भिंडी की भरपूर उपज के लिए ऐसे करें खेत को तैयार और पोषण प्रबंधन!

Watermelon and Muskmelon field preparation
  • भिंडी की फसल के लिए भुरभुरी, अच्छी जल निकासी वाली रेतीली दोमट मिट्टी जिसका पीएच रेंज 6.0-6.8 तक हो सबसे उपयुक्त होती है। 

  • कार्बनिक पदार्थों से भरपूर भूमि में बीज का अंकुरण एवं जड़ों का विकास अच्छा होता है। 

  • पिछली फसल की कटाई के बाद एक जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें। 

  • इसके बाद, गोबर की खाद 8 से 10 टन + स्पीड कम्पोस्ट 4 किग्रा + कॉम्बैट (ट्राईकोडर्मा विरिडी 1.0 % डब्ल्यूपी) @ 2 किलोग्राम, प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में समान रूप से भुरकाव करें।

  • इसके बाद 2-3 जुताई हैरो की सहायता से करें। अगर मिट्टी में नमी कम हो तो पहले पलेवा करें, फिर खेत की तैयारी करें और आखिर में पाटा चलाकर खेत समतल बना लें।

  • खेत तैयार होने के बाद, बीज की बुवाई सिफारिश की गयी दूरी पर ही करें।

  • पौध से पौध एवं कतार से कतार की दूरी 30 x 30 सेमी रखें। एक एकड़ क्षेत्र के लिए 1.5-2.2 किग्रा बीज, पर्याप्त होता है।

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नए साल पर कई राज्यों में होगी बारिश, और पहाड़ों पर भारी हिमपात

know the weather forecast,

नए साल की शुरुआत में एक नया वेस्टर्न डिस्टरबेंस पहाड़ों पर अच्छी बर्फबारी देगा। पूर्वी हवाओं के प्रभाव से पूर्वी राजस्थान, पश्चिमी मध्य प्रदेश, पश्चिमी उत्तर प्रदेश तथा दिल्ली में बारिश की संभावना बन रही है। कड़ाके की सर्दी के लिए अभी कुछ और दिन इंतजार करना पड़ेगा। दक्षिण भारत में भी हल्की बारिश की संभावना है।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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हल्की बारिश और बर्फबारी के आसार, अब गिरेंगे तापमान

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एक हल्का वेस्टर्न डिस्टरबेंस पहाड़ों पर होकर गुजर रहा है जिसके प्रभाव से ऊंचे पहाड़ों पर हिमपात होगा तथा कहीं-कहीं हल्की बारिश हो सकती है। भारत के अधिकांश राज्यों का मौसम अगले कुछ दिनों तक शुष्क बना रहेगा। गंगा के मैदानी क्षेत्रों में कोहरा छाया रह सकता है। दक्षिण तमिलनाडु और दक्षिण केरल में हल्की बारिश की संभावना है।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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जान लें रबी धान की खेती के लिए खेत की तैयारी एवं पोषण प्रबंधन!

Know about field preparation and nutrition management for rabi paddy cultivation

वैसे तो ज्यादातर किसान धान की खेती खरीफ मौसम में हीं करते हैं जब पूरे देश में मानसून की बारिश होती है। पर आजकल बहुत सारे किसान रबी सीजन में भी धन की खेती करते हैं और अच्छा मुनाफा कमाते हैं। इस सीजन में अगर आप भी धान की खेती करने की प्लानिंग कर रहे हैं तो आपको इसके लिए खेत की तैयारी से लेकर पोषण प्रबंधन आधी का ख़ास ख्याल रखने की जरूरत है। इस लेख में आइये विस्तार से जानते हैं इन्हीं विषयों की जानकारी। 

