तरबूज़ की फसल में लीफ माइनर कीट के लक्षण एवं नियंत्रण के उपाय!

Symptoms and control measures of leaf miner pest in watermelon crop!

लीफ माइनर क्षति के लक्षण: यह बहुत ही छोटे कीट होते हैं। इसकी क्षति के लक्षण सबसे पहले पत्तियों पर दिखाई देते है। इस कीट की मादा पत्तियों के अंदर सुरंग बनाकर अंडे देती हैं। इससे लार्वा बाहर आकर पत्तियों के हरे पदार्थ को खुरच कर खाते हैं जिसके कारण पत्तियों पर सफेद रंग की टेढ़ी-मेढ़ी लकीरें दिखाई देती हैं। अधिक संक्रमण होने पर पत्तियां कमजोर होकर गिरने लगती हैं।

नियंत्रण के उपाय: इस कीट के नियंत्रण के लिए, (तमिलनाडु एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के अनुसार) नीमगोल्ड (एजाडिरेक्टिन 0.3%) 3000 पीपीएम, @ 150 मिली, प्रति 15 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। इसके 2 दिन बाद, नोवामैक्स (जिब्रेलिक एसिड 0.001 % एल) @ 30 मिली + 19:19:19 @ 80 ग्राम, प्रति 15 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

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कई राज्यों में बारिश का अनुमान, देखें अपने क्षेत्र का मौसम पूर्वानुमान

know the weather forecast,

आज 9 जनवरी को दक्षिण पूर्वी राजस्थान, दक्षिण पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पश्चिम मध्य प्रदेश, पूर्वी गुजरात सहित महाराष्ट्र के कई जिलों में बारिश की संभावना दिखाई दे रही है। यह बारिश की गतिविधियां हल्की ही रहेंगी परंतु महाराष्ट्र के कई जिलों में तेज बारिश के भी आसार हैं। एक नया पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत को प्रभावित कर रहा है जिसके फल स्वरुप यहां न्यूनतम तापमान बढ़ सकते हैं। उत्तर भारत में घना कोहरा छाया रहेगा जिसके कारण पंजाब और उत्तरी हरियाणा के कई जिलों में गहरी शीत दिवस की स्थिति बनी रहेगी। पहाड़ों को अभी भी बर्फबारी का इंतजार रहेगा।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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मध्य प्रदेश की प्रमुख मंडियों में गेहूँ भाव में दिखी कितनी तेजी?

wheat mandi bhaw

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों में क्या चल रहे हैं गेहूँ के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

मध्य प्रदेश की मंडियों में गेहूँ के ताजा मंडी भाव
जिला कृषि उपज मंडी किस्म न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल) अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)
आलीराजपुर आलीराजपुर लोकवन 2125 2125
रीवा बैकुंठपुर मिल गुणवत्ता 2265 2265
शाहडोल ब्यौहारी मिल गुणवत्ता 2300 2300
राजगढ़ ब्यावरा मिल गुणवत्ता 2570 2640
मंडला बिछिया मिल गुणवत्ता 2100 2100
शाहडोल बुढ़ार मिल गुणवत्ता 2500 2500
रीवा चाकघाट मिल गुणवत्ता 2400 2400
धार धार लोकवन 3260 3282
डिंडोरी डिंडोरी स्थानीय 2350 2350
डिंडोरी गोरखपुर मिल गुणवत्ता 2200 2210
रीवा हनुमना मिल गुणवत्ता 2400 2400
इंदौर इंदौर लोकवन 2492 3000
सीहोर जावर मिल गुणवत्ता 2380 2380
कटनी कटनी मिल गुणवत्ता 2300 2310
शिवपुरी खनियाधाना मिल गुणवत्ता 2340 2340
टीकमगढ़ खरगापुर मिल गुणवत्ता 2200 2460
मंडला मंडला मिल गुणवत्ता 2305 2355
शाजापुर मोमनबड़ोदिया मिल गुणवत्ता 2300 2300
टीकमगढ़ निवाड़ी मिल गुणवत्ता 2440 2543
जबलपुर पाटन मिल गुणवत्ता 2390 2405
धार राजगढ़ लोकवन 2605 2650
सतना सतना मिल गुणवत्ता 2280 2280
सीधी सीधी मिल गुणवत्ता 2150 2150
उमरिया उमरिया मिल गुणवत्ता 2100 2100
विदिशा विदिशा स्थानीय 3680 4200

स्रोत: एगमार्कनेट

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आलू की चमक बढ़ाने के लिए फसल में जरूर करें ये कार्य!

