सब्सिडी पर सिर्फ 35 हजार में मिलेंगे मिनी ट्रैक्टर व कृषि उपकरण

Mini tractors and agricultural equipment will be available on subsidy for only Rs 35000

खेती में उपयोग आने वाले ट्रैक्टर बहुत मंहगे होते हैं और इसके खरीदना साधारण किसानों के बस में नहीं होता है। इसीलिए सरकार की तरफ से ट्रैक्टर पर भारी सब्सिडी उपलब्ध करवाई जाती है। सरकार की ऐसी ही एक सब्सिडी योजना के माध्यम से किसान खेती को आसान बनाने के लिए सिर्फ 35 हजार रुपये में मिनी ट्रैक्टर व अन्य कृषि उपकरणों को खरीद पाएंगे।

सरकार द्वारा शुरू की गई इस योजना के अंतर्गत आर्थिक रूप से कमजोर किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी। उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही इस योजना को शुरू किया जा सकता है। बता दें की इसका लाभ लेने के लिए किसानों को ऑनलाइन आवेदन करने के लिए कहा जाएगा।

यह योजना महाराष्ट्र सरकार ने अपने प्रदेश के छोटे किसानों को ट्रैक्टर का मालिक बनाने के लिए शुरू की है। इस योजना से छोटी खेती करने वाले किसानों को ट्रैक्टर व अन्य कृषि उपकरण पर 90% तक की भारी सब्सिडी मिलेगी। इसका अर्थ हुआ की ट्रैक्टर या अन्य कृषि उपकरण खरीदने के लिए किसानों को सिर्फ 35 हजार रुपये ही खर्च करने होंगे। बाकि की रकम महाराष्ट्र सरकार देगी। सरकार इस मिनी ट्रैक्टर योजना के जरिये किसानों की आर्थिक ताकत देना चाहती है। योजना में आवेदन करने के लिए https://mini.mahasamajkalyan.in वेबसाइट पर जाएँ वहीं योजना से जुड़ी अन्य जानकारियों के लिए आप https://sjsa.maharashtra.gov.in/mr पर जरूर विजिट करें।

स्रोत: कृषि जागरण

कृषि एवं किसानों से सम्बंधित लाभकारी सरकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें। इस लेख को नीचे दिए शेयर बटन से अपने मित्रों के साथ साझा करना ना भूलें।

Share

मध्य प्रदेश के मंडियों में क्या चल रहे हैं सरसों के भाव?

Mustard mandi bhaw

सरसों के मंडी भाव में तेजी देखने को मिल रही है। देखिये मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों में क्या चल रहे हैं सरसों के भाव!

मध्य प्रदेश की मंडियों में सरसों के ताजा मंडी भाव
जिला कृषि उपज मंडी किस्म न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल) अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)
शाजापुर आगर सरसों 4065 4985
पन्ना अजयगढ़ सरसों (काला) 4800 4820
गुना एरन सरसों 4305 5000
अशोकनगर अशोकनगर सरसों 4111 5151
अशोकनगर अशोकनगर अन्य 4770 4800
सीहोर आष्टा सरसों (काला) 4200 5952
सीहोर आष्टा सरसों 4500 5970
शिवपुरी बदरवास सरसों 4005 5115
सागर बामोरा सरसों 4601 5660
होशंगाबाद बानापुरा सरसों 5300 7172
शिवपुरी बराड़ सरसों 4400 5375
भोपाल बैरसिया पीला (काला) 4715 4800
भोपाल बैरसिया सरसों 4400 4860
बेतुल बेतुल सरसों 4500 4500
भोपाल भोपाल सरसों 4600 4600
भोपाल भोपाल सरसों-जैविक 4495 4611
राजगढ़ ब्यावरा सरसों 4650 4650
मंडला बिछिया सरसों 4700 5000
छतरपुर बिजावर सरसों (काला) 4690 4730
छतरपुर बिजावर सरसों 4155 4251
सागर बीना सरसों 5290 5290
गुना बीनागंज सरसों 4200 4910
अशोकनगर चंदेरी सरसों 4155 5175
छतरपुर छतरपुर सरसों (काला) 4600 4820
छतरपुर छतरपुर सरसों 4680 4800
छिंदवाड़ा छिंदवाड़ा सरसों 4600 4600
ग्वालियर डबरा सरसों 4900 5100
मन्दसौर दलौदा सरसों 4600 4810
दमोह दमोह सरसों 4200 5250
दतिया दतिया सरसों 4500 5090
सागर देवरी सरसों 5410 5425
देवास देवास सरसों (काला) 4000 4662
देवास देवास सरसों 4151 4672
विदिशा गंज बासौदा सरसों-जैविक 6001 6001
भिंड गोहाद सरसों (काला) 3920 5260
भिंड गोहाद पीला (काला) 4810 5240
भिंड गोहाद सरसों 5140 5140
गुना गुना सरसों 4325 5045
देवास हाटपिपलिया सरसों 4421 4585
रीवा हनुमना सरसों 4700 4700
हरदा हरदा सरसों 4352 5401
खंडवा हरसूद सरसों 5300 5300
सीहोर इछावर सरसों 4300 5750
इंदौर इंदौर सरसों 4600 4600
इंदौर इंदौर सरसों-जैविक 4530 4600
होशंगाबाद इटारसी सरसों 4476 5826
जबलपुर जबलपुर सरसों 4400 5580

