-
मका हे खरीप हंगामातील मुख्य पीक आहे. परंतु जिथे सिंचनाची साधने आहेत तिथे रब्बी व खरीपाचे लवकर येणारे पीक म्हणून मका पिकाची शेती केली जाते. मका हे कार्बोहाइड्रेटचा उत्तम असा स्त्रोत आहे. हे एक बहुमुखी पीक आहे, मानवी तसेच पशुखाद्याचा देखील एक प्रमुख घटक आहे आणि औद्योगिक क्षेत्रात मका पिकाच्या लागवडीलाही खूप महत्त्वाचे स्थान आहे.
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मका हे पीक तणमुक्त असावे जेणेकरून केवळ मुख्य पिकालाच थेट पोषक द्रव्ये मिळतील आणि पोषक तत्वांची कमतरता होणार नाही. आणि पीकही निरोगी राहील.
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मका पिकाचे अधिक उत्पादन घेण्यासाठी पोषक तत्वांचे व्यवस्थापन हा एक महत्त्वाचा उपाय आहे. यूरिया 35 किग्रॅ सूक्ष्म पोषक तत्व, मिश्रण केलबोर (बोरॉन 4 + कैल्शियम 11 + मैग्नीशियम 1 + पोटेशियम 1.7 + सल्फर 12 %) 5 किग्रॅ प्रती एकर दराने पसरवा.
-
मका पिकामध्ये 40 ते 45 दिवसांच्या अवस्थेमध्ये फुले येण्यास सुरुवात होते. अधिक फुले लागण्यासाठी, होमोब्रासिनोलॉइड 0.04% डब्ल्यू/डब्ल्यू (डबल) 100 मिली प्रती एकर 150 ते 200 लिटर पाण्याच्या दराने फवारणी करावी.
देशातील विविध शहरांमध्ये फळे आणि पिकांच्या किंमती काय आहेत?
देशातील विविध शहरांमध्ये फळे आणि पिकांच्या किंमती काय आहेत? |
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बाजार |
फसल |
कमी किंमत (किलोग्रॅम मध्ये) |
जास्त किंमत (किलोग्रॅम मध्ये) |
लखनऊ |
कांदा |
10 |
11 |
लखनऊ |
कांदा |
12 |
13 |
लखनऊ |
कांदा |
14 |
– |
लखनऊ |
कांदा |
15 |
16 |
लखनऊ |
कांदा |
11 |
– |
लखनऊ |
कांदा |
13 |
– |
लखनऊ |
कांदा |
15 |
– |
लखनऊ |
कांदा |
18 |
– |
लखनऊ |
लसूण |
25 |
– |
लखनऊ |
लसूण |
30 |
– |
लखनऊ |
लसूण |
30 |
38 |
लखनऊ |
लसूण |
45 |
50 |
लखनऊ |
बटाटा |
18 |
19 |
लखनऊ |
आंबा |
30 |
32 |
लखनऊ |
अननस |
25 |
30 |
लखनऊ |
हिरवा नारळ |
40 |
43 |
लखनऊ |
मोसंबी |
28 |
32 |
लखनऊ |
केळी |
15 |
– |
लखनऊ |
हिरवी मिरची |
40 |
45 |
लखनऊ |
लिंबू |
45 |
50 |
रतलाम |
आले |
22 |
24 |
रतलाम |
बटाटा |
21 |
22 |
रतलाम |
टोमॅटो |
22 |
24 |
रतलाम |
हिरवी मिरची |
44 |
50 |
रतलाम |
भोपळा |
15 |
18 |
रतलाम |
भेंडी |
25 |
28 |
रतलाम |
लिंबू |
35 |
42 |
रतलाम |
फुलकोबी |
15 |
16 |
रतलाम |