How to increase the brightness of potatoes

आलू की त्वचा चमकदार, साफ, आकर्षक हो तो इससे बाजार मूल्य एवं मांग भी अधिक होती है। पर काला स्कर्फ, पाउडरी एवं कॉमन स्कैब जैसे संक्रमणों की वजह से आलू कम आकर्षक लगता है साथ ही इसकी भण्डारण क्षमता भी प्रभावित होती है। इसलिए पोषक तत्व की सही मात्रा से आलू की त्वचा विकार को कम कर सकते है और त्वचा की चमक को बढ़ा सकते हैं। 

  • कैल्शियम: आलू की त्वचा की रंगत निखारने में कैल्शियम की अहम भूमिका होती है। कैल्शियम कंद की ऊपरी परत को मजबूत करता है, जिससे ब्लैक स्कर्फ, सिल्वर स्कर्फ, पाउडर स्कैब या कॉमन स्कैब सहित कई बीमारियों से सुरक्षा हो जाती है।

  • सल्फर: सल्फर कॉमन एवं पाउडरी स्कैब के स्तर को कम करने में मदद करता है। यह समस्या मिट्टी की पीएच में कमी के कारण भी हो सकता है। इससे बचाव के लिए, सल्फर का उपयोग किया जाता है।  

  • बोरॉन: बोरॉन कैल्शियम की प्रभावशीलता में सुधार करता है। यह कोशिका भित्ति में कैल्शियम को स्थिर करने में मदद करता है और कैल्शियम के अवशोषण को भी बढ़ाता है।

  • जिंक: जिंक रोग के संक्रमण को कम करने में मदद करता है। इसका उपयोग आमतौर पर पाउडरी स्कैब से बचाने के लिए किया जाता है। ज़िंक का उपयोग केवल मिट्टी के अनुप्रयोगों में पाउडर स्कैब  के लिए प्रभावकारी है।

  • मैग्नीशियम और मैंगनीज: मैग्नीशियम और मैंगनीज कॉमन स्कैब के स्तर को कम कर सकते हैं।

  • मात्रा: आलू की चमकदार त्वचा एवं कंद का आकार बढ़ाने लिए, कैलबोर 5 किग्रा + जिंक सल्फेट 5 किग्रा + मैग्नीशियम सल्फेट 5 किग्रा + पोटाश 20 किग्रा, इन सभी को आपस में मिलाकर एक एकड़ क्षेत्र के हिसाब से सामान रूप से भुरकाव कर हल्की सिंचाई कर दें। 

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मध्य प्रदेश से महाराष्ट्र तक बारिश के आसार, देखें मौसम पूर्वानुमान

know the weather forecast,

दिल्ली को सर्दी से राहत मिली है परंतु 10 जनवरी को हल्की बारिश हो सकती है। अगले तीन दिनों के दौरान दक्षिण भारत में भारी बारिश होगी तथा महाराष्ट्र, पूर्वी गुजरात, पूर्वी राजस्थान और मध्य प्रदेश के कई जिलों में बारिश की संभावना बन रही है। दिल्ली और दक्षिणी हरियाणा में भी हल्की बारिश के आसार है। उत्तर भारत में छाया कोहरा अब कम होने लगेगा तथा दिन के तापमान बढ़ेंगे।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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चने में फली छेदक प्रकोप की रोकथाम व अधिक फूल धारण हेतु आवश्यक छिड़काव

Necessary spraying for pod borer caterpillar and more flowers in gram crop

फली छेदक इल्ली की युवा लार्वा पत्तियों की शिराओं को छोड़ कर सभी भाग को खा लेती है साथ ही फूल एवं फली की अवस्था में फूल एवं फली को भी खाते है। हरी फली में – गोलाकार छेद करके दाने को खा कर फली को खाली कर देती हैं जिससे उत्पादन में भारी कमी आती है। 

नियंत्रण के उपाय: चने की फसल में अधिक फूल धारण एवं फली छेदक इल्ली नियंत्रण के लिए, कोस्को (क्लोरट्रानिलिप्रोल 18.5% एससी) @ 50 मिली या सेलक्विन (क्विनालफॉस 25% ईसी) @ 400 मिली + बवे कर्ब (बवेरिया बेसियाना 5% डब्ल्यूपी) @ 250 ग्राम +  न्यूट्रीफुल मैक्स (फुलविक एसिड का अर्क– 20% + कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटैशियम सूक्ष्म पोषक तत्व मात्रा में 5% + अमीनो एसिड) @ 250 मिली + सिलिकोमैक्स गोल्ड @ 50 मिली, प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

न्यूट्रीफुल मैक्स:

  • इससे फूल अधिक लगते है, एवं फलों की रंग एवं गुणवत्ता बढ़ती है। 

  • सूखे, पाले आदि के खिलाफ पौधो की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

  • जड़ से पोषक तत्वों का परिवहन भी तेजी से होता है।

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भीषण ठंड से फसलों में पड़ सकता है पाला, समय रहते कर लें बचाव के उपाय!

