पशुओं में खुरपका एवं मुंहपका रोग को इसके लक्षणों से पहचानें

पशुओं में होने वाला खुरपका एवं मुंहपका रोग दरअसल नंगी आँखों से न दिख पाने वाले वाइरस द्वारा होता है। आइये जानते हैं इस रोग के फैलने के क्या क्या कारण हो सकते हैं। 

रोग के फैलने के कारण:

ये रोग मुख्यतः पहले से रोग से संक्रमित जानवर के विभिन्न स्त्राव और उत्सर्जित द्रव जैसे लार, गोबर, दूध के साथ अन्य स्वस्थ सीधे संपर्क मे आने, दाना, पानी, घास, बर्तन, दूध निकालने वाले व्यक्ति के हाथों से और हवा के माध्यम से फैलता है। इस स्त्राव मे विषाणु बहुत अधिक संख्या मे होते हैं और स्वस्थ जानवर के शरीर मे मुँह और नाक के माध्यम से प्रवेश कर जाते हैं। 

रोग के लक्षण:

यह रोग होने पर पशु को तेज बुखार (104-106०F) होता है। बीमार पशु के मुँह मे मुख्यत जीभ के उपर, होठो के अंदर, मसूड़ों पर साथ ही खुरो के बीच की जगह पर छोटे छोटे छाले बन जाते हैं। फिर धीरे–धीरे ये छाले आपस में मिलकर बड़े छाले बनाते हैं। आगे चलकर ये छाले फूट जाते हैं और उनमें जख्म हो जाती है। मुँह मे छाले हो जाने की वजह से पशु जुगाली बंद कर देता है और खाना पीना छोड़ देते हैं, मुँह से निरंतर लार गिरती रहती है, साथ ही मुँह चलाने पर चाप चाप की आवाज़ भी सुनाई देती है। दुधारू पशुओं में दूध का उत्पादन 80% तक कम हो जाता है। पशु कमजोर होने लगते हैं। प्रभावित पशु स्वस्थ्य होने के उपरान्त भी महीनों तक और कई बार जीवनपर्यन्त हांफते रहता है।

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