लहसुन के भाव में तेजी जारी, 27000 रुपये तक पहुंचे उच्च भाव

garlic Mandi bhaw,

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों में क्या चल रहे हैं लहसुन के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

मध्य प्रदेश की मंडियों में लहसुन के ताजा मंडी भाव
जिला कृषि उपज मंडी किस्म न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल) अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)
रतलाम अलोट लहसुन 6701 10400
शाजापुर अकोदिया औसत 1000 14400
उज्जैन बड़नगर औसत 3600 14900
उज्जैन बड़नगर लहसुन 2600 6500
धार बड़नावर लहसुन 2005 20400
धार बदनावर लहसुन-ऑर्गेनिक 6000 14200
भोपाल भोपाल लहसुन 2000 19650
मंदसौर दलोदा लहसुन 1950 22400
सागर देवरी औसत 5375 6000
इंदौर गौतमपुरा लहसुन 2000 12700
इंदौर इंदौर लहसुन 1000 20425
रतलाम जावरा औसत 4600 4600
नीमच जावद लहसुन 11102 22801
शाजापुर कालापीपल लहसुन 3101 14500
नीमच मनासा लहसुन 5701 22000
मंदसौर मंदसौर लहसुन 811 25001
राजगढ़ नरसिंहगढ़ लहसुन 2000 16200
नीमच नीमच औसत 5601 14100
नीमच नीमच लहसुन 5892 27000
मंदसौर पिपल्या लहसुन 2011 20670
मंदसौर पिपल्या लहसुन-ऑर्गेनिक 4801 19500
धार राजगढ़ लहसुन 3000 16500
रतलाम रतलाम देसी 1300 19112
रतलाम रतलाम लहसुन 1000 9801
रतलाम सैलाना औसत 8900 14801
रतलाम सैलाना देसी 9520 9520
रतलाम सैलाना लहसुन 6400 25151
शाजापुर साजापुर लहसुन 4850 9025
राजगढ़ सारंगपुर औसत 4000 5500
सीहोर सीहोर लहसुन 1460 18401
मंदसौर शामगढ़ लहसुन 1200 17600
शाजापुर शुजालपुर देसी 3000 16830
मंदसौर सीतमऊ देसी 10700 16430
मंदसौर सीतमऊ लहसुन 6000 11500
शाजापुर सोयतकलां लहसुन 1500 19219
उज्जैन उज्जैन लहसुन 1800 16700

स्रोत: एगमार्कनेट

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धान की नर्सरी में बुवाई से पहले बीज उपचार से मिलेंगे कई फायदे

Benefits of seed treatment before sowing in paddy nursery

बीज उपचार एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें फसल को बीमारियों और कीटों से बचाव के लिए रसायन, जैव रसायन या ताप से बीजों को उपचारित किया जाता है। बीज उपचार से बीजों में उपस्थित आन्तरिक या बाहरी रूप से जुड़े रोगजनकों (फफूँद, बैक्टीरिया आदि) की रोकथाम होती है। बीजों की ऊपरी तथा अंदर की परतों में सूक्ष्म फफूँद रहती है जो बीज को ख़राब कर देता है, साथ ही साथ बीज की अंकुरण क्षमता को भी प्रभावित करता है। बीज उपचार करने से बीजों का अंकुरण अच्छा होता है, तथा फसल की बीमारियों के प्रसार को रोकता है। मिट्टी जनित रोग एवं कीटों को नियंत्रित करता है, जिससे  बीजों को सड़ने और अंकुरों के झुलसने से बचाया जा सकता है।

धान के बीज को बोने से पूर्व बीजोपचार कर लेना चाहिए। इसके लिए, कॉम्बैट (ट्राइकोडर्मा विरडी) 8 ग्राम/किलो बीज या धानुस्टिन (कार्बेन्डाजिम 50% WP) 2.5 ग्राम/किलो बीज या विटावैक्स पावर (कार्बोक्सिन 37.5% + थिरम 37.5% WS)- 2.5 ग्राम/किलो बीज से उपचारित करें। जीवाणु झुलसा रोग की समस्या आने पर, 4 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लीन या 40 ग्राम प्लान्टोमाइसीन को 25 किग्रा बीज के साथ मिलाकर रात भर के लिए भिगों दें, तथा अतिरिक्त पानी निकाल कर बीजों की बुवाई करें।

