इस अक्षय तृतीया करें खरीदारी का शुभारंभ और जीतें चांदी का सिक्का
अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर ग्रामोफ़ोन लेकर आया है अक्षय आरम्भ ऑफर। इस ऑफर में भाग लेकर किसान भाई जीत सकते हैं चांदी के सिक्के। यह ऑफर ग्रामोफ़ोन ऐप से पहली बार खरीदी कर रहे किसान भाइयों के लिए मान्य है। अतः जो किसान अभी तक ग्रामोफ़ोन ऐप के माध्यम से खरीदी नहीं कर पाए हैं वे इस मौके को न चुकें।
वैसे किसान भाई जो पहली बार ग्रामोफ़ोन से खरीदी कर के इस ऑफर का लाभ उठाना चाहते हैं उन्हें 2000 रूपये या फिर इससे अधिक की पहली खरीदी करनी होगी। इस ऑफर के अंतर्गत 25 किसानों को लकी ड्रा के आधार पर चयनित किया जाएगा और सभी को चांदी के सिक्के का पुरस्कार दिया जाएगा।
Shareतो देर किस बात की अभी ग्रामोफ़ोन के ग्राम बाजार सेक्शन में जाएँ और अपने पसंदीदा कृषि उत्पाद की खरीदी करें।
देशातील निवडक मंडईंमध्ये आज गव्हाचे भाव सुरू आहेत, पाहा अहवाल
गव्हाच्या भावात वाढ किंवा घसरण काय? व्हिडिओच्या माध्यमातून पहा वेगवेगळ्या मंडईत काय चालले आहे गव्हाचे भाव!
स्रोत: बाज़ार इन्फो इंडिया
Share2 मई रोजी इंदौर मंडीत कांद्याचा भाव किती होता?
व्हिडिओद्वारे जाणून घ्या आज इंदौरच्या मंडईत म्हणजेच 2 मई रोजी कांद्याची बाजारभाव काय होती?
व्हिडिओ स्रोत: मंदसौर मंडी भाव
Shareमूग पिकामध्ये पांढरे चूर्ण प्रतिबंधासाठी उपाय
-
शेतकरी बंधूंनो, मूग पिकामध्ये पांढऱ्या चूर्णची समस्या होणे ही पाउडरी मिल्ड्यू रोगाचे लक्षण आहे.
-
या रोगात, पानांवर आणि इतर हिरव्या भागांवर पांढरी पावडर दिसून येते, जी नंतर हलक्या रंगाच्या पांढर्या डागांच्या भागात बदलते, हे डाग हळूहळू आकारात वाढतात आणि खालच्या पृष्ठभागावरही गोलाकार बनतात.
-
गंभीर संसर्गामध्ये, झाडाची पाने पिवळी पडतात, ज्यामुळे अकाली पाने गळतात.
-
रोगाची लागण झालेली झाडे लवकर परिपक्व होतात परिणामी उत्पादनात मोठी हानी होते.
-
यावर नियंत्रण ठेवण्यासाठी, पंधरा दिवसांच्या अंतरांनी हेक्ज़ाकोनाजोल 5% एससी [नोवाकोन] 400 मिली मायक्लोबुटानिल 10% डब्ल्यूपी [इंडेक्स] 100 ग्रॅम एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% एससी [कस्टोडिया] 300 मिली/एकर ने 200 लिटर पाण्यात मिसळून फवारणी करा.
कापूस पिकाची कमी कालावधीच्या वाणांची लागवड करा आणि बंपर उत्पन्न मिळवा?
-
शेतकरी बंधूंनो, मध्य प्रदेशमध्ये कापसाचे पीक हे मे जून महिन्यात सिंचित आणि असिंचित अशा दोन्ही क्षेत्रामध्ये पेरले जाते. साधारणपणे कापसाच्या वाणांचा पीक कालावधी 140 ते 180 दिवसांचा असतो. आजच्या या लेखाच्या माध्यमातून तुम्ही मध्य प्रदेशात पेरलेल्या कापसाच्या काही कमी कालावधीच्या (140-150 दिवस) सुधारित जाती आणि त्यांच्या महत्त्वाच्या वैशिष्ट्यांबद्दल चर्चा कराल.
-
आदित्य मोक्षा: याच्या डेंडूचा आकार मध्यम, एकूण वजन 6 ग्रॅम ते 7 ग्रॅम, पीक कालावधी 140 ते 150 दिवस, हलक्या ते मध्यम जमिनीसाठी सर्वोत्तम असून ही वाण सिंचित आणि असिंचित क्षेत्रामध्ये पेरणीसाठी योग्य आहे.
-
नुजीवीडू भक्ति: डेंडूचा आकार मध्यम, एकूण वजन 5 ग्रॅम, पीक कालावधी 140 दिवस, भारी जमिनीसाठी सर्वोत्तम आहे. अमेरिकन बोलवर्म, गुलाबी बोलवर्मसाठी प्रतिरोधक, कीटक दूर करण्यासाठी प्रभावी असते.
