निमेटोड आपकी फसल को पहुंचाएगा नुकसान, जानें बचाव के उपाय

  • निमेटोड यानी सूत्रकृमि पतले धागे के समान होते है। इनका शरीर लंबा बेलनाकार व पूरा शरीर बिना खंडों का होता है। फसल के लिए यह परजीवी की तरह होता है, जो मिट्टी या पौधे की उतकों में रहते हैं और जड़ों पर आक्रमण करते हैं। किसान इसकी पहचान आसानी से नहीं कर पाते।

  • निमेटोड से ग्रसित पौधों की जड़ों में गांठे पाई जाती है, जो इनकी मुख्य पहचान है। इनके प्रकोप के कारण रोगग्रस्त पौधों की पत्तियां पीली पड़ जाती है। पौधा मुरझा जाता है और बौना रह जाता है। जड़ें सीधी न होकर, आपस मे गुच्छा बना लेती हैं। पौधों में फूल व फल देरी से लगते हैं और झड़ते भी हैं। फलों का आकार छोटा हो जाता है व इसकी गुणवत्ता कम हो जाती है।

  • इस कीट के नियंत्रण के लिए जैविक उपचार ही सबसे अच्छा समाधान है। इसके लिए मिट्टी उपचार करना सबसे अच्छा उपाय है।

  • रासायनिक उपचार के रूप में कारबोफुरान 3% GR @ 10 किलो/एकड़ या कारटॉप हाइड्रोक्लोराइड 4% G@ 7.5 किलो/एकड़ की दर से मिट्टी उपचार करें।

  • फसल की बुवाई के पूर्व 50-100 किलो FYM में पेसिलोमायसीस लिनेसियस (नेमेटोफ्री) @ 1 किलो/एकड़ की दर से मिलाकर खाली खेत में भुरकाव करें।

  • जब भी इस उत्पाद का उपयोग करें, इस बात का ध्यान रखें की खेत में पर्याप्त नमी हों।

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