प्याज की नर्सरी में 20 दिनों की अवस्था में जरूर करें ये छिड़काव

Do this spraying in onion nursery at 20 days stage
  • प्याज की नर्सरी में बीजों की बुवाई के बीस दिनों के अंदर छिड़काव प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है।

  • यह छिड़काव कवक जनित बीमारियों एवं कीटों के नियंत्रण के साथ साथ अच्छे विकास के लिए किया जाता है।

  • इस अवस्था में छिड़काव करने से प्याज़ की नर्सरी को अच्छी शुरूआती बढ़वार मिलती है।

  • कवक जनित रोगों से बचाव के लिए (नोवैक्सिल) मैनकोज़ेब 64% + मेटालैक्सिल 8% WP @ 60 ग्राम/पंप की दर छिड़काव करें।

  • कीटों के प्रबंधन के लिए (नोवालिस) फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG @ 5 ग्राम/पंप की दर से छिड़काव करें।

  • इसके अलावा पौधों के तेज बढ़वार के लिए (नोवामैक्स) जिब्रेलिक एसिड 0.001% @ 75 एमएल/एसीआरई के हिसाब से छिड़काव करें।

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बंगाल की खाड़ी में बनेगा समुद्री तूफान, उड़ीसा पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में होगी भारी बारिश

know the weather forecast,

एक समुद्री तूफान बंगाल की खाड़ी में बनने की संभावना नजर आ रही है जिसका असर उड़ीसा और पश्चिम बंगाल के तट पर दिखाई देगा। कई जिलों में भारी से अति भारी बारिश हो सकती है। तेज हवा और तेज बारिश से जान माल का खतरा भी बना हुआ है। पहाड़ों सहित पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश से झारखंड तथा मध्य प्रदेश और गुजरात के साथ-साथ राजस्थान का मौसम लगभग शुष्क बना रहेगा।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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सरसों की फसल में सिंचाई से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां

Critical stages of irrigation in mustard crop
  • सरसों 110-120 दिन की अवधि वाली फसल है, इसमें पहली सिंचाई फूल आने के समय अर्थात बुआई के लगभग 30 दिन बाद करनी चाहिए।

  • इसमें दूसरी सिंचाई फली बनने के समय अथवा बुआई के लगभग 60-65 दिन बाद करनी चाहिए।

  • जब सरसों को मिश्रित फसल के रूप में उगाया जाता है तो इसकी सिंचाई मुख्य फसल के रूप में की जाती है।

  • कई क्षेत्रों में शुद्ध सरसों की फसल असिंचित फसल के रूप में उगाई जाती है।

  • सरसों की फसल फूल आने और दाने बनने की अवस्था में मिट्टी में नमी की कमी के प्रति बहुत संवेदनशील होती है। इसीलिए इसकी बुआई के 25 दिन बाद एक सिंचाई आवश्यक है।

  • यदि सिंचाई के निर्धारित समय के कुछ दिन पहले वर्षा होती है तो फसल की सिंचाई नहीं करनी चाहिए।

  • सरसों की फसल वाले खेतों में जल निकास की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए।

  • सरसों का पौधा जल जमाव की स्थिति के प्रति बहुत संवेदनशील होता है।

  • जब केवल एक सिंचाई उपलब्ध हो तो बुआई के 30 से 35 दिन बाद हीं सिंचाई करनी चाहिए।

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कई राज्यों में होगी मूसलाधार बारिश, पहाड़ों पर आएगा नया वेस्टर्न डिस्टरबेंस

know the weather forecast,

बंगाल की खाड़ी में जल्द ही डिप्रेशन बनने वाला है जो उत्तर पश्चिम दिशा में आगे बढ़कर तूफान का रूप ले सकता है। दक्षिणी गुजरात, दक्षिणी मध्य प्रदेश सहित दक्षिणी छत्तीसगढ़ और दक्षिणी उड़ीसा में बारिश जारी रहेगी। महाराष्ट्र, तेलंगना, कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के कई जिलों में तेज बारिश के आसार हैं। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में भारी से अति भारी बारिश हो सकती है। 25 अक्टूबर के आसपास पहाड़ों पर एक नया वेस्टर्न डिस्टरबेंस आएगा जो ऊंचे पहाड़ों पर बारिश और बर्फबारी दे सकता है। दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश के अधिकांश जिलों सहित उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल का मौसम शुष्क बना रहेगा।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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कृषि मशीनरी की खरीद पर इस राज्य के किसानों को मिलेगी 80% तक की सब्सिडी

