इस कीट की इल्ली पत्तियों की निचली सतह को खाते हैं और पत्तियों में छेद कर देते हैं, जिस वजह से पत्ते कंकाल युक्त और मात्र शिरायें ही रह जाती हैं। गंभीर प्रकोप के मामले में पूरी भाग क्षतिग्रस्त हो सकती हैं। क्षतिग्रस्त भाग पर इल्लियां और कृमिकोष पाए जाते हैं।
नियंत्रण के उपाय
इस कीट के नियंत्रण के लिए, कोस्को (क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.50% एससी) @ 20 मिली या धनवान 20 (क्लोरोपायरीफॉस 20% ईसी) @ 800 मिली + नोवामैक्स (जिब्रेलिक एसिड 0.001 एल) @ 60 मिली + सिलिकोमैक्स गोल्ड @ 50 मिली प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।
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