लक्षण: इस कीट का प्रकोप सबसे अधिक होता है। प्रारंभिक अवस्था में इसकी इल्ली कोमल तने में छेद करती है जिससे पौधे का तना एवं शीर्ष भाग सूख जाता है। इसके आक्रमण से फूल लगने के पूर्व हीं गिर जाते है। इसके बाद फल में छेद बनाकर अंदर घुसकर गूदे को खाते हैं जिससे ग्रसित फल मुड़ जाते हैं और फल खाने योग्य नहीं रहते हैं। इससे बाजार भाव में काफी गिरावट देखने को मिलती है।
नियंत्रण: इस कीट के नियंत्रण के लिए लैमनोवा(लैम्ब्डा-साइहलोथ्रिन 04.90% सीएस) 120 मिली प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करे या कवर (क्लोरेंट्रानिलिप्रोएल 18.50% एस.सी) 50 मिली प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें।
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