Agricultural Mechanization Scheme

केंद्र एवं अलग अलग राज्य किसानों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से कई प्रकार की सरकारी योजनाएं चलाते हैं। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों के लिए एक बेहतरीन योजना शुरू की है। इसके तहत एग्रीकल्चर मशीनरी की खरीद पर सब्सिडी उपलब्ध कराई जा रही है। किसान इसका लाभ कृषि यंत्रीकरण योजना के तहत उठा सकते हैं, जिसमें कृषि रक्षा उपकरण, कस्टम हायरिंग सेंटर, हाईटेक हब, थ्रेशिंग फ्लोर, छोटे गोदाम और अन्य कृषि यंत्रों पर सब्सिडी उपलब्ध करवाई जायेगी।

इस योजना का लाभ उन किसानों को मिलेगा जिनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो और जिनके पास पहले से कोई कृषि उपकरण न हो। योजना के तहत किसान अधिकतम 2 कृषि यंत्रों के लिए सब्सिडी प्राप्त कर सकते हैं। हालांकि, ट्रैक्टर माउंटेड स्पेयर के अलावा किसी अन्य यंत्र पर सब्सिडी नहीं दी जाएगी। किसान 23 अक्टूबर, 2024 से पहले इस योजना का लाभ ले सकते हैं।

सभी कृषि यंत्रों पर अधिकतम 50% तक की सब्सिडी मिलेगी। कस्टम हायरिंग सेंटर और हाईटेक हब के लिए 40% और फार्म मशीनरी बैंक के लिए अधिकतम 80% तक की सब्सिडी दी जाएगी। किसानों को कृषि यंत्रों का लाभ ई-लॉटरी के माध्यम से मिलेगा। ई-लॉटरी की जानकारी जैसे समय, तारीख और स्थान की सूचना जनपदीय उप कृषि निदेशक द्वारा दी जाएगी।

अगर आप भी इस योजना का लाभ उठाना चाहते हैं, तो आपको उत्तर प्रदेश कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना होगा।

स्रोत: कृषि जागरण

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क्या चल रहे हैं सोयाबीन के भाव, देखें मध्य प्रदेश के मंडियों का हाल

soybean mandi Bhaw,

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों में क्या चल रहे हैं सोयाबीन के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