Know how to save the crop from frost!
  • पाले की समस्या आमतौर पर दिसंबर से मध्य फरवरी तक होता है।

  • जब वातावरण का तापमान 8 डिग्री सेंटीग्रेड से कम होते हुए शून्य डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुंच जाता है तब पाला पड़ता है। 

  • पाला पड़ने से फसल की कोशिका में उपस्थित जल, बर्फ में परिवर्तित हो जाती है जिससे पौधों की कोशिकाएं फट जाती हैं। 

  • इसके कारण पत्तियां झुलस जाती हैं और प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभावित हो जाती है, जिससे फसल में बढ़वार नहीं हो पाती है। 

  • फूल फली एवं बाली की अवस्था में पाला के प्रकोप से फूल फल गिर जाते हैं एवं दानों का रंग काला हो जाता है।  इससे उपज बुरी तरह प्रभावित होती है।  

  • पाला की यह अवस्था देर तक बनी रहे तो पौधे मर भी सकते हैं। 

बचाव के उपाय 

  • खेतों की सिंचाई जरूरी – सुबह के समय फसल में हल्की सिंचाई करें। सिंचाई करने से 0.5 – 2 डिग्री सेल्सियस तक तापमान में बढ़ोतरी हो जाती है।

  • वायु अवरोधक ये अवरोधक शीतलहर की तीव्रता को कम करके फसल को होने वाले नुकसान से बचाते हैं। इसके लिए खेत के चारों ओर ऐसी फसलों की बुवाई करनी चाहिए जिनसे की हवा कुछ हद तक रोका जा सके जैसे चने के खेत में मक्का की बुवाई करनी चाहिए। 

  • खेत के पास धुंआ करें – शाम के समय, सूखी घास फूस एवं उपलों को जलाकर धुआं करें। हालांकि यह प्रक्रिया पर्यावरणीय दृष्टि से उचित नहीं है, पर इससे भी पाला से बचाव में सहायता मिलती है।

  • हो सके तो फसल की पत्तियों पर पानी का छिड़काव करें।

  • पौधे को ढकें – तापमान कम होने का  सबसे अधिक नुकसान नर्सरी में होता है। नर्सरी में पौधों को रात में प्लास्टिक की चादर से ढकने की सलाह दी जाती है। ऐसा करने से प्लास्टिक के अन्दर का तापमान 2-3 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाता है।

जैविक विधि से बचाव के उपाय 

  • पाले पड़ने की सम्भावना होने पर, मोनास कर्ब (स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस 1.0% डब्ल्यूपी) @ 500 ग्राम, प्रति एकड़ 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। 

रासायनिक विधि से बचाव के उपाय 

वोकोविट (सल्फर 80% डब्ल्यूडीजी) @ 35 ग्राम, प्रति 15 लीटर पानी के हिसाब से फसलों के ऊपर छिडक़ाव करें। इससे दो से ढाई डिग्री सेंटीग्रेड तक तापमान बढ सकता है।

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आधी कीमत पर मिलेंगे खेती के मशीन, इस तारीख से पहले जरूर कर दें आवेदन

Expensive farming machines are available at half the price

खेती को आसान बनाने में किसानों की मदद करते हैं नए जमाने के नए कृषि यंत्र। हालांकि ये यंत्र बेहद महंगे होते हैं इसी कारण साधारण किसान इन्हें खरीद नहीं पाते। पर इन किसानों की मदद के लिए सरकार की तरफ से चलाई जा रही विभिन्न योजनाएं अहम भूमिका निभाती हैं। साधारण किसान भी इन महंगे उपकरणों का उपयोग करें और अपनी खेती को आसान बनाएं इसी उद्देश्य से कई राज्यों में कृषि यंत्र अनुदान योजना चल रही है। देश के कई राज्यों में जैसे हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश में किसानों को इस योजना का लाभ मिल रहा है।

