डैम्पिंग ऑफ से प्याज में होगी 60 से 75 प्रतिशत तक की हानि

Damping off will cause 60 to 75 percent loss in onion

यह रोग खरीफ मौसम/बरसात के मौसम में अधिक होता है और प्याज की फसल में लगभग 60-75% तक की हानि का कारण बनता है। मिट्टी की नमी और उच्च आर्द्रता के साथ मध्यम तापमान इस रोग को  विकास की ओर ले जाता है। इसके दो तरह के लक्षण देखे जाते हैं। 

  • डैम्पिंग-ऑफ अंकुरण से पहले: बीज और अंकुर मिट्टी से निकलने से पहले ही सड़ जाते हैं।

  • पोस्ट-अंकुरण डैम्पिंग-ऑफ: रोगज़नक़ मिट्टी की सतह पर अंकुरों के निचले  क्षेत्र पर हमला करता है। नीचे वाला हिस्सा सड़ जाता है और अंततः अंकुर गिर कर मर जाता है।

रोग नियंत्रण

अनाज की फसलों के साथ फसल चक्रीकरण और मिट्टी की धूमीकरण या सौरीकरण से खेतों में नमी कम करने में मदद मिल सकती है। उठी हुई क्यारियों का उपयोग करके मिट्टी की जल निकासी में सुधार, और अत्यधिक सिंचाई से बचकर मिट्टी की नमी को नियंत्रित करने से बीमारी को कम करने में मदद मिलती है। कुछ कवकनाशी बीज उपचार या मिट्टी की खाई गंभीर नमी को रोकने में मदद कर सकती है।

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जाणून घ्या,मका पिकामध्ये ट्राई डिसोल्व मैक्स वापरण्याचे फायदे आणि पद्धत

Tri Dissolve Max in maize crop

ट्राई डिसॉल्व मैक्समध्ये पोषक तत्वांची संघटना असते, यामध्ये कार्बनिक पदार्थ आणि सूक्ष्म पोषक तत्वे देखील वापरले जातात. जे की, पिकांच्या वाढीसाठी आवश्यक असते. यासोबतच डिसॉल्व मैक्स (ह्यूमिक एसिड, जैविक कार्बन, समुद्री शैवाल, कैल्शियम, मैग्नीशियम,बोरॉन, मॉलिब्डेनम) वापरले जातात.

मका पिकामध्ये ट्राई डिसोल्व मैक्स वापरण्याचे फायदे :

  • हे निरोगी आणि वनस्पतिजन्य पिकांच्या वाढीस प्रोत्साहन देते.

  • मुळांच्या विकासास मदत करते.

  • त्यामुळे जमिनीतील विविध पोषक घटकांचे प्रमाणही वाढते.

वापरण्याची पद्धत :

मातीचा वापर : ट्राई डिसॉल्व मैक्स 400 ग्रॅम प्रती एकर या दराने पसरवा. 

फवारणी : ट्राई डिसॉल्व मैक्स 200 ग्रॅम 150 ते 200 लिटर पाण्यात प्रति एकर दराने फवारणी करावी.

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सोयाबीन में गर्डल बीटल का प्रकोप होगा घातक, जानें बचाव के उपाय

Outbreak of girdle beetle will be fatal in soybean
  • सोयाबीन की फसल में अंकुरण की अवस्था में गर्डल बीटल का प्रकोप देखा जाता है। इसके कारण शाखा या तने पर 2 गोलाकार कट की आकृति उभरती है जो इस कीट का एक विशिष्ट लक्षण है।

  • इसका लार्वा सोयाबीन के तने में छेद कर देता है। तने के अंदर का भाग लार्वा द्वारा खा लिया जाता है जिससे तने के भीतर सुरंग बन जाता है। 

  • इसी वजह से पौधे के सभी हिस्से तक पोषक तत्व नहीं पहुँच पाते और पोषण की कमी की वजह से पौधे सूखने लगते हैं।

  • पौधे को जमीन से लगभग 15 से 25 सेमी ऊपर काटा जाता है। मुख्य नुकसान कीट के लार्वा के कारण होता है।

