प्याज की वर्तमान फसल अवस्था में जरूरी है ये छिड़काव

This spraying is necessary in the present crop condition of onion

प्याज की फसल में बैंगनी धब्बा, स्टेमफाइलियम पत्ती झुलसा और डाऊनी मिलड्यू रोग होता है, जिसके कारण उपज कम होती है और खेती की लागत बढ़ जाती हैं। इसके साथ साथ रस चूसक कीट थ्रिप्स फसलों को कमज़ोर करते हैं। इन रोगों एवं कीटों से हम अपनी फसल को नीचे दिए गए छिड़काव से बचा सकते हैं, साथ ही मैक्सरुट फसल की जड़ विकास करता है और इससे मिलती हैं बम्पर उपज। 

इनके नियंत्रण के लिए, गोडीवा सुपर (एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 18.2% + डाइफ़ेनोकोनाज़ोल 11.4% एससी) @ 200 मिली + जम्प (फिप्रोनिल 80% डब्ल्यूजी) @ 30 ग्राम या डेसिस 100 (डेल्टामेथ्रिन 11% ईसी) @ 60 मिली +  मैक्सरुट (ह्यूमिक एसिड + पोटेशियम + फुलविक एसिड) @ 100 ग्राम +  सिलिकोमैक्स गोल्ड @ 50 मिली, प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। 

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प्याज की वर्तमान अवस्था में जरूर करें पोषण प्रबंधन

Nutrition management in onion crop at 40 to 45 days old stage

प्याज की 40 से 45 दिन की फसल अवस्था में कंद बनना प्रारम्भ हो जाता है, इस अवस्था में कंद निर्माण के लिए, यूरिया 30 किलो + कैल्शियम नाइट्रेट 10 किलो + मैगनेशियम सल्फेट 10 किलो, को आपस में मिलाकर एक एकड़ क्षेत्र के हिसाब से समान रूप से भुरकाव कर हल्की सिंचाई करें। 

यूरिया: फसल में यूरिया नाइट्रोज़न की पूर्ति का सबसे बड़ा स्रोत है। इसके उपयोग से, पत्तियो में पीलापन एवं सूखने की समस्या नहीं आती है। यूरिया प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को तेज़ करता है।

कैल्शियम नाइट्रेट: यह कंद का आकार बढ़ाता है।  इससे बेहतर गुणवत्ता वाली उपज प्राप्त होती है। साथ ही यह पौधों में कैल्शियम की कमी को भी पूरा करता है। 

मैग्नेशियम सल्फेट: प्याज की फसल में मैग्नेशियम के प्रयोग से हरियाली बढ़ती है एवं प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में तेज़ी आती हैं अंततः उच्च पैदावार और फसल की गुणवत्ता बढ़ती है| साथ ही सल्फर प्याज में गंध बढ़ाने में मदद करता है।

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सरसों में एक ही छिड़काव से बढ़ाएं फूल एवं करें कीट व रोगों का अंत!

Increase flowers in mustard with just one spray and end pests and diseases

सरसों की फसल में फूल की अवस्था में माहु कीट और व्हाइट रस्ट/सफेद रतुआ रोग का संक्रमण बहुत अधिक मात्रा में होता है। जो फसलों को कमज़ोर करते हैं। इसके कारण फली में दाने नहीं बन पाते हैं एवं तेल की गुणवत्ता में भी गिरावट आती है। इन रोगों एवं कीटों से हम अपनी फसल को नीचे दिए गए छिड़काव से बचा सकते हैं, साथ ही न्यूट्रीफुल मैक्स के उपयोग से फसल में फूल धारण क्षमता को बढ़ा सकते हैं जिससे मिलती हैं भरपूर उपज। 

नियंत्रण के उपाय 

इस रोग व कीट नियंत्रण एवं अधिक फूल धारण के लिए, नोवाक्सिल (मेटालैक्सिल 8% + मैनकोजेब 64% डब्ल्यूपी) @ 1 किग्रा + थियानोवा 25 (थियामेथोक्सम 25% डब्ल्यूजी) @ 40 ग्राम + न्यूट्रीफुल मैक्स (फुलविक एसिड का अर्क– 20% + कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटैशियम ट्रेस मात्रा में  5% + अमीनो एसिड) @ 250 मिली, प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

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मटर में पाउडरी मिल्ड्यू एवं फल छेदक इल्ली के नियंत्रण के उपाय!

