तरबूज एवं खरबूज़ की बुवाई से पहले खेत की तैयारी में इन बातों का रखें ध्यान!

Watermelon and Muskmelon field preparation

तरबूज़ एवं खरबूज़ की बुवाई के लिए रेतीली तथा रेतीली दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है। पौधों की अच्छी बढ़वार एवं जड़ विकास के लिए, मिट्टी का भुरभुरा होना आवश्यक है। सामान्यतः पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें एवं इसके बाद, गोबर की खाद @ 4 टन + स्पीड कम्पोस्ट @ 4 किग्रा + नीम की खली/केक @ 100 किग्रा, प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में समान रूप से भुरकाव करें। इसके बाद 2-3 जुताई हैरो की सहायता से करें। खेत में मौजूद, अन्य अवांछित सामग्री को हटा दें, अगर मिट्टी में नमी कम हो तो पहले पलेवा करें, फिर खेत की तैयारी करें, और आखिर में पाटा चलाकर खेत समतल बना लें। 

पोषक तत्व प्रबंधन 

फसल रोपाई/बुवाई के समय, डीएपी 50 किग्रा + बोरोनेटेड एसएसपी दानेदार 75 किग्रा + एमओपी 75 किग्रा +  मल्टीज़िंक (जिंक सल्फेट 10 किग्रा) + मैग्नीशियम सल्फेट 10 किग्रा + तरबूज़/खरबूज़ समृद्धि किट – टीबी 3 (एनपीके कंसोर्टिया) @ 3 किलोग्राम +  ताबा जी (जिंक सोल्यूब्लाज़िंग बैक्टेरिया) @ 4 किलोग्राम + ट्राई-कोट मैक्स (समुद्री शैवाल, अमीनो, ह्यूमिक) @ 4 किलोग्राम + कॉम्बैट (ट्राईकोडर्मा विरिडी 1.0 % डब्ल्यूपी) @ 2 किलोग्राम, इन सभी को आपस में मिलाकर एक एकड़ क्षेत्र के हिसाब से, समान रूप से भुरकाव करें।

कृषि क्षेत्र एवं किसानों से सम्बंधित ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें। आज की जानकारी पसंद आई हो तो मित्रों के साथ शेयर करना ना भूलें।

Share

लहसुन की फसल में सफेद सड़न के लक्षण एवं नियंत्रण के उपाय!

Symptoms and control measures of white rot in garlic crops
    • लहसुन की फसल में सफेद सड़न के प्रकोप के कारण पत्तियों के आधार भाग सड़ कर पीले पड़ जाते हैं, एवं मुरझाकर पत्तीयाँ गिरने लगती हैं। 

    • इसकी वजह से जड़ें और कली पर एक रोएँदार सफेद कवकजाल से ढक जाते हैं।

    • प्रभावित कली पानीदार हो जाता है, और कली के सूखने और सिकुड़ने से बाहरी परत फट जाती है। 

    • अंत में छोटे भूरे एवं काले स्क्लेरोटिया/कवक कली के प्रभावित हिस्सों पर या ऊतक के भीतर विकसित होता है।

    नियंत्रण के उपाय 

    • इसकी रोकथाम के लिए, फसल चक्र अपनाना चाहिए। 

    • संक्रमित पौधे को नष्ट कर देना चाहिए।

    पौधों के आसपास की मिट्टी का उपचार के रूप में, प्याज एवं लहसुन अनुसंधान निदेशालय के अनुसार  धानुस्टिन (कार्बेन्डाजिम 50 % डब्ल्यूपी) @ 15 ग्राम या भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान के अनुसार कर्मानोवा (कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63% डब्ल्यूपी) @ 30 ग्राम + मैक्सरुट @10 ग्राम, प्रति 15 लीटर पानी के हिसाब से पौधों के जड़ क्षेत्र के पास ड्रेंचिंग करें या गहरा छिड़काव करें जिससे की पानी पौधों के जड़ तक पहुँच जाए।

    कृषि क्षेत्र एवं किसानों से सम्बंधित ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें। आज की जानकारी पसंद आई हो तो इसे शेयर करना ना भूलें।

Share

बेस्ट सरसों बीज के साथ पाएं शानदार उपज व ज्यादा तेल उत्पादन

Get great yield and more oil production with the best mustard seeds

सरसों एक प्रमुख तिलहनी फसल है, यदि प्रमाणित किस्मों का चयन बुआई के लिए किया जाए तो इसका उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। आइये जानते हैं इस बार सरसों की प्रमाणित बीज किस्में कौन सी हैं।