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अगले 4 दिन मानसून रहेगा सुस्त, आधे भारत में भीषण गर्मी के आसार

know the weather forecast,

24 घंटे के बाद महाराष्ट्र सहित कर्नाटक और तेलंगाना में बारिश की गतिविधियों में कमी आएगी, मानसून कुछ सुस्त पड़ जाएगा। अगले चार दिनों तक मानसून की चाल कमजोर बनी रहेगी परंतु पूर्वी भारत में मानसून अब धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगेगा। पश्चिम दिशा से चलने वाली गर्म हवाएं पंजाब, हरियाणा, राजस्थान सहित दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तरी मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, गंगीय पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में भीषण गर्मी पैदा करेगी। 17-18 जून से मानसून फिर तेजी पकड़ सकता है।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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सरकारी खर्च पर करें फसलों को सुरक्षित, करवाएं अपने खेतों की तारबंदी

Get fencing done in the fields on 50% grant

फसलों को छोटे छोटे कीटों और घातक रोगों के अलावा आवारा जानवरों से भी बहुत ज्यादा खतरा रहता है। किसान जंगली जानवरों, नीलगाय व अन्य आवारा पशुओं से अपनी फसल की बचाने के लिए खेतों के चारों तरफ तारबंदी करवाते हैं। हालांकि तारबंदी करवाना एक खर्चीला काम है इसीलिए ज्यादातर किसान अपने खेतों में यह नहीं करवा पाते हैं। किसानों की इसी समस्या को दूर करने के लिए सरकार ने तारबंदी योजना की शुरुआत की है।

मीडिया में आई ख़बरों के अनुसार राजस्थान सरकार द्वारा चलाई जा रही इस तारबंदी योजना के माध्यम से किसानों को अपने खेत में तारबंदी करवाने पर अनुदान मिल रहा है। योजना के तहत छोटे व सीमांत किसानों को 400 रनिंग मीटर पर करीब 60% तक अनुदान दिया जा रहा है। इसके तहत अधिकतम 40000 रुपये तक राशि पात्र किसानों को दी जाएगी। इसके अलावा इस योजना के माध्यम से सामुदायिक आवेदन के तौर पर 10 या फिर इससे अधिक किसान के समूह को कम से कम 5 हेक्टेयर जमीन में तारबंदी की सुविधा उपलब्ध करवाई जाती है। इसके लिए उन्हें यूनिट कॉस्ट का 70% अनुदान के रूप में दिया जाता है। योजना की अधिक जानकारी या फिर आवेदन करने के लिए Raj Kisan Sathi Portal पर जरूर विजिट करें।

स्रोत: कृषि जागरण

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सही खेत की तैयारी व प्रबंधन से तैयार होगी धान की बेस्ट नर्सरी

Preparation and management of field for paddy nursery

धान की नर्सरी तैयार करने के लिए उचित जल-निकास एवं उच्च पोषक तत्व युक्त दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है। साथ हीं इसमें सिंचाई की उचित व्यवस्था भी होनी चाहिए।

धान की नर्सरी तैयार करते समय, उचित मात्रा में खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग करना बहुत जरूरी है। सही मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग नहीं करने से धान के पौधों में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है, और पौधे का विकास, ठीक से नहीं हो पाता है।

नर्सरी तैयार करते समय सबसे पहले जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बना लें। इसके बाद 1.25 मीटर चौड़ी एवं 8 मीटर लंबी क्यारियां तैयार करें।

पौधे के अच्छे विकास के लिए धान नर्सरी में प्रति 100 वर्ग मीटर के हिसाब से 2-3 किलोग्राम यूरिया, 3 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट, 1 किलोग्राम पोटाश, 10 किलोग्राम गोबर की खाद और 1 किलो ट्राई-कोट मैक्स का उपयोग करना चाहिए। पौधों के अच्छे अंकुरण के लिए पानी की बहुत ज्यादा जरूरत होती है साथ हीं क्यारियों में पर्याप्त नमी भी रखनी चाहिए।

धान के बीज को बोने से पूर्व बीजोपचार जरूर कर लेना चाहिए। इसके लिए, कॉम्बैट (ट्राइकोडर्मा विरडी) 8 ग्राम/किलो बीज या धानुस्टिन (कार्बेन्डाजिम 50% WP) 2.5 ग्राम/किलो बीज या विटावैक्स पावर (कार्बोक्सिन 37.5% + थिरम 37.5% WS)- 2.5 ग्राम/किलो बीज से उपचारित करें।