  • कीट का आक्रमण प्रारंभ में जुलाई के अंतिम सप्ताह से अगस्त के पहले पखवाड़े तक शुरू होता है।  कीट जुलाई से अक्टूबर तक सक्रिय रहता है, जिससे फसल को सबसे ज्यादा नुकसान होता है।

  • अगस्त और सितंबर के दौरान इसका भारी प्रकोप से 40% तक उपज में की कमी आ सकती है। 

  • नियंत्रण के लिए प्रोफेनोवा (प्रोफेनोफॉस 50% EC) @ 400 मिली या नोवालक्सम (थियामेथोक्सम 12.6% + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 9.5% ZC) @ 50 मिली + सिलिकोमैक्स गोल्ड @ 50 मिली, प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें।

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धान की फसल में ना होने दें जिंक की कमी, होगी भारी क्षति

Is there zinc deficiency in your paddy crop
  • जिंक की कमी के कई लक्षण होते हैं जो आमतौर पर धान की रोपाई के 2 से 3 सप्ताह बाद दिखाई देते हैं।

  • जिंक की कमी अक्सर बारिश के ठंडे मौसम में होती है और लक्षण आमतौर पर धान की फसल में सिंचाई के तुरंत बाद दिखाई देने लगते हैं।

  • इसकी कमी से पौधों का विकास रुक सकता है, परिपक्वता में देरी होती है और उपज में भी कमी आती है। यह पत्तियों को प्रकाश और गर्मी के प्रति बहुत संवेदनशील बनाता है।

  • इसके लक्षण ज्यादातर नई पत्तियों में देखे जाते हैं जिन पर भूरे रंग के धब्बे और लकीरें विकसित हो जाती हैं।

  • जो पुरानी पत्तियों को पूरी तरह से ढकने के लिए फ्यजू हो सकती हैं, पौधे छोटे रह जाते हैं और गंभीर मामलों में पौधे मर भी सकते हैं।

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कम समय में पूरी फसल बर्बाद कर देगा फॉल आर्मीवर्म, जानें बचाव के उपाय

Fall armyworm will ruin the entire crop in a short time

फॉल आर्मीवर्म फसलों का खराब करने वाला बहु भक्षी कीड़ा है, जो तंबाकू की इल्लियों की प्रजाति में शामिल है। ये कीड़े टिड्डियों की तरह खाने की तलाश में 100 किलोमीटर से भी ज्यादा का सफर करते हैं। ये कीड़े खेतों में खड़ी फसलों की पत्तियों और भुट्टों को ढकने वाले खोल पर घर बनाते हैं और उन्हें खुरचकर खा जाते हैं। इनके प्रकोप से मक्के की पत्तियों पर सफेद रंग की धारियां भी बनने लगते हैं। वैसे तो ये सिर्फ 30-35 दिनों तक ही जीते हैं, लेकिन एक ही रात में ये फसलों को नुकसान पहुंचाने की ताकत भी रखते हैं। खासकर मादा आर्मीवर्म फसलों में अंडे देकर समस्या को और बढ़ा देती हैं।

फ़ॉल आर्मीवॉर्म की पहचान कैसे करें?

  • वे हरे, गुलाबी, भूरे या काले रंग के होते हैं।

  • उनकी आंखों के बीच एक सफेद रंग का अंग्रेजी के उल्टे Y अक्षर जैसा पैटर्न बना होता है।

  • उनके शरीर के प्रत्येक खंड में ट्रेपेज़ॉइड पैटर्न के धब्बे होते हैं।

रासायनिक नियंत्रण

रासायनिक नियंत्रण में नोवलक्सम (थियामेथोक्सम 12.60% + लैम्ब्डा-साइहलोथ्रिन 09.50% ZC) @ 80 मिली/एकड़ या इमानोवा (एमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG) @ 100 ग्राम/एकड़ या कवर (क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5% W/W SC) @ 60 मिली/एकड़ की दर से इस्तेमाल करें। 

