कद्दू वर्गीय फसल में कुकम्बर मोज़ेक वाइरस के लक्षण एवं रोकथाम के उपाय!

Symptoms and preventive measures of Cucumber mosaic virus in Cucurbits crop
  • कुकम्बर मोज़ेक वाइरस का रोगवाहक माहु कीट है। कद्दु वर्गीय फसलें, कुकम्बर मोज़ेक वाइरस के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं। 

  • इसके प्रकोप से शुरुआत में पत्तियों पर पानी से भरे पीले धब्बे विकसित होते हैं। 

  • ये धब्बे तेजी से बढ़ते हैं और हल्के भूरे या सफेद केंद्र के साथ पहले गोलाकार आकृति लेते हैं और फिर अनियमित आकृति में बदल जाते हैं।

  • ये धब्बे आपस में मिलकर बड़े घाव में परिवर्तित हो जाते हैं।

  • पौधे गंभीर रूप से बौने हो जाते हैं और पत्तियां विकृत हो जाती हैं। 

  • फूल व फल निर्माण की अवस्था में संक्रमण होने पर इसके कारण फल विकृत हो जाते हैं और इसकी वजह से पैदावार में भारी कमी आती है। 

  • अंत में पत्तियां सूख जाती हैं और पौधा भी मर जाता है। 

रोकथाम के उपाय 

  • इस कीट के नियंत्रण के लिए, एडमायर (इमिडाक्लोप्रिड 70% डब्ल्यूजी) @ 14 ग्राम + सिलिकोमैक्स गोल्ड @ 50 मिली, प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। 

  • 3 दिन बाद, प्रिवेंटल BV @ 100 ग्राम, प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

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नए साल में ठंड तोड़ सकती है सारे रिकॉर्ड, जानें अपने क्षेत्र का मौसम पूर्वानुमान

know the weather forecast,

1 जनवरी से 6 जनवरी के बीच पहाड़ों पर लगातार दो वेस्टर्न डिस्टरबेंस आएंगे। 1 जनवरी की रात से 6 जनवरी तक पहाड़ों पर एक बार फिर बर्फबारी होगी। 3 से 6 जनवरी के बीच भारी बर्फबारी की संभावना है। आधे देश में सर्द हवाएं चलेंगी जिससे तापमान बहुत तेजी से गिरेंगे और कड़ाके की सर्दी पड़ेगी। तमिलनाडु के कई जिलों में बारिश की संभावना है। 2 जनवरी से उत्तर भारत में वेस्टर्न डिस्टरबेंस के प्रभाव से न्यूनतम तापमान में हल्की वृद्धि हो सकती है।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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मटर की फसल में फली छेदक इल्ली के क्षति के लक्षण एवं नियंत्रण के उपाय!

Symptoms and control measures of pod borer caterpillars in pea crops

फल छेदक इल्ली के क्षति के लक्षण: प्रारंभिक अवस्था में ये पत्तियों को खाते हैं। फूल एवं फली की अवस्था में गंभीर रूप से विकासशील फली में छेद करते हैं और बीजों को खाते हैं। इसकी इल्ली सिर को आमतौर पर फली के अंदर और शरीर के अधिकांश हिस्से को बाहर की ओर रखती है।

नियंत्रण के उपाय: इस कीट के नियंत्रण के लिए, तुस्क (मैलाथियान 50.00% ईसी) @ 600 मिली + सिलिकोमैक्स गोल्ड @ 50 मिली, प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

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आलू की फसल में पछेती झुलसा के लक्षण एवं नियंत्रण के उपाय!