Measures to control powdery mildew and fruit borer in pea crop

पाउडरी मिल्ड्यू के क्षति के लक्षण

पाउडरी मिल्ड्यू रोग के लक्षण मटर की पत्तियों, कलियों, टहनियों व फूलों पर सफेद पाऊडर के रूप में दिखाई देते हैं। पत्तियों की दोनों सतह पर सफेद रंग के छोटे-छोटे धब्बे नजर आते हैं जो धीरे-धीरे फैलकर पत्ती की दोनों सतह पर फैल जाते हैं। रोगी पत्तियां सख्त होकर मुड़ जाती हैं। अधिक संक्रमण होने पर सूख कर झड़ जाती हैं।

फल छेदक इल्ली के क्षति के लक्षण 

फल छेदक इल्ली प्रारंभिक अवस्था में पत्तियों को खाते हैं और फूल एवं फली की अवस्था में गंभीर रूप से विकासशील फली में छेद करते हैं और बीजों को खाते हैं। इसकी इल्ली अपने सिर को आमतौर पर फली के अंदर और शरीर के अधिकांश हिस्से को बाहर की ओर रखता है। 

नियंत्रण के उपाय 

इस रोग के नियंत्रण के लिए, धानुस्टीन (कार्बेन्डाजिम 50% डब्ल्यूपी) @ 100 ग्राम या वोकोविट (सल्फर 80% डब्ल्यूडीजी) @ 1 किलो  + तुस्क (मैलाथियान 50.00% ईसी) @ 600 मिली + सिलिकोमैक्स गोल्ड @ 50 मिली, प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

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खरबूज़ की उन्नतशील किस्में, स्वयं देखें और करें चुनाव !

Improved seed varieties of Muskmelon

खरबूज़ गर्मी के मौसम में उगाई जाने वाली महत्वपूर्ण कद्दूवर्गीय फसल है। हमारे देश में यह बहुत लोकप्रिय फल है। इसकी खेती आर्थिक रूप से फायदेमंद मानी जाती है। इनकी बढ़ती मांग को देखते हुए आवश्यकता है की किसान भाई इनकी खेती वैज्ञानिक ढंग से करें, जिससे कम खर्च में अच्छी आमदनी अधिक मिल सके। 