-
प्रभात सुपर कोट: याच्या डेंडूचा आकार मोठा आहे, एकूण वजन 5.5 ग्रॅम ते 6.5 ग्रॅम दरम्यान आहे, पीक कालावधी 140 ते 150 दिवस आहे, भारी काळ्या जमिनीसाठी सर्वोत्तम आहे, ही जात शोषक किडीला तग धरणारी आहे, दर्जेदार आहे, मोठ्या प्रमाणात अनुकूल आहे, या जातीमध्ये बॉल तयार करणे खूप चांगले आहे.
गर्मी से जल्द मिलेगी राहत, कई राज्यों में बारिश के आसार
पूर्वी भारत के कई राज्यों जैसे कि बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बारिश की गतिविधियां संभव है। उत्तर भारत के भी कुछ राज्यों में छुटपुट आंधी या हल्की वर्षा संभव है जिससे तापमान में गिरावट दर्ज होगी तथा लू से राहत मिलेगी। दक्षिण भारत तथा उत्तर पूर्वी राज्यों सहित पहाड़ों पर एक बार फिर बारिश होने की संभावना है।
स्रोत: स्काइमेट वेदर
Shareमौसम सम्बंधित पूर्वानुमानों की जानकारियों के लिए रोजाना ग्रामोफ़ोन एप पर जरूर आएं। आज की जानकारी पसंद आई हो तो लाइक और शेयर जरूर करें।
करें ऊंट पालन की शुरुआत, सरकार देगी भारी अनुदान
गांवों में ज्यादातर किसान कृषि के साथ पशुपालन व्यवसाय भी करते हैं। वो इसलिए क्योंकि पशुओं के लिए चारा और घांस खेतों से ही मिल जाता है। ऐसे में किसान पशुपालन में कम लागत लगाकर दुग्ध उत्पादन के जरिए बढ़िया मुनाफा कमाते हैं।
बात अगर दुग्ध उत्पादन की हो तो ऊंटनी के दूध को कैसे भूल सकते हैं। आयुर्वेद के अनुसार ऊंटनी के दूध में कई विशेष पोषक तत्व पाए जाते हैं। जिसका सेवन कई घातक रोगों से बचाव करता है। इसी कारण ऊंटनी के दूध की बाजार में काफी मांग है। इसके अलावा ऊंट का प्रयोग बोझा ढ़ोने और सवारी में भी किया जाता है। ऐसे में ऊंट पालन के जरिए अच्छी कमाई की जा सकती है।
हालांकि कई किसान ऐसे हैं जो ऊंट खरीदने में सक्षम नहीं है। ऐसे किसानों की आर्थिक मदद के लिए राजस्थान सरकार एक योजना चला रही है। इसके तहत किसानों को ऊंट खरीदने के लिए अनुदान राशि प्रदान की जाती है। इसके साथ ही ऊंटनी का दूध बेचने के लिए सरकारी डेयरी आरसीडीएफ का भी निर्माण किया जा रहा है। इस डेयरी के शूरू होने के बाद से किसानों को दूध बेचने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareलाभकारी सरकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें। जानकारी पसंद आये तो लाइक शेयर जरूर करें।
मूग पिकामध्ये जीवाणु झुलसा रोगापासून वाचवण्याचे उपाय
-
शेतकरी बंधूंनो, मूग पिकामध्ये जीवाणु झुलसा रोगाची लक्षणे पानांच्या पृष्ठभागावर तपकिरी, कोरडे आणि उठलेले ठिपके म्हणून दिसतात.
-
हे डाग पानांच्या खालच्या पृष्ठभागावर लाल रंगाचे आढळतात.
-
रोगाचा प्रादुर्भाव वाढला की, ठिपके एकत्र मिसळतात आणि पाने पिवळी होतात आणि अकाली होऊन गळतात.
-
त्यावर नियंत्रण ठेवण्यासाठी, कसुगामाइसिन 3% एसएल [कासु बी] 300 मिली प्रति एकर कसुगामाइसिन 5% + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 45% डब्ल्यूपी [कोनिका] 250 ग्रॅम प्रति एकर हेक्ज़ाकोनाजोल 5% एससी [नोवाकोन] 400 मिली 200 लिटर पाण्यात मिसळून फवारणी करा.
जल्द शुरू होगी आंधी और बारिश, मिलेगी गर्मी निजात
देश के कई राज्यों में भीषण गर्मी के कारण बिजली का संकट गहरा गया है। उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में अभी तक का सबसे अधिक तापमान 47.4 डिग्री दर्ज किया गया। कई जिलों में नए कीर्तिमान बने परंतु अब जल्द ही पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर राजस्थान सहित उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में प्री मानसून गतिविधियां शुरू होने से कुछ राहत मिल सकती है।
स्रोत: स्काइमेट वेदर
Shareमौसम सम्बंधित पूर्वानुमानों की जानकारियों के लिए रोजाना ग्रामोफ़ोन एप पर जरूर आएं। आज की जानकारी पसंद आई हो तो लाइक और शेयर जरूर करें।