2025 में कैसा रहेगा मानसून, जानें इस साल कब, कहां और कितनी होगी बारिश?

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इस वीडियो में आप दक्षिण पश्चिम मानसून 2025 का विस्तृत पूर्वानुमान देखेंगे। आप देखेंगे की मानसून कैसा रहेगा? जून से लेकर सितंबर के बीच देशभर में बारिश कैसी हो सकती है। मानसून के चारों महीनों के दौरान देश के हर राज्य में बारिश का पूर्वानुमान भी इस वीडियो में बताया गया है।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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तरबूज की फसल में गमी तना झुलसा के लक्षण एवं नियंत्रण के उपाय

Gummy stem blight symptoms and control in watermelon crop Symptoms

तरबूज की खेती के दौरान इसके पूरे फसल चक्र में कई प्रकार के रोगों का प्रकोप देखने को मिलता है। इन रोगों की रोकथाम कर के तरबूज की अच्छी उपज की प्राप्ति की जा सकती है। तरबूज की फसल का एक प्रमुख रोग है गमी तना झुलसा और इस लेख में हम जानेंगे इसी रोग से संबंधित जानकारी एवं रोकथाम के उपाय।

लक्षण: तरबूज की फसल में गमी तना झुलसा गंभीर पर्णीय बीमारियों में से एक है। इस रोग में तने और पत्तियों पर भूरे धब्बे बन जाते हैं और यह धब्बे पीले ऊतकों से घेरे होते हैं। साथ ही तने में यह घाव बढ़कर गलन का निर्माण करता है और इससे चिपचिपे, भूरे रंग के द्रव का स्रावण होता है। इस रोग में फल शायद ही कभी प्रभावित होते हैं, लेकिन पर्णसमूह के नुकसान से उपज और फलों की गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती है।

नियंत्रण: गमी तना झुलसा से बचने के लिए रोग रहित बीज का उपयोग करें, साथ ही सभी कद्दू वर्गीय फसलों से 2 वर्ष का फसल चक्र रखें। इसके अलावा रोग के लक्षण दिखाई देने पर रासायनिक नियंत्रण के लिए, फफूंदनाशक जैसे जटायु (क्लोरोथॅलोनिल 75% डब्लूपी) 400 ग्राम प्रति एकड़ या एम 45 (मैंकोज़ेब 75% डब्लूपी) 600-800 ग्राम प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के दर से छिड़काव करें। इसके जैविक नियंत्रण के लिए, मोनास कर्ब (स्यूडोमोनास फ्लोरोसेन्स) 500 ग्राम/एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें। 

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क्यों ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती किसानों के लिए है फायदेमंद?

Know the benefits of growing summer moong

रबी की फसलों की कटाई के बाद खरीफ सीजन आने तक खेत खाली रह जाता है। पर किसान भाई चाहें तो रबी तथा खरीफ के बीच वाले समय जिसे जायद कहते हैं, का सही इस्तेमाल कर के बढ़िया लाभ प्राप्त कर सकते हैं। जायद सीजन में खेती के लिए सबसे अच्छा चुनाव अगर कोई हो सकता है तो वो है मूंग की फसल का जो कम अवधि की फसल है और अच्छा मुनाफ़ा दे सकती है। इसकी खेती के फायदेमंद होने के मुख्य कारण निम्न हैं। 

  • इसकी खेती खरपतवारों को नियंत्रित करती है और गर्मियों में हवा के कटाव को रोकती है।

  • फसल पर कीट एवं रोगों का आक्रमण बहुत कम होता है। 

  • फसल/किस्में परिपक्व होने में कम समय लेती हैं (60-65 दिन)

  • इसकी खेती से राइजोबियम फिक्सेशन के माध्यम से कम से कम 30-50 किग्रा उपलब्ध नाइट्रोजन/हेक्टेयर जुड़ जाता है जिसे अगली खरीफ मौसम की फसल में उर्वरकों को देते समय समायोजित किया जा सकता है।

  • इसकी खेती से फसल की सघनता बढ़ जाती है।

  • आलू, गेहूँ और सर्दियों के मौसम की मक्का जैसी भारी उर्वरक माँग वाली फसलों के बाद उगाए जाने पर यह मिट्टी की अवशिष्ट उर्वरता का उपयोग करती है।

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अब शुरू करें बकरी पालन और पाएं 10 लाख रुपये की सब्सिडी!

