खीरे की फसल में फल मक्खी का प्रकोप एवं निवारण के उपाय

Identification and control of fruit fly in cucumber crop

यह खीरे की फसल में पाए जाने वाला एक प्रमुख कीट है, इसकी मादा मक्खियां नए फल के छिलके के अंदर की ओर अंडे देती हैं और फिर इसके मेगट फल के गुद्दे को खाती है। इसी वजह से फल गलना शुरू हो जाता है। मक्खी फल में छेद कर देती है जिससे फल का आकार बिगड़ जाता है और फल धीरे धीरे सड़ जाता है। 

रोकथाम:  इसकी रोकथाम के लिए नीमगोल्ड नीम तेल 1000 मीली/एकड़ या फेरोमोन – फ्रूट फ्लाई ट्रैप 10/एकड़ की दर से लगाएं या बवे कर्व (बवेरिया बेसियाना 5% डब्ल्यूपी) 500 ग्राम/एकड़ की दर 200 लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें।

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खीरे की फसल में पाउडरी मिल्ड्यू की पहचान एवं निवारण के उपाय

Identification and Prevention of Downy Mildew in Cucumber

पाउडरी मिल्ड्यू रोग खीरे की फसल में लगने वाला एक प्रमुख रोग है जो फंगस के माध्यम से फैलता है। यह पत्तों और तने पर सफ़ेद रंग के पाउडर के रूप में दिखाई देता है। पाउडरी मिल्ड्यू से प्रभावित हिस्सों पर हाथ लगाने पर, उंगलियों में पाउडर लग जाता है। इस रोग के कारण प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया बाधित होती है एवं फसल में फूल और फल नहीं बन पाते हैं। पाउडरी मिल्ड्यू रोग की समस्या ज्यादा होने पर, उत्पादन में कमी भी आ जाती है। 

नियंत्रण: यदि इसका संक्रमण फसलों में दिखे तो एम -45 (मैनकोजेब 75% डब्ल्यूपी) 400 ग्राम/एकड़ या जटायु क्लोरोथालोनिल 75% डब्ल्यू पी 400 ग्राम/एकड़ 200 लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें। 10 दिनों के अंतराल पर दो बार छिड़काव करके डाउनी मिल्ड्यू को नियंत्रित किया जा सकता है।

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मूग पिकामध्ये 40 दिवसांच्या अवस्थेत केली जाणारी आवश्यक फवारणी

Know the benefits of growing summer moong
  • शेतकरी बंधूंनो, सध्या बहुतांश शेतात मुगाचे पीक घेतले जाते. ज्या भागात मुगाची पेरणी लवकर झाली तेथे पिके आता 40 ते 50 दिवसांची झाली आहेत.

  • पिकाचा हा टप्पा हा एक प्रमुख टप्पा आहे ज्यामध्ये सोयाबीनातील धान्याचा दर्जा वाढवण्यासाठी आणि कीड आणि बुरशी रोगांचे नियंत्रण करण्यासाठी विशेष काळजी घेणे आवश्यक आहे.

  • यावेळी खालील शिफारशींचा अवलंब करून पिकापासून योग्य फायदा मिळवता येतो.

  • नोवालूरान 5.25% + इमामेक्टिन बेंजोएट 0.9% एससी [बाराज़ाइड] 600 मिली + प्रोपिकोनाज़ोल [जेरॉक्स] 200 मिली + 0:00:50 [ग्रोमोर] 1 किग्रॅ/एकर या दराने फवारणी करावी. 

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जाणून घ्या, मशरुमच्या शेतीचे फायदे

Medicinal Properties of Mushroom
  • शेतकरी बंधूंनो, मशरूम ही बुरशी वर्गाची वनस्पती आहे, त्याचे बुरशीचे जाळे हे त्याचे फळ भाग आहे ज्याला मशरूम म्हणतात. मशरूम लागवडीचे खालील फायदे आहेत. 

  • मशरूम वाढताना खताची कोणतीही आवश्यकता भासत नाही. 

  • याची शेती शेतकरी, मध्यमवर्गीय आणि कामगार वर्ग आपली आर्थिक स्थिती मजबूत करू शकतो.

  • ज्यांना जमिनीची कमतरता किंवा उपलब्धता नाही त्यांच्यासाठी मशरूमची लागवड सर्वोत्तम आहे.

  • मशरूमची लागवड करताना खर्च कमी आणि उत्पादन जास्त.