वांगी |
13 |
16 |
रतलाम |
आंबा |
40 |
45 |
रतलाम |
पपई |
14 |
16 |
रतलाम |
काकडी |
12 |
14 |
रतलाम |
शिमला मिरची |
28 |
30 |
रतलाम |
केळी |
30 |
34 |
रतलाम |
कारली |
32 |
35 |
कोयंबटूर |
कांदा |
13 |
– |
कोयंबटूर |
कांदा |
16 |
– |
कोयंबटूर |
कांदा |
18 |
– |
कोयंबटूर |
बटाटा |
26 |
– |
कोयंबटूर |
लसूण |
25 |
– |
गुवाहाटी |
कांदा |
14 |
– |
गुवाहाटी |
कांदा |
16 |
– |
गुवाहाटी |
कांदा |
18 |
– |
गुवाहाटी |
कांदा |
19 |
– |
गुवाहाटी |
कांदा |
13 |
– |
गुवाहाटी |
कांदा |
17 |
– |
गुवाहाटी |
कांदा |
18 |
– |
गुवाहाटी |
कांदा |
19 |
– |
गुवाहाटी |
कांदा |
15 |
– |
गुवाहाटी |
कांदा |
20 |
– |
गुवाहाटी |
कांदा |
21 |
– |
गुवाहाटी |
कांदा |
22 |
– |
गुवाहाटी |
लसूण |
21 |
25 |
गुवाहाटी |
लसूण |
28 |
35 |
गुवाहाटी |
लसूण |
35 |
40 |
गुवाहाटी |
लसूण |
40 |
42 |
गुवाहाटी |
लसूण |
20 |
25 |
गुवाहाटी |
लसूण |
27 |
35 |
गुवाहाटी |
लसूण |
35 |
40 |
गुवाहाटी |
लसूण |
40 |
42 |
रतलाम |
कांदा |
3 |
6 |
रतलाम |
कांदा |
6 |
9 |
रतलाम |
कांदा |
9 |
12 |
रतलाम |
कांदा |
12 |
14 |
रतलाम |
लसूण |
7 |
12 |
रतलाम |
लसूण |
13 |
19 |
रतलाम |
लसूण |
20 |
28 |
रतलाम |
लसूण |
30 |
34 |
मध्य प्रदेशातील निवडक मंडईंमध्ये कांद्याचा भाव किती आहे ?
मध्य प्रदेशातील इंदौर, इछावर, देवास, मन्दसौर आणि खरगोन इत्यादी विविध मंडईंमध्ये कांद्याची किंमत काय आहे? चला संपूर्ण यादी पाहूया.
विविध मंडईमधील कांद्याचे ताजे बाजारभाव |
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कृषी उत्पादन बाजार |
कमी किंमत (प्रति क्विंटल) |
जास्त किंमत (प्रति क्विंटल) |
बड़वाह |
1000 |
2000 |
ब्यावरा |
300 |
1000 |
देवास |
500 |
1200 |
इछावर |
175 |
905 |
इंदौर |
100 |
1300 |
कालापीपाल |
110 |
1255 |
खरगोन |
500 |
1000 |
खरगोन |
500 |
1500 |
कुक्षी |
500 |
900 |
मन्दसौर |
201 |
1040 |
सनावद |
800 |
1000 |
सांवेर |
600 |
1050 |
शाजापुर |
225 |
1110 |
शामगढ़ |
520 |
820 |
थांदला |
1000 |
1400 |
स्रोत: एगमार्कनेट
Shareमध्य प्रदेशातील निवडक मंडईंमध्ये लसूणच्या भाव किती आहे?
मध्य प्रदेशमधील जसे की पिपलिया, इछावर, सिंगरौल, देवास आणि कालापीपल इत्यादी विविध मंडईंमध्ये लसूणच्या भाव काय चालले आहेत? चला संपूर्ण यादी पाहूया.
