कटाई के बाद फसल अवशेष जलाने से होंगे गंभीर नुकसान

Disadvantages of burning crop residue after harvesting

अधिकतर किसान दूसरी फसल की जल्दी बुआई के करने लिए गेहूँ की कटाई के पश्चात बची हुई पराली को खेत में हीं जलाकर नष्ट कर देते हैं, इसके कारण खेतों में जीवाष्म पदार्थ की मात्रा में सतत कमी आती है, एवं मृदा की ऊपरी सतह कठोर हो जाती है। इससे मृदा की उर्वरा शक्ति नष्ट होने के साथ साथ कार्बन की मात्रा में भी कमी आती है। मृदा की भौतिक संरचना भी प्रभावित होती है, एवं जल धारण क्षमता कम होती है। इससे मृदा की जैव विविधता लगभग समाप्त हो जाती है, और मृदा में जैविक क्रियाओं में कमी आती है। 

फसल अवशेषों को जलाने से केचुओं की संख्या में भी भारी गिरावट देखी जाती है। फसल अवशेषों को जलाने से कार्बन डाइऑक्साइड एवं नाइट्रसऑक्साइड का उत्सर्जन होता है जो वातावरण को प्रदूषित करता है, तथा भूमि में नाइट्रोजन एवं कार्बन का अनुपात प्रभावित होता है।

फसल अवशेषों में आग लगाने से मेड़ों पर लगे पौधे जल जाते हैं, तथा कभी कभी गावों में भी आग लगने की संभावना बढ़ जाती है।

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