खेत की तैयारी: ऐसे खेत का चयन करें जिसकी मिट्टी अच्छी तरह से तैयार खरपतवार रहित हो तथा जल धारण क्षमता भी अधिक हो। मिट्टी में में पाए जाने वाले जैविक तत्व एवं जीव अच्छी तरह से काम करते हों। इससे पौध का जड़ विकास सही से होता है। खेत में चारों तरफ से मजबूत मेढ़ बंदी कर दें। इससे पानी खेत में लंबे समय तक संचित रखा जाता है। एक अच्छी जुताई से खेती योग्य भूमि में ऑक्सीजन की उपलब्धता बनी रहती है। एवं खरपतवार भी कम उगते हैं। धान की रोपण के लिए, मुख्य खेत की तैयारी के समय, जुताई से 1 या 2 दिन पूर्व गोबर की खाद @ 4 टन + स्पीड कम्पोस्ट @ 4 किग्रा + कॉम्बैट – ट्राईकोडर्मा विरिडी 1.0% डब्ल्यूपी @ 2 किग्रा, प्रति एकड़ के हिसाब से समान रूप से भुरकाव करें एवं खेत में सिंचाई कर दें और पानी को सोखने दें। जुताई के समय पानी की गहराई 2.5 सेमी रखें। धान की फसल के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें तथा 2-3 जुताई कल्टीवेटर से करें, इसके बाद खेत को मचाकर समतल कर ले। समतल खेत में पानी की सामान्य गहराई बनी रहती है।

पोषण प्रबंधन: रोपाई के दिन कीचड़ में यूरिया- 20 किग्रा + एसएसपी- 50 किग्रा + डीएपी- 25 किग्रा + एमओपी- 20 किलो + धान समृद्धि किट – 11 किग्रा, समृद्धि किट में शामिल उत्पाद (ट्राई कोट मैक्स – जैविक कार्बन 3%, ह्यूमिक, फुल्विक, जैविक पोषक तत्वों का एक मिश्रण, @ 4 किलोग्राम + टीबी 3 – नाइट्रोजन स्थिरीकरण बैक्टीरिया, फास्फेट घुलनशील बैक्टीरिया और पोटेशियम गतिशील बैक्टीरिया, @ 3 किलोग्राम + ताबा जी – जिंक घुलनशील बैक्टीरिया, @ 4 किलोग्राम) को आपस में मिलाकर एक एकड़ क्षेत्र के हिसाब से समान रूप से भुरकाव करें। पौध रोपण के लिए कतार से कतार एवं पौध से पौध की दूरी 20×15 सेमी रखें।  

किसान भाई रबी मौसम में भी काफी जगहों पर धान की कीचड़ मचाकर सीधी बुवाई करते हैं। तो आइये जानते है, बुवाई से पूर्व खेत की तैयारी एवं बीज को अंकुरित व उपचारित कैसे करें!

धान की कीचड़ मचाकर सीधी बुवाई विधि 

सबसे पहले जिस किस्म का चुनाव किया गया है बुवाई के लिए, उसे किसी पात्र में पानी में डुबा दें और इसे डुबो कर अच्छी तरह से हिलाएं जिससे ख़राब बीज ऊपर तैरने लगेगा। ख़राब बीज को पात्र से निकाल कर बाहर कर दें, एवं शुद्ध बीज को 18 से 20 घंटे के लिए पानी में डूबा कर छाया में रखें। 18 से 20 घंटे पूरा हो जाने के बाद, धान को बोरे में या साफ सूती कपड़े में पानी से बाहर निकाल लें और बीज उपचार के रूप में, स्प्रिंट (कार्बेन्डाजिम 25%+ मैंकोजेब 50% डब्ल्यूएस) @ 35 ग्राम, प्रति 10 किग्रा के हिसाब से समान रूप से भुरकाव कर बीजों को अच्छी तरह से मिला लें। इसके बाद इसे पुवाल या बोरे के माध्यम से ढक कर रख दें। उचित नमी बनाए रखने के लिए, समय समय पर ऊपर से पानी का हल्का छिड़काव करते रहें। इससे अंकुरण अच्छा होता है। पर्याप्त नमी एवं तापमान मिलने पर 24 घंटे में अच्छा अंकुरण हो जायगा। फिर इसे मचाकर तैयार किये गए, भूमि में समान रूप से बुवाई कर दें एवं खेत में अधिक पानी हो तो उसे खेत से बाहर निकाल दें। 

