सेब की खेती पर सरकार दे रही है 50% तक की सब्सिडी, जानें क्या है सरकार की योजना

Government is giving subsidies up to 50% on apple cultivation

भारत में सेब की खेती की बात जब भी करते हैं तो सबसे पहले जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों का नाम सामने आता है पर अब उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में भी सेब की खेती को बढ़ावा देने के लिए काम किया जा रहा है। बिहार सरकार अपने प्रदेश के किसानों को सेब की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है और इसके लिए 50% तक की सब्सिडी भी दे रही है।

आमतौर पर सेब की खेती के लिए बेहद कम तापमान की जरूरत होती है। पर बिहार और अन्य मैदानी राज्यों में तापमान बहुत ज्यादा हो जाता है तो इन क्षेत्रों में सेब की खेती करना पहले संभव नहीं था। परन्तु अब सेब की एक ऐसी किस्म विकसित कर ली गई है जो अधिक तापमान वाले क्षेत्रों में भी उग सकती है और अच्छी उपज भी देती है। यह किस्म है हरमन-99 जिसे पिछले दो सालों से बिहार के मुजफ्फरपुर, वैशाली, भागलपुर, बेगूसराय, समस्तीपुर, कटिहार और औरंगाबाद जैसे जिलों में लगाया जा रहा है। बहरहाल बता दें की प्रदेश सरकार सेब की बागवानी करने पर किसानों को प्रति हैक्टेयर करीब ढाई लाख रुपये देती है।

स्रोत: न्यूज़ 18

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मूग पिकातील शेंगा पोखरणाऱ्या सुरवंटाचे नियंत्रण कसे करावे?

Measures to control Pod Borer in Moong
  • शेतकरी बंधूंनो, सध्या मूग पिकावर शेंगा बोअर अळीचा प्रादुर्भाव दिसून येत आहे. हा सुरवंट प्रामुख्याने मूग पिकाचे नुकसान करतो. त्यामुळे उत्पादनात मोठे नुकसान होत आहे.

  • पॉड बोअरर गडद हिरव्या रंगाचा असतो जो नंतर गडद तपकिरी होतो, हा किडा फुलोऱ्यापासून काढणीपर्यंत पिकाचे नुकसान करतो हा सुरवंट शेंगा छेदून आत प्रवेश करतो आणि धान्य खाऊन नुकसान करतो.

  • ते नियंत्रित करण्यासाठी, इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एसजी [एमानोवा] 100 ग्रॅम फ्लुबेंडियामाइड 39.35 % एससी [फेम] 50 मिली क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5 % एससी [कोस्को] 60 मिली प्रति एकर दराने फवारणी करावी. 

  • जैविक उपचार म्हणून, बवेरिया बेसियाना [बवे कर्ब] 250 ग्रॅम प्रती एकर दराने फवारणी करावी.

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राष्ट्रीय बागवानी मिशन का उठाएं, मिल रही है बंपर सब्सिडी, पढ़ें पूरी जानकारी

National Horticulture Mission

आजकल लोग फ्रेश फल सब्जियों को अपने खानपान में शामिल कर के खुद को स्वस्थ और फिट रखने पर खूब जोर देते हैं। यही वजह है की पिछले कुछ सालों में फल और सब्जियों वाले बागवानी फसलों की मांग बाजारों में खूब बढ़ गई है। इन फसलों को अब बहुत अच्छा दाम मिल जाता है। इसी को देखते हुए किसान भी इन बागवानी फसलों की खेती में बढ़ चढ़ कर आगे आ रहे हैं।

बता दें की बागवानी फसलों का उत्पादन बढ़ाने के साथ साथ किसानों की आमदनी में इजाफा करने की लक्ष्यपूर्ती हेतु वर्ष 2005 से 2006 में राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना शुरू की गई थी। इस सब्सिडी में राज्य सरकार का योगदान 35 से 50% का होता है वहीं शेष राशि केंद्र सरकार द्वारा दी जाती है। योजना का लाभ लेने के लिए आप आवेदन कर सकते हैं। आवेदन हेतु राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना की आधिकारिक वेबसाइट https://nhb.gov.in/ पर कर सकते हैं।