विविध मंडईतील लसूणच्या ताजे बाजारभाव |
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कृषी उत्पादन बाजार |
कमी किंमत (प्रति क्विंटल) |
जास्त किंमत (प्रति क्विंटल) |
पिपलिया |
300 |
7500 |
इछावर |
205 |
1165 |
सिंगरौल |
2000 |
2000 |
देवास |
400 |
800 |
कालापीपल |
350 |
3550 |
स्रोत: एगमार्कनेट
Shareशेणानंतर आता गोमूत्रही याच दराने सरकार खरेदी करणार
शेतकरी आणि पशुपालकांचे उत्पन्न वाढविण्याच्या उद्देशाने सरकार अनेक योजना राबवत आहे. याच क्रमामध्ये छत्तीसगड सरकारने गाईच्या शेणानंतर आता गोमूत्र खरेदी करण्याची घोषणा केली आहे. या योजनेअंतर्गत एकीकडे शेतकरी आणि पशुपालकांना अतिरिक्त उत्पन्न मिळणार आहे, तर दुसरीकडे जैविक शेतीसाठी जीवामृत आणि गोमूत्रापासून किटक नियंत्रण उत्पादने तयार करता येतील त्यामुळे शेतीचा खर्च देखील कमी होईल.
या घोषनेनुसार, राज्याचे मुख्यमंत्री एका विशेष कार्यक्रमाद्वारे राज्यातील गौठाणांमध्ये 28 जुलैपासून गोमूत्र खरेदीचे काम सुरू होणार आहे. तर या योजनेअंतर्गत छत्तीसगडमध्ये, गौथान व्यवस्थापन समितीने पशुपालकांकडून गोमूत्र खरेदीसाठी प्रति लिटर किमान रक्कम 4 रुपये निश्चित केली आहे. याचा अर्थ असा आहे की, शेतकऱ्यांना गोमूत्र विक्रीवरती किमान 4 रुपये प्रतिलिटर मिळणार आहेत. ही खरेदीची रक्कमही वाढू शकते, जे की, गोठान समितीवर अवलंबून असेल. मात्र, शेणानंतर गोमूत्र खरेदी करून शेतकरी व पशुपालकांना दुहेरी फायदा होणार आहे.
स्रोत : किसान समाधान
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मिरची पिकामध्ये पाने वक्र होण्याची समस्या आणि त्यावरील उपाय
मिरची पिकामध्ये सर्वात घातक आणि सर्वात हानिकारक रोग म्हणजे पानांचे वक्र होणे, याला वेगवेगळ्या ठिकाणी कुकडा किंवा चुरडा-मुरडा रोग म्हणून देखील ओळखले जाते. हा रोग नसून थ्रिप्स, पांढरी माशी आणि कोळी यांच्या प्रादुर्भावाच्या कारणांमुळे होतो.
पांढरी माशी :
या किटकांचे वैज्ञानिक नाव (बेमेसिया टेबेसाई) हे आहे. या किडीचे शिशु आणि प्रौढ पानांच्या खालच्या पृष्ठभागावर चिकटून रस शोषतात. तपकिरी रंगाचे शिशु अवस्था पूर्ण झाल्यानंतर त्यांचे प्युपामध्ये रूपांतर होते. त्यामुळे झाडे ही पिवळी आणि तेलकट दिसतात आणि त्यावर काळी बुरशी लागते. हे कीटक फक्त रस शोषून पिकाचे नुकसान करत नाहीत. उलट ते झाडांवर चिकट पदार्थ सोडतात, ज्यामुळे बुरशीजन्य रोग होण्याची शक्यता वाढते. त्याच्या प्रादुर्भावात झाडांची पाने कोमेजून मुरतात.
नियंत्रणावरील उपाय :
-
याच्या नियंत्रणासाठी, मेओथ्रिन (फेनप्रोपेथ्रिन 30% ईसी) @ 120 मिली + (सिलिको मैक्स) 50 मिली प्रती एकर 150 ते 200 लिटर पाण्याच्या दराने फवारणी करावी.
-
जैविक नियंत्रणासाठी, (बवे-कर्ब) बवेरिया बेसियाना 500 ग्रॅम/एकर 150 ते 200 लिटर पाण्याच्या दराने फवारणी करावी.