एनएमएमएच – 203

  • फल का रंग – जालीदार त्वचा व पीला रंग 

  • फलों का वजन – 1000 – 1100 ग्राम 

  • फल का आकार – गोल से अंडाकार

  • गूदे का रंग – भगवा पीला 

  • प्रथम तुड़ाई  – 65 से 70 दिन में 

  • सहनशील – विल्ट, पाउडरी मिल्ड्यू, कुकुम्बर मोजेक वायरस 

  • परिवहन – लंबे परिवहन के लिए उपयुक्त

  • उत्पादन क्षमता – उच्च उपज 

एनएमएमएच – 225

  • फल का रंग – जालीदार त्वचा व सुनहरे पीले फल

  • फलों का वजन – 800 – 900  ग्राम 

  • फल का आकार – गोलाकार 

  • गूदे का रंग – गहरा नारंगी 

  • प्रथम तुड़ाई  – 65 से 70 दिन में 

  • अति सहनशील – फ्युजेरियम विल्ट, कुकुम्बर मोजेक वायरस 

  • परिवहन – लंबे परिवहन के लिए उपयुक्त

  • उत्पादन क्षमता – उच्च उपज

एनएमएमएच – 24 

  • फल का रंग – पीले रंग पर हरी धारियां

  • फलों का वजन – 900 – 1000 ग्राम 

  • फल का आकार – चपटे गोलाकार 

  • गूदे का रंग – गहरा भगवा पीला गूदा

  • प्रथम तुड़ाई  – 70 से 75 दिन में 

  • अति सहनशील – विल्ट, पाउडरी मिल्ड्यू, कुकुम्बर मोजेक वायरस के प्रति अति सहनशील 

  • परिवहन – लंबे परिवहन के लिए उपयुक्त

  • उत्पादन क्षमता – उच्च उपज

  • टीएसएस – उच्च

सागर 60

  • फल का रंग – हरी पट्टियों के साथ पीली त्वचा

  • फलों का वजन – 800-900 ग्राम 

  • फल का आकार –  सपाट गोल 

  • गूदे का रंग – गहरा भगवा पीला गूदा

  • प्रथम तुड़ाई  – 75-85 दिन में 

  • अति सहनशील – फ्यूजेरियम विल्ट

  • उत्पादन क्षमता – उच्च उपज

  • टीएसएस – उच्च

एनएमएमएच – 65

  • फल का रंग – सफेद जाल व क्रीमी रंग

  • फलों का वजन – 1000-1200 ग्राम 

  • फल का आकार –   गोल 

  • गूदे का रंग – केसर पीला गूदा

  • प्रथम तुड़ाई  – 75-85 दिन में 

  • अति सहनशील – फ्यूजेरियम विल्ट और गमी स्टेम ब्लाइट के प्रति अत्यधिक सहिष्णु

  • उत्पादन क्षमता – उच्च उपज

  • टीएसएस – उत्कृष्ट स्वाद संग उच्च टीएसएस

बीएसएस 651 – पताशा F1

  • फल का रंग – सफेद जाल व क्रीमी रंग

  • फलों का वजन – 2 – 2.5 किलो

  • फल का आकार –   गोल 

  • गूदे का रंग – नारंगी रंग का गुदा

  • प्रथम तुड़ाई  – 70 – 75  दिन में 

  • अति सहनशील – फ्यूजेरियम रोग और वायरस के खिलाफ अच्छी सहनशीलता

  • उत्पादन क्षमता – उच्च उपज

  • परिवहन – लंबे परिवहन के लिए उपयुक्त

पीएस 5060

  • फल का रंग – सफेद जाल व क्रीमी रंग

  • फलों का वजन – 2 किलो

  • फल का आकार –   गोल 

  • गूदे का रंग – नारंगी रंग का गुदा

  • प्रथम तुड़ाई  – 70 – 75  दिन में 

  • टीएसएस – उत्कृष्ट स्वाद के साथ उच्च टीएसएस

पीएस 2525

  • फल का रंग – हरी धारियां व पीला रंग

  • फलों का वजन – 900-1000 ग्राम के आकर्षक फल

  • फल का आकार –  सपाट गोल

  • टीएसएस – उत्कृष्ट स्वाद के साथ उच्च टीएसएस

ये कुछ महत्वपूर्ण खरबूज़ की किस्में हैं जिनकी खेती करके अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इसका बीज दर 1.2 किग्रा प्रति एकड़, के हिसाब से लगता है। बेड तैयार होने के बाद, पंक्ति से पंक्ति की दूरी 6 फ़ीट, पौधे से पौधे की दूरी 3 फ़ीट रख कर बुवाई करें। इन बीजों की खरीदारी के लिए ग्रामोफ़ोन ऐप के बाजार सेक्शन पर जाएँ।

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तरबूज की जबरदस्त पैदावार देने वाली उन्नत बीज किस्में!

