आधे दाम पर मिल रहे कृषि यंत्र, 90 प्रकार के यंत्रों पर 50% तक की भारी सब्सिडी

आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग खेती-किसानी में बढ़ता जा रहा है। जिसके चलते अब जुताई, बुवाई, कटाई एवं थ्रेसिंग जैसे काम आसान हो गए हैं। हालांकि कई किसान आर्थिक तंगी के चलते इन यंत्रों को खरीद नहीं पाते हैं, जिसके चलते वे आज भी उसी पुरानी तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में किसानों की इस समस्या के समाधान के लिए केंद्र और राज्य सरकारें कई योजनाएं चला रही हैं।

इसी कड़ी में बिहार सरकार राज्य के किसानों की आर्थिक सहायता के लिए कृषि यंत्रीकरण योजना की चला रही है। इस योजना के माध्यम से राज्य सरकार पात्र किसानों को कृषि यंत्रों की खरीद पर 50% का अनुदान प्रदान कर रही है। यह अनुदान योजना के तहत चुने गए 90 तरह के यंत्रों पर प्रदान किया जा रहा है।

इच्छुक किसान योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए आधिकारिक वेबसाइट http://farmech.bih.nic.in पर आवेदन कर सकते हैं। या फिर हेल्पलाइन नंबर-1800-3456-214 पर कॉल करके भी योजना से जुड़ी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। ध्यान रहे 18 साल से कम उम्र के आवेदक योजना के लिए पात्र नहीं मानें जाएंगे।

स्रोत: एबीपी

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देशभर में खुले 600 किसान समृद्धि केंद्र, मिलेगीं कई सुविधाएं

कृषि क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें कई योजनाएं चला रही हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य खेती को आसान और आधुनिक बनाना है, ताकि किसानों को बुवाई से उपज की बिक्री तक मुश्किले न हो। इसी कड़ी में देशभर में 600 स्थान पर किसान समृद्धि केंद्र खोले गए हैं। 

इन केंद्रों की मदद से किसान एक स्थान पर खाद, कीटनाशक दवाओं और बीज से लेकर खेती से संबंधित सभी उत्पाद प्राप्त कर पाएंगे। इन केंद्रों के खुलने से किसानों को बढ़िया और गुणवत्तापूर्ण उत्पाद तो मिलेंगे ही, इसके साथ ही उन्हें हर समस्या के लिए इधर उधर नहीं भटकना पड़ेगा।

केंद्र की इस योजना का उद्देश्य किसानों को एक ही छत के नीचे कृषि के सभी उत्पाद उपलब्ध कराना है। सरकार के अनुसार समृद्धि केंद्र सिर्फ उर्वरक खरीद और बिक्री का स्थान नहीं है, बल्कि यह किसान के साथ नाता जोड़कर उनकी हर समस्या का समाधान करने वाला केंद्र होगा।

स्रोत: दैनिक भास्कर

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पोस्ट ऑफिसच्या या स्कीममधून 14 लाख रुपयांचा फंड जमा करा

देशातील बहुतांश लोक हे कोणतीही रिस्क न घेता त्यांना पैशांची गुंतवणूक करायला आवडते. अशा परिस्थितीत, पोस्ट ऑफिसच्या या स्कीममध्ये पैशांची गुंतवणूक करणे हा एक मोठा पर्याय आहे. या स्कीमचे नाव ‘ग्राम सुमंगल ग्रामीण डाक जीवन बीमा योजना’ असे आहे. ही योजना त्या लोकांसाठी खूप फायदेशीर आहे की ज्यांचे उत्पन्न कमी आहे. म्हणूनच या योजनेच्या माध्यमातून जमा केलेले पैसे तर सुरक्षित राहतात तर सोबतच कमी गुंतवणूकीसह लाखो रुपयांचा रिटर्न देखील मिळू शकतो.

पोस्ट ऑफिसच्या या स्कीममध्ये 95 रुपये गुंतवून 14 लाख रुपयांचा मोठा फंड तयार केला जाऊ शकतो. या स्कीममध्ये जर तुम्ही 15 वर्षांची पॉलिसी खरेदी केली तर तुम्हाला 6 वर्षे, 9 वर्षे आणि 12 वर्षांमध्ये पॉलिसीचा 20% रिटर्न मिळेल. तर उर्वरित 40% रिटर्न स्कीम पूर्ण झाल्यावर मिळेल. जर तुम्ही पैसे गुंतविण्याच्या विचार करत असाल तर, ही स्कीम एक उत्तम असा पर्याय आहे. 