Symptoms and control measures of late blight in potato crops

क्षति के लक्षण: इस रोग से पौधों के पत्ते, तने एवं कंद प्रभावित होते हैं। सबसे पहले रोग के ये लक्षण पत्तियों के सिरों और किनारों पर पानी से लथपथ छोटे-छोटे भूरे धब्बे विकसित होते हैं। इन धब्बों के चारों ओर कवक की एक सफेद कपास जैसी संरचना दिखाई देती है। अनुकूल मौसम की स्थिति में जैसे – कम तापमान, उच्च आर्द्रता में रोग तेजी से फैलता है और पूरी फसल 10-14 दिनों के भीतर नष्ट हो सकती है और झुलसा हुआ रूप ले सकती है।

नियंत्रण के उपाय: इस रोग के नियंत्रण के लिए, नोवाक्रस्ट (एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकनाज़ोल 18.3% एससी) @ 300 मिली या करमानोवा (कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63% डब्ल्यूपी) @ 700 ग्राम + नोवामैक्स (जिब्रेलिक एसिड 0.001 % एल) 300 मिली + सिलिकोमैक्स गोल्ड 50 मिली, प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

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लहसुन की फसल में 50-55 दिन की अवस्था में पोषक तत्व प्रबंधन!

Nutrient management in garlic crops at the 50-55 days old stage

लहसुन की फसल अभी 50-55 दिन की हो रही है, इस अवस्था में अच्छे कंद विकास के लिए, बोरोन 1 किग्रा + कैल्शियम नाइट्रेट 10 किग्रा + एमओपी 20 किग्रा को आपस में मिलाकर एक एकड़ के हिसाब से समान रूप से भुरकाव कर हल्की सिंचाई करें। 

उपयोग के फायदे

बोरोन

  • फफूंद जनित रोगों से प्रतिरोध क्षमता बढ़ाता है। 

  • लहसुन के कंदों में चमक और रंग अच्छा आता है।

कैल्शियम नाइट्रेट

  • कंद का आकार बढ़ाता है, एवं बेहतर गुणवत्ता वाली उपज प्राप्त होती है।

  • लहसुन के कंद ठोस बनते हैं जिनसे इनकी भंडारण क्षमता बढ़ती हैं। 

पोटैशियम 

  • पोटैशियम पौधे में संश्लेषित शर्करा को पौधे के सभी भागो तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पोटैशियम प्राकृतिक नत्रजन की कार्य क्षमता को बढ़ावा देता है। पौधों में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ता है। पोटैशियम से उपज बढ़ती हैं। 

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अगले कुछ दिनों में ज्यादातर राज्यों में बारिश के आसार, देखें मौसम पूर्वानुमान

know the weather forecast,

गुजरात के कुछ भागों सहित राजस्थान के कई जिलों में बादल छा चुके हैं। 27 दिसंबर से बारिश की गतिविधियां पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, और महाराष्ट्र के कई जिलों में दिखाई देंगे। 28 दिसंबर को बारिश की गतिविधियां पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ में भी पहुंचेंगे। दक्षिण भारत में भी बारिश जारी रहेगी। अगले दो दिनों के दौरान पहाड़ों पर एक बार फिर भारी बर्फबारी की संभावना है।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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भिंडी की भरपूर उपज के लिए ऐसे करें खेत को तैयार और पोषण प्रबंधन!

Watermelon and Muskmelon field preparation
  • भिंडी की फसल के लिए भुरभुरी, अच्छी जल निकासी वाली रेतीली दोमट मिट्टी जिसका पीएच रेंज 6.0-6.8 तक हो सबसे उपयुक्त होती है। 

  • कार्बनिक पदार्थों से भरपूर भूमि में बीज का अंकुरण एवं जड़ों का विकास अच्छा होता है। 

  • पिछली फसल की कटाई के बाद एक जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें। 

  • इसके बाद, गोबर की खाद 8 से 10 टन + स्पीड कम्पोस्ट 4 किग्रा + कॉम्बैट (ट्राईकोडर्मा विरिडी 1.0 % डब्ल्यूपी) @ 2 किलोग्राम, प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में समान रूप से भुरकाव करें।

  • इसके बाद 2-3 जुताई हैरो की सहायता से करें। अगर मिट्टी में नमी कम हो तो पहले पलेवा करें, फिर खेत की तैयारी करें और आखिर में पाटा चलाकर खेत समतल बना लें।