स्रोत: किसान तक

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कद्दू वर्गीय फसलों में बोरोन है बेहद महत्वपूर्ण, जानें इसकी कमी के लक्षण

Importance of Boron in Cucurbit crops and symptoms of deficiency

बोरोन का महत्व:  यह पौधे के ऊतकों का स्थिरीकरण करता है, और फसल की ताकत में सुधार करता है। बोरोन कैल्शियम के साथ मिलकर काम करता है और फसल की गुणवत्ता में वृद्धि करने में भी मदद करता है। इसके अलावा बोरोन का फसलों में फूल, फल विकास में भी मुख्य योगदान होता है। यह फूल व फलों को झड़ने से रोकने तथा फलों के आकार व गुणवत्ता को बढ़ाने में मुख्य भूमिका निभाता है।

बोरोन कमी के लक्षण: इसकी कमी के कारण पौधों की नई पत्तियाँ सामान्य से छोटी होती हैं, और मुड़ी हुई हो सकती हैं। पीलापन शिराओं के बीच सीमांत क्षेत्र से केंद्र की ओर बढ़ता है। सबसे छोटी पत्तियों की नोक सूखी हुई होती है, और इसके विकास बिंदु मर जाते हैं, फूल भी नहीं लगते हैं और फल खराब हो जाते हैं। फलों के आकार लेने पर फल के बाहर की त्वचा में लचीलापन जरूरी है, जिससे फल ठीक तरह से विकसित होता है, लेकिन बोरोन की कमी से फल की त्वचा में कठोरता आती है जिससे फल फट जाते हैं। 

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भारी बारिश और भरपूर ओलावृष्टि से जनजीवन होगा अस्त व्यस्त

know the weather forecast,

आज से राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र सहित कई और राज्यों में भारी बारिश के साथ ओले गिर सकते हैं तथा तेज हवाएं भी चल सकती हैं। इसकी वजह से फसलों को भारी नुकसान होने की आशंका है। दक्षिण भारत में भी बारिश की गतिविधियां बढ़ेगी हालांकि पूर्वी भारत में हल्की बारिश ही रहेगी।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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इस नई तकनीक से बिना मिट्टी के करें खेती, मिलेगी 50% तक की सब्सिडी

Benefits of growing crops with hydroponics technology,

खेती के लिए जिन चीजों की जरूरत होती है उनमें एक प्रमुख चीज है मिट्टी। पर वैज्ञानिकों ने ऐसी तकनीक खोज निकाली है जिसमें खेती के लिए मिट्टी की जरूरत ही नहीं पड़ती है। जी हाँ इस तकनीक का नाम है हाइड्रोपोनिक्स। यह एक ऐसी तकनीक है जिसमें बिना मिट्टी के भी खेती की जा सकती है। इस तकनीक में बहुत कम खर्च में फसल तैयार हो जाती है। इसमें किसी भी मौसम में कोई फसल लगाई जा सकती है। हाइड्रोपोनिक्स तकनीक में, पौधों द्वारा आवश्यक पोषक तत्वों की कमी को आसानी से पूरा किया जा सकता है। इस तकनीक से कम पानी में अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है।

आखिर कैसे होती है बिना मिट्टी की खेती?
हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से होने वाली खेती पाइप के माध्यम से की जाती है। इसके लिए पाइपों पर छेद बनाए जाते हैं और इन छेदों में ही पौधे उगते हैं। पाइपों में पानी रहती है और इसमें ही पौधों की जड़ें डूबी रहती हैं। पौधे के लिए जरूरी सभी प्रकार के आवश्यक पोषक तत्व भी इसी पानी में घुल जाते हैं और पौधे जड़ों के माध्यम से इसे आसानी से प्राप्त कर लेते हैं। इस तकनीक से खेती के लिए 15 से 30 डिग्री का तापमान उपयुक्त होता है वहीं आर्द्रता 80 से 85% सही मानी जाती है।

