मिर्च की फसल में ऐसे बढ़ाएं फूल व फल विकास

Increase flower and fruit growth in chilli crop like this
  • किसी भी फसल में फूल वाली अवस्था बहुत ही महत्वपूर्ण होती है क्योंकि इससे हीं अच्छी उपज सुनिश्चित होती है।

  • इस अवस्था में ज्यादातर फसलों में फूल झड़ने की समस्या देखने की मिलती है। मिर्च की फसल में भी फूलों का गिरना एक आम समस्या है।

  • मिर्च के उत्पादन में फूलों की संख्या बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखती है।

  • कुछ जबरदस्त उत्पादों की मदद से मिर्च की फसल में फूलों को झड़ने से बचा कर उनकी संख्या को बढ़ाया जा सकता है जिसके परिणाम स्वरूप उपज बढ़ जाती है।

  • डबल होमोब्रासिनोलॉइड 0.04% w/w 100-120 मिली/एकड़ का स्प्रे करें।

  • न्यूट्रीफुल मैक्स @ 250 मिली/एकड़ का उपयोग करें।

  • प्रो-अमीनोमैक्स @ 250 ग्राम/एकड़ का स्प्रे करें।

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करेले में फल मक्खी के प्रकोप का ऐसे करें प्रबंधन

How to manage fruit fly outbreak in bitter gourd

फल मक्खी के मेगट (लार्वा) फलों में छेंद करने के बाद उनका रस चूसते हैं। इनसे ग्रसित फल खराब होकर गिर जाते हैं। मक्खी प्रायः कोमल फलों पर ही अण्डे देती है। मक्खी अपने अंडे देने वाले भाग से फलों में छेंद करके उन्हे हानि पहुचाती है। इन छेदों से फलों का रस निकलता हुआ दिखाई देता है। अंततः छेद ग्रसित फल सड़ने लगते हैं। मेगट फलों में छेद कर गुदा एवं मुलायम बीजों को भी खाते हैं जिसके कारण फल परिपक्व होने के पहले हीं गिर जाते हैं।

करेले में फल मक्खी का प्रबंधन

ग्रसित फलों को इकठ्ठा करके नष्ट कर दें। अंडे देने वाली मक्खी की रोकथाम करने के लिए खेत में प्रकाश प्रपंच या फेरोमोन ट्रैप लगाएं, इस प्रकाश प्रपंच में मक्खी को मारने के लिए 1% मिथाइल इंजीनाँल या सिनट्रोनेला तेल या एसीटिक अम्ल या लेक्टीक एसिड का घोल बनाकर रखें। परागण की क्रिया के तुरंत बाद तैयार होने वाले फलों को पॉलीथीन या पेपर के द्वारा लपेट देना चाहिए। इन मक्खीयों को नियंत्रित करने के लिए करेले के खेत में कतारों के बीच में मक्के के पौधों को उगाया जाना चाहिए, इन पौधों की ऊँचाई ज्यादा होने के कारण मक्खी पत्तों के नीचे अंडे देती है। गर्मी के दिनों में गहरी जुताई करके भूमि के अंदर सुप्त अवस्था में रहने वाली मक्खी को नष्ट करना चाहिए। फ्लुबेंडियामाइड 8.33% + डेल्टामेथ्रिन 5.56% w/w SC @ 100-125 मिली/एकड़ का उपयोग कर इसका नियंत्रण किया जा सकता है।

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सोयाबीन पिकामध्ये मुळांच्या कुजण्याची समस्या आणि अति पाणी साचण्यापासून प्रतिबंधात्मक उपाय

Root rot problem and preventive measures due to excessive water logging in soybean crops

पाणी साचणे म्हणजे अशी स्थिती जेव्हा शेतात त्याच्या इष्टतम गरजेपेक्षा जास्त पाणी असते. शेतातील जास्त पाण्यामुळे खालील नुकसान होते –