स्रोत: एगमार्कनेट

खेती से सम्बंधित जानकारियों और ताजा मंडी भाव जानने के लिए पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। आज की जानकारी पसंद आई हो तो  शेयर जरूर करें।

Share

तरबूज की तुड़ाई के समय बरतें सावधानी, रखें उचित समय का ध्यान

Best time to harvest fruit in watermelon crop
  • तरबूज के फलों को बुआई के 75 से 80 दिन बाद तोड़ना आरम्भ कर देना चाहिए। फलों को यदि दूर के मार्केट में भेजना हो तो तुड़ाई जल्दी करना चाहिए।

  • तुड़ाई का समय हर किस्म के हिसाब से फलों के आकार एवं रंग पर निर्भर करता है। सामान्यता जब परिपक्व फलों पर अंगुलियों से बजाते है तब धप- धप की आवाज आती है साथ ही जब डंडरेल सूखने लगे तभी फल तुड़ाई के लिए योग्य हो जाते हैं।

  • फल का पेंदा जो भूमि में रहता है, यदि यह सफ़ेद से पीला हो जाये तो फल पका हुआ समझा जाता है। फल दबाने पर यदि आसानी से दब जाए, एवं हाथों को दबाते समय ज्यादा ताकत नहीं लगानी पड़े तो फल पका हुआ समझें। 

  • फल की तुड़ाई करते समय ध्यान दें कि फलों को डंठल से अलग करने के लिए तेज चाकू का उपयोग करें। इसके अलावा फलों को ठंडे स्थान पर एकत्रित करके रखना चाहिए।

कृषि क्षेत्र एवं किसानों से सम्बंधित ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें। आज की जानकारी पसंद आई हो तो इसे  शेयर करना ना भूलें।

Share

मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के आसार

know the weather forecast,

उत्तर भारत के बाद अब मध्य भारत और पूर्वी भारत की बारी है जहां बेमौसम बारिश होगी तथा ओले भी गिरेंगे। 16 मार्च से 18 या 19 मार्च के बीच विदर्भ, तेलंगाना, ओडीशा, छत्तीसगढ़, पूर्वी मध्य प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल के कई जिलों में बारिश होगी। 18 और 19 मार्च को दक्षिण पूर्वी उत्तर प्रदेश और दक्षिणी बिहार में भी बारिश की संभावना है।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

मौसम संबंधित पूर्वानुमानों की जानकारियों के लिए रोजाना ग्रामोफ़ोन एप पर जरूर आएं। आज की जानकारी पसंद आई हो तो इसे शेयर जरूर करें।

Share

लहसुन के भाव में तेजी जारी, उच्च भाव पहुंचे 14000 रुपये के पार

garlic Mandi bhaw,

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों में क्या चल रहे हैं लहसुन के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