  • मशरूमच्या शेतीमध्ये इतर शेतीच्या तुलनेत धोका नगण्य आहे.

  • मशरूमची लागवड कोणत्याही हंगामात नियंत्रित वातावरणात आणि तापमान आणि आर्द्रतेमध्ये करता येते.

  • मशरूम अशा ठिकाणी पिकवता येते जिथे सूर्यप्रकाश पोहोचत नाही.

  • पिकांचे अवशेष मशरूम लागवडीमध्ये वापरले जातात जे सहज उपलब्ध असतात.

  • मशरूममध्ये उपयुक्त आणि पौष्टिक पदार्थ असतात आणि त्यात भरपूर प्रथिने असतात.

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खीरे की फसल में डाउनी मिल्ड्यू रोग की पहचान और निवारण के उपाय

Identification and Prevention of Downy Mildew in Cucumber

डाउनी मिल्ड्यू को हिंदी भाषा में मृदुरोमिल आसिता कहते हैं। यह खीरे के पौधों को बहुत अधिक प्रभावित करने वाला एक फंगस जनित रोग है, जो पौधे को सभी अवस्था में प्रभावित कर सकता है। इस रोग के कारण पौधे की पत्तियों की शिराओं के बीच की सतह पर धब्बे दिखाई देने लगते हैं और पत्तियां पीली होकर गिर जाती हैं। डाउनी मिल्ड्यू से प्रभावित पौधे ठीक तरह से वृद्धि नहीं कर पाते और पौधों में अच्छे फल नहीं लग पाते हैं।

नियंत्रण: यदि इसका हमला देखा जाये तो एम -45 (मैनकोजेब 75% डब्ल्यूपी) 400 ग्राम/एकड़ या जटायु (क्लोरोथालोनिल 75% डब्ल्यू पी) 400 ग्राम/एकड़ 200 लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें। 

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टमाटर में पछेती झुलसा रोग की पहचान और निवारण के उपाय

Identification and prevention of Late Blight disease in Tomato

इस रोग के कारण पत्तियों और तने पर पानी से लथपथ काले धब्बे बन जाते है। घाव तेजी से फैलते हैं और पूरी पत्ती सूख जाती है। पत्तियों पर किनारे से धब्बे बनना शुरू होते हैं और धीरे-धीरे ये धब्बे तने और फल पर भी दखाई देते हैं। फल पर गहरे भूरे रंग के घाव बन जाते हैं। मौसम में बार-बार बदलाव होना, खेतों में ज्यादा नमी, से इस रोग का फैलाव तीव्रता से होता है। 

नियंत्रण: यदि इसका हमला देखा जाए तो ब्लू कॉपर (कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% डब्ल्यूपी) 300 ग्राम/एकड़ या नोवाक्रस्ट (एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% एससी) 300 मिली/एकड़ या  ताक़त कैप्टान 70% + हेक्साकोनाज़ोल 5% डब्ल्यू पी 370 ग्राम/एकड़, 200 लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें। 

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टमाटर में अगेती झुलसा रोग की पहचान और निवारण के उपाय

Identification and prevention of early Blight disease in Tomato

यह टमाटर की खेती में पाई जाने वाली प्रमुख बीमारी है। इसके कारण शुरू में पत्तों पर छोटे भूरे धब्बे बनते हैं पर बाद में ये धब्बे तने और फल के ऊपर भी दिखाई देने लगते हैं। पूरी तरह से विकसित धब्बे अनियमित, गहरे भूरे रंग के हो जाते हैं जिनमें धब्बों के अंदर संकेंद्रित छल्ले होते हैं। ज्यादा हमला होने पर इसके पत्ते झड़ जाते हैं और पौधा सूख जाता है। 

नियंत्रण: यदि इसका हमला देखा जाए तो नोवाक्रस्ट (एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% एससी) 300 मिली/एकड़ या ताक़त (कैप्टान 70% + हेक्साकोनाज़ोल 5% डब्ल्यू पी) 370 ग्राम/एकड़, 200 लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें।

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टमाटर की फसल में एन्थ्रेक्नोज की समस्या और निवारण के उपाय