धान की गीली सीधी बुवाई के लिए, खेत की तैयारी के समय जुताई के 2 दिन पूर्व गोबर की खाद @ 4 टन + स्पीड कम्पोस्ट @ 4 किग्रा + कॉम्बैट – ट्राईकोडर्मा विरिडी 1.0% डब्ल्यूपी @ 2 किग्रा, प्रति एकड़ के हिसाब से समान रूप से भुरकाव करें एवं खेत में पानी भर दें और पानी को सोखने दें। जुताई के समय पानी की गहराई 2.5 सेमी रखें। धान की फसल के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें तथा 2-3 जुताई कल्टीवेटर से करें एवं पाटा चलाकर खेत को अच्छी तरह से मचाकर समतल कर ले। बुवाई के दिन कीचड़ में, एसएसपी- 50 किग्रा + डीएपी- 25 किग्रा + एमओपी- 20 किलो + धान समृद्धि किट – 11 किग्रा, किट में शामिल तत्व (ट्राई कोट मैक्स – जैविक कार्बन 3%, ह्यूमिक, फुल्विक, जैविक पोषक तत्वों का एक मिश्रण, @ 4 किलोग्राम + टीबी 3 – नाइट्रोजन स्थिरीकरण बैक्टीरिया, फास्फेट घुलनशील बैक्टीरिया और पोटेशियम गतिशील बैक्टीरिया, @ 3 किलोग्राम + ताबा जी – जिंक घुलनशील बैक्टीरिया, @ 4 किलोग्राम) को आपस में मिलाकर एक एकड़ क्षेत्र के हिसाब से समान रूप से भुरकाव कर,  एक पाटा चलाकर खाद को कीचड़ में अच्छी तरह से मिला दें एवं बीज की बुवाई करें साथ ही अतिरिक्त पानी को बाहर निकाल दे। 

कीचड़ मचाकर सीधी बुवाई विधि से 25% तक श्रम की बचत होती है। रोपण पद्धति की अपेक्षा 7 से 10 दिन पहले इसकी फसल पक कर तैयार हो जाती है। वहीं सीधी बुवाई में नर्सरी उगाने एवं रोपाई करने की जरुरत नहीं होती है।

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प्याज की 40-45 दिन की फसल अवस्था में कंद निर्माण के लिए पोषक तत्व प्रबंधन!

Nutrient management required for bulb formation at the 40-45 day old stage of onion crop

प्याज की फसल में रोपाई के 40-45 दिन बाद, कंद निर्माण होना प्रारम्भ हो जाता है। इस अवस्था में, यूरिया 30 किग्रा + कैल्शियम नाइट्रेट 10 किग्रा + मैगनेशियम सल्फेट 10 किग्रा को आपस में मिलाकर एक एकड़ क्षेत्र में, सामान रूप से भुरकाव कर हल्की सिंचाई करें।

यूरिया: यह नाइट्रोज़न की पूर्ति का सबसे बड़ा स्रोत है। इसके उपयोग से, पत्तियों में पीलापन एवं सूखने की समस्या नहीं आती है। यूरिया प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को तेज़ करता है।

कैल्शियम नाइट्रेट: इसमें 15.5% नाइट्रोजन और 18.5% कैल्शियम होता है। कैल्शियम के अलावा, इससे फसलों को नाइट्रोजन की भी पूर्ती होती है। पौधों की वृद्धि के लिए कैल्शियम एक महत्वपूर्ण द्वितीयक पोषक तत्व है। कैल्शियम नाइट्रेट फसलों के लिए कैल्शियम का एक उत्कृष्ट स्रोत है। यह फसलों में उपज की गुणवत्ता और लंबी शेल्फ लाइफ को बढ़ाता है। यह पौधों में कंदो के विकास में मदद करता है। 