मध्य प्रदेश की मंडियों में लहसुन के ताजा मंडी भाव
जिला कृषि उपज मंडी किस्म न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल) अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)
धार बदनावर औसत 7100 10600
धार बदनावर लहसुन 2900 10705
धार बदनावर लहसुन-जैविक 5710 5710
भोपाल भोपाल लहसुन 5600 5600
मन्दसौर दलौदा लहसुन 2000 14100
इंदौर इंदौर लहसुन 2000 11230
रतलाम जावरा लहसुन 522 11600
नीमच जावद लहसुन 6411 9501
मन्दसौर मन्दसौर लहसुन 2800 10400
मन्दसौर पिपल्या लहसुन 1000 10011
रतलाम रतलाम लहसुन 7660 9151
रतलाम सैलाना लहसुन 4500 7400
शाजापुर साजापुर देसी 3521 8463
शाजापुर साजापुर लहसुन 5612 7319
मन्दसौर शामगढ़ लहसुन 1601 10560
मन्दसौर सीतामऊ लहसुन 6050 7500

स्रोत: एगमार्कनेट

ताज़ातरीन मंडी भाव व कृषि क्षेत्र की सभी महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए रोजाना पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। आज का लेख पसंद आया हो तो  इसे शेयर करना ना भूलें।

Share

कटाई के बाद फसल अवशेष जलाने से होंगे गंभीर नुकसान

Disadvantages of burning crop residue after harvesting

अधिकतर किसान दूसरी फसल की जल्दी बुआई के करने लिए गेहूँ की कटाई के पश्चात बची हुई पराली को खेत में हीं जलाकर नष्ट कर देते हैं, इसके कारण खेतों में जीवाष्म पदार्थ की मात्रा में सतत कमी आती है, एवं मृदा की ऊपरी सतह कठोर हो जाती है। इससे मृदा की उर्वरा शक्ति नष्ट होने के साथ साथ कार्बन की मात्रा में भी कमी आती है। मृदा की भौतिक संरचना भी प्रभावित होती है, एवं जल धारण क्षमता कम होती है। इससे मृदा की जैव विविधता लगभग समाप्त हो जाती है, और मृदा में जैविक क्रियाओं में कमी आती है। 

फसल अवशेषों को जलाने से केचुओं की संख्या में भी भारी गिरावट देखी जाती है। फसल अवशेषों को जलाने से कार्बन डाइऑक्साइड एवं नाइट्रसऑक्साइड का उत्सर्जन होता है जो वातावरण को प्रदूषित करता है, तथा भूमि में नाइट्रोजन एवं कार्बन का अनुपात प्रभावित होता है।

फसल अवशेषों में आग लगाने से मेड़ों पर लगे पौधे जल जाते हैं, तथा कभी कभी गावों में भी आग लगने की संभावना बढ़ जाती है।

कृषि क्षेत्र एवं किसानों से सम्बंधित ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें। आज की जानकारी पसंद आई हो तो इसे  शेयर करना ना भूलें।

Share

मध्य प्रदेश, विदर्भ और पूर्वी राज्यों में फिर होगी बारिश, देखें मौसम पूर्वानुमान

know the weather forecast,

वेस्टर्न डिस्टरबेंस कमजोर हो गया है तथा आगे बढ़ गया है। आज से पहाड़ों पर बर्फबारी लगभग थम जाएगी। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली तथा उत्तर प्रदेश से भी बारिश की गतिविधियां समाप्त हो जाएगी। 16 मार्च से विदर्भ, छत्तीसगढ़ और पूर्वी मध्य प्रदेश में बारिश शुरू होगी जो 17, 18 और 19 मार्च को पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, झारखंड तथा बिहार के दक्षिणी जिलों सहित दक्षिण पूर्वी उत्तर प्रदेश तक पहुंच सकती है।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

मौसम संबंधित पूर्वानुमानों की जानकारियों के लिए रोजाना ग्रामोफ़ोन एप पर जरूर आएं। आज की जानकारी पसंद आई हो तो इसे शेयर जरूर करें।

Share

ड्रैगन फ्रूट की खेती में उपयोगी कृषि मशीन पर मिल रही 80% की सब्सिडी

80% subsidy is available on agricultural machines useful in dragon fruit cultivation