Improved seed varieties of watermelon

तरबूज गर्मी के मौसम में उगाई जाने वाली महत्वपूर्ण कद्दूवर्गीय फसल है। किसान भाई तरबूज की खेती करकेे कम समय में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। तरबूज की खेती की खास बात ये है, की इसको कम पानी एवं खाद की स्थिति में भी सफलता पूर्वक उगाया जा सकता है। अच्छे उत्पादन के लिए, तरबूज की उन्नत किस्मों की बुवाई करें और खेती का सही तरीका अपनाएं। 

बाहुबली

  • फल का रंग – गहरा काला और चमकदार

  • फलों का वजन – 3-7 किग्रा

  • फल का आकार – अंडाकार

  • गूदे का रंग – गहरा लाल

  • प्रथम तुड़ाई – 65-70 दिन बाद  

  • टीएसएस – 15 -16.7%

  • सहिष्णु – फ्यूजेरियम विल्ट

  • प्रतिरोधी – उच्च तापमान

  • उत्पादन क्षमता – उत्कृष्ट

सागर किंग

  • फल का रंग – गहरा काला 

  • फल का वजन – 3-5 किलो 

  • फल का आकार – अंडाकार 

  • गूदे का रंग – लाल गूदा

  • टीएसएस – 13.5%

  • प्रथम तुड़ाई – 60-65 दिन 

  • उत्पादन क्षमता – उच्च उपज 

सागर किंग प्लस

  • फल का रंग – गहरा काला और चमकदार

  • फलों का वजन – 3-6 किग्रा

  • फल का आकार – अंडाकार

  • गूदे का रंग – गहरा लाल

  • प्रथम तुड़ाई  – 60-70 दिन बाद 

  • टीएसएस – 13.5%

  • लंबी परिवहन क्षमता

  • उत्पादन क्षमता – उत्कृष्ट

मैक्स

  • फल का रंग – गहरा काला और चमकदार

  • फलों का वजन – 4-5 किलो

  • फल का आकार – अंडाकार

  • गूदे का रंग – क्रिस्पी गहरा लाल 

  • प्रथम तुड़ाई  – 70-75 दिन 

  • टीएसएस – 11-13%

  • उत्पादन क्षमता – उच्च पैदावार

मधुबाला 

  • फलों का वजन – 10-12 किग्रा

  • फल का आकार – अंडाकार

  • गूदे का रंग – क्रिस्पी गहरा लाल गूदा

  • प्रथम तुड़ाई  – 70-75 डीएएस

  • टीएसएस –  11-12 %

  • उत्पादन क्षमता – उच्च पैदावार

किस्म – माधुरी

  • फलों का वजन – 10-12 किग्रा

  • फल का आकार – अंडाकार

  • गूदे का रंग – क्रिस्पी गहरा लाल गूदा

  • प्रथम तुड़ाई  – 70-75 दिन 

  • टीएसएस – 11-12%

  • उत्पादन क्षमता – उत्कृष्ट

ये तरबूज़ की कुछ महत्वपूर्ण बीज किस्में हैं जिनकी खेती करके अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इसका बीज दर 1.4 – 2 किग्रा प्रति एकड़ के हिसाब से लगता है। बेड तैयार होने के बाद पंक्ति से पंक्ति की दूरी 6 फ़ीट, पौधे से पौधे की दूरी 3 फ़ीट पर बुवाई करें। इन बीजों की खरीदारी के लिए ग्रामोफ़ोन ऐप के बाजार सेक्शन पर जाएँ। 

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रबी मौसम में धान की ये बीज किस्में देंगी जबरदस्त उपज!

