गमोसिस रोग से प्रभावित लताओं पर उभरे हुए फफोले नजर आने लगते हैं। कुछ समय बाद यह फफोले घाव में परिवर्तित हो जाते हैं। रोग बढ़ने पर इन फफोलों से भूरे रंग के गोंद का स्राव होने लगता है। इस रोग से प्रभावित लताओं में फूल एवं फलों की संख्या में कमी आती है और प्रकोप बढ़ने पर लताएं सूखने लगती हैं।
नियंत्रण: पौधों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए संतुलित मात्रा में उर्वरक एवं पोषक तत्वों का प्रयोग करें। इस रोग को फैलने से रोकने के लिए रोग से प्रभावित हिस्सों को तोड़कर नष्ट कर दें। खेत में रोग से प्रभावित फसलों के अवशेष न रहने दें। प्रभावित अवशेषों को खेत से बाहर निकालें और जला कर नष्ट कर दें। खेत में जल जमाव न होने दें और जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।
रोग दिखाई दे तो एम-45 (मैनकोजेब 75% डब्ल्यूपी) 400 ग्राम/एकड़ या जटायु (क्लोरोथालोनिल 75% डब्ल्यूपी) 400 ग्राम/एकड़ की दर 200 लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें।
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