मूंग की फसल में ऐसे करें तिहरा बीज उपचार और पाएं तेज शुरुआती बढ़वार

Method of seed treatment in moong crop

मूंग की फसल में बीज उपचार करने से बीज जनित तथा मिट्टी जनित बीमारियों का आसानी से नियंत्रण कर फसल के अंकुरण को भी बढ़ाया जा सकता है। बीज उपचार आमतौर पर 3 प्रकार से किया जाता है, जिसे हम ‘फकीरा’ (FIR) पद्धति कहते है। फकीरा पद्धति में हम बारी बारी से फफूंदनाशक, कीटनाशक और राइज़ोबियम से बीज उपचार करते हैं। 

फफूंदनाशक: इस बीज उपचार पद्धति में सबसे पहला फफूंदनाशक का प्रयोग करते हैं। इसका उपयोग जमीन में या बीज अंकुरण के समय लगने वाले फफूंद जानित रोग के रोकथाम के लिए करते हैं। फफूंदनाशक से बीज उपचार के लिए करमानोवा (कार्बेन्डाझिम 12% + मैंकोज़ेब 63% डब्लू पी) @ 2.5 ग्राम प्रति किलो बीज के दर से उपयोग करें।

कीटनाशक: इसका प्रयोग फफूंदनाशक के बाद करना चाहिए। कीटनाशक से बीज उपचार करने से जमीन के अंदर पाए जाने वाले कीट अथवा फसल के शुरूआती अवस्था में लगने वाले रस चूसक कीट जैसे माहू या सफ़ेद मक्खी के रोकथाम में मदद मिलती है। कीटनाशक से बीज उपचार करने के लिए थियानोवा सुपर (थायोमिथाक्साम 30% एफएस) @ 4-5 मिली प्रति किलो बीज के दर से उपयोग करें।

 राइज़ोबियम: इसका प्रयोग कीटनाशक के बाद करना चाहिए। राइज़ोबियम एक जीवाणु है, जो मूंग के पौधों की जड़ों में सहजीवी के रूप में रहता है, और पौधों की जड़ों में गठानें बनाता है, जिससे वायुमंडलीय नाइट्रोजन सरल रूप में जमीन में उपलब्ध होता है, जो पौधे द्वारा किसी भी अवस्था में इस्तेमाल किया जा सकता है।

राइज़ोबियम से बीज उपचार करने के लिए जैव वाटिका (राइज़ोबियम) @ 5 ग्राम प्रति किलो बीज के दर से उपयोग करें। 

कृषि क्षेत्र एवं किसानों से सम्बंधित ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें और शेयर करना ना भूलें।

Share