स्रोत: कृषि जागरण

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उर्वरकों से जुड़ी यह योजना बदल देगी किसानों की किस्मत

कृषि क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सबसे महत्वपूर्ण अंग है। हालांकि आर्थिक तौर पर यह क्षेत्र उतना संवेदनशील भी है। इस क्षेत्र में कार्य करने वाले लोग यानी किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं है। ऐसे में केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, ताकि किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया जा सके। इसी कड़ी में केंद्र सरकार द्वारा ‘पीएम प्रणाम योजना’ शुरूआत है।

इस योजना पूरा नाम ‘कृषि प्रबंधन हेतु वैकल्पिक पोषक तत्वों का संवर्धन’ है, जिसका मतलब यूरिया जैसे खाद के स्थान पर विकल्प के तौर पर दूसरे पोषक तत्वों के उपयोग को बढ़ावा देना है। वहीं इस योजना का उद्देश्य उर्वरकों के संतुलन के उपयोग को प्रोत्साहित करना है और साथ ही जैविक उर्वरकों के संयोजन को बढ़ावा देना है। इसके  साथ ही योजना के माध्यम से रासायनिक उर्वरकों पर सब्सिडी के बोझ को भी कम करने का प्रयास किया जाएगा।

इस योजना की विशेषताएं:

  • इस योजना में अलग से कोई भी बजट निर्धारित नहीं किया जाएगा।

  • योजना में किया जाने वाला खर्च उर्वरक विभाग द्वारा केंद्र और राज्य में चलाई जा रही संचालित और मौजूदा योजनाओं के माध्यम से बचाया जाएगा, इस बची हुई राशि को वित्त पोषित कर पीएम प्रणाम योजना में लगाया जाएगा।

  • राज्यों द्वारा जो पैसा बचाया जाएगा उसका 50% हिस्सा अनुदान के तौर पर राज्य को ही वापस कर दिया जाएगा। जहां इस अनुदान का 70% वैकल्पिक उर्वरकों के तकनीकी खर्च एवं वैकल्पिक रूप से संपत्ति निर्माण में किया जाएगा, बाकी बचा 30% अनुदान राशि का उपयोग किसानों, पंचायतों, किसान उत्पादक संगठनों और स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहित करने के लिए किया जाएगा।

  • इतना ही नहीं केंद्र द्वारा एक साल में उपयोग हुए यूरिया की तुलना पिछले तीन वर्षों के दौरान यूरिया की औसत खपत से की जाएगी, ताकि इस योजना से होने वाले लाभ की गणना की जा सके।

स्रोत: आज तक

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साल 2023 में बाजरा की खेती करने वाले किसानों को होगा लाभ, पढ़ें पूरी जानकारी

आज पूरा विश्व खाद्य संकट की समस्या से जूझ रहा है। इसके समाधान के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाजरा की खेती करने का सुझाव दिया है। कई पोषक तत्वों और गुणों से भरपूर बाजरा, दुनियाभर के कई हिस्सों में हजारों सालों से उगाया जा रहा है। बाजरा के महत्व को देखते हुए प्रधानमंत्री ने इसे ‘सुपरफूड’ की उपाधि दी है। जिसके तहत साल 2023 में यूएन इंटरनैशनल ईयर ऑफ मिलेट्स के तौर पर मनाए जाने की घोषणा की गई है, ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान बाजरा के गुणों से जागरुक होकर इसकी खेती को अपनाएं। 

सुपरफूड की खूबियां

विशेषज्ञों के अनुसार बाजरा ग्लूटेन फ्री होता है, जो एनर्जी का बढ़िया स्रोत है। इसके सेवन से मधुमेह नियंत्रित रहता है और कोलेस्ट्रॉल लेवल में सुधार होता है। साथ ही ये दिल की बीमारियों के खिलाफ लड़ने में मदद करता है। इसके अलावा ये कैल्शियम, ज़िंक और आयरन की कमी को दूर करता है। इन सभी खूबियों के चलते इसे सुपरफूड की उपाधि दी गई है।

भारत में बाजरे का उत्पादन

दुनियाभर के 131 देशों में बाजरे की खेती की जाती है। वहीं एशिया और अफ्रीका में लगभग 60 करोड़ से ज्यादा आबादी का यह एक पारंपरिक भोजन है। भारत की बात करें तो यहां हर साल 170 लाख टन से ज्यादा बाजरे की खेती की जाती है, जो पूरे एशिया में उगाए जाने वाले बाजरे का 80% हिस्सा है।

स्रोत: आज तक

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वर्षभरात 250 अंडी देणारी ही विदेशी कोंबडी मालामाल करणार

ग्रामीण भागांमध्ये कुक्कुटपालन हा सर्वाधिक पसंतीचा व्यवसाय आहे. या व्यवसायामधून अंडी, मांस आणि पंख यांची विक्री करून चांगले उत्पन्न मिळवता येते. विशेष गोष्ट अशी की, कमी पैशातही हा व्यवसाय सुरू करता येतो. मात्र, सर्वप्रथम हे जाणून घेणे गरजेचे आहे की, मांस किंवा अंडी यापैकी कोणासाठी हा व्यवसाय सुरु आहे? त्यानुसार कोंबडीची योग्य जात निवडा, जेणेकरून अधिक नफाही मिळू शकेल.