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न्यूट्रीफुल मैक्स के साथ फसलों में फूल व फल विकास की बढ़ाएं रफ़्तार

Increase the speed of flower and fruit growth in crops with Nutriful Maxx

न्यूट्रीफुल मैक्स एक प्लांट सुपरफूड है जो फसल विकास को बढ़ावा देता है। यह अमेरिका से आयातित बेस ऑर्गेनिक एसिड से स्वदेशी रूप से तैयार किया जाता है। इससे फसल में पौधे स्वस्थ एवं मजबूत होते हैं। फूल निर्माण तेज होता है जिससे बेहतर फल बनते हैं। इससे जड़ से अंकुर तक पोषक प्रणाली का परिवहन बढ़ता है अर्थात पोषक तत्व जड़ों से पौधे के हर हिस्से तक पहुँचते हैं और संपूर्ण पौधे का सामान विकास होता है। इस उत्पाद की मदद से सूखे व पाले आदि की स्थिति में पौधों की सुरक्षा हो जाती है।

छिड़काव के लिए 250 मिली प्रति एकड़ की दर से न्यूट्रीफुल मैक्स का उपयोग करें।  इसका उपयोग आप कपास, धान, दलहनी फसलें एवं सभी सब्जियों वाली फसल में कर सकते हैं। 

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फसलों के लिए क्यों जरूरी हैं प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर, जानें इनका क्या है महत्व!

Why are Plant Growth Regulators necessary for crops
  • प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर फसलों के विकास में आने वाली अवरोधों को दूर करता है और ग्रोथ तेजी से बढ़ाता है।   

  • यह जड़ों के विकास, फलों के विकास, फूलों एवं पत्तियों के विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।  

  • फसलों को विकास के लिए ऑक्सीज़न और सूक्ष्म पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। इन सभी की पूर्ति प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर के द्वारा की जाती है।

  • फसलों को इनकी बहुत कम मात्रा की आवश्यकता होती है। 

  • यह फसलों के उन भागों पर अपनी क्रिया करते है जो जड़ विकास, फल विकास, फूल उत्पादन आदि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 

  • जो फसलें छोटी रह जाती हैं उनके विकास में यह सहायक होती हैं और उन फसलों के तनों की लंबाई में वृद्धि करके फसल की बढ़वार को तेज कर देती हैं।    

  • ये कोशिका विभाज़न को प्रेरित कर बीजों में उत्पन्न प्रसुप्ति को तोड़ने में सहायक होती हैं। 

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इन कारणों से फसलों में पत्तियां जलने व झुलसने लगती हैं

Due to these reasons leaves start burning and scorching in the crops
  • फसलों में पत्तियाँ जलने व झुलसने के बहुत प्रकार के कारण हो सकते हैं। 

  • कीट-रोग प्रकोप एवं पोषण की कमी के कारण कई बार पत्तियाँ जलने लगती हैं। 

  • निमेटोड, कटवर्म जैसे कीट फसलों की जड़ों को काट देते हैं इस कारण भी पत्तियाँ  झड़ने और झुलसने लगती हैं।

  • पत्तियों के जलने और झुलसने के सबसे आम  कारणों में से है एक है जड़ों का रोग ग्रस्त हो जाना।

  • यह जड़ों में कवक के आक्रमण के कारण भी होता है जिसके कारण जड़ क्षतिग्रस्त हो जाती है एवं पत्तियां जलने और झुलसने लगती हैं।  

  • पत्तियों के झुलसने का एक और सामान्य कारण मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी होती है और इसके कारण पत्तियों के किनारे सूखने लगते हैं।  

  • हवा में कुछ ऐसे प्रदूषक पाए जाते हैं जो पत्तियों की सतह पर चिपक जाते हैं और पत्ती के किनारों को जला सकते हैं।

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कपास में बढ़ेगा पत्ती धब्बा रोग का प्रकोप, जानें बचाव के उपाय

