पिकांमध्ये पांढर्‍या ग्रब किडीचा प्रादुर्भाव

White grub pest outbreak in crops
  • पांढर्‍या ग्रब्सची ओळख – पांढर्‍या ग्रब्स हे पांढर्‍या रंगाचे कीटक आहेत जे हिवाळ्यात सुप्तावस्थेत ग्रब म्हणून शेतात राहतात.

  • नुकसानीची चिन्हे – सहसा सुरुवातीच्या टप्प्यात ते मुळांना नुकसान पोहोचवतात. झाडावर पांढर्‍या ग्रब्सची लक्षणे दिसू शकतात, जसे की झाड किंवा रोप कोमेजणे, झाडाची वाढ आणि नंतर झाडाचा मृत्यू होणे हे त्याचे मुख्य लक्षण आहे.

  • व्यवस्थापन – या किडीच्या नियंत्रणासाठी जून महिन्यात आणि जुलैच्या पहिल्या आठवड्यात. मेटाराईजियम स्पीसिस [कालीचक्र] 2 किलो + 50-75 किलो एफ वाय एम/ शेणखत/कंपोस्ट प्रति एकर रिकाम्या शेतात फवारणी करा किंवा पांढर्‍या ग्रबच्या नियंत्रणासाठी रासायनिक प्रक्रिया देखील केली जाऊ शकते.

  • यासाठी फेनप्रोपाथ्रिन 10% ईसी [डेनिटोल] 500 मिली/एकर, क्लोथियानिडिन 50.00% डब्ल्यूजी (डेनटोटसु) 100 ग्रॅम/एकर या दराने मातीमध्ये मिसळून वापर करावा.

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बकरी, भेड़, सुअर व मुर्गी पालन के लिए पाएं 50 लाख रूपए तक का अनुदान

animal husbandry

देश के किसानों को हर तरह से सक्षम बनाने के लिए केंद्र सरकार कई योजनाएं चला रही हैं। इसके तहत इन योजनाओं के जरिए किसानों को खेती के अलावा दूसरे व्यवसाय से भी जोड़ने की कोशिशें की जा रही हैं, ताकि किसान भाईयों की आर्थिक समस्या को दूर की जा सके।

इसी क्रम में भारत सरकार द्वारा ‘राष्ट्रीय पशुधन मिशन’ चलाया जा रहा है। इसके माध्यम से विभिन्न पशु व्यवसाय पर योजना के तहत सब्सिडी प्रदान की जाती है। केंद्र की इस योजना का उद्देश्य रोजगार के अवसर देने के साथ पशु उत्पादकता में वृद्धि करना है। योजना के अंतर्गत मुर्गी पालन, सुअर पालन, बकरी और भेड़ पालन के साथ चारा क्षेत्र के लिए अनुदान दिया जा रहा है। 

राष्ट्रीय पशुधन मिशन के माध्यम से ग्रामीण पोल्ट्री फार्म की स्थापना के लिए 50% का अनुदान दिया जाता है। यह अनुदान विभिन्न क्षेत्रों के लिए 25 लाख रूपए से 50 लाख रूपए तक है।

  • मुर्गी पालन के लिए 25 लाख रूपए 

  • भेड़ और बकरी पालन के लिए 50 लाख रूपए 

  • सुअर पालन के लिए 30 लाख रूपए 

  • चारा परियोजना के लिए 50 लाख रूपए 

इस योजना की पूरी जानकारी के लिए आधिकारिक वेबसाइट  nlm.udyamimitra.in पर जाएं। अगर आप इस योजना के लिए पंजीकरण कराना चाहते हैं तो, इसी वेबसाइट पर आप आवेदन भी कर सकते हैं। इसलिए बिना समय गवाएं इस लाभकारी योजना का लाभ उठाएं।

स्रोत : कृषि जागरण

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जैविक कीटनाशक पर मिलेगा 90% का अनुदान, जानें सरकार की योजना

90% subsidy will be given on various organic pesticides

राजस्थान सरकार ने जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में कई नई योजनाओं की शुरूआत की है। इन योजनाओं के माध्यम से जैविक खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसी कड़ी में राज्य सरकार किसानों को जैविक कीटनाशक की खरीद पर 90% तक की सब्सिडी प्रदान कर रही है।

