खरीफ में लगाई गई धान की फसल अब लगभग पक चुकी है और इसकी कटाई का समय नजदीक आ गया है। ऐसा देखा जाता है की बहुत सारे किसान कटाई के बाद बचने वाले फसल अवशेषों को जला देते हैं। ऐसा करने से पर्यावरण को तो नुकसान होता ही है साथ ही साथ खेत की उपज क्षमता भी घटती है। किसान को आमतौर पर इसकी जानकारी नहीं होती इसीलिए वे फसल अवशेषों को जला देते हैं। बहरहाल अब सरकार भी इस बाबत सख्त कदम उठाने लगी है। इसी कड़ी में उत्तरप्रदेश के सतना में दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के तहत आदेश जारी किया गया है की जिले में फसल अवशेष और पराली जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है।
बता दें की इस आदेश को नहीं मानने पर और पराली जलाने पर किसानों को 2,500 से 15,000 रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है। ऐसे मामलों में भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के अंतर्गत कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी।
गौरतलब है की अब पराली का निपटारा करने के लिए कई आधुनिक मशीनें उपलब्ध हैं। “बेलर” और “रैक” आदि मशीनें पराली को इकट्ठा कर बंडल बना देती हैं जिसे व्यावसायिक रूप से अच्छे दामों पर बेचा जा सकता है। इसके अलावा “सुपर सीडर” मशीन से पराली को मिट्टी में मिलाकर उसके ऊपर सीधे बीजों की बुआई की जाती है जिससे जिससे पराली खाद का काम करती है।
स्रोत: न्यूज़ 18
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