पायनियर 45S46: यह मोटे दाने और बेहतर तेल उत्पादन के साथ उच्च उपज देने वाली किस्म है। यह मध्यम परिपक्वता वाली संकर प्रजाति के रूप में किसानों के बीच प्रसिद्ध है। यह एक काले बीज वाली संकर किस्म है। इसकी परिपक्वता अवधि 125-130 दिन है।

ADV 414: यह एक उच्च उपज देने वाली एवं मध्यम परिपक्वता वाली संकर किस्म है जिसमें मोटा दाना, उच्च तेल उत्पादन प्राप्त होता है। अन्य किस्मों की तुलना में 20% तक अधिक उपज देती है। इस किस्म की परिपक्वता अवधि 120 से 125 दिन की होती है।

श्रीराम 1666: सरसों की इस किस्म कि परिपक्वता अवधि लगभग 120 से 130 दिन होती है। इस किस्म का उपयोग सिंचित एवं असिंचित दोनों क्षेत्रों में किया जाता है। असिंचित क्षेत्रों में इसकी उपज कम रहती है। इस किस्म को 1 से 2 पानी में आसानी से उगाया जा सकता है। या किस्म सिंचित क्षेत्रों में 10 से 12 क्विंटल प्रति एकड़ और असिंचित क्षेत्रों में 8 से 10 क्विंटल प्रति एकड़ की उपज आसानी से दे सकती है। लेकिन इस किस्म से 12 क्विंटल से भी ज्यादा पैदावार मिल सकती है।

खेतीबाड़ी से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए रोजाना पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। आज की जानकारी पसंद आई हो तो इसे शेयर करना ना भूलें।

Share

बटाटा सुधारित वाणांचे गुणधर्म आणि वैशिष्ट्ये

properties and characteristics of improved varieties of potato

कुफरी ज्योती: ही वाण मध्यम पिकते, उच्च तापमानास संवेदनशील, अत्यंत दुष्काळी परिस्थितीतही मध्यम प्रमाणात उत्पन्न देणारी वाण आणि एकर उशिरा अनिष्ट परिणाम प्रति एकरी 10 ते 12 टन उत्पन्न मिळते.

कुफरी चिप्सोना:  ही वाण मुदतीमध्ये मध्यम असते, जास्त तापमानापेक्षा अत्यंत संवेदनशील असते, दुष्काळ परिस्थितीत अगदीच संवेदनशील असते, चांगले उत्पादन देते आणि उशिरा होण्यास त्रासदायक नसते, दर एकरी 12 ते 14 टन उत्पादन मिळते.

Share

सोया समृद्धि किट में शामिल जैविक उत्पादों की खूबियां और उपयोग का तरीका

Soybean Samriddhi kit,

सोयाबीन की उपज बढ़ाने में सोया समृद्धि किट का उपयोग महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इस किट में ट्राइकोडर्मा विरिडी, पोटाश एवं फास्फोरस के जीवाणु, राइज़ोबियम बैक्टीरिया, ह्यूमिक एसिड, फुलविक एसिड, ऑर्गेनिक कार्बन, ऑर्गेनिक न्यूट्रिएंट्स जैसे बेहतरीन जैविक उत्पाद मौजूद हैं। आइये बारी बारी से जानते हैं इस किट में शामिल उत्पादों के बारे में मुख्य जानकारियां। 

कॉम्बैट:  इस उत्पाद में ट्राइकोडर्मा विरिडी है, जो मिट्टी में पाए जाने वाले अधिकांश हानिकारक कवकों एवं फफूंद जनित रोगों की रोकथाम में सहायक होता है। 

प्रो-कॉम्बीमैक्स: किट का यह दूसरा उत्पाद दो अलग अलग सूक्ष्म-जीवाणुओं का मिश्रण है, जो सोयाबीन की फसल में पोटाश एवं फास्फोरस की उपलब्धता बढ़ाता है एवं उत्पादन वृद्धि में भी सहायक होता है।

जैव वाटिका आर: किट के तीसरे उत्पाद में राइज़ोबियम बैक्टीरिया होते हैं जो सोयाबीन की फसल की जड़ों में गांठे बनाते हैं, जिससे वायुमंडल में उपस्थित नाइट्रोजन स्थिर हो कर फसल को उपलब्ध होते हैं।