सोयाबीन पिकामध्ये जास्त पाणी साचल्यामुळे हवेच्या अभिसरणात अडथळा येतो आणि जमिनीचे तापमान कमी होते, तसेच फायदेशीर जिवाणूंची क्रियाशीलता कमी होते आणि नायट्रोजन स्थिरीकरण प्रक्रिया योग्य रीतीने होत नाही, त्यामुळे जमिनीची मुळे खराब होतात. झाडे पूर्णपणे नष्ट झाली आहेत हवा, पाणी, पोषक तत्वे आणि मोकळी जागा मोठ्या प्रमाणात उपलब्ध नाही, आणि जास्त पाणी साचल्यामुळे हानिकारक क्षार जमा होतात त्यामुळे मुळांच्या कुजण्याची समस्या दिसून येते. शेतातील पाणी साचणे कमी करण्यासाठी पाण्याचा निचरा होणे आवश्यक आहे. हे असे पीक आहे जे ना दुष्काळ सहन करू शकत नाही आणि जास्त पाणी देखील सहन करू शकत नाही. त्यामुळे निचरा होण्यासाठी पेरणीच्या वेळी नाले तयार करावेत आणि शेतात पाणी साचल्यास शेतातून अतिरिक्त निचरा नाला बनवावा व पाणी शेतातून बाहेर काढावे.

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फूलगोभी में डाउनी मिल्ड्यू का बढ़ रहा प्रकोप, जानें नियंत्रण के उपाय

Increasing outbreak of downy mildew in cauliflower
  • इस रोग के लक्षण तने पर भूरे दबे हुए धब्बे के रूप में दिखाई देते हैं जिन पर फफूंद की सफेद मृदुरोमिल बढ़ती चली जाती है।

  • पत्तियों की निचली सतह पर बैगनी भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं और इनमें भी मृदुरोमिल फफूंद की वृद्वि होती है।

  • इस रोग के प्रभाव से फूलगोभी का शीर्ष संक्रमित होकर सड़ जाता है।

  • फूलगोभी में डाउनी मिल्ड्यू के नियंत्रण हेतु उचित जल प्रबंधन करें ताकि मिट्टी की सतह पर अतिरिक्त नमी न रहे। फसल में प्रकोप हो जाने पर करमानोवा (कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोजेब 63% WP) @ 300-400 ग्राम/एकड़ या नोवैक्सिल (मेटलैक्सिल-एम 8% + मैनकोजेब 64% WP) @ 1 किलोग्राम/एकड़ का उपयोग करें। इसके साथ हीं फसल चक्र अपना कर और खेत में साफ़ सफाई रख कर भी इसका नियत्रण कर सकते हैं।

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कापूस पिकामध्ये माहू किटकांची ओळख आणि नियंत्रणासाठी उपाय योजना

Identification and control measures of aphids in cotton crops

माहू हा एक लहान कीटक आहे जो पानांचा रस शोषतो. या किडीचे तरुण आणि प्रौढ हिरवट-पिवळ्या रंगाचे असतात, जे पानांच्या खालच्या पृष्ठभागावर असंख्य संख्येने आढळतात, जे पानांचा रस शोषतात. परिणामी, पाने आकुंचन पावतात आणि पानांचा रंग पिवळा होतो. नंतर पाने कडक आणि कोरडी होतात आणि काही वेळाने गळून पडतात. ज्या झाडांवर महूचा प्रादुर्भाव दिसून येतो, त्या झाडाचा विकास नीट होत नाही आणि रोप रोगग्रस्त दिसून येते.

नियंत्रणावरील उपाय

  • या किटकांच्या नियंत्रणासाठी, मार्शल (कार्बोसल्फान 25% ईसी) 500 मिली किंवा नोवासेटा (एसिटामिप्रीड 20 % एससी) 20 ग्रॅम किंवा केआरआई-मार्च (बुप्रोफेज़िन 25% एससी) 400 मिली + सिलिको मैक्स 50 मिली, प्रती एकर 150 ते 200 लिटर पाण्याच्या दराने फवारणी करावी.