Get a loan on a huge subsidy from bank for goat farming

अगर आप खेती के साथ-साथ अतिरिक्त आय का जरिया ढूंढ रहे हैं, तो बकरी पालन आपके लिए शानदार अवसर हो सकता है। केंद्र सरकार की नेशनल लाइव स्टॉक मिशन (NLM) योजना के तहत अब आप 20 लाख रुपये की लागत पर बकरी पालन शुरू कर सकते हैं, जिसमें आपको 10 लाख रुपये तक की सब्सिडी मिलती है। यानी कुल लागत का 50% सरकार दे रही है!

इस योजना के तहत किसान 100 से लेकर 500 बकरियों तक के प्रोजेक्ट शुरू कर सकते हैं। आवेदन के लिए आपको एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट, ज़मीन से जुड़े कागजात, आधार कार्ड, बैंक डिटेल्स आदि दस्तावेज़ अपलोड करने होते हैं। आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन है और आप सीधे NLM पोर्टल से आवेदन कर सकते हैं।

स्रोत: कृषि जागरण

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क्या चल रहे हैं लहसुन के भाव, जानें मंडी का हाल

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मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों में क्या चल रहे हैं लहसुन के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

मध्य प्रदेश की मंडियों में लहसुन के ताजा मंडी भाव
जिला कृषि उपज मंडी किस्म न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल) अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)
उज्जैन बड़नगर लहसुन 2180 2551
भोपाल भोपाल लहसुन 1950 6650
मन्दसौर दलौदा लहसुन 1601 12400
सागर देवरी अन्य 3300 3300
इंदौर इंदौर लहसुन 200 8000
रतलाम जावरा लहसुन 4001 9000
नीमच जावद लहसुन 1110 11300
शाजापुर कालापीपल (F&V) लहसुन 1775 6510
राजगढ़ नरसिंहगढ़ लहसुन 2000 5400
होशंगाबाद पिपरिया(F&V) लहसुन 6500 10000
मन्दसौर पिपल्या लहसुन 2411 6210
रतलाम रतलाम लहसुन 2452 7000
रतलाम सैलाना लहसुन 1300 7281
शाजापुर शाजापुर लहसुन 1210 2054
शाजापुर शुजालपुर देसी 1100 5800
मन्दसौर सीतामऊ लहसुन 710 2100
उज्जैन उज्जैन लहसुन 690 3000

स्रोत: एगमार्कनेट

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धनिया की खेती से कम समय में मिल जायेगी जबरदस्त उपज और होगी खूब कमाई

Coriander cultivation will give tremendous yield in less time and earn a lot
  • धनिया की फसल के लिए शुष्क व ठंडा मौसम अच्छा होता है। इसके बीजों के अंकुरण के लिए 25 से 26 से.ग्रे. तापमान अच्छा होता है।

  • धनिया की सिंचित फसल के लिए अच्छी जल निकास वाली दोमट मिट्टी सबसे अधिक उपयुक्त होती है और असिंचित फसल के लिए काली भारी भूमि अच्छी होती है। धनिया क्षारीय एवं लवणीय भूमि को सहन नही करता है।

  • सिंचित क्षेत्र में अगर, जुताई के समय भूमि में पर्याप्त नमी न हो तो भूमि की तैयारी सिंचाई करने के उपरांत करनी चाहिए। इससे जमीन में जुताई के समय ढेले भी नही बनेंगे तथा खरपतवार के बीज अंकुरित होने के बाद जुताई के समय नष्ट हो जाएंगे।

  • धनिया की उन्नत किस्में  जैसे फाऊजा, सुरभी, रौनक-31 की खेती कर सकते हैं। बोने के समय की बात करें तो हरे पत्तों की उपज के लिये अप्रैल – मई माह में इसकी बिजाई कर सकते हैं।

  • सिंचित फसल में 15-20 किग्रा/हे तथा असिंचित फसल में 25-30 किग्रा/हे बीज की आवश्यकता होती है।