खेती में लगने वाले अलग-अलग कीटों के लिए अलग-अलग कीट नाशकों का प्रयोग होता है। ऐसे में राज्य सरकार ने सभी अनुशंसित जैविक कीटनाशकों पर अनुदान देने का फैसला लिया है। इस योजना के माध्यम से किसानों को ट्राइकोडर्मा, एनएसकेई, अजाडिरेक्टिन, बिउवेरिया बासिना, मेटाहरजिसम, वर्टीसीलम, एन.पी.वी., फेरेमौन ट्रेप, ट्राईकोकार्ड्स आदि बायो पेस्टीसाइट अनुमोदित दर पर प्रदान किए जाएगें।

राज्य सरकार की इस योजना का उद्देश्य खेती में किसानों की लागत को कम करके उनकी आमदनी को बढ़ाना है। बता दें कि राज्य की योजना के अन्तर्गत एक लाख किसानों को बायो पेस्टीसाइट किट उपलब्ध कराई जाएगी। इसके चलते किसान भाईयों को जैविक कीटनाशकों की खरीद का केवल 10% ही भुगतान करना होगा, बाकि 90% या अधिकतम 900 रूपए प्रति हेक्टेयर की दर से भुगतान सरकार द्वारा किया जाएगा।

इस योजना के द्वारा राज्य के कम से कम 50 प्रतिशत लघु व सीमांत किसानों को लाभान्वित किया जाएगा। इसके अलावा योजना में अनुसूचित जाति, जनजाति, महिला किसान, बीपीएल, अंत्योदय एवं खाद्य सुरक्षा परिवारों के कृषकों को प्राथमिकता दी जाएगी।

स्रोत: किसान समाधान

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सोलर पंप की खरीदी पर पाएं भारी सब्सिडी, जल्द उठाएं योजना का लाभ

Install the solar pump on huge subsidy of 75%

बिजली खपत को कम करने के लिए सरकार अक्षय ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा दे रही है। इसके अंतर्गत नवीन एवं नवीनकरण ऊर्जा मंत्रालय द्वारा ‘कुसुम योजना’ चलाई जा रही है। योजना के तहत किसान भाईयों को लाभ पहुंचाने के लिए सब्सिडी पर सोलर प्लांट और सोलर पंप दिए जाते हैं।

मध्यप्रदेश सरकार भी इसी दिशा में किसानों को आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिए ‘मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना’ चला रही है। योजना के माध्यम से किसानों के खेतों पर 10 हॉर्स पावर तक के सोलर पंप लगाए जाते हैं। इस योजना के जरिए राज्य के 50 हजार किसानों के खेत पर सोलर पंप लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। योजना में ऐसे एक हजार किसानों को प्राथमिकता दी गई है, जिनके पास विद्युत की उपलब्धता नहीं है। वहीं इस योजना की मदद से किसान भाईयों का बिजली और डीजल का अलग से खर्च बच पाएगा।

राज्य सरकार ने अलग-अलग सोलर पंप पर 50 हजार रूपए से ढ़ाई लाख रूपए तक अनुदान देने की योजना बनाई है। योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदक को ऑनलाइन आवेदन पोर्टल cmsolarpump.mp.gov.in पर जाना होगा। यहां पर किसान भाई सोलर पंप के लिए सही जानकारी पाने के साथ आवेदन भी जमा कर सकते हैं।

स्रोत: कृषि समाधान

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बिना बिजली हो पाएगी सिंचाई, इस योजना से मिलेगा किसानों को लाभ

Irrigation will be possible without electricity

गर्मियों में बिजली की किल्लत से किसानों को सिंचाई करने में बहुत दिक्कत होती है। राज्य के किसानों को इस समस्या से छुटकारा दिलाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने एक योजना लागू की है। इसके तहत अब खेत में सिंचाई के लिए बिजली की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। सौर ऊर्जा की मदद से पंप को चलाया जाएगा। 

इसके लिए प्रदेश में 1250 मेगावाट क्षमता के सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना की जाएगी। ऊर्जा संयंत्रों की मदद से 7996 कृषि फीडरों को सौर ऊर्जा से उर्जीकृत किया जा सकेगा। सरकार के अनुसार इस योजना द्वारा लाखों किसानों के खेतों में सिंचाई हो पाएगी और करीब एक हजार करोड़ रूपए भी बचेंगे। वहीं इस सौर ऊर्जा की मदद से किसानों को दिन में बिजली भी उपलब्ध हो पाएगी।