  • जैविक नियंत्रणासाठी, ब्रिगेड बी (बवेरिया बेसियाना 1.15% डब्ल्यूबी) 1 किग्रॅ/एकर 150 ते 200 लिटर पाण्याच्या दराने फवारणी करावी.

  • याशिवाय शेतकरी बंधू, किडीच्या प्रादुर्भावाची नोंद करण्यासाठी पिवळा चिपचिपे ट्रैप (येलो स्टिकी ट्रैप) 8 ते 10 एकर या दराने शेतामध्ये लावा.

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बागवानी फसलों में दीमक के प्रकोप का ऐसे करें नियंत्रण

How to control the outbreak of termites in horticulture crops
  • दीमक की समस्या बागवानी वाले फसल जैसे अनार, आम, अमरुद, जामुन, निम्बू, संतरा, पपीता, आंवला आदि में काफी देखने को मिलता है।

  • यह जमीन में सुरंग बनाकर पौधों की जड़ों को खाते हैं। अधिक प्रकोप होने पर ये तने को भी खाते हैं और मिट्टी युक्त संरचना बनाते हैं।

  • गर्मियों के मौसम में मिट्टी में दीमक को नष्ट करने के लिए गहरी जुताई करें और हमेशा अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद का हीं उपयोग करें।

  • 1 किग्रा ब्यूवेरिया बेसियाना को 25 किग्रा गोबर की सड़ी खाद में मिलाकर पौधरोपण से पहले डालना चाहिए।

  • दीमक के टीले को केरोसिन से भर दें ताकि दीमक की रानी के साथ-साथ अन्य सभी कीट मर जाएँ।

  • दीमक द्वारा तनों पर बनाए गए छेद में क्लोरोपायरिफोस 50 EC @ 250 मिली प्रति 10 लीटर पानी में मिलाकर प्रयोग करें और पेड़ की जड़ों के पास यही दवा 50 मिली प्रति 10 लीटर पानी में मिलाकर डालें।

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कपास की फसल में फूल व पूड़ी झड़ने की समस्या का ऐसे करें निदान

This is how to control the problem of flowers and Square dropping in cotton crop
  • कपास की फसल में फूल व पूड़ी के झड़ने की बहुत सारी वजहें हो सकती हैं।

  • कई बार प्रकाश संश्लेषक की क्रिया में बाधा उत्पन्न होने की वजह से पूड़ी तथा फूलों के झड़ने की समस्या आती है।

  • फूल वाली अवस्था में खेत में पानी भरा रहने पर भी फूलो के झड़ने की दर को बढ़ावा मिलता है।

  • मिट्टी में पानी की अधिकता हवा के आवागमन को प्रभावित करती है जिससे फूल तथा फल दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

  • पौधे में जिंक और बोरान की कमी की वजह से भी फूल और फल झड़ जाते है।

  • फूल और फल की अवस्था में आसमान में अधिक समय तक बादलों का होना या बहुत दिनों तक धुप का न निकलना फूलों को प्रभावित करता है।

  • प्रति इकाई पौधों की अधिक संख्या भी फूल तथा फल झड़ने का एक कारण हो सकती है।

  • नाइट्रोजन के अत्यधिक उपयोग से वानस्पति विकास को बढ़ावा मिलता है जिसके परिणामस्वरूप फूल व पूड़ी झड़ते हैं, कीट या रोगों के लगने से भी फूल एवं फल समय से पहले झड़ जाते हैं। कभी-कभी पौधे में हार्मोनल असंतुलन की वजह से भी यह समस्या देखने को मिलती है।

  • फूलों को झड़ने से बचाने तथा अच्छे बॉल्स के विकास के लिए होमोब्रासिनोलॉइड 0.04% W/W 100-120 मिली/एकड़ का स्प्रे करें। समुद्री शैवाल विगरमैक्स जेल गोल्ड का 400 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें और सूक्ष्म पोषक तत्त्व न्यूट्रीफुल मैक्स 250 मिली/एकड़ का स्प्रे करें।