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कुछ राज्यों में बारिश तो कुछ क्षेत्रों में हीट वेव जारी, देखें मौसम पूर्वानुमान

know the weather forecast,

10 जून को मानसून फिर आगे बढ़ गया है, अब यह महाराष्ट्र के दहानू, नासिक और संभाजी नगर तक पहुंच गया है। अगले 24 घंटे के दौरान महाराष्ट्र के दक्षिणी और मध्य भागों में भारी बारिश होगी। उत्तरी कर्नाटक और तेलंगाना के कुछ इलाकों में भारी से अति भारी बारिश हो सकती है। केरल, लक्षद्वीप और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में मध्यम से भारी बारिश की संभावना है। उत्तर पूर्वी राज्यों में बारिश जारी रहेगी। दक्षिण पूर्वी राजस्थान और दक्षिण पश्चिम में मध्य प्रदेश में भी हल्की बारिश हो सकती है। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तरी राजस्थान, उत्तरी मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल तथा उड़ीसा के उत्तरी जिलों का मौसम शुष्क तथा गर्म बना रहेगा। इन इलाकों में अब हीट वेव अगले एक सप्ताह तक परेशान करेगी। पूर्वी भारत में मानसून 14 जून के बाद ही आगे बढ़ेगा।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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मध्य प्रदेश की मंडियों में सोयाबीन के उच्च भाव पहुंचे 4800 रुपए

soybean mandi Bhaw,

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों में क्या चल रहे हैं सोयाबीन के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

मध्य प्रदेश की मंडियों में सोयाबीन के ताजा मंडी भाव
जिला कृषि उपज मंडी किस्म न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल) अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)
बड़वानी अंजड़ सोयाबीन 4000 4000
धार बदनावर सोयाबीन 4500 4500
सागर बामोरा पीला 4500 4500
सागर बंडा सोयाबीन 4200 4500
शिवपुरी बरड़ सोयाबीन 3815 4605
शाजापुर बेरछा सोयाबीन 3900 4600
खरगोन भीकनगांव सोयाबीन 3680 4540
खरगोन भीकनगांव सोयाबीन 4200 4576
राजगढ़ ब्यावरा सोयाबीन 3450 4865
सागर बीना सोयाबीन 4200 4250
धार धार सोयाबीन 4400 4500
इंदौर गौतमपुरा पीला 4500 4500
डिंडोरी गोरखपुर पीला 4100 4100
हरदा हरदा पीला 3600 4525
इंदौर इंदौर पीला 4365 4590
इंदौर इंदौर सोयाबीन 3755 4690
इंदौर इंदौर सोयाबीन-ऑर्गेनिक 4340 4702
राजगढ़ जीरापुर पीला 4340 4640
राजगढ़ जीरापुर सोयाबीन 4370 4595
झाबुआ झाबुआ सोयाबीन 4500 4550
अलीराजपुर जोबट सोयाबीन 4300 4500
अलीराजपुर जोबट सोयाबीन 4000 4450
नरसिंहपुर करेली पीला 4421 4600
खंडवा खंडवा पीला 4300 4310
खरगोन खरगोन सोयाबीन 4200 4260
राजगढ़ खिलचीपुर सोयाबीन 4150 4605
राजगढ़ कुरावर सोयाबीन 2995 4625
राजगढ़ कुरावर पीला 3750 4640
गुना मकसूदनगढ़ सोयाबीन 4000 4100
गुना मकसूदनगढ़ सोयाबीन 3875 4570
नीमच नीमच पीला 4496 4496
टीकमगढ़ निवाड़ी पीला 4300 4300
राजगढ़ पचौर सोयाबीन 3030 4615
खंडवा पंधाना सोयाबीन 4076 4510
छिंदवाड़ा पंढुर्ना पीला 4400 4400
झाबुआ पेटलावद पीला 4400 4510
सागर राहतगढ़ सोयाबीन 4290 4600
धार राजगढ़ सोयाबीन 4300 4350
सागर रेहली पीला 4260 4265
सागर सागर सोयाबीन 2000 4550
सागर सागर सोयाबीन 4135 4475
इंदौर सांवेर सोयाबीन 4450 4450
बड़वानी सेंधवा पीला 4100 4500
सीहोर श्यामपुर पीला 4374 4464
उज्जैन तराना सोयाबीन 3800 4700
उज्जैन तराना सोयाबीन 4651 4666
हरदा टिमरनी सोयाबीन 4490 4490
उज्जैन उज्जैन पीला 4550 4550
उमरिया उमरिया सोयाबीन 4500 4500

स्रोत: एगमार्कनेट

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ट्राइकोडर्मा अपनाएं और फसलों में मिट्टी के माध्यम से होने वाले रोगों से सुरक्षा पाएं