  • भूमि एवं बीज जनित रोगों से बचाव के लिए बीज को करमानोवा (कार्बेंन्डाजिम + मेंकोजेब) 2.5 ग्रा./कि.ग्रा. से उपचारित करें। धनिया की अच्छी पैदावार लेने के लिए गोबर खाद 20 टन/हे का भुरकाव करें। सिंचित फसल 60 किग्रा नत्रजन, 40 किग्रा फॉस्फोरस, 20 किग्रा पोटाश तथा 20 किग्रा सल्फर प्रति हेक्टेयर की दर से उर्वरक का उपयोग करें।

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राजस्थान सरकार की तारबंदी योजना अब छोटे किसानों के लिए भी

Get fencing done in the fields on 50% grant

राजस्थान सरकार ने किसानों की फसलों को नीलगाय, जंगली सूअर और अन्य आवारा पशुओं से बचाने के लिए ‘तारबंदी योजना’ की शुरुआत की है। इस योजना के तहत किसानों को 50-70% तक की सब्सिडी दी जाती है ताकि वे अपनी कृषि भूमि की चारदीवारी या तारबंदी कर सकें। पहले इस योजना का लाभ सिर्फ उन किसानों को मिलता था जिनके पास कम से कम 1.5 हेक्टेयर जमीन होती थी, लेकिन अब नए दिशा-निर्देशों के अनुसार 2 बीघा (0.5 हेक्टेयर) जमीन वाले किसान भी इस योजना के लिए पात्र होंगे। इससे छोटे किसानों को भी अपनी फसल की सुरक्षा और बेहतर उत्पादन में मदद मिलेगी।

कैसे मिलेगा लाभ और कौन कर सकता है आवेदन?
तारबंदी योजना का लाभ लेने के लिए किसान ‘राज किसान साथी’ पोर्टल पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के लिए आधार कार्ड, जन आधार, भूमि के स्वामित्व प्रमाणपत्र और बैंक विवरण जैसे दस्तावेज़ जरूरी होंगे। लघु और सीमांत किसानों को 60% तक (अधिकतम ₹48,000) और सामान्य किसानों को 50% तक (अधिकतम ₹40,000) की सब्सिडी मिलेगी। सामुदायिक आवेदन करने वाले किसानों के समूह को 70% तक की सब्सिडी दी जाएगी। यह योजना किसानों को आत्मनिर्भर बनाने, उनकी आय बढ़ाने और कृषि कार्यों को सुरक्षित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

स्रोत: कृषि जागरण

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मध्य प्रदेश की प्रमुख मंडियों में गेहूँ भाव में दिखी कितनी तेजी

wheat mandi bhaw

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों में क्या चल रहे हैं गेहूँ के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