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कपास में फ्यूजेरियम विल्ट के लक्षणों को पहचाने और अपनाएं नियंत्रण के उपाय

Identify the symptoms of fusarium wilt in cotton and adopt control measures
  • फ्यूजेरियम विल्ट रोग का रोग कारक फ्यूजेरियम ऑक्सीस्पोरम एफ.एस.पी. है।

  • यह कपास के सबसे प्रमुख रोगों में से एक मुख्य रोग के रूप में जाना जाता है।

  • इस रोग में पत्तियां किनारों से मुरझाना शुरू कर देती हैं तथा मुख्य शिरे की ओर मुरझाती चली जाती हैं।

  • पत्तियों की शिराये गहरी, संकरी और धब्बे वाली हो जाती हैं तथा अंत में पौधा सूख कर मर जाता है।

  • इस रोग का मुख्य लक्षण जड़ों के पास वाले तने का अंदर से क्षतिग्रस्त हो जाना है।

  • कपास में इस रोग के नियंत्रण हेतु छह वर्षीय फसल चक्र अपनाएँ। गर्मी के दिनों में गहरी जुताई (6-7 इंच) करके खेत को समतल करें, रोग मुक्त बीज का उपयोग करें।

  • इसके अलावा बीजों को 2.5 ग्राम/किग्रा करमानोवा (कार्बेन्डाजिम 12% + मैन्कोजेब 63% WP) से उपचारित करें।

  • फूल आने से पहले नोवाफ़नेट (थायोफिनेट मिथाईल 75% wp) @ 300 ग्राम/एकड़ का स्प्रे करें और बॉल बनते समय ज़ेरोक्स (प्रोपिकोनाज़ोल 25%) @ 200 मिली/एकड़ का स्प्रे करें।

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मक्के में बैक्टीरियल डंठल सड़न की समस्या एवं रोकथाम के उपाय

The problem and prevention of bacterial stalk rot in maize crops

किसान भाइयों, यह रोग अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में ज्यादा देखने की मिलती है। इस रोग का प्रकोप होने पर पौधों के शीर्ष भाग की मध्य वाली पत्तियां कुम्हलाकर सूखना प्रारंभ कर देती हैं। इसी दौरान डंठल में सड़न (सॉफ्ट रॉट) की समस्या होने लगती है। ये तेजी से तने के निचले भागों में फ़ैलने लगती है और इससे दुर्गन्ध भी आना शुरू हो जाती है।

इस रोग के असर से तना कमजोर हो जाता है पौधे का शीर्ष भाग नीचे की तरफ लटक जाता है। इस तरह के शीर्ष भाग की पत्तियों के समूह को खींचकर तने से आसानी से अलग किया जा सकता है।

नियंत्रण के उपाय 

जैविक नियंत्रण के लिए, मोनास कर्ब (स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस) @ 500 ग्राम प्रति एकड़ 150-200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। 

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पौध गलन रोग से प्याज की फसल को होगा नुकसान, ऐसे करें रोकथाम

Onion crop will be damaged due to Damping off disease
  • खरीफ के मौसम में मिट्टी मे अत्यधिक नमी होती है साथ हीं इस दौरान तापमान मध्यम होता है जो प्याज की फसल में इस रोग के विकास का मुख्य कारक बनता है।

  • इस रोग की वजह से बीज अंकुरित होने से पहले ही सड़ जाते हैं बाद की अवस्था में रोगजनक पौधे के कालर भाग पर आक्रमण करता है। इसके कारण अतंतः कालर भाग विगलित हो जाता है और पौध गल कर मर जाते हैं।

  • इस रोग से सुरक्षा प्राप्त करने के लिए किसानों को बुवाई के लिए स्वस्थ बीज का चयन करना चाहिए।

  • रोगग्रस्त फसल में नियंत्रण प्राप्त करने के लिए करमानोवा (कार्बेन्डाजिम 12% + मैन्कोजेब 63% WP) 500 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिडकाव करें।

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