मैग्नीशियम सल्फेट: इसमें 9.5% मैग्नीशियम और 12% सल्फर होता है। मैग्नीशियम के साथ यह फसलों को सल्फर भी उपलब्ध करवाता है जिससे फसल की गुणवत्ता के साथ-साथ उत्पादन भी बेहतर मिलता है। यह एंजाइम एवं कार्बोहाइड्रेट के परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पौधों में क्लोरोफिल के संश्लेषण में मदद करता है और फास्फोरस ग्रहण और अवशोषण में भी सुधार करता है।

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मौसम विभाग ने जारी किया भीषण ठंड का अलर्ट, देखें मौसम पूर्वानुमान

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सर्दियां अब पूरे देश में कहर बरपाने लगी है। कहीं घना कोहरा सता रहा है तो कहीं शीतलहर, बारिश और बर्फबारी से ठंड बढ़ रही है। हालांकि मैदानी इलाकों में ठंड से कुछ राहत मिलती नजर आ रही है। ताजा पश्चिमी विक्षोभ के चलते दिल्ली, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में न्यूनतम तापमान में बढ़त देखी जा रही है। राजधानी दिल्ली का न्यूनतम तापमान आज 3 प्वाइंट बढ़कर 9 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है और अधिकतम तापमान 23 डिग्री सेल्सियस दर्ज हो सकता है। हालांकि यहां घना कोहरा देखने को मिलेगा। इसके साथ ही प्रदूषण में भी बढ़त देखी जा सकती है।

स्रोत: किसान तक

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गाय के दूध पर 5 रुपये प्रति लीटर की मदद देगी सरकार, पशुपालकों को होगा लाभ

Government will assist Rs 5 per liter on cow milk

पशुपालन करने वाले ज्यादातर किसान अक्सर कम दाम पर बड़ी बड़ी डेयरी फर्म्स को अपने गाय के दूध बेच देते हैं। इससे किसानों को कई बार नुकसान भी हो जाता है। किसानों की इन्हीं समस्याओं को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार अब अपने राज्य के किसानों को 5 रुपये प्रति लीटर दूध की मदद देने जा रही है। सरकार इस मदद के माध्यम से किसानों के बीच पशुपालन को बढ़ावा देना चाहती है।

महाराष्ट्र में किसान कई बार दूध के कम दाम को लेकर विरोध प्रदर्शन करते नजर आए हैं। बहरहाल 5 रुपये प्रति लीटर दूध की मदद मिलने से ऐसे किसानों को लाभ होगा। राज्य सरकार इस घोषणा को पशुपालक किसानों के लिए एक बड़ा क्रांतिकारी कदम बताया है। राज्य के डेयरी विकास मंत्री ने यह घोषणा की है कि “सहकारी दूध संघों के माध्यम से एकत्र किए गए गाय के दूध के लिए दूध उत्पादकों को 5 रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी दी जाएगी। यह योजना राज्य में सहकारी दुग्ध उत्पादक संगठनों के माध्यम से ही लागू की जाएगी।”

स्रोत: किसान तक

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राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और दक्षिण भारत में बारिश की संभावना

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एक नए पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से पहाड़ों पर अच्छा स्नोफॉल होगा। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के कुछ जिलों में हल्की बारिश होगी। उत्तर भारत के तापमान कुछ बढ़ेंगे परंतु 25 तारीख के बाद फिर से गिरना शुरू हो जाएंगे। दक्षिण तमिलनाडु, दक्षिण केरल, लक्षद्वीप और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में हल्की बारिश होगी।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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अब अफ़्रीकी देशों में खेती कर सकेंगे भारतीय किसान, जानें क्या है सरकार की योजना

Now Indian farmers will be able to do farming in African countries

हरियाणा सरकार अपने प्रदेश के किसानों को अफ़्रीकी देशों में जमीन लेकर खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इसके लिए सरकार योजना बनाने पर भी विचार कर रही है। अगर ऐसा होता है तो भारतीय किसान अफ़्रीकी देशों में भी खेती कर सकेंगे।