कोळी :
या किटकांचे वैज्ञानिक नाव पॉलीफैगोटार्सोनमस लैटस आहे. हे लहान-लहान जीव आहेत जे पानांच्या खालून रस शोषतात. परिणामी पाने आकुंचन पावतात आणि खाली वळतात.जे सामान्य डोळ्यांनी पाहणे शक्य नसते. जर मीची पिकामध्ये थ्रिप्स आणि कोळीचा एकत्र हल्ला झाला की त्यामुळे पाने विचित्रपणे वळतात. त्याच्या प्रादुर्भावामुळे पीक उत्पादनावर मोठा परिणाम होतो.
नियंत्रणावरील उपाय :
-
फिपनोवा (फिप्रोनिल 5% एससी) 320 मिली किंवा लैमनोवा (लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 4.9% सीएस) 200 मिली + (सिलिको मैक्स) 50 मिली प्रती एकर 150 ते 200 लिटर पाण्याच्या दराने फवारणी करावी.
-
जैविक नियंत्रणासाठी, (बवे-कर्ब) बवेरिया बेसियाना 500 ग्रॅम/एकर 150 ते 200 लिटर पाण्याच्या दराने फवारणी करावी.
-
याशिवाय शेतकरी बांधव प्रादुर्भावाची माहिती देण्यासाठी पिवळा चिकट ट्रैप (येलो स्टिकी ट्रैप) 8 ते 10 प्रती एकर दराने शेतामध्ये लावा. या किडीचा प्रादुर्भाव सूचित करा की, ज्याच्या आधारे शेतकरी बांधव वरील उपायांचा अवलंब करून पीक किडीच्या प्रादुर्भावापासून वाचवू शकतात.
देशातील विविध शहरांमध्ये फळे आणि पिकांच्या किंमती काय आहेत?
देशातील विविध शहरांमध्ये फळे आणि पिकांच्या किंमती काय आहेत? |
|||
बाजार |
फसल |
कमी किंमत (किलोग्रॅम मध्ये) |
जास्त किंमत (किलोग्रॅम मध्ये) |
रतलाम |
आले |
22 |
24 |
रतलाम |
बटाटा |
21 |
22 |
रतलाम |
टोमॅटो |
28 |
32 |
रतलाम |
हिरवी मिरची |
44 |
48 |
रतलाम |
भोपळा |
15 |
18 |
रतलाम |
भेंडी |
25 |
28 |
रतलाम |
लिंबू |
35 |
42 |
रतलाम |
फुलकोबी |
15 |
16 |
रतलाम |
वांगी |
13 |
16 |
रतलाम |
आंबा |
40 |
45 |
रतलाम |
पपई |
14 |
16 |
रतलाम |
काकडी |
12 |
14 |
रतलाम |
शिमला मिरची |
28 |
30 |
रतलाम |
केळी |
30 |
– |
लखनऊ |
कांदा |
10 |
11 |
लखनऊ |
कांदा |
12 |
13 |
लखनऊ |
कांदा |
14 |
– |
लखनऊ |
कांदा |
15 |
16 |
लखनऊ |
कांदा |
10 |
– |
लखनऊ |
कांदा |
12 |
– |
लखनऊ |
कांदा |
15 |
– |
लखनऊ |
कांदा |
17 |
– |
लखनऊ |
लसूण |
25 |
– |
लखनऊ |
लसूण |
30 |
– |
लखनऊ |
लसूण |
30 |
38 |
लखनऊ |
लसूण |
45 |
50 |
लखनऊ |
बटाटा |
17 |
18 |
लखनऊ |
आंबा |
30 |
32 |
लखनऊ |
अननस |
20 |
25 |
लखनऊ |
हिरवा नारळ |
43 |
46 |
लखनऊ |
मोसंबी |
28 |
32 |
लखनऊ |
शिमला मिरची |
50 |
60 |
लखनऊ |
हिरवी मिरची |
40 |
45 |
लखनऊ |
लिंबू |
40 |
45 |
गुवाहाटी |
कांदा |
14 |
– |
गुवाहाटी |
कांदा |
16 |
– |
गुवाहाटी |
कांदा |
18 |
– |
गुवाहाटी |
कांदा |
19 |
– |
गुवाहाटी |
कांदा |
13 |
– |
गुवाहाटी |
कांदा |
17 |
– |
गुवाहाटी |
कांदा |
18 |
– |
गुवाहाटी |
कांदा |
19 |
– |
गुवाहाटी |
कांदा |
15 |
– |
गुवाहाटी |
कांदा |
20 |
– |
गुवाहाटी |
कांदा |
21 |
– |
गुवाहाटी |
कांदा |
22 |
– |