These seed varieties of paddy will give tremendous yield in Rabi season

बहुत सारे किसान भाई रबी मौसम में भी धान की खेती करते हैं। रबी मौसम के लिए धान की शीत सहनशीलता वाली, कम अवधि की किस्मों की सिफारिश की जाती है। विकास के चरण में ठंड से बचने के लिए 10 दिसंबर से धान की नर्सरी बोनी चाहिए। कभी कभी ठंड अधिक पड़ने के कारण अंकुरण नहीं हो पाता या फिर नर्सरी में पौधों के मरने की संभावना रहती है। इसीलिए उन्नत बीज किस्मों का चुनाव बेहद जरूरी होता है। 

सिल्की 277

  • अवधि: 120-125 दिन 

  • पौधे की ऊंचाई: 90-95 सेमी

  • कल्ले: 12-14

  • रोग प्रतिरोधी: प्रमुख रोगों और कीटों के प्रति सहनशीलता

  • उपज: 7.5 – 8.0 टन प्रति हेक्टेयर

  • अनाज का प्रकार: मध्यम मोटा

एमटीयू-1010

  • अवधि: 120 दिन

  • उपज: 40-45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर

  • अनाज का प्रकार: लंबा पतला

  • पौधे की ऊंचाई: अर्ध-बौना (108 सेमी)

  • ब्लास्ट के लिए प्रतिरोधी और बीपीएच के प्रति सहनशील

आईआर 64

  • अवधि: 120 दिन

  • औसत उपज: 40-45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर

  • अनाज का प्रकार: लंबा पतला

  • पौधे की ऊंचाई: अर्ध-बौना (108 सेमी)

  • ब्लास्ट के लिए प्रतिरोधी और बीपीएच के प्रति सहनशील

एमटीयू 1001 

  • अवधि: 120-125 दिन

  • औसत उपज: 97 क्विंटल/हेक्टेयर

  • अनाज का प्रकार: मध्यम पतला

  • पौधे की ऊंचाई: अर्ध बौना (115 सेमी)

  • बीपीएच और ब्लास्ट के प्रति सहनशील

ये कुछ महत्वपूर्ण धान की किस्में हैं जिनकी खेती करके अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इसका बीज दर एस आर आई विधि के लिए, 2.8 से 3.2 किग्रा एवं हाइब्रिड किस्म 8 किग्रा एवं कम अवधि की किस्मों के लिए 24 किग्रा प्रति एकड़, के हिसाब से बुवाई करें। 

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चना में उकठा रोग से बचाव हेतु सिंचाई जल संग करें कवकनाशी का उपयोग

Use fungicide along with irrigation water to prevent wilt disease in gram

रोग के लक्षण: चने की फसल में उकठा (फ्युजेरियम विल्ट) बहुत ही विनाशकारी रोग है, इसकी समस्या फसलों की 2 अवस्था में देखी जाती है। वानस्पतिक वृद्धि की अवस्था एवं फूल की अवस्था में, इसका मुख्य लक्षण पत्तियों का नीचे से ऊपर की ओर पीला और भूरा पड़ना अंत में पौधों का मुरझा कर सूख जाना है। ग्रषित तने को चीर कर देखने से आंतरिक उत्तक भूरे रंग का दिखाई देता है, जिस कारण से पोषक तत्व एवं पानी पौधों के सभी भाग तक नहीं पहुँच पाता है और पौधे मरने लगते है। पौधों को उखाड़ कर देखने पर कॉलर एवं जड़ क्षेत्र गहरा भूरा या काला रंग का दिखाई देता है।

रोकथाम के उपाय: चने की फसल में फ्युजेरियम विल्ट रोग से बचाव के लिए, कॉम्बैट (ट्राइकोडर्मा विरिडी 1.0% डब्ल्यूपी) @ 2.0 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से भुरकाव करें और खेत में तुरंत सिंचाई करें।

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चाहिए जबरदस्त उपज तो गेहूँ की वर्तमान अवस्था में जरूर करें पोषण प्रबंधन!