अब आप समझ गए होंगे की यह तकनीक कितनी फायदेमंद है और इसके फायदों को देखते हुए सरकार भी इसे किसानों के बीच बढ़ावा दे रही है। सरकार किसानों को इस तकनीक से खेती करने पर 50% तक की सब्सिडी दे रही है। इसका मतलब हुआ की इस तकनीक के इस्तेमाल में आने वाले खर्च का आधा हिस्सा तो सरकार ही दे देती है और आपको बस आधे पैसे खर्च करने होते हैं। इस तकनीक पर मिलने वाली सब्सिडी का लाभ आप भी उठाना चाहते हैं तो आप अपने क्षेत्र के कृषि अधिकारी से संपर्क करें। साथ ही आप अपने राज्य के या फिर केंद्र सरकार के कृषि वेबसाइट पर भी इसकी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

स्रोत: कृषि जागरण

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मध्य प्रदेश की प्रमुख मंडियों में गेहूँ भाव में दिखी कितनी तेजी?

wheat mandi bhaw

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों में क्या चल रहे हैं गेहूँ के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

मध्य प्रदेश की मंडियों में गेहूँ के ताजा मंडी भाव
जिला कृषि उपज मंडी किस्म न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल) अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)
पन्ना अजयगढ़ मिल गुणवत्ता 2278 2290
शाजापुर अकोदिया स्थानीय 2400 2400
भिंड आलमपुर स्थानीय 2100 2236
सतना अमरपाटन स्थानीय 2100 2100
बड़वानी अंजड़ लोकवन 2350 2350
अशोकनगर अशोकनगर मिल गुणवत्ता 2275 2300
अशोकनगर अशोकनगर शरबती 2507 2507
उज्जैन बड़नगर लोकवन 2627 2627
धार बदनावर लोकवन 2351 2450
धार बदनावर स्थानीय 2285 2550
शाजापुर बड़ोद स्थानीय 2550 2600
बड़वानी बड़वानी स्थानीय 2470 2470
मुरैना बनमोरकलां स्थानीय 2125 2125
दतिया भांडेर मिल गुणवत्ता 2141 2231
दतिया भांडेर अन्य 2200 2346
खरगोन भीकनगांव मिल गुणवत्ता 2000 2025
ग्वालियर भितरवार मिल गुणवत्ता 2270 2280
भोपाल भोपाल अन्य 2300 2300
राजगढ़ ब्यावरा मिल गुणवत्ता 2260 2260
छतरपुर बिजावर स्थानीय 2280 2290
छिंदवाड़ा चौरई स्थानीय 2500 2500
छतरपुर छतरपुर स्थानीय 2210 2285
दमोह दमोह मिल गुणवत्ता 2200 2200
दमोह दमोह स्थानीय 2150 2150
दतिया दतिया लोकवन 2267 2311
दतिया दतिया अन्य 2180 2325
धार धामनोद मिल गुणवत्ता 1955 2205
नरसिंहपुर गाडरवाड़ा स्थानीय 2200 2200
धार गंधवानी स्थानीय 2550 2650
विदिशा गंज बासौदा अन्य 2495 2512
सागर गढ़ाकोटा स्थानीय 2400 2400
मन्दसौर गरोठ स्थानीय 2230 2260
नरसिंहपुर गोटेगांव स्थानीय 2350 2350
देवास हाटपिपलिया स्थानीय 2100 2200
हरदा हरदा स्थानीय 2350 2350
छतरपुर हरपालपुर लोकवन 2175 2175
खंडवा हरसूद स्थानीय 2200 2200
होशंगाबाद होशंगाबाद मिल गुणवत्ता 2300 2300
इंदौर इंदौर स्थानीय 2250 2895
होशंगाबाद इटारसी मिल गुणवत्ता 2302 2378
सागर जैसीनगर मिल गुणवत्ता 2150 2225