ट्राई-कोट मैक्स: इस किट का यह अंतिम उत्पाद है जिसमें ह्यूमिक एसिड, फुलविक एसिड, ऑर्गेनिक कार्बन, ऑर्गेनिक न्यूट्रिएंट्स आदि तत्व पाए जाते हैं, जो उर्वरकों की कार्य क्षमता को बढ़ाते हैं,और पोषक तत्वों को एकत्रित करके पौधों की जड़ तक पहुंचने में मदद करते हैं। साथ हीं मिट्टी में लंबे समय तक नमी बनाए रखते हैं। इससे पौधा शुरुआती अवस्था से ही मजबूत और स्वस्थ्य रहता है।

कृषि क्षेत्र एवं किसानों से सम्बंधित ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें। आज की जानकारी पसंद आई हो तो लाइक और शेयर करना ना भूलें।

Share

कपास के बेस्ट कृषि उत्पादों का समृद्धि किट, जानें फसल में उपयोग का सही तरीका

How to use the Cotton Samridhi Kit
  • कपास समृद्धि किट का उपयोग करने के लिए, खेत की अंतिम जुताई के समय या बुवाई से पहले इन उत्पादों को गोबर की सड़ी हुई खाद में उपयुक्त मात्रा के अनुसार मिला देना चाहिए।

  • कपास समृद्धि किट में, ट्राई-कोट मैक्स – 4 किलोग्राम, टीबी-3 – 3 किलोग्राम, कॉम्बैट – 2 किलोग्राम और ताबा-जी – 4 किलोग्राम जैसे उत्पाद शामिल हैं और इसकी कुल मात्रा 13 किलो/एकड़ होती है। 

  • अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद में बुवाई से पहले अच्छी तरह से मिला कर, एक एकड़ खेत में एक सामान रूप से इसे बिखेर दें।  

कृषि क्षेत्र एवं किसानों से सम्बंधित ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें। आज की जानकारी पसंद आई हो तो लाइक और शेयर करना ना भूलें।

Share

ड्रिप द्वारा दी जाने वाली मिर्च की समृद्धि किट की संपूर्ण जानकारी

Chilli drip Samridhi Kit

राइजोकेयर: इस उत्पाद में ट्राइकोडर्मा विरिडी है, जो मिट्टी में पाए जाने वाले अधिकांश हानिकारक कवकों एवं फफूंद जनित रोगों की रोकथाम में सहायक होता है। 

मैक्सरुट: इसमें ह्यूमिक एसिड, पोटैशियम और फुलविक एसिड आदि तत्व पाए जाते हैं, जो पौधे को बेहतर अंकुरण, जल्द उभार और बेहतर जड़ विकास में मदद करता है। पौधे में हरापन एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ता है और मिट्टी में लंबे समय तक नमी बनाए रखता है। 

नैनो बी: यह एनपीके के बैक्टीरिया का कंसोर्टिया है, जो एजोटोबैक्टर, फॉस्फोरस सॉल्युबलाइजिंग बैक्टीरिया और पोटैशियम मोबिलाइज़िंग बैक्टीरिया से मिलकर बना है। यह नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटैशियम पौधों को उपलब्ध कराते हैं। यह ऑक्सिन, विटामिन, निकोटिनिक एसिड, जिबरेलिन को संश्लेषित करता है, जो पौधे को बेहतर अंकुरण, जड़ की वृद्धि और पौधे के विकास में मदद करता है।

विगरमैक्स जेल गोल्ड: फसल की उपज बढ़ाने मे मदद करता है। पौधे में अजैविक तनाव को दूर करता है। मिट्टी में उपस्थित पोषक तत्वों को पौधों की जड़ों को उपलब्ध कराने में सहायता करता है। प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को बढ़ाता है, नमी व पोषक तत्वों की उपयोग क्षमता को बढ़ाने में सहायक होता है। 

कृषि क्षेत्र एवं किसानों से सम्बंधित ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें। आज की जानकारी पसंद आई हो तो लाइक और शेयर करना ना भूलें।

Share

मिर्च की समृद्धि किट के बेहतरीन उत्पादों की संपूर्ण जानकारी

Complete information about the best products of chilli Samriddhi Kit

कॉम्बैट: इस उत्पाद में ट्राइकोडर्मा विरिडी है, जो मिट्टी में पाए जाने वाले अधिकांश हानिकारक कवकों एवं फफूंद जनित रोगों की रोकथाम में सहायक होता है। 

