किसान को अगर ऐसी फसलें मिले जिसमें लागत बेहद कम आती हो और मुनाफा अच्छा मिलता हो तो इन फसलों की खेती करना किसान ज्यादा पसंद करेंगे। सरकार भी ऐसी खेती के लिए किसानों को जागरूक करती है। इसी कड़ी में किसानों की मदद के लिए सरकार ने एरोमा मिशन शुरू किया है। इसके अंतर्गत किसानों को सुगंधित फसलों की खेती करने के लिए प्रशिक्षित किया जाना है। बता दें की यह प्रशिक्षण यानी ट्रेनिंग केंद्रीय औषधीय एवं सुगंध अनुसंधान संस्थान के द्वारा किसानों को दी जायेगी।
गौरतलब है की केंद्र सरकार की ओर से एरोमा मिशन के तहत देश के किसानों को लेमन ग्रास, खस, मिंट, जिरेनियम, अश्वगंधा सहित अन्य कई प्रकार की एरोमैटिक फसलों की खेती करने के लिए ट्रेनिंग दी जाएगी।
-
लेमन ग्रास का सबसे ज्यादा उपयोग परफ्यूम, साबुन, डिटर्जेंट, तेल, लोशन, दवा आदि के निर्माण में किया जाता है और इसकी खेती किसान पूरे साल कर सकते हैं।
-
जिरेनियम के उपयोग से औषधीय दवाएं, साबुन, इत्र और ब्यूटी प्रॉडक्ट का निर्माण होता है। बता दें की जिरेनियम की खेती कम पानी में अच्छा उत्पादन दे सकती है।
-
मेंथा या मिंट का उपयोग ब्यूटी प्रोडक्ट्स, टूथपेस्ट सहित कई अन्य उत्पादों के निर्माण में किया जाता है। भारत फिलहाल पूरे विश्व में मेंथा तेल का सबसे ज्यादा उत्पादन करता है।
-
खस की खेती से बेहद कम कृषि खर्च में अच्छा मुनाफा मिल जाता है। किसान खस के फूल, जड़ एवं पत्तियों से भी कमाई करते हैं क्योंकि इनका इस्तेमाल महंगे इत्र, सौंदर्य उत्पादों एवं दवाइयों के निर्माण में बहुत ज्यादा किया जाता है।
-
अश्वगंधा का उपयोग सबसे ज्यादा भारत की कई चिकित्सा पद्धतियों में होता है। ख़ास तौर पर इसका उपयोग आयुर्वेद और यूनानी दवाओं में होता है।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareकृषि एवं किसानों से सम्बंधित लाभकारी सरकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें। इस लेख को नीचे दिए शेयर बटन से इस जानकारी को अपने मित्रों के साथ साझा करना ना भूलें।