Outbreak of Cercospora Leaf Spot disease will increase in cotton

कपास की फसल में सर्कोस्पोरा पत्ती धब्बा रोग मुख्य रूप से परिपक्व पौधों की पुरानी पत्तियों को ज्यादा प्रभावित करता है। इसके संक्रमण के शुरुआती चरण में पत्तियों पर लाल रंग के धब्बे दिखते हैं। जैसे-जैसे रोग बढ़ता है, धब्बे बढ़ते चले जाते हैं और गहरे भूरे या काले किनारों के साथ केंद्र में सफेद से हल्के भूरे या धूसर हो जाते हैं। संक्रमण के समय पर निर्भर करते हुए धब्बों की आकार अलग अलग होता है, यह कभी गोल तो कभी टेढ़ी-मेढ़ी नजर आता है। इन धब्बों के अंदर छल्ले बन जाते हैं जिनके किनारे क्रम से गहरे और हल्के भूरे या लाल होते हैं। प्रभावित पत्तियां अंत में पीली पड़ जाती हैं और फिर गिर जाती हैं।

कपास के पौधों पर हमला करने वाला सरकोस्पोरा परिवार का यह फफूंद माइकोस्फैरेला गॉसिपिना है। यह सोयाबीन या मिर्च पर हमला करने वाले फफूंद से अलग है। खेत में सरकोस्पोरा पत्ती धब्बा रोग और अन्य पत्ती रोगों में अंतर कर पाना अक्सर मुश्किल होता है। परंतु, इस रोग की विशेष बात है कि यह आम तौर पर सूखे या पोषक तत्वों (विशेषकर पोटैशियम) की कमी से जूझ रहे कपास के पौधों में पाया जाता है। उचित उर्वरक योजना से पौधे की शक्ति बनाए रखने और उचित सिंचाई से सूखे से जूझने की नौबत न आने देने से इसके प्राथमिक संक्रमणों को दूर करने में बहुत मदद मिलती है। इससे रोग की घातकता भी कम होती है। 20-30* सेल्सियस के बीच तापमान और उच्च सापेक्षिक आर्द्रता रोग बढ़ाते हैं। बीजाणु हवा और पानी की बौछारों से स्वस्थ पत्तियों पर फैलते हैं।

रासायनिक नियंत्रण

हमेशा एक समेकित दृष्टिकोण से रोकथाम उपायों के साथ उपलब्ध जैविक उपचारों का इस्तेमाल करें। रोग की शुरुआत में टिल्ट या ज़ेरॉक्स (प्रोपीकोनाज़ोल 25% EC) युक्त कवकनाशकों का इस्तेमाल करने से भी अच्छे नतीजे मिलते हैं।

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ऐसी फसल ग्रोथ और कहाँ, आ गया थर्ड जेनरेशन ग्रोथ बूस्टर जीवा मैक्स

Accelerate crop growth with the third generation growth booster Jiva Maxx
  • जीवा मैक्स थर्ड जेनरेशन यानी तीसरी पीढ़ी का फसलों का ग्रोथ बूस्टर (पौध वृद्धि कारक) है। यह हाइड्रोलाइज्ड प्रोटीन कॉम्प्लेक्स का एक अच्छी तरह से संतुलित उत्तेजित क्लोरोफिल उत्पाद है।

  • जीवा मैक्स का उपयोग फसलों के वानस्पतिक विकास, सफेद जड़ विकास, उपज की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसकी मदद से फसल अच्छी उपज की भी प्राप्ति होती है।

  • यह फसलों में पोषक तत्वों की मात्रा और चयापचय गतिविधि को बढ़ाने के लिए भी काम करता है।

  • फसलों में इसका उपयोग 2 मिली प्रति लीटर पानी के साथ छिड़काव के रूप में करें। अगर फसल में ड्रिप सिंचाई सिस्टम हो तो ड्रिप के माध्यम से 500 मिली प्रति एकड़ का उपयोग करें। 

  • आप जीवा मैक्स का उपयोग बीज उपचार के रूप में भी कर सकते हैं इसके लिए आप 2 मिली प्रति किग्रा बीज का उपयोग करें। 

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