दरअसल सरकार प्रदेश किसानों को सस्ती बिजली देने के लिए हर साल 14 हजार 800 करोड़ रूपए खर्च करती आ रही है। ऐसे में सिंचाई के लिए सौर ऊर्जा से पंप चलाने की योजना लाभप्रद साबित होगी। बहरहाल वर्तमान में सौर ऊर्जा औसतन 3 रुपये 20 पैसे प्रति यूनिट पड़ रही है। वहीं ताप विद्युत में यह दर लगभग 5 रुपये 34 पैसे प्रति यूनिट है। ऐसे में सौर ऊर्जा से किसानों और सरकार दोनों की मुश्किलें खत्म होगीं।

स्रोत: पत्रिका

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किसानों को बिना गारंटी उपलब्ध होगी 50 हजार रूपए की मदद

A subsidy of Rs 7000 will be given on the cultivation of these crops

देश के किसानों की आर्थिक रूप से मदद करने के लिए पंजाब नेशनल बैंक एक खास योजना लेकर आई हैइसका नाम ‘किसान तत्काल ऋण योजना’ हैइस योजना के तहत जरूरतमंद किसानों के बैंक खातों में 50 हजार रूपये तक का लोन बिना किसी गारंटी के पहुंचाया जाएगा। जिसकी मदद से किसान कृषि कार्यों से लेकर अपनी हर जरूरतें पूरी कर सकेंगे। 

योजना के लिए आवश्यक पात्रता :

  • आवेदक के पास किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) होना चाहिए। 

  • आवेदक के पास पिछले दो साल का बैंक रिकॉर्ड होना जरूरी है। 

लोन प्राप्त करन की प्रक्रिया : 

न्युनतम दस्तावेज की मदद से किसान इस योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस योजना के तहत किसान को ऋण लेने के लिए कुछ भी गिरवी रखने की आवश्यकता नहींं होगी, ना ही किसी प्रकार का कोई सर्विस चार्ज देना होगा। वहीं इस लोन को चुकाने के लिए किसान को 5 साल तक का समय दिया जाएगा। जिसे लाभार्थी किस्तों या फिर एक बार में पूरी रकम के साथ अदा कर सकता है।

अगर आप इस योजना का लाभ उठाना चाहते हैं तो, पंजाब नेशनल बैंक की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन माध्यम से आवेदन कर सकते हैं, या फिर नजदीकी पंजाब नेशनल बैंक जाकर ऑफलाइन भी अप्लाई कर सकते हैं

स्रोत: कृषि जागरण

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यहां जानें कम लागत में ग्रीनहाउस बनाने की आसान तकनीक

Learn easy techniques to build a greenhouse at a low cost

खेतों में लगी फसल को अक्सर प्राकृतिक आपदा और कीटों से काफी नुकसान पहुंचता है। वहीं ग्रीनहाउस में उगाई गई फसल इन सबसे सुरक्षित रहती है। ऐसे में ग्रीनहाउस के ज़रिए बढ़िया पैदावार प्राप्त की जा सकती है। हालांकि ग्रीनहाउस बनाने में अधिक लागत लगती है, इस कारण सभी किसान इसका लाभ नहीं उठा पाते हैं। 

ऐसे में अगर आप कम लागत वाला ग्रीनहाउस बनाने की सोच रहे हैं, तो यह लेख खास आपके लिए है। यहां आप फसलों की बढ़िया पैदावार पाने के लिए कम लागत में ग्रीनहाउस बनाने की आसान तकनीक के बारे में जानेंगे। 

कम लागत में ऐसे बनाए ग्रीनहाउस

इस सस्ती तकनीक के लिए बांस और लकड़ी की जरूरत होती है। इनकी मदद से एक मजबूत भवन तैयार किया जाता है। इस साधारण ग्रीनहाउस में तापमान और आर्द्रता को बढ़ाने या घटाने के लिए सरल तकनीकों का उपयोग किया जाता है। इसमें छाया के लिए जाल का उपयोग किया जा सकता है, वहीं किनारे की दीवारों को खोलकर तापमान को कम किया जा सकता है। इस तरह बहुत ही कम लागत में ग्रीनहाउस बनाकर बढ़िया उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