भारतीय की कुल जनसँख्या में से करीब 70 प्रतिशत से ज्यादा आबादी खेती बाड़ी कर के अपना जीवन यापन करती है। इन किसानों में की सहायता हेतु सरकार की तरफ से कई लाभकारी योजनाएं चलाई जाती हैं जिसमे माध्यम से किसानों को सब्सिडी दी जाती है। इसी कड़ी में ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले किसान को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से सरकार नए कदम उठा रही है।

दरअसल ड्रैगन फ्रूट की खेती में सिंचाई की पूर्ती हेतु स्प्रिंकलर तकनीक का उपयोग किया जाता है। ऐसे में जो किसान इसका उपयोग करना चाहते हैं उन्हें सरकार 80% तक की सब्सिडी दे रही है। गौरतलब है की थाइलैंड, वियतनाम और इज़राइल जैसे देशों में लोकप्रिय ड्रैगन फ्रूट को इन दिनों भारत में भी काफी पसंद किया जा रहा है। भारतीय बाजार में इस फल की कीमत 200 से 250 रूपए है। इस कारण खेती के नज़रिए से भी ड्रैगन फ्रूट काफी प्रचलन में है।

उपयुक्त बताई गई सब्सिडी दरअसल बिहार सरकार उद्यान निदेशालय द्वारा किसानों के लिए शुरू की एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के तहत ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले किसानों को दी जायेगी। इस योजना में सरकार की ओर से प्रति इकाई लागत (₹1.25 लाख/हेक्टेयर) का 40% अनुदान दिया जाएगा। इस हिसाब से ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले किसानों को सब्सिडी के तौर 40% यानी ₹50 हजार मिलेंगे। योजना से सम्बंधित ज्यादा जानकारी के लिए बिहार कृषि विभाग, उद्यान निदेशालय की वेबसाइट horticulture.bihar.gov.in पर जरूर जाएँ।

स्रोत: कृषि जागरण

कृषि एवं किसानों से सम्बंधित लाभकारी सरकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें। इस लेख को नीचे दिए शेयर बटन से अपने मित्रों के साथ साझा करना ना भूलें।

Share

मध्य प्रदेश की मंडियों में सोयाबीन के उच्च भाव 5200 रुपए के पार

soybean mandi Bhaw,

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों में क्या चल रहे हैं सोयाबीन के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

मध्य प्रदेश की मंडियों में सोयाबीन के ताजा मंडी भाव
जिला कृषि उपज मंडी किस्म न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल) अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)
रतलाम अलोट सोयाबीन 4252 4450
शाजापुर आगर सोयाबीन 3710 4627
शाजापुर अकोदिया सोयाबीन 3940 4399
आलीराजपुर आलीराजपुर सोयाबीन 4000 4300
बड़वानी अंजड़ पीला 4200 4300
गुना एरन सोयाबीन 3965 4400
अशोकनगर अशोकनगर सोयाबीन 3470 4419
सीहोर आष्टा पीला 2815 4612
सीहोर आष्टा सोयाबीन 3487 4581
छतरपुर बड़ामलहेड़ा पीला 4060 4400
शिवपुरी बदरवास सोयाबीन 4065 4235
उज्जैन बड़नगर पीला 3600 4569
उज्जैन बड़नगर सोयाबीन 3801 5203
धार बदनावर सोयाबीन 4400 4400
धार बदनावर पीला 3300 4890
बड़वानी बड़वानी पीला 4200 4300
बड़वानी बलवाड़ी सोयाबीन 4300 4300
सागर बामोरा पीला 4150 4420
सागर बामोरा सोयाबीन 4400 4400
होशंगाबाद बानापुरा पीला 2750 4435
भोपाल बैरसिया पीला 2700 4520
भोपाल भोपाल सोयाबीन-जैविक 3211 4445
राजगढ़ ब्यावरा सोयाबीन 4100 4700
छतरपुर बिजावर सोयाबीन 4200 4305
सागर बीना सोयाबीन 4172 4457
बुरहानपुर बुरहानपुर सोयाबीन 4241 4336
राजगढ़ छापीहेड़ा सोयाबीन 4340 4340
छिंदवाड़ा छिंदवाड़ा पीला 4246 4367
मन्दसौर दलौदा सोयाबीन 3701 4652
दमोह दमोह पीला 4000 4000
दमोह दमोह सोयाबीन 3710 4330
देवास देवास सोयाबीन 4448 4448
धार धामनोद पीला 4275 4275
धार धामनोद सोयाबीन 4125 4215
धार धार सोयाबीन 4450 4540
नरसिंहपुर गाडरवाड़ा सोयाबीन 4250 4371
रायसेन गैरतगंज सोयाबीन 4250 4300
विदिशा गंज बासौदा पीला 4425 4425
विदिशा गंज बासौदा सोयाबीन 1610 4531
विदिशा गंज बासौदा सोयाबीन-जैविक 4250 4250
इंदौर गौतमपुरा सोयाबीन 4125 4436
डिंडोरी गोरखपुर पीला 4050 4225
देवास हाटपिपलिया सोयाबीन 3300 4396
हरदा हरदा पीला 1100 4397
हरदा हरदा काला 4111 4271