जर तुम्हाला अंडी उत्पादनासाठी कुक्कुटपालन वाढवायचे असेल तर प्लायमाउथ रॉक कोंबडी हा सर्वोत्तम पर्याय आहे. ही एक अमेरिकन जात आहे. या कोंबड्यांचे वजन 3 किलोपर्यंत असते, जे एका वर्षात सुमारे 250 अंडी घालतात. एका अंड्याचे सरासरी वजन 60 ग्रॅम पर्यंत असते. तसेच हे देखील सांगा की, भारतीय बाजारात या अंड्यांना खूप मागणी आहे. एवढेच नाही तर या जातीच्या कोंबडीचे मांस आरोग्याच्या दृष्टीनेही फायदेशीर मानले जाते आणि त्याच्या मांसालाही बाजारात चांगली किंमत मिळते. अशा परिस्थितीत प्लायमाउथ रॉक जातीच्या कोंबडीचे संगोपन करून बंपर कमाई करता येते.

स्रोत: आज तक

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मुलींच्या लग्नामध्ये सरकार हजारोंची भेटवस्तू देत आहे, येथे संपूर्ण माहिती पहा

Shaadi Shagun Yojana

देशातील मुलींचे जीवन उज्ज्वल बनविण्यासाठी केंद्र सरकार अनेक योजना चालवत आहे. ज्यामध्ये लाडली योजना, बेटी बचाओ बेटी पढाओ, सुकन्या योजना अशा अनेक फायदेशीर योजनांचा समावेश आहे. यापैकी एक म्हणजे ‘शादी शगुन योजना’, याच्या मदतीने मुलींच्या लग्नामध्ये त्यांना शगुन म्हणून 51 हजार रुपयांची रक्कम दिली जाते.

ही योजना विशेषतः देशातील अल्पसंख्याक मुलींसाठी आहे. या योजनेचा लाभ मुस्लिम मुलींना देण्यात येत आहे. ज्यांनी शालेय स्तरावर बेगम हजरत महल राष्ट्रीय शिष्यवृत्ती प्राप्त केली आहे आणि लग्नापूर्वी पदवी पूर्ण केली आहे. अशा मुस्लिम मुलींना त्यांच्या लग्नासाठी केंद्र सरकारकडून 51 हजार रुपये दिले जात आहेत.

केंद्र सरकारच्या या शगुन योजनेचा उद्देश असा आहे की, मुस्लिम समाजातील मुलींना उच्च शिक्षणाचा प्रसार करणे असा आहे. या योजनेची सुरुवात 8 ऑगस्ट 2017 रोजी सुरू झाली. ज्याच्या मदतीने आतापर्यंत लाखो अल्पसंख्याक मुलींना याचा लाभ मिळाला आहे.

जर तुम्ही सुद्धा शगुन या योजनेसाठी पात्र असल्यास, लवकरच सरकारच्या या लाभदायक योजनेचा लाभ घ्या. योजनेशी संबंधित माहितीसाठी सरकारच्या अधिकृत वेबसाइट https://minorityaffairs.gov.in/ ला भेट द्या आणि येथे तुम्ही योजनेसाठी अर्ज देखील करू शकता.

स्रोत: कृषि जागरन

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अमेरिकेपासून बांगलादेशापर्यंत या माशांना खूप मागणी आहे, अशा प्रकारे करा लाखोंची कमाई

शेतकऱ्यांमध्ये मत्स्यपालन हा खूप लोकप्रिय व्यवसाय आहे. आजच्या या वेळी मत्स्यपालन हा फक्त तलाव, नदी आणि समुद्रापुरता मर्यादित राहिलेला नाही. वाढत्या युगासोबत या क्षेत्रात कमी खर्चात आणि चांगला परतावा देणारी अनेक आधुनिक तंत्रज्ञाने विकसित झाली आहेत. जिथे कृत्रिम तलाव आणि  हेचरीच्या सहाय्याने शेतकऱ्यांना मासळीचे संगोपन करणे सोपे झाले आहे.