Adopt Trichoderma for soil-borne disease management

ट्राइकोडर्मा दरअसल एक जैविक फफूंदनाशी/कवकनाशी है, जो कई प्रकार के रोगजनकों को मारता है। इससे फसलों में लगने वाले जड़ सड़न, तना सड़न, उकठा और आर्द्र गलन जैसे रोगों से सुरक्षा होती है। ट्राइकोडर्मा सभी प्रकार की फसलों में उपयोग किया जा सकता है। ट्राइकोडर्मा का उपयोग बीज उपचार, मिट्टी उपचार, जड़ों का उपचार और ड्रेंचिंग के लिए किया जा सकता है।

बीज उपचार के लिए, 5-10 ग्राम ट्राइकोडर्मा प्रति किलो बीज की दर से उपयोग किया जाता है। यह बीज उपचार बुवाई से पहले किया जाता है।

जड़ों के उपचार के लिए, 10 किलो अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद तथा 100 लीटर पानी मिला कर घोल तैयार करें और फिर इसमें 1 किलो ट्राइकोडर्मा पाउडर मिला कर मिश्रण तैयार कर लें। इस मिश्रण में, पौध की जड़ों को रोपाई से पहले, 10 मिनट के लिए डुबो कर रखें। कुछ इस तरह जड़ों को उपचारित किया जा सकता है।

वहीं इससे मिट्टी उपचार करने के लिए 2 किलो ट्राइकोडर्मा पाउडर प्रति एकड़ की दर से अच्छी सड़ी गोबर की खाद के साथ मिला कर खेत में मिलाया जाता है।

खड़ी फसल में इसका उपयोग करने के लिए एक लीटर पानी में 10 ग्राम ट्राइकोडर्मा पाउडर मिलाकर तना क्षेत्र के पास की मिट्टी में ड्रेंचिंग करें।

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कई राज्यों में मूसलाधार बारिश, जानें किन राज्यों तक पहुंचा मानसून?

know the weather forecast,

मुंबई में मानसून पहुंच चुका है, अब महाराष्ट्र के तटीय जिलों सहित उत्तर तटीय कर्नाटक में भारी से अति भारी बारिश होगी। केरल और कर्नाटक में बारिश की गतिविधियां काफी तेज रहेगी। तेलंगाना में भी बारिश की गतिविधियां बढ़ सकती हैं। आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में मानसून सुस्त बना रहेगा। उत्तर पूर्वी राज्यों में हल्की से मध्यम बारिश जारी रहेगी परंतु पूर्वी भारत को अगले 5 दिनों तक मानसून का इंतजार करना पड़ सकता है।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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पौधों के लिए नाइट्रोजन होता है महत्वपूर्ण, जानें इसके लाभ

Importance of Nitrogen for plants

नाइट्रोजन प्रोटीन का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, यह पर्णहरित का महत्वपूर्ण भाग होता है जो प्रकाश संश्लेषण के लिए अतिआवश्यक होता है। नाइट्रोजन पौधे की वानस्पतिक वृद्धि को बढ़ाता है एवं गहरा हरा रंग प्रदान करता है। नाइट्रोजन पौधे की शुरूआती वृद्धि को बढ़ाता है। 

मिट्टी जिसमें जैविक कार्बन का स्तर कम होना या फिर हल्की गठन वाली रेतीली मिट्टी जिसमें अत्यधिक वर्षा या सिंचाई द्वारा अपक्षालन होना दरअसल नाइट्रोजन की कमी को दर्शाता है। अनाज वाली फसलों की सघन कृषि प्रणाली में भी इसकी कमी देखी जाती है।

पौधे में नाइट्रोजन की कमी के लक्षण पुरानी पत्तियों पर दिखाई देते हैं। नाइट्रोजन की कमी वाले पौधों की वृद्धि इसके कारण रुक जाती है, और पौधे आकार में पतले एवं छोटे दिखाई देते हैं। अनाज वाली फसलों में इसके कारण कल्ले बहुत कम हो जाते हैं। इससे पत्तियाँ नोक की तरफ से पीली पड़ने लगती हैं। यह प्रभाव पहले पुरानी पत्तियों पर दिखाई देते हैं, फिर बाद में नई पत्तियों पर भी दिखाई देते हैं।

नाइट्रोजन का प्रबंधन: 

नाइट्रोजन की मिट्टी में उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए मिट्टी की जांच करवाएं। जांच के आधार पर, सिफारिश की गई नाइट्रोजन को खाद एवं जैविक उर्वरकों की सहायता से बुआई के समय प्रयोग करें। खड़ी फसल में आवश्यकतानुसार यूरिया का भुरकाव करें।

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