गौरतलब है की हरियाणा में बढ़ते परिवारों की वजह से जोत घटती जा रही है। इस समस्या से निपटने के लिए सरकार अब किसानों को अफ्रीकी देशों में जाकर जमीन लेने और फिर खेती करने के लिए जागरूक कर रही है। इस मसले पर अफ़्रीकी देशों से बात भी चल रही है ताकि भारतीय किसानों को कृषि भूमि उपलब्ध करवाई जा सके। देखना दिलचस्प होगा की सरकार इस योजना का कार्यान्वन कैसे करती है।

स्रोत: जागरण

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मध्य प्रदेश की मंडियों में सोयाबीन के भाव 6000 रुपए के पार

soybean mandi Bhaw

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों में क्या चल रहे हैं सोयाबीन के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

मध्य प्रदेश की मंडियों में सोयाबीन के ताजा मंडी भाव
जिला कृषि उपज मंडी किस्म न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल) अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)
रतलाम अलोट सोयाबीन 3852 4760
शाजापुर आगर सोयाबीन 1651 4802
शाजापुर अकोदिया सोयाबीन 4196 4626
आलीराजपुर आलीराजपुर पीला 4825 4825
आलीराजपुर आलीराजपुर सोयाबीन 4200 4900
गुना एरन सोयाबीन 4200 4550
अशोकनगर अशोकनगर पीला 4456 4700
अशोकनगर अशोकनगर सोयाबीन 3100 4682
सीहोर आष्टा पीला 2300 5526
सीहोर आष्टा सोयाबीन 3300 5101
उज्जैन बड़नगर पीला 1700 4800
उज्जैन बड़नगर सोयाबीन 3021 5611
धार बदनावर पीला 2200 5535
धार बदनावर सोयाबीन 2850 4785
शाजापुर बड़ोद सोयाबीन 3960 4685
खरगोन बड़वाह सोयाबीन 2900 4565
सागर बामोरा पीला 4366 4599
सागर बामोरा सोयाबीन 4561 4630
भोपाल बैरसिया पीला 3000 5005
बेतुल बेतुल पीला 4200 4651
बेतुल भेंसदेही पीला 4311 4451
खरगोन भीकनगांव सोयाबीन 3961 6085
भोपाल भोपाल पीला 4005 4647
भोपाल भोपाल सोयाबीन 4215 4554
राजगढ़ ब्यावरा पीला 3600 4435
राजगढ़ ब्यावरा सोयाबीन 2260 4785
सागर बीना सोयाबीन 3600 4662
गुना बीनागंज सोयाबीन 4000 4750
बुरहानपुर बुरहानपुर सोयाबीन 4434 4580
छिंदवाड़ा छिंदवाड़ा पीला 4300 4811
मन्दसौर दलौदा सोयाबीन 4000 4758
मन्दसौर दलौदा अन्य 3000 4600
दमोह दमोह पीला 4085 4730
सागर देवरी सोयाबीन 4530 4570
देवास देवास सोयाबीन 1500 4851
धार धामनोद पीला 4000 5800
धार धामनोद सोयाबीन 3900 4650
धार धार पीला 4182 4750
धार धार सोयाबीन 1300 5160
डिंडोरी डिंडोरी सोयाबीन 4000 4000
नरसिंहपुर गाडरवाड़ा सोयाबीन 4531 4671
विदिशा गंज बासौदा पीला 3100 4651
विदिशा गंज बासौदा सोयाबीन 3400 4582
इंदौर गौतमपुरा पीला 4250 4520
इंदौर गौतमपुरा सोयाबीन 4246 4700
डिंडोरी गोरखपुर पीला 4300 4510
गुना गुना सोयाबीन 4005 4645
देवास हाटपिपलिया सोयाबीन 2895 4634
हरदा हरदा पीला 1550 4680
हरदा हरदा सोयाबीन 3935 3935

स्रोत: एगमार्कनेट

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