यासोबतच माशांच्या काही विशेष जाती आहेत ज्यामधून शेतकऱ्यांना खूप मोठा नफा मिळत आहे. अशीच एक सर्वोत्तम वाण आहे ज्यामध्ये चीतल माशाचा समावेश आहे. जी दुर्मिळ प्रजाती आहे. या माशात भरपूर पोषक तत्वे असतात त्यामुळे आंतरराष्ट्रीय बाजारपेठेत याला मोठी मागणी आहे. मात्र, ही विशिष्ट प्रजाती केवळ अमेरिका, बांगलादेश आणि भारतातील ब्रह्मपुत्रा नदीत आढळते.

चीतल मासे हे गोड्या पाण्यात राहणे पसंत करतात, त्यामुळे त्यांना तलाव आणि हेचरीमध्ये वाढवणे खूप सोपे आहे. तसे, हा मासा तलाव आणि नद्यांच्या तळामध्ये आढळतो. तिथे राहून ही कोळंबी गोगलगाय खातो. त्यांच्यासाठी सामान्य हवामान अतिशय योग्य आहे आणि जर त्याची योग्य काळजी घेतली तर त्याचे वजन 2.5 किलोपर्यंत जाते. ज्याची भारतात किंमत 250 ते 400 रुपये प्रति किलो आहे आणि परदेशात त्याची किंमत 900 ते 2000 रुपये प्रति किलो आहे. अशा परिस्थितीत जर तुम्ही मत्स्यपालन करण्याचा विचार करत असाल तर चितळ माशाचा व्यवसाय तुम्हाला चांगला नफा देईल.

स्रोत: एबीपी

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मुफ्त में डिजिटल शिक्षा के साथ प्राप्त करें 2500 रूपए का अनुदान

महिला सशक्तिकरण के लिए केंद्र और राज्य सरकारें कई प्रयास कर रही हैं। इस कड़ी में राजस्थान सरकार ने प्रदेश की महिलाओं के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। राज्य सरकार द्वारा आधुनिकता के दौर में महिलाओं को डिजिटल साक्षर करने के लिए ‘ई-सखी योजना’ की शुरूआत की है।

योजना के तहत महिलाएं बड़े ही आसानी से घर बैठे डिजिटल युग से जुड़ सकती हैं। बता दें कि इस योजना के माध्यम से शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को न सिर्फ मुफ्त में डिजिटल शिक्षा दी जाएगी, बल्कि उन्हें सरकार की ओर से 2500 रूपए का अनुदान भी मिलेगा। जहां यह राशि महिलाओं के सीधे बैंक अकाउंट में भेजी जाएगी। 

इस योजना का लाभ उठाने के लिए महिलाओं को अपने फोन में ई-सखी नाम का मोबाइल एप्लीकेशन डाउनलोड करना होगा। जिसकी मदद से महिलाएं मुफ्त में डिजिटल ट्रेनिंग के लिए आवेदन कर सकती हैं। इस योजना के बारे में अधिक जानकारी के लिए esakhi.rajasthan.gov.in पर जाएं।

स्रोत: कृषि जागरण

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आईसीयू वार्ड में बीमार गायों को मिलेगी कई सुविधाएं

लंपी वायरस की वजह से गोवंश को बहुत नुकसान पहुंचा है। ऐसे में पशुओं के इलाज की सुविधा के लिए मध्य प्रदेश में खास कदम उठाया गया है। जिस तरह गंभीर तौर पर पीड़ित लोगों के इलाज के लिए आईसीयू वार्ड की सुविधा उपलब्ध है। इसी तरह हरदा में एक निजी ट्रस्ट ने गंभीर बीमारी से जूझ रहे गायों के लिए आईसीयू का निर्माण करवाया है।

आईसीयू वार्ड में सुवधिाएं

इस आईसीयू वार्ड में गायों के बेहतर इलाज के लिए सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं। वार्ड में जीवन रक्षक दवाएं होने के साथ वैक्सीन को सुरक्षित रखने के लिए फ्रिज रखा गया है। साथ ही इसमें गायों को गर्मियों में राहत देने के लिए एयर कंडीशन और सर्दियों में ठंड से बचाने के लिए हीटर की व्यवस्था की गई है। गायों के सींग और खुर में लगे संक्रमण को हटाने के लिए भी यहां इंतजाम किए गए हैं। ऐसे में गायों के लिए आईसीयू वार्ड की यह व्यवस्था लंपी जैसी घातक बीमारियों से निपटने में काफी मददगार साबित हो सकता है।

स्रोत: आज तक

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