Anthracnose disease increasing in tomato

गर्म तापमान और ज्यादा नमी वाली स्थिति में यह एन्थ्रेक्नोज की बीमारी फसलों में सबसे ज्यादा फैलती है। इस बीमारी से टमाटर के पौधे के प्रभावित हिस्सों पर काले धब्बे पड़ जाते हैं। यह धब्बे आमतौर पर गोलाकार, पानी के साथ भीगे हुए और काली धारियों वाले होते हैं। जिन फलों पर ज्यादा धब्बे हों वे पकने से पहले ही झड़ जाते हैं, जिससे फसल की पैदावार में भारी गिरावट आ जाती है।

नियंत्रण: इसके निवारण के लिए ताक़त (कैप्टान 70% + हेक्साकोनाज़ोल 5% डब्ल्यू पी), 370 ग्राम/एकड़ 200 लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें।

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टमाटर की फसल में फूल और फल झड़ने की समस्या एवं समाधान के उपाय

Problem and solution of flower and fruit drop in tomato crop

टमाटर एक प्रमुख सब्जी है। इसका प्रयोग हर सब्जी के साथ किया जाता है। इसकी फसल से अधिक पैदावार लेने के लिए सही से देखभाल करना बहुत जरूरी होता है। अगर टमाटर की फसल में फूल अवस्था के दौरान फूल झड़ रहे हों तो इसका उत्पादन पर सीधा असर होता है। 

तापमान कम या ज्यादा होने के कारण टमाटर के पौधे से फूल गिरने लगते हैं, ऐसा दिन और रात में तापमान कम या ज्यादा होने के कारण होता है। टमाटर के पौधे के लिए उचित तापमान 15-27°C होता है और इससे अधिक तापमान होने पर लाइकोपीन का स्तर शीघ्रता से गिरने लगता है और गर्म व शुष्क मौसम में कच्चे फल गिरने लगते हैं। 

मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी होने से भी पौधों के विकास में समस्या आती है और फूलों के झड़ने की समस्या शुरू हो जाती है। अधिक मात्रा में रसायनों का छिड़काव करना भी पौधे को नुकसान पहुंचाता है। आवश्यकता से अधिक और कम मात्रा में, पानी देने से भी कई बार फूल झड़ने लगते हैं।

फूलों और फलों को झड़ने से बचाने के उपाय:

  • तापमान के हिसाब से पौधे लगाएं। अधिक तापमान में पौधों को सीधा धूप के सम्पर्क में आने से बचाएं। फसल का तापमान 21 से 30 डिग्री के बीच रखें।

  • पौधों को गहराई तक पानी दें जिससे इनकी जड़ों को पर्याप्त मात्रा में पानी मिल सकें।

  • फूल अवस्था के वक्त रसायन युक्त उर्वरकों का प्रयोग कम करें।

  • उचित मात्रा में नाइट्रोजन व खाद का प्रयोग करें।

  • इसके फलों की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए 3 से 4 बार 0.3% बोरेक्स के घोल को 15 ग्राम कैल्शियम के साथ 15 लीटर पानी में मिलाकर फल आने पर पौधों पर छिड़कें।

  • ठंड में ‘पाला’ तथा गर्मी में ‘लू’ से बचाव के लिए 10-12 दिनों के अंतराल पर फसल में सिंचाई करते रहें।

  • फूल झड़ने पर, प्लानोफिक्स 4 मिली दवा का 16 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करें।

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मूंग की फसल में पिस्सू भृंग का प्रकोप एवं नियंत्रण के उपाय

Control of Flea beetles in Moong crop

लक्षण: मूंग की फसल की 20-35 दिन की अवस्था में ही पिस्सू भृंग के प्रौढ़ रूप पत्तों को काट कर उसमें छेद बनाते हैं जिससे 30 से 40 प्रतिशत पत्ते क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। प्रकोप होने की स्थिति मे, पत्ते छन्नी जैसे दिखते हैं। इससे पौधे की बढ़वार प्रभावित होने के साथ, कई बार पौधा सूख भी जाता है। प्रौढ़ कीट छोटे शरीर वाले, लाल भूरे धारीदार होते हैं और रात्रि के समय हमला करते हैं। यह मात्र स्पर्श से उड़ जाता है जबकि इस कीट की इल्ली फसल की जड़ एवं तने को खाकर फसल को हानि पंहुचाते हैं।

नियंत्रण: इसके नियंत्रण के लिए सेलक्वीन (क्विनालफॉस 25% ईसी) 25% डब्ल्यू/डब्ल्यू को 250 मिली लीटर/एकड़ 200 लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें। 

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