मध्य प्रदेश की मंडियों में गेहूँ के ताजा मंडी भाव
जिला कृषि उपज मंडी किस्म न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल) अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)
शाजापुर आगर गेहूँ 2451 2538
अशोकनगर अशोकनगर गेहूँ 2400 2750
छतरपुर बड़ामलहेड़ा मिल गुणवत्ता 2350 2435
उज्जैन बड़नगर मालवा शक्ति 2400 2410
धार बदनावर गेहूँ 2450 2450
शिवपुरी बराड़ गेहूँ 2265 2265
रायसेन बेगमगंज गेहूँ 2430 2500
बेतुल बेतुल मिल गुणवत्ता 2420 2445
सागर बीना गेहूँ 2475 2475
अशोकनगर चंदेरी गेहूँ 2325 2380
सिवनी छपारा मिल गुणवत्ता 2450 2450
मन्दसौर दलौदा गेहूँ 2700 2700
दतिया दतिया मिल गुणवत्ता 2400 2405
दतिया दतिया गेहूँ 2392 2392
सागर देवरी मिल गुणवत्ता 2625 2625
सागर देवरी गेहूँ 2600 2605
सागर देवरी गेहूँ-जैविक 2600 2600
देवास देवास गेहूँ 2300 2350
धार धामनोद गेहूँ 2460 2460
धार धार स्थानीय 2600 2605
धार धार लोकवन 2600 2625
धार धार मिल गुणवत्ता 2380 2380
धार धार गेहूँ 2430 2430
नरसिंहपुर गाडरवाड़ा मिल गुणवत्ता 2399 2400
सागर गढ़ाकोटा गेहूँ 2400 2425
इंदौर गौतमपुरा गेहूँ 2460 2540
भिंड गोहाद गेहूँ 2300 2300
गुना गुना गेहूँ 2595 3910
हरदा हरदा मिल गुणवत्ता 2510 2510
खंडवा हरसूद गेहूँ 2425 2460
इंदौर इंदौर मालवा शक्ति 2490 2560
इंदौर इंदौर मिल गुणवत्ता 2401 2925
इंदौर इंदौर गेहूँ 2466 2525
जबलपुर जबलपुर गेहूँ 2425 2428
राजगढ़ जीरापुर मिल गुणवत्ता 2330 2330
राजगढ़ जीरापुर गेहूँ 2325 2330
झाबुआ झाबुआ गेहूँ 2511 2511
आलीराजपुर जोबट गेहूँ 2425 2430
शिवपुरी करेरा मिल गुणवत्ता 2311 2400
शिवपुरी करेरा अन्य 2330 2340
कटनी कटनी मिल गुणवत्ता 2405 2405
खंडवा खंडवा गेहूँ 2451 2462
टीकमगढ़ खरगापुर मिल गुणवत्ता 2426 2427
खरगोन खरगोन गेहूँ 2525 2550
राजगढ़ खुजनेर मिल गुणवत्ता 2336 2336
धार कुक्षी लोकवन 2505 2505
धार कुक्षी गेहूँ 2400 2511
गुना कुंभराज गेहूँ 2215 2215
ग्वालियर लश्कर गेहूँ-जैविक 2300 2300
मन्दसौर मन्दसौर गेहूँ 2500 2500
भिंड मेहगांव गेहूँ 2355 2355
खंडवा मुंडी गेहूँ 2400 2400
मंडला नैनपुर गेहूँ 2425 2425
राजगढ़ नरसिंहगढ़ मिल गुणवत्ता 2400 2400
राजगढ़ नरसिंहगढ़ गेहूँ 2325 2325
नरसिंहपुर नरसिंहपुर मिल गुणवत्ता 2350 2400
नरसिंहपुर नरसिंहपुर मिल गुणवत्ता 2395 2420
सीहोर नसरुल्लागंज गेहूँ 2501 2538
छतरपुर नौगांव गेहूँ 2425 2435
टीकमगढ़ निवाड़ी मिल गुणवत्ता 2320 2395
राजगढ़ पचौर गेहूँ 1537 2400
सिवनी पलारी गेहूं का मिश्रण 2409 2409
पन्ना पन्ना मिल गुणवत्ता 2500 2500
झाबुआ पेटलावद लोकवन 2450 2460
झाबुआ पेटलावद गेहूँ 2305 2325
शिवपुरी पिछौर मिल गुणवत्ता 2200 2300
मन्दसौर पिपल्या गेहूँ 2358 2358
शिवपुरी पोहरी गेहूँ 2325 2325
रतलाम रतलाम गेहूँ 2400 3051
रतलाम रतलाम गेहूँ-जैविक 2950 3011
सीहोर रेहटी गेहूँ 2450 2450
सागर रहली गेहूँ 2389 2402
रतलाम सैलाना लोकवन 2400 2500
खरगोन सनावद गेहूँ 2380 5650
इंदौर सांवेर गेहूँ 2250 2551
सतना सतना गेहूँ 2346 2346
जबलपुर सीहोरा मिल गुणवत्ता 2586 2586
बड़वानी सेंधवा गेहूँ 2530 2600
सिवनी सिवनी मिल गुणवत्ता 2348 2350
सिवनी सिवनी गेहूँ 2470 2470
सागर शाहगढ़ मिल गुणवत्ता 2350 2350
सागर शाहगढ़ मिल गुणवत्ता 2325 2350
मन्दसौर शामगढ़ गेहूँ 2307 2307
श्योपुर श्योपुरबडोद गेहूँ 2370 2370
श्योपुर श्योपुरकलां गेहूँ 2340 2480
शिवपुरी शिवपुरी मिल गुणवत्ता 2350 2350
देवास सोनकच गेहूँ 2310 2450
शाजापुर सोयतकलां गेहूँ 2325 2325
शाजापुर सुसनेर गेहूँ 2280 2360
उज्जैन तराना गेहूँ 2289 2388
झाबुआ थांदला मिल गुणवत्ता 2500 2500
उज्जैन उज्जैन गेहूँ 2400 2425
श्योपुर विजयपुर गेहूँ 2310 2310