ताबा-जी: इसमें जिंक सॉल्युबलाइजिंग बैक्टीरिया होते हैं, जो पौधे को जिंक तत्व को उपलब्ध कराता है। 

ट्राई-कोट मेक्स: इस उत्पाद में ह्यूमिक एसिड, फुलविक एसिड, ऑर्गेनिक कार्बन, ऑर्गेनिक न्यूट्रिएंट्स आदि तत्व पाए जाते हैं। जो उर्वरकों की कार्य क्षमता को बढ़ाते हैं और पोषक तत्वों को एकत्रित करके पौधों की जड़ तक पहुंचने में मदद करते हैं। ये मिट्टी में लंबे समय तक नमी बनाए रखते हैं जिससे पौधा शुरुआती अवस्था से ही मजबूत और स्वस्थ्य हो जाता है। 

टीबी -3: यह एनपीके बैक्टीरिया का कंसोर्टिया है, जो एजोटोबैक्टर, फॉस्फोरस सॉल्युबलाइजिंग बैक्टीरिया और पोटैशियम मोबिलाइज़िंग बैक्टीरिया से मिलकर बना है, जो नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटैशियम पौधों को उपलब्ध कराते हैं। 

कृषि क्षेत्र एवं किसानों से सम्बंधित ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें। आज की जानकारी पसंद आई हो तो लाइक और शेयर करना ना भूलें।

Share

हाई क्वालिटी उपज देने वाली टॉप ब्रांड की मूंग बीज किस्में

High Quality Yielding Top Brand Moong Seed Varieties

वर्तमान में कई किसान भाई जायद मूंग की खेती की योजना बना रहे होंगे, इसके लिए उन्हें जबरदस्त उपज देने वाले मूंग बीज वेराइटी चाहिए होंगे। किसान इस वीडियो के माध्यम से टॉप ब्रांड के सभी उन्नत मूंग बीज किस्मों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

कृषि क्षेत्र एवं किसानों से सम्बंधित ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें। आज की जानकारी पसंद आई हो तो लाइक और शेयर करना ना भूलें।

Share

तरबूज एवं खरबूज की फसल को दें तेज ग्रोथ का सुपर डोज

Benefits of Samriddhi Kit in Watermelon Crop

ग्रामोफ़ोन के तरबूज और खरबूज समृद्धि किट में शामिल उत्पादों से फसल को मिलती है जबरदस्त ग्रोथ। इस किट में शामिल उत्पाद फसल में नाइट्रोजन की मात्रा को बढ़ता है, मिट्टी में उपलब्ध पोटाश और फॉस्फोरस को घुलनशील बनता है, सफेद जड़ों का विकास करता है, पौधों में हरापन आता है और पौधों की कमजोरियों को भी दूर करता है, साथ ही जड़ों के विकास को तेज करता है, और पौधों को मिट्टी से अधिक पोषक तत्व जैसे फॉस्फोरस, जिंक, कॉपर, नाइट्रोजन साथ ही पानी खींचने में मदत करता है, और यह अच्छे अंकुरण, जड़ और प्ररोह विकास के लिए भी प्रभावी है। 

उपयोग की विधि: बाढ़ सिंचाई के लिए समृद्धि किट (टी बी -3 – 3 किलो, ताबा-जी – 4 किलो, कॉम्बैट – 2 किलो, ट्राईकोट मैक्स – 4 किलो) @ 1 किट प्रति एकड़ के दर से बुवाई के समय या बुवाई के 30 दिनों के भीतर उस समय देने वाले उर्वरको के साथ मिलाकर भुरकाव करें।

टपक (ड्रिप) सिचाई पद्धति से लगाई गई फसल के लिए समृद्धि किट ड्रिप (बी एनपीके- 250 ग्राम, राइज़ोकेयर – 500 ग्राम, मैक्सरुट- 500 ग्राम, एक्स्प्लोरर ग्लोरी – 100 ग्राम) @ 1 किट प्रति एकड़ के दर उपयोग करें। 

कृषि क्षेत्र एवं किसानों से सम्बंधित ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें। आज की जानकारी पसंद आई हो तो लाइक और शेयर करना ना भूलें।

Share