मध्य प्रदेश की मंडियों में सोयाबीन के ताजा मंडी भाव
जिला कृषि उपज मंडी किस्म न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल) अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)
शाजापुर आगर सोयाबीन 3800 3900
छतरपुर बड़ामलहेड़ा सोयाबीन 3900 4000
शिवपुरी बदरवास सोयाबीन 4240 4240
धार बदनावर सोयाबीन 4024 4549
धार बदनावर पीला 4100 4100
शाजापुर बड़ोद सोयाबीन 3800 4000
खरगोन बड़वाह सोयाबीन 2300 4411
सागर बाँदा सोयाबीन 3850 3850
शाजापुर बेरछा सोयाबीन 3700 4300
खरगोन भीकनगांव पीला 3900 3975
राजगढ़ ब्यावरा सोयाबीन 2300 4550
छतरपुर बिजावर पीला 4900 4910
दमोह दमोह सोयाबीन 7500 7500
दमोह दमोह पीला 3870 3950
देवास देवास सोयाबीन 3200 4300
धार धामनोद सोयाबीन 2505 4265
धार धामनोद पीला 3195 4280
धार धार सोयाबीन 3950 4400
इंदौर गौतमपुरा सोयाबीन 4100 4750
इंदौर गौतमपुरा पीला 4100 4100
हरदा हरदा सोयाबीन 3950 4275
आलीराजपुर जोबट सोयाबीन 4000 4501
देवास कन्नोड सोयाबीन 3950 4000
खंडवा खंडवा सोयाबीन 3650 3750
खरगोन खरगोन सोयाबीन 2600 4318
देवास खातेगांव सोयाबीन 3250 3350
हरदा खिरकिया पीला 4400 4400
धार कुक्षी सोयाबीन 3750 4100
उज्जैन महिदपुर सोयाबीन 4000 4300
खंडवा मुंडी सोयाबीन 3820 4195
शाजापुर नलकेहड़ा सोयाबीन 3450 4550
शाजापुर नलकेहड़ा पीला 700 4541
राजगढ़ नरसिंहगढ़ सोयाबीन 4125 4250
नरसिंहपुर नरसिंहपुर पीला 4200 4200
टीकमगढ़ निवाड़ी सोयाबीन 3945 3945
राजगढ़ पचौर सोयाबीन 4250 4250
झाबुआ पेटलावद सोयाबीन 3900 4040
सागर राहतगढ़ सोयाबीन 4000 4150
धार राजगढ़ पीला 3850 4000
सागर सागर सोयाबीन 4000 4100
रतलाम सैलाना सोयाबीन 4180 4180
राजगढ़ सारंगपुर पीला 3990 4005
सीहोर सीहोर पीला 3302 4352
बड़वानी सेंधवा सोयाबीन 3600 3610
सागर शाहगढ़ सोयाबीन 4000 4260
शाहडोल शाहडोल सोयाबीन 4000 4000
शाजापुर शाजापुर सोयाबीन 4050 4100
शिवपुरी शिवपुरी सोयाबीन 4180 4290
उज्जैन तराना पीला 4200 4310
नरसिंहपुर तेंदूखेड़ा सोयाबीन 3600 4000
टीकमगढ़ टीकमगढ़ पीला 4400 4400
उज्जैन उज्जैन सोयाबीन 3000 3800
उज्जैन उज्जैन पीला 2500 4151

स्रोत: एगमार्कनेट

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सरसों के किसान ऐसे करें खेत की तैयारी, इन बातों का रखें ध्यान

How to prepare the field for soybean sowing
  • सरसों की खेती दोमट या बलुई मिट्टी वाली भूमि जिसमें जल निकास की व्यवस्था अच्छी सबसे बेहतर मानी जाती है। अगर पानी के निकास का उचित व्यवस्था न हो तो प्रत्येक वर्ष फसल लेने से पहले ढेचा को हरी खाद के रूप में उगाना चाहिए।

  • अच्छी पैदावार के लिए जमीन का पी.एच.मान 7.0 होना चाहिए। ज्यादा अम्लीय एवं क्षारीय मिट्टी इसकी खेती के लिए उपयुक्त नहीं होती है।

  • बारानी क्षेत्र सरसों के बीजों की दर 5-6 कि.ग्रा/हैक्टेयर और सिंचित क्षेत्र में 4.5-5 कि.ग्रा/हैक्टेयर तक रखनी चाहिए।

  • सिंचित क्षेत्रों में खरीफ फसल की कटाई के बाद पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से और उसके बाद तीन-चार जुताईयाँ तवेदार हल से करनी चाहिए।

  • सिंचित क्षेत्र में जुताई करने के बाद खेत में पाटा लगाना चाहिए जिससे खेत में ढेले न बनें। गर्मी में गहरी जुताई करने से कीड़े मकौड़े व खरपतवार नष्ट हो जाते हैं।

  • अगर बोनी से पहले भूमि में नमी की कमी है तो खेत में पलेवा करना चाहिए। बोने से पूर्व खेत खरपतवार रहित कर लेना चाहिए।

  • बारानी क्षेत्रों में प्रत्येक बरसात के बाद तवेदार हल से जुताई कर नमी को संरक्षित करने के लिए पाटा लगाना चाहिए जिससे कि भूमि में नमी बनी रहे।

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आने वाले 10 दिन कैसा रहेगा मौसम, कहां होगी बारिश और कहाँ बढ़ेगी सर्दी?