Nutrient Management in Wheat Crop
  • गेहूँ की फसल अभी 25 से 35 दिन की अवस्था में है इस समय अच्छे पौध विकास एवं जड़ माहु की रोकथाम के लिए, यूरिया @ 40 किग्रा + ज़िंक सल्फेट @ 5 किग्रा + कोसावेट (सल्फर 90 डब्ल्यूजी) @ 5 किग्रा + थियानोवा 25 (थियामेथोक्सम 25 % डब्ल्यूजी) @ 20 ग्राम को आपस में मिलाकर एक एकड़ क्षेत्र के हिसाब से समान रूप से भुरकाव करें।

  • यूरिया:- गेहूँ की फसल में यूरिया नाइट्रोज़न की पूर्ति का सबसे बड़ा स्रोत है। इसके उपयोग से पत्तियों में पीलापन एवं सूखने की समस्या नहीं आती है। यूरिया प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को तेज़ करता है।

  • ज़िंक सल्फेट:- जिंक पौधों में कार्बोहाइड्रेट प्रोटीन और क्लोरोफिल निर्माण में मदद करता है। जो चयापचय प्रतिक्रियाओं को चलाने के लिए जिम्मेदार होता है। इससे उत्पादन के साथ-साथ फसल की गुणवत्ता में भी वृद्धि होती है। जिंक के अलावा, इससे फसलों को सल्फर की उपलब्धता भी होती है। 

  • कोसावेट:- क्षारीय मिट्टी में मिट्टी के पीएच को कम करने में मदद करता है। एनपीके और सूक्ष्म पोषक तत्वों जैसे पोषक तत्वों के अवशोषण में सुधार करने में मदद करता है। 

  • थियानोवा 25:- यह अन्य कीटनाशकों की तुलना में लंबे समय तक जड़ माहू से सुरक्षा प्रदान करता है। यह कीट के पेट में जाकर कीट को नष्ट कर देता है।

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मध्य प्रदेश की प्रमुख मंडियों में गेहूँ भाव में दिखी कितनी तेजी?

wheat mandi rates

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों, जैसे अजयगढ़, आलमपुर, अमरपाटन, बड़नगर, बदनावर,  छिंदवाड़ा एवं हरदा आदि में क्या चल रहे हैं गेहूँ के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

विभिन्न मंडियों में गेहूं के ताजा मंडी भाव

जिला

कृषि उपज मंडी

न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

पन्ना

अजयगढ़

2140

2320

भिंड

आलमपुर

2390

2420

सतना

अमरपाटन

2200

2400

अशोकनगर

अशोकनगर

2202

3100

उज्जैन

बड़नगर

2120

2740

धार

बदनावर

2000

2720

शाजापुर

बडोद

2109

2450

रीवा

बैकुंठपुर

2390

2475

होशंगाबाद

बाणपुरा

2275

2706

सागर

बाँदा

2300

2350

होशंगाबाद

बनखेड़ी

2300

2401

बैतूल

बैतूल

2370

2675

भोपाल

भोपाल

2705

2829

छिंदवाड़ा

छिंदवाड़ा

2550

2741

सागर

देवरी

2350

2350

देवास

देवास

2300

2760

धार

धार

2290

2778

धार

गंधवानी

2541

2560

विदिशा

गंज बासौदा

2345

2765

देवास

हाटपिपलिया

2110

2550

हरदा

हरदा

2161

2648

छतरपुर

हरपालपुर

2400

2450

सीहोर

इछावर

2261

2606

जबलपुर

जबलपुर

2410

2599

सीहोर

जावरा

2301

2631

झाबुआ

झाबुआ

2100

2230

अलीराजपुर

जोबाट

2100

2420

शाजापुर

कालापीपल

2150

2700

नरसिंहपुर

करेली

2321

2560

खरगोन

कसरावद

2550

2640

कटनी

कटनी

2475

2585

उज्जैन

खाचरोद

2300

2600

शिवपुरी

खानियाधना

2200

2325

खरगोन

खरगोन

2181

2680

देवास

खातेगांव

1900

2540

राजगढ़

खिलचीपुर

2365

2405

शिवपुरी

कोलारास

2306

2380

स्रोत: एगमार्कनेट

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