स्रोत: एगमार्कनेट

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कद्दूवर्गीय सब्जियों की फसल के प्रमुख कीट एवं नियंत्रण के उपाय

Major pests and control measures of cucurbitaceous crops

लालभृंग: यह चमकीले लाल रंग का कीट है जो पत्तियों को विशेषकर शुरूआती अवस्था में खा कर छलनी जैसा बना देता है। ग्रसित पत्तियाँ फट जाती हैं तथा पौधों की बढ़वार रूक जाती हैं।

नियंत्रण:  रासायनिक नियंत्रण के लिए मारक्विट (बायफैनथ्रिन 10% EC) 2 मिली + सिलिकोमैक्स गोल्ड 0.5 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। जैविक नियंत्रण के लिए बवेरिया वेसियाना 2 ग्राम/लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

लीफ माइनर: इस कीट की इल्ली पत्तियों के अंदर सुरंग बना कर हरितलवक को खाती हैं। इसके प्रभाव से पत्तियों पर सफ़ेद धारियां बन जाती हैं। यह मुख्य रूप से टमाटर, गिलकी, ककड़ी एवं समस्त कद्दू वर्गीय फसलों को नुकसान पहुँचाती है। 

नियंत्रण: इसके नियंत्रण के लिए नीमगोल्ड (एजाडिरेक्टिन 0.3%) 3000 पीपीएम 150 मिली, या  बेनेविया (सायट्रानिलिप्रोएल 10.26% ओडी ) 20-25 मिली +  सिलिकोमैक्स गोल्ड 5 मिली प्रति 15 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। 

फलमक्खी: इस कीट के मैगट छोटे फलों को अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। इसकी इल्ली फल को अंदर से नुकसान पहुंचती है। इससे फल पकने से पहले ही गिर जाते हैं। इल्ली का आक्रमण होने से फलों में से भूरे रंग का चिपचिपा द्रव बहता है और फल का आकार बिगड़ जाता है। फल मक्खी अंडे देने के लिए फलों में छेद करती हैं। जिससे फलों में छेद नजर आने लगते हैं। प्रभावित फलों का आकार टेढ़ा हो जाता है। कीट का प्रकोप बढ़ने पर फल सड़ने लगते हैं। 

नियंत्रण: इसके मैगट पर सीधा नियंत्रण संभव नहीं है परंतु वयस्क नर मक्खियों की संख्या पर नियंत्रण करके इनके प्रकोप को कम किया जा सकता है। खेत में पौधों की रोपाई से पहले खेत की गहरी जुताई करें। इससे मिट्टी में पहले से मौजूद प्यूपा नष्ट हो जाएंगे। कीट को आकर्षित करने के लिए प्रति एकड़ खेत में 10 से 12 फेरोमोन ट्रैप लगाएं और इसके ल्यूर को 15 -20 दिन के अंतराल से बदलें। ल्यूर से नर कीट आकर्षित हो कर फंस जाते हैं। इससे फल मक्खियों की वृद्धि को नियंत्रित किया जा सकता है। प्रभावित फलों को तोड़ कर नष्ट कर दें। साथ ही रासायनिक नियंत्रण के लिए डेसिस (डेल्टामैथ्रिन 100 EC) 1 मिली प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें या सेलक्विन (क्विनलफॉस 25% EC) 2 मिली प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

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बंगाल की खाड़ी में बन सकता है नया सिस्टम, दक्षिणी राज्यों में मूसलाधार बारिश का अलर्ट

know the weather forecast,

 

दक्षिण पूर्व बंगाल की खाड़ी में एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना है, जिसके निम्न दबाव में गहराने की संभावना तेज है। लेकिन इसका असर भारत के पूर्वी तट पर अधिक नहीं होगा। अगले कुछ दिनों के दौरान दक्षिणी कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में भारी बारिश के साथ बिजली की गरज-चमक और ओलावृष्टि होने की उम्मीद है। वहीं, उत्तर भारत में मौसम शुष्क बना रहेगा। मध्य और पूर्वी भारत में भी शुष्क और गर्म रह सकता है। उत्तर, पश्चिम, मध्य और पूर्वी भारत में तापमान बढ़ने के कारण कहीं-कहीं लू का प्रकोप बढ़ जाएगा, जिससे बहुत ज्यादा गर्मी होगी।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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