सागर जैसीनगर स्थानीय 87 2245
टीकमगढ़ जतारा स्थानीय 2200 2215
नीमच जावद लोकवन 2510 2510
नीमच जावद मिल गुणवत्ता 2450 2450
नीमच जावद स्थानीय 2400 2411
सीहोर जावर मिल गुणवत्ता 2148 2260
सीहोर जावर स्थानीय 2175 5300
झाबुआ झाबुआ स्थानीय 2350 2455
मुरैना कैलारस स्थानीय 2150 2224
शिवपुरी करेरा लोकवन 2300 2320
सिवनी केवलारी स्थानीय 2125 2190
शिवपुरी खनियाधाना मिल गुणवत्ता 2190 2250
टीकमगढ़ खरगापुर मिल गुणवत्ता 2210 2275
शिवपुरी कोलारस स्थानीय 2290 2350
गुना कुंभराज मिल गुणवत्ता 2285 2625
विदिशा कुरवाई स्थानीय 2100 2400
ग्वालियर लश्कर स्थानीय 2250 2300
गुना मकसूदनगढ़ शरबती 2281 2451
नीमच मनसा मिल गुणवत्ता 2150 2150
मन्दसौर मन्दसौर मिल गुणवत्ता 2415 2415
मन्दसौर मन्दसौर स्थानीय 2480 2580
भिंड मेहगांव मिल गुणवत्ता 2280 2300
भिंड मऊ मिल गुणवत्ता 2200 2250
सतना नागोद स्थानीय 2240 2240
छतरपुर नौगांव स्थानीय 2275 2280
रायसेन ओबेदुल्लागंज स्थानीय 2400 2400
राजगढ़ पचौर स्थानीय 2200 2270
टीकमगढ़ पलेरा मिल गुणवत्ता 2275 2280
छिंदवाड़ा पंधुरना स्थानीय 2300 2310
झाबुआ पेटलावद लोकवन 2300 2425
झाबुआ पेटलावद अन्य 2425 2425
सागर राहतगढ़ मिल गुणवत्ता 2290 2310
रायसेन रायसेन शरबती 2700 2800
धार राजगढ़ लोकवन 2400 2400
रतलाम रतलाम स्थानीय 2250 2250
रीवा रीवा स्थानीय 2200 2200
मुरैना सबलगढ़ मिल गुणवत्ता 2216 2231
रतलाम सैलाना स्थानीय 2500 2560
राजगढ़ सारंगपुर मिल गुणवत्ता 2303 2305
सिवनी सिवनी अन्य 2200 2200
दतिया सेवड़ा अन्य 2245 2265
अशोकनगर शाडोरा मिल गुणवत्ता 2300 2396
अशोकनगर शाडोरा शरबती 3020 3020
विदिशा शमसाबाद स्थानीय 2190 2230
श्योपुर श्योपुरबडोद मिल गुणवत्ता 2200 2276
श्योपुर श्योपुरकलां लोकवन 2290 2300
श्योपुर श्योपुरकलां मिल गुणवत्ता 2265 2322
शिवपुरी शिवपुरी स्थानीय 2150 2270
रायसेन सिलवानी मिल गुणवत्ता 2285 2340
पन्ना सिमरिया स्थानीय 2200 2225
मन्दसौर सीतामऊ स्थानीय 2150 2421
झाबुआ थांदला स्थानीय 2325 2325
टीकमगढ़ टीकमगढ़ लोकवन 2250 2250
टीकमगढ़ टीकमगढ़ स्थानीय 78 2280
हरदा टिमरनी स्थानीय 2300 2325
उज्जैन उज्जैन लोकवन 2400 2400
उज्जैन उज्जैन स्थानीय 2340 2340
उमरिया उमरिया लोकवन 2150 2150
उमरिया उमरिया मिल गुणवत्ता 2100 2125

स्रोत: एगमार्कनेट

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वेल असणाऱ्या पिकांसाठी सावलीच्या घराचे महत्त्व

Importance of shade house for vine crops
  • शेतकरी बंधूंनो, शेडनेट (सावली घर) ही जाळी किंवा इतर विणलेल्या साहित्यापासून बनलेली एक रचना आहे ज्यामध्ये सूर्यप्रकाश, ओलावा आणि हवा मोकळ्या जागेतून आवश्यकतेनुसार प्रवेश करू शकते. त्यामुळे झाडाच्या वाढीसाठी पोषक वातावरण तयार होते.

  • ही वेल औषधी वनस्पती, भाजीपाला आणि वनस्पतींच्या लागवडीस मदत करते.