know the weather forecast

आने वाले 10 दिनों में मौसम में कई बदलाव देखने को मिल सकते हैं। उत्तर भारत में सर्दी धीरे-धीरे बढ़ेगी, खासकर 24 और 25 अक्टूबर को पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी की संभावना है, जिससे ठंड बढ़ेगी। दक्षिण गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिणी प्रायद्वीप में बारिश जारी रहेगी। वहीं, एक निम्न दबाव का क्षेत्र अरब सागर में बनने की संभावना है, जो ओमान और यमन की ओर बढ़ सकता है। इसके साथ ही ओडिशा तट की ओर बढ़ने वाले चक्रवातीय हवाओं से भी कुछ इलाकों में बारिश हो सकती है।

स्रोत: किसान तक

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आलू के रोपण की तीन प्रमुख विधियों की जानकारी

Information about three main methods of planting potatoes

भारत में आम तौर पर किसान आलू की रोपाई तीन तरीके से करते हैं। आज के इस लेख में आइये जानतें हैं इन्हीं तीन तरीकों की जानकारी।

  • मेड़ों पर आलू की रोपाई: इस विधि में खेत की तैयारी के बाद थोड़ी-थोड़ी दूरी पर मेढ़े बनाई जाती हैं। कुदाल की सहायता से 45-60 सेमी आलू की रोपाई मेढ़ों पर खुरपी की सहायता से की जाती है।

  • समतल विधि: इस विधि में आलू की रोपाई समतल सतह पर उथली खाँचों में की जाती है। अंकुरण के बाद जब पौधे 10-12 सेमी ऊंचाई के हो जाते हैं तो मेड़ें बनाई जाती हैं। यह विधि हल्की मिट्टी के लिए उपयुक्त मानी जाती है। बाद में, मेड़ों को मोटा करने के लिए दो से तीन अर्थिंग यानी मिट्टी चढाने की प्रक्रिया की जाती है।

  • मेड़ों के बाद समतल सतह पर आलू बोना: इस विधि में खेत तैयार किया जाता है और फिर समतल सतह पर उथले खांचे खोले जाते हैं। इसमें आलू कूड़ों में बोये जाते हैं तथा कंद लगाने के तुरंत बाद छोटी-छोटी मेढ़े बना देते हैं। बाद में इन मेढ़ों को किनारे की मिट्टी पर और मिट्टी डालकर मोटा बना दिया जाता है।

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आलू के किसान बीज चयन करते समय जरूर रखें इन बातों का ध्यान

Potato farmers must keep these things in mind while selecting seeds
  • आलू की खेती के लिए किसान अधिक उपज देने वाली, कीटों से मुक्त, स्वस्थ एवं शुद्ध बीजों का हीं चयन करें। अच्छी पैदावार के लिए प्रमाणित बीज का उपयोग बेहद जरूरी है।

  • हर 3-4 साल में बीज भंडार को बदलने की भी सलाह दी जाती है क्योंकि ऐसा ना करने से किस्में ख़राब हो जाती हैं और परिणाम स्वरूप पैदावार कम मिलती है।

  • रोपण के लिए स्वस्थ, मध्यम या छोटे आकार के अंकुरित कंदों का चयन करना चाहिए।

  • आदर्श रोपण के लिए कंद का आकार लगभग 2.5 सेमी व्यास और 25-40 ग्राम वज़न होना चीहिए।

  • बड़े आकार के कंदों को काटा जा सकता है। प्रत्येक टुकड़े में 2-3 आँखों के आकार के लंबे टुकड़े होने चाहिए।

  • पिछले वर्ष की फसल का बीज होना चाहिए, बीज दर लगभग 1.5 से 2.5 टन प्रति हेक्टेयर।

  • मुख्य फसल के लिए कटे हुए कंद लगाए जा सकते हैं। कंदों को काटते समय सावधानी बरतनी चाहिए।

  • प्रत्येक टुकड़े में दो से तीन आंखें और वजन कम से कम 25 ग्राम होनी चाहिए। यदि कोई रोगग्रस्त कंद दिखाई दे, तो उससे हटा देना चाहिए।

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