गुवाहाटी |
लसूण |
22 |
27 |
गुवाहाटी |
लसूण |
28 |
35 |
गुवाहाटी |
लसूण |
35 |
40 |
गुवाहाटी |
लसूण |
40 |
42 |
गुवाहाटी |
लसूण |
23 |
26 |
गुवाहाटी |
लसूण |
27 |
35 |
गुवाहाटी |
लसूण |
35 |
40 |
गुवाहाटी |
लसूण |
40 |
42 |
रतलाम |
कांदा |
3 |
6 |
रतलाम |
कांदा |
6 |
9 |
रतलाम |
कांदा |
9 |
12 |
रतलाम |
कांदा |
12 |
14 |
रतलाम |
लसूण |
7 |
12 |
रतलाम |
लसूण |
13 |
22 |
रतलाम |
लसूण |
22 |
32 |
रतलाम |
लसूण |
32 |
43 |
शाजापूर |
कांदा |
3 |
5 |
शाजापूर |
कांदा |
6 |
8 |
शाजापूर |
कांदा |
9 |
13 |
भीषण पावसाची शक्यता आहे, हवामानाचा अंदाज पहा
मान्सून आता मध्य भारतात सक्रिय होणार आहे आणि मध्य प्रदेश, छत्तीसगडसह गुजरात आणि पूर्व राजस्थानमध्ये अनेक भागांत मुसळधार पाऊस पडू शकतो. यासोबतच पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड आणि पश्चिम बंगालमध्ये पावसाचे उपक्रम सुरुच राहतील आणि काही ठिकाणी मुसळधार पाऊस पडण्याची शक्यता आहे. याशिवाय दिल्लीमध्ये हलका पाऊस आणि सरी पडण्याची देखील दाट शक्यता आहे.
स्रोत: स्काइमेट वेदर
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मध्य प्रदेशातील निवडक मंडईंमध्ये सोयाबीनचे भाव किती आहे?
मध्य प्रदेशमधील जसे की रतलाम, खातेगांव, खरगोन, कालापीपल, मनावर आणि मन्दसौर इत्यादी विविध मंडईंमध्ये सोयाबीनचे भाव काय चालले आहेत? चला संपूर्ण यादी पाहूया.
विविध मंडईमधील सोयाबीनचे ताजे बाजारभाव |
||
कृषी उत्पादन बाजार |
कमी किंमत (प्रति क्विंटल) |
जास्त किंमत (प्रति क्विंटल) |
आगर |
2500 |
6008 |
अशोकनगर |
3000 |
6114 |
बड़नगर |
4280 |
6087 |
बदनावर |
4025 |
6450 |
बाणपुरा |
4500 |
5977 |
बैतूल |
5700 |
6001 |
भीकनगांव |
5450 |
6271 |
बीन |
5500 |
6205 |
छिंदवाड़ा |
5300 |
6037 |
गोरखपुर |
5800 |
5800 |
इछावर |
4000 |
6090 |
ईसागढ़ |
5400 |
6100 |
इटारसी |
4500 |
5750 |
झाबुआ |
5650 |
5700 |
जोबात |
5900 |
5900 |
कालापीपाल |
4420 |
6250 |
खाचरोडी |
5451 |
5981 |
खंडवा |
4000 |
6080 |
खरगोन |
5736 |
6159 |
खातेगांव |
3120 |
6161 |
खातेगांव |
3400 |
6195 |
खिरकिया |
4000 |
6065 |
कोलारास |
4400 |
5985 |
लटेरी |
5855 |
5855 |
मक्सी |
4500 |
6200 |
मनावर |
6140 |
6245 |
मन्दसौर |
4700 |
6051 |
महू |
3400 |
3400 |
मोमान बडोडिया |
5900 |
6050 |
नागदा |
5426 |
6026 |
नसरुल्लागंज |
5500 |
5980 |
पचौरी |
5550 |
6040 |
पथरिया |
5175 |
6150 |
पिपल्या |
3000 |
6100 |
रतलाम |
2740 |
6131 |
सनावद |
5600 |
5800 |
सांवेर |
5600 |
6200 |
सतना |
5681 |
5780 |
श्योपुरकलां |
5760 |
5865 |
शुजालपुर |
5000 |
6001 |
टिमरनी |
3011 |
6050 |
उज्जैन |
2302 |
6090 |
स्रोत: एगमार्कनेट
Shareकांदा पिकामध्ये तणांचे व्यवस्थापन कसे करावे?