  • खेत तैयार होने के बाद, बीज की बुवाई सिफारिश की गयी दूरी पर ही करें।

  • पौध से पौध एवं कतार से कतार की दूरी 30 x 30 सेमी रखें। एक एकड़ क्षेत्र के लिए 1.5-2.2 किग्रा बीज, पर्याप्त होता है।

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आज से मध्य प्रदेश, राजस्थान समेत कई राज्यों में होगी बारिश, देखें मौसम पूर्वानुमान

know the weather forecast,

पहाड़ों पर नया वेस्टर्न डिस्टरबेंस आ रहा है। कल 27 दिसंबर से पहाड़ों पर बर्फबारी शुरू हो जाएगी। आज पूर्वी गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश तथा महाराष्ट्र में बारिश शुरू होने की संभावना है। कल 27 दिसंबर से दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, और उत्तर प्रदेश में भी बारिश शुरू होने के आसार हैं। बिहार, झारखंड, और छत्तीसगढ़ तक भी बारिश पहुंचेगी। दक्षिण भारत में बारिश की गतिविधियां जारी रहेगी।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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प्याज की 40-45 दिन की फसल अवस्था में कंद निर्माण के लिए पोषक तत्व प्रबंधन!

Nutrient management required for bulb formation at the 40-45 day old stage of onion crop

प्याज की फसल में रोपाई के 40-45 दिन बाद, कंद निर्माण होना प्रारम्भ हो जाता है। इस अवस्था में, यूरिया 30 किग्रा + कैल्शियम नाइट्रेट 10 किग्रा + मैगनेशियम सल्फेट 10 किग्रा को आपस में मिलाकर एक एकड़ क्षेत्र में, सामान रूप से भुरकाव कर हल्की सिंचाई करें।

यूरिया: यह नाइट्रोज़न की पूर्ति का सबसे बड़ा स्रोत है। इसके उपयोग से, पत्तियों में पीलापन एवं सूखने की समस्या नहीं आती है। यूरिया प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को तेज़ करता है।

कैल्शियम नाइट्रेट: इसमें 15.5% नाइट्रोजन और 18.5% कैल्शियम होता है। कैल्शियम के अलावा, इससे फसलों को नाइट्रोजन की भी पूर्ती होती है। पौधों की वृद्धि के लिए कैल्शियम एक महत्वपूर्ण द्वितीयक पोषक तत्व है। कैल्शियम नाइट्रेट फसलों के लिए कैल्शियम का एक उत्कृष्ट स्रोत है। यह फसलों में उपज की गुणवत्ता और लंबी शेल्फ लाइफ को बढ़ाता है। यह पौधों में कंदो के विकास में मदद करता है। 

मैग्नीशियम सल्फेट: इसमें 9.5% मैग्नीशियम और 12% सल्फर होता है। मैग्नीशियम के साथ यह फसलों को सल्फर भी उपलब्ध करवाता है जिससे फसल की गुणवत्ता के साथ-साथ उत्पादन भी बेहतर मिलता है। यह एंजाइम एवं कार्बोहाइड्रेट के परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पौधों में क्लोरोफिल के संश्लेषण में मदद करता है और फास्फोरस ग्रहण और अवशोषण में भी सुधार करता है।

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मध्य प्रदेश की प्रमुख मंडियों में गेहूँ भाव में दिखी कितनी तेजी

wheat mandi bhaw,

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों में क्या चल रहे हैं गेहूँ के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