स्रोत: कृषि जागरण

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मुख्य खेत में रोपाई के पहले जरूर करें प्याज के पौध का उपचार

onion seedlings
  • प्याज की पौध की मुख्य खेत में रोपाई के लिए सबसे पहले स्वस्थ पौध का चयन करें एवं 12 से 14 सेमी लंबी या नर्सरी में बुवाई के 5-6 सप्ताह पुरानी पौध की हीं रोपाई करें।

  • कभी कभी प्याज के पौध.. मिट्टी, जलवायु और सिंचाई के आधार पर 6-7 सप्ताह में भी रोपाई के योग्य हो जाते हैं।

  • बहरहाल रोपाई के पूर्व प्याज की पौध की जड़ों को राइजोकेअर (ट्राइकोडर्मा विरिडी 1.0 % डब्ल्यूपी) @ 2.5 ग्राम या स्प्रिंट (कार्बेन्डाजिम 25%+ मैनकोजेब 50% डब्ल्यूएस) @ 3 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से तैयार घोल में 10 मिनट तक डूबा कर रखें।

  • इससे प्रारंभिक अवस्था में आने वाले रोग जैसे- आद्र गलन, जड़ गलन से फसल को बचाया जा सकता है।

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सस्ते दामों पर खरीदें महंगे कृषि यंत्र, ट्रैक्टर समेत इन यंत्रों पर मिलेगा अनुदान

Buy expensive agricultural machines at cheap prices

आधुनिक यंत्रों ने खेती-किसानी को काफी आसान बना दिया है। कृषि यंत्रों की मदद से किसान कम समय में ज्यादा काम कर सकते हैं। वहीं कम लागत के चलते किसान भाईयों को ज्यादा मुनाफा प्राप्त होता है। हालांकि आर्थिक परेशानी की वजह से कई किसान इन आधुनिक यंत्रों को नहीं खरीद पाते हैं। इस कारण वे आधुनिकता से पिछड़ जाते हैं।

किसानों की मजबूरी और कृषि यंत्रों के महत्व को देखते हुए राजस्थान सरकार ने ‘राजस्थान कृषि तकनीक मिशन’ की शुरूआत की है। इस योजना के तहत राज्य के किसान भाईयों को सब्सिडी पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराएं जाएंगे। इसके अंतर्गत ट्रैक्टर, थ्रेशर, रोटोवेटर, रीपर, सीड ड्रिल जैसे कई महंगे और जरूरी उपकरण को रखा गया है।

इसके अलावा कस्टम हायरिंग केंद्रों की स्थापना और ड्रोन खरीदी पर भी किसानों को अनुदान दिया जाएगा। इस योजना के अंतर्गत लाभान्वित सूची में न्यूनतम 30% लघु और सीमांत किसानों को शामिल किया जाएगा। इस मिशन के लिए राज्य सरकार द्वारा 108 करोड़ रूपए के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है।

स्रोत: कृषि समाधान

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मिरची पिकामध्ये चिनोफोरा ब्लाइट रोगाची ओळख आणि प्रतिबंधात्मक उपाय योजना

choanephora blight disease

मिरची पिकामध्ये या रोगाचे मुख्य कारण चिनोफोरा कुकुर्बिटारम हे आहे. या रोगाची बुरशी साधारणपणे झाडाच्या वरच्या भागातील फुले, पाने, नवीन फांद्या आणि फळांना संक्रमित करते. सुरुवातीच्या अवस्थेत, पानावर पाण्याने भिजलेले भाग विकसित होतात. प्रभावित फांदी सुकते आणि लटकते आणि अधिक संसर्गामध्ये फळे ही तपकिरी ते काळ्या रंगाची होतात आणि संक्रमित भागावर बुरशीचा थर दिसून येतो.

जैविक व्यवस्थापन – कॉम्बैट (ट्रायकोडर्मा विरिडी 500 ग्रॅम किंवा मोनास कर्ब (स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस 1% डब्ल्यूपी) 500 ग्रॅम प्रती एकर या दराने वापर करावा.

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