-
कांदा पिकाच्या चांगल्या उत्पादनासाठी पिकाच्या पहिल्या खुरपणीनंतर 25 ते 30 दिवसांनंतर आणि दुसऱ्या खुरपणीनंतर 60 ते 65 दिवसांनी ते करणे आवश्यक आहे. या अवस्थेला क्रांतिक अवस्था म्हणतात.
-
माती मध्ये प्राकृतिकरित्या, अनेक मुख्य आणि सूक्ष्म पोषक तत्व आढळले जाते. जे अधिक तणांच्या प्रादुर्भावामुळे कांद्याच्या पिकाला पूर्णपणे उपलब्ध होत नाहीत.
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या कारणांमुळे पिकांमध्ये पोषक तत्वांची कमतरता होते आणि पिकांच्या एकूण उत्पन्नावरही अधिक मोठ्या प्रमाणात परिणाम होतो.
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कांद्याच्या चांगल्या उत्पादनासाठी वेळोवेळी तण व्यवस्थापन करणे अत्यंत आवश्यक आहे. यासाठी खालील प्रकारे तणांचे व्यवस्थापन करणे अत्यंत आवश्यक आहे.
डेकेल (रुंद आणि अरुंद पानांसाठी)
-
डेकेल (प्रोपाक्विज़ाफोप 5% + ऑक्सीफ्लुरोफेन 12% ईसी) 350 मिली/एकर 150 ते 200 लिटर पाण्याच्या दराने फवारणी करा. यासोबतच फ्लैट फैन नोज़लचा वापर करावा तसेच शेतामध्ये पुरेसा ओलावा ठेवावा. 2 ते 4 पानांच्या अवस्थेमध्ये तणांची फवारणी केल्यावर सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त होतात.
टरगा सुपर (सकरी पानांसाठी)
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टरगा सुपर (क्विज़ालोफॉप एथिल 5% ईसी) 300 मिली, प्रती एकर दराने 150 ते 200 लिटर पाण्याच्या दराने फवारणी करावी. हे एक निवडक तणनाशक आहे. यासोबतच फ्लैट फैन नोज़लचा देखील वापर करावा आणि शेतामध्ये पुरेसा ओलावा टिकवून ठेवावा. 2 ते 4 पानांच्या अवस्थेमध्ये तणांची फवारणी केल्यावर सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त होतात. याचा वापर रुंद पानांच्या पिकांमध्ये केला जातो, अरुंद पानांचे तण नियंत्रित करण्यासाठी वापरले जाते.
एजिल (अरुंद पानांसाठी)
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प्रोपाक्विज़ाफॉप 10% ईसी (एजिल) 250 मिली, प्रति एकर दराने 150 ते 200 लिटर पाण्याच्या दराने फवारणी करावी. हे निवडक तणनाशक आहे. याचा वापर वार्षिक आणि बारमाही गवत नियंत्रित करण्यासाठी वापरले जाते. सोबत फ्लैट फैन नोज़लचा वापर करावा आणि शेतामध्ये पुरेसा ओलावा टिकवून ठेवावा. 2 ते 4 पानांच्या अवस्थेमध्ये तणांची फवारणी केल्यावर सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त होतात. याचा वापर रुंद पानांच्या पिकांमध्ये केला जातो.