मध्य प्रदेश की मंडियों में गेहूँ के ताजा मंडी भाव
जिला कृषि उपज मंडी किस्म न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल) अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)
आलीराजपुर आलीराजपुर गेहूँ 2500 2501
बड़वानी अंजड़ गेहूँ 2700 2700
बड़वानी अंजद (एफ एंड वी) गेहूँ 2700 2700
अनुपुर अनुपपुर गेहूँ 2600 2600
छतरपुर बड़ामलहेड़ा मिल गुणवत्ता 2500 2500
रायसेन बरेली गेहूँ 2600 2600
रायसेन बेगमगंज गेहूँ 2605 2705
शाहडोल ब्यौहारी मिल गुणवत्ता 2650 2650
बेतुल बेतुल मिल गुणवत्ता 2702 2730
बेतुल बेतुल गेहूँ 2700 2701
बेतुल बेतुल गेहूँ-जैविक 2696 2696
खरगोन भीकनगांव गेहूँ 2830 3187
भिंड भिंड मिल गुणवत्ता 2250 2605
राजगढ़ ब्यावरा मिल गुणवत्ता 2880 2950
राजगढ़ ब्यावरा गेहूँ 2860 3015
मंडला बिछिया मिल गुणवत्ता 2200 2600
रीवा चाकघाट मिल गुणवत्ता 2450 2835
छिंदवाड़ा चौरई मिल गुणवत्ता 2861 2885
सागर देवरी मिल गुणवत्ता 2800 2800
पन्ना देवेन्द्रनगर गेहूँ 2700 2700
धार धार लोकवन 2600 2700
धार धार गेहूँ 2850 2875
डिंडोरी डिंडोरी गेहूँ 2400 2450
इंदौर गौतमपुरा मिल गुणवत्ता 2700 2700
इंदौर गौतमपुरा गेहूँ 2421 2500
इंदौर गौतमपुरा गेहूं का मिश्रण 2600 2850
रीवा हनुमना मिल गुणवत्ता 2600 2600
छतरपुर हरपालपुर गेहूँ 2810 2810
इंदौर इंदौर गेहूँ 2800 2800
जबलपुर जबलपुर गेहूँ 2500 2600
टीकमगढ़ जतारा मिल गुणवत्ता 2850 2850
टीकमगढ़ जतारा गेहूँ 2600 2640
बालाघाट कटंगी गेहूँ 2850 2925
कटनी कटनी मिल गुणवत्ता 2780 2791
कटनी कटनी गेहूँ 2800 2800
टीकमगढ़ खरगापुर मिल गुणवत्ता 2620 2700
धार कुक्षी गेहूँ 2400 2800
भिंड लहार मिल गुणवत्ता 2800 2878
ग्वालियर लश्कर गेहूँ 2875 2905
छतरपुर लवकुशनगर(लौंदी) मिल गुणवत्ता 2655 2800
देवास लोहारदा गेहूँ 2800 2863
धार मनावर गेहूँ 2800 2800
मंडला मंडला मिल गुणवत्ता 2700 2710
सतना मेहर स्थानीय 2600 2725
सतना नागोद मिल गुणवत्ता 2500 2620
शाजापुर नलकेहड़ा मिल गुणवत्ता 2841 2841
शाजापुर नलकेहड़ा गेहूँ 2815 2815
टीकमगढ़ निवाड़ी मिल गुणवत्ता 2825 2900
सिवनी पलारी गेहूँ 2750 2800
टीकमगढ़ पृथ्वीपुर मिल गुणवत्ता 2750 2800
सतना रामनगर मिल गुणवत्ता 2800 2800
रीवा रीवा गेहूँ 2800 2800
सागर सागर गेहूँ 2580 2605
खरगोन सनावद गेहूँ 2800 2800
इंदौर सांवेर गेहूँ 2690 2710
राजगढ़ सारंगपुर गेहूँ 3021 3021
सतना सतना गेहूँ 2400 2850
बड़वानी सेंधवा गेहूँ 2900 2900
सिवनी सिवनी मिल गुणवत्ता 2600 2620
सिवनी सिवनी गेहूँ 2785 2800
सागर शाहगढ़ मिल गुणवत्ता 2750 2800
शाहडोल शाहडोल मिल गुणवत्ता 2500 2500
सीधी सीधी मिल गुणवत्ता 2480 2509
मन्दसौर सुवासरा गेहूँ 2500 2605
झाबुआ थांदला मिल गुणवत्ता 2500 2500
झाबुआ थांदला गेहूँ 2700 2700
उज्जैन उज्जैन मिल गुणवत्ता 2500 2501
उमरिया उमरिया स्थानीय 2800 2800
उमरिया उमरिया मिल गुणवत्ता 2400 2500
उमरिया उमरिया गेहूँ 2500 2815

स्रोत: एगमार्कनेट

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