊपर बनेगा। 10 जनवरी को राजस्थान के कई जिलों में बारिश शुरू होगी। 11 जनवरी को बारिश की गतिविधियां पूर्वी पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान के पूर्वी जिलों सहित उत्तरी मध्य प्रदेश तक फैल जाएगी। पहाड़ों पर 11 जनवरी को एक बार फिर से भारी बर्फबारी होने की संभावना है। दक्षिण भारत में तमिलनाडु अच्छी बारिश देखेगा वहीं केरल में भी हल्की बारिश होगी।
स्रोत: स्काइमेट वेदर
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आलू की चमक बढ़ाने के लिए फसल में जरूर करें ये कार्य!
आलू की त्वचा चमकदार, साफ, आकर्षक हो तो इससे बाजार मूल्य एवं मांग भी अधिक होती है। पर काला स्कर्फ, पाउडरी एवं कॉमन स्कैब जैसे संक्रमणों की वजह से आलू कम आकर्षक लगता है साथ ही इसकी भण्डारण क्षमता भी प्रभावित होती है। इसलिए पोषक तत्व की सही मात्रा से आलू की त्वचा विकार को कम कर सकते है और त्वचा की चमक को बढ़ा सकते हैं।
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कैल्शियम: आलू की त्वचा की रंगत निखारने में कैल्शियम की अहम भूमिका होती है। कैल्शियम कंद की ऊपरी परत को मजबूत करता है, जिससे ब्लैक स्कर्फ, सिल्वर स्कर्फ, पाउडर स्कैब या कॉमन स्कैब सहित कई बीमारियों से सुरक्षा हो जाती है।
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सल्फर: सल्फर कॉमन एवं पाउडरी स्कैब के स्तर को कम करने में मदद करता है। यह समस्या मिट्टी की पीएच में कमी के कारण भी हो सकता है। इससे बचाव के लिए, सल्फर का उपयोग किया जाता है।
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बोरॉन: बोरॉन कैल्शियम की प्रभावशीलता में सुधार करता है। यह कोशिका भित्ति में कैल्शियम को स्थिर करने में मदद करता है और कैल्शियम के अवशोषण को भी बढ़ाता है।
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जिंक: जिंक रोग के संक्रमण को कम करने में मदद करता है। इसका उपयोग आमतौर पर पाउडरी स्कैब से बचाने के लिए किया जाता है। ज़िंक का उपयोग केवल मिट्टी के अनुप्रयोगों में पाउडर स्कैब के लिए प्रभावकारी है।
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मैग्नीशियम और मैंगनीज: मैग्नीशियम और मैंगनीज कॉमन स्कैब के स्तर को कम कर सकते हैं।
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मात्रा: आलू की चमकदार त्वचा एवं कंद का आकार बढ़ाने लिए, कैलबोर 5 किग्रा + जिंक सल्फेट 5 किग्रा + मैग्नीशियम सल्फेट 5 किग्रा + पोटाश 20 किग्रा, इन सभी को आपस में मिलाकर एक एकड़ क्षेत्र के हिसाब से सामान रूप से भुरकाव कर हल्की सिंचाई कर दें।
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2 दिन बाद फिर शुरू होगी भारी बारिश, ओलावृष्टि की भी है संभावना
10 जनवरी की शाम से राजस्थान का मौसम बदलने लगेगा तथा कई जिलों में बारिश शुरू हो सकती है। 11 और 12 जनवरी को बारिश की गतिविधियां पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश तक पहुंच जाएंगी। इन सभी राज्यों में बारिश की संभावना है तथा एक दो स्थानों पर ओलावृष्टि भी हो सकती है। अगले दो दिनों के दौरान उत्तर और उत्तर पश्चिम दिशा से चलने वाली सर्द हवाएं आधे भारत का तापमान गिराएंगी। तमिलनाडु और केरल में भी 12 जनवरी से बारिश की गतिविधियां शुरू हो जाएगी। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार में घना कोहरा छाया रहेगा।
स्रोत: स्काइमेट वेदर
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चने में फली छेदक प्रकोप की रोकथाम व अधिक फूल धारण हेतु आवश्यक छिड़काव
फली छेदक इल्ली की युवा लार्वा पत्तियों की शिराओं को छोड़ कर सभी भाग को खा लेती है साथ ही फूल एवं फली की अवस्था में फूल एवं फली को भी खाते है। हरी फली में – गोलाकार छेद करके दाने को खा कर फली को खाली कर देती हैं जिससे उत्पादन में भारी कमी आती है।
नियंत्रण के उपाय: चने की फसल में अधिक फूल धारण एवं फली छेदक इल्ली नियंत्रण के लिए, कोस्को (क्लोरट्रानिलिप्रोल 18.5% एससी) @ 50 मिली या सेलक्विन (क्विनालफॉस 25% ईसी) @ 400 मिली + बवे कर्ब (बवेरिया बेसियाना 5% डब्ल्यूपी) @ 250 ग्राम + न्यूट्रीफुल मैक्स (फुलविक एसिड का अर्क– 20% + कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटैशियम सूक्ष्म पोषक तत्व मात्रा में 5% + अमीनो एसिड) @ 250 मिली + सिलिकोमैक्स गोल्ड @ 50 मिली, प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।
न्यूट्रीफुल मैक्स:
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इससे फूल अधिक लगते है, एवं फलों की रंग एवं गुणवत्ता बढ़ती है।
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सूखे, पाले आदि के खिलाफ पौधो की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
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जड़ से पोषक तत्वों का परिवहन भी तेजी से होता है।
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11 और 12 जनवरी को भारी बारिश की संभावना, जानें अपने क्षेत्र का मौसम पूर्वानुमान
आज दिल्ली सहित हरियाणा और पंजाब के कुछ जिलों में हल्की बारिश होने की संभावना है। कल 7 जनवरी से मौसम साफ हो जाएगा जो अगले 3 दिनों तक लगभग साफ रहेगा। न्यूनतम तापमान में भारी गिरावट दर्ज की जाएगी तथा उत्तर भारत के कुछ राज्यों में शीतलहर के साथ पाला गिरने की भी संभावना है। 11 और 12 जनवरी को मौसम बदलेगा। पूर्वी और उत्तर पूर्वी भारत सहित दक्षिण भारत का मौसम साफ बने रहने की संभावना है।
स्रोत: स्काइमेट वेदर
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