स्रोत: एगमार्कनेट

ताज़ातरीन मंडी भाव व कृषि क्षेत्र की सभी महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए रोजाना पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। आज का लेख पसंद आया हो तो  शेयर करना ना भूलें।

Share

जानें मूंग की फसल में क्या है राइज़ोबियम कल्चर का महत्व

Importance of rhizobium culture in moong crop

राइजोबियम एक सहजीवी जीवाणु है। जो विशेष कर दलहनी फसलों के जड़ों में पाया जाता है। यह एक विशिष्ट प्रजाति का जीवाणु है जो विशिष्ट पौधे के साथ रहता है जैसे सोयाबीन, मूंगफली, चना, मूंग, उड़द, मटर आदि। विभिन्न फसलों के राइजोबियम जीवाणु भी अलग होते हैं। राइजोबियम जीवाणु मुख्य रूप से सभी तिलहनी और दलहनी फसलों में सहजीवी के रूप में रहकर वायुमंडलीय नाइट्रोज़न को नाइट्रेट में परिवर्तित करके फसलों में नाइट्रोजन की पूर्ति करता है। राइजोबियम जीवाणु मिट्टी में जाने के बाद फसलों की जड़ों में प्रवेश करके छोटी छोटी छोटी गाठें बना लेते हैं। इन गाठों में जीवाणु बहुत अधिक मात्रा में रहता है। यह जीवाणु प्राकृतिक नाइट्रोजन को वायुमंडल से ग्रहण करके पोषक तत्वों में परिवर्तित कर के पौधों को उपलब्ध करवाते हैं। पौधे की जड़ों में अधिक गाठों का होना पौधे को स्वस्थ रखता है। राइजोबियम द्वारा नाइट्रोजन के स्थिरीकरण की प्रक्रिया में, एक अन्य उत्पाद और बनता हैं वह है हाइड्रोजन। राइजोबियम की कुछ विशेष किस्मे इस हाइड्रोज़न का उपयोग नाइट्रोज़न स्थिरीकरण की प्रक्रिया में ही कर लेती हैं। 

राइजोबियम जीवाणु का उपयोग फसलों के लिए दो प्रकार से किया जा सकता है, बीज़ उपचार और मिट्टी उपचार के तौर पर। 

बीज़ उपचार: नाइट्रोज़न स्थिरीकरण जीवाणु की 5 ग्राम मात्रा/किलो बीज़ के हिसाब से लेकर बीजों के ऊपर लेप बनाकर बीज़ उपचार करें एवं बीज़ उपचार किये गये बीजों को तुरंत बुवाई के लिए उपयोग करें। 

मिट्टी उपचार: नाइट्रोज़न स्थिरीकरण जीवाणु की 1 किलो/एकड़ मात्रा लेकर पकी हुई गोबर की खाद या खेत की मिट्टी में मिलाकर बुवाई से पहले खाली खेत में भुरकाव करें। 

कृषि क्षेत्र एवं किसानों से सम्बंधित ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें। आज की जानकारी पसंद आई हो तो इसे शेयर करना ना भूलें।

Share