अगर बात हरियाणा की करें तो यहाँ किसानों को 32 प्रकार के खेती के मशीनों पर 50 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जा रही है। इस सब्सिडी का लाभ लेने के लिए हरियाणा के किसान आवेदन कर सकते हैं। इस योजना में आवेदन की आखिरी तिथि 15 जनवरी 2024 है तो इस तारिख से पहले आवेदन की प्रक्रिया जरूर पूरी कर लें।

हरियाणा की ही तरह दूसरे राज्यों के किसान भी अपने राज्य से संबंधित कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर विजिट कर के इस योजना के अंतर्गत सब्सिडी के लिए आवेदन कर सकते हैं।

स्रोत: कृषि जागरण

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मध्य प्रदेश के मंडियों में क्या चल रहे हैं सरसों के भाव?

Mustard mandi bhaw

सरसों के मंडी भाव में तेजी देखने को मिल रही है। देखिये मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों में क्या चल रहे हैं सरसों के भाव!

मध्य प्रदेश की मंडियों में सरसों के ताजा मंडी भाव
जिला कृषि उपज मंडी किस्म न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल) अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)
भोपाल बैरसिया सरसों(काला) 4920 4920
दमोह दमोह सरसों 4600 5650
भिंड गोहाद सरसों(काला) 5165 5180
राजगढ़ जीरापुर सरसों(काला) 4885 4885
मुरैना कैलारस सरसों(काला) 5236 5305
कटनी कटनी सरसों(काला) 4075 5015
गुना कुम्भराज सरसों(काला) 5125 5400
छतरपुर लवकुशनगर सरसों 4750 4910
भिंड मेहगांव सरसों 4890 4910
शिवपुरी पोहरी सरसों(काला) 5205 5205
मुरैना पोरसा सरसों(काला) 4850 5030
मुरैना सबलगढ़ सरसों(काला) 4850 4970
सतना सतना सरसों(काला) 4905 4905
सीहोर सीहोर सरसों(काला) 5740 5740

स्रोत: एगमार्कनेट

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गेहूँ की फसल में फफूंद जनित रोगों से बचाव के उपाय!

Measures to prevent fungal diseases in wheat crops

गेहूँ की फसल की वर्तमान अवस्था में फफूंद जनित रोग जैसे रस्ट की समस्या आती है। गेहूँ में रस्ट मुख्यतः 3 प्रकार के होते हैं। इनकी क्षति के लक्षणों में भी थोड़ा बहुत अंतर देखने को मिलता है।  

भूरा रतुआ/ लीफ रस्ट: इसे ब्राउन रस्ट के रूप में भी जाना जाता है। यह केवल पर्णसमूह पर हमला करता है। पत्तियों की सतह पर लाल-नारंगी से लाल-भूरे रंग के फफूंद के फलने वाले रोगाणु होते है जो लगभग पूरी ऊपरी पत्ती की सतह को कवर कर लेते हैं। यह रस्ट स्टेम रस्ट की तुलना में छोटे, वृत्ताकार या थोड़े अण्डाकार होते हैं एवं फलने वाले रोगाणु आपस में नहीं जुड़ते हैं। 

धारी रतुआ/पीला रस्ट : यह मौसम की शुरुआत में दिखाई देता है क्योंकि यह ठंडा, नम मौसम पसंद करता है। इससे आमतौर पर पत्तियों के ऊपर धारियां बन जाती है जिनमे पीले से नारंगी-पीले फफूंद के फलने वाले रोगाणु होते हैं, जो पत्तियों के आवरण, गर्दन, बाली के आवरण को भी प्रभावित करते हैं।

तना रतुआ / काला रतुआ: पीले और भूरे रस्ट की तुलना में स्टेम रस्ट के धब्बे अधिक लंबे होते हैं। पत्तियों के दोनों किनारों पर, तनों पर और बाली पर गहरे लाल भूरे रंग के फफूंद के फैलने वाले शरीर होते हैं। जो आमतौर पर अलग और बिखरे हुए खुरदरे होते हैं। इसे काला रतुआ भी कहा जाता है क्योंकि इसके बीजाणु बाद में काले हो जाते हैं।

नियंत्रण के उपाय: इन सभी प्रकार के रस्ट/रतुआ को नियंत्रण करने के लिए, जेरोक्स (प्रोपिकोनाज़ोल 25% ईसी) @ 200 ग्राम या गोडीवा सुपर (एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 18.2% + डाइफ़ेनोकोनाज़ोल 11.4%  एससी) @ 200 मिली, प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

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