  • शेडनेटमध्ये लागवड केल्यास किडींचा प्रादुर्भाव कमी होतो.

  • गडगडाटी वादळ, पाऊस, गारपीट आणि दंव यांसारख्या हवामानातील नैसर्गिक नाशांपासून शेडनेट संरक्षण प्रदान करते.

  • याचा उपयोग उन्हाळ्यात झाडांचा मृत्यू दर कमी करण्यासाठी केला जातो.

  • हे टिशू कल्चर रोपांना मजबूत करण्यासाठी देखील वापरले जाते.

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देश के आधे से ज्यादा राज्यों में आफत की बारिश, कहीं ओलावृष्टि तो कहीं आंधी

know the weather forecast,

महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ का मौसम बिगड़ रहा है। कई जगह तेज बारिश के साथ ओलावृष्टि देखने को मिल रही है। 12 तारीख से राजस्थान और पश्चिम मध्य प्रदेश में भी बारिश शुरू हो सकती है। 13 से 15 अप्रैल के बीच पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में तेज बारिश संभव है। गुजरात सहित कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल और तमिलनाडु में भी बारिश की गतिविधियां होगी। पूर्वी भारत में बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा हल्की बारिश देखेंगे। छत्तीसगढ़ के कई जिले तेज बारिश के साथ बिजली की गरज चमक देख सकते हैं।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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हा रोग मूगाचे उत्पादन कमी करतो?

Molybdenum element is essential in the crop of green and black gram
  • पानावरील ठिपके रोग : या रोगाची लक्षणे झाडाच्या सर्व भागात आढळून येतात व त्याचा परिणाम पानांवर मोठ्या प्रमाणात दिसून येतो.सुरुवातीला रोगाची लक्षणे लहान तपकिरी बोटीच्या आकाराचे ठिपके दिसतात, जी वाढतात. , पानांचा संपूर्ण भाग जळतो आणि ऊती मरतात ज्यामुळे झाडाचा हिरवा रंग नष्ट होतो.

  • सरकोस्पोरा पानांवरील धब्बा रोग : या रोगाचा संसर्ग पहिल्या जुन्या पानांपासून सुरू होतो. पानांवर तपकिरी लाल कडा असलेले गडद तपकिरी ठिपके दिसतात, नंतर हे डाग अनियमित आकाराचे बनतात. पाने पिवळी पडतात व गळून पडतात.फुलांच्या वेळी जास्त प्रादुर्भावामुळे पाने गळून पडतात व दाणे कुरकुरीत होतात व रंगहीन होतात.

  • तना झुलसा रोग : या रोगाचा प्रादुर्भाव पिकाच्या परिपक्वतेच्या वेळी दिसून येतो, या रोगामध्ये पानांवर अनियमित आकाराचे ठिपके देखील दिसतात

  • अंगमारी/झुलसा रोग : या रोगात पानांवर गडद तपकिरी ठिपके दिसतात.दांड्यावर जांभळ्या-काळ्या रंगाचे अनियमित ठिपके दिसतात आणि शेंगांवर लाल किंवा तपकिरी रंग येतो. रोगाच्या गंभीर अवस्थेत, स्टेम कमकुवत होते.

  • उपयुक्त रोगांसाठी योग्य व्यवस्थापन :

  • रासायनिक व्यवस्थापन: थायोफिनेट मिथाइल 70% डब्ल्यूपी [मिल्ड्यू विप] 300 ग्रॅम कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% डब्ल्यूपी [कार्मानोवा] 300 ग्रॅम टेबुकोनाज़ोल 10% + सल्फर 65% डब्ल्यूजी [स्वाधीन ] 500 ग्रॅम क्लोरोथालोनिल 75% डब्ल्यूपी [जटायु] 400 ग्रॅम/एकर या दराने फवारणी करा. 

  • जैविक व्यवस्थापन: या सर्व रोगांवर जैविक उपचारासाठी ट्रायकोडर्मा विरिडी 500 ग्रॅम स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस 250 ग्रॅम/एकर या दराने फवारणी करू शकता.

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