कटाई के बाद फसल अवशेष जलाने से होंगे गंभीर नुकसान

Disadvantages of burning crop residue after harvesting

अधिकतर किसान दूसरी फसल की जल्दी बुआई के करने लिए गेहूँ की कटाई के पश्चात बची हुई पराली को खेत में हीं जलाकर नष्ट कर देते हैं, इसके कारण खेतों में जीवाष्म पदार्थ की मात्रा में सतत कमी आती है, एवं मृदा की ऊपरी सतह कठोर हो जाती है। इससे मृदा की उर्वरा शक्ति नष्ट होने के साथ साथ कार्बन की मात्रा में भी कमी आती है। मृदा की भौतिक संरचना भी प्रभावित होती है, एवं जल धारण क्षमता कम होती है। इससे मृदा की जैव विविधता लगभग समाप्त हो जाती है, और मृदा में जैविक क्रियाओं में कमी आती है। 

फसल अवशेषों को जलाने से केचुओं की संख्या में भी भारी गिरावट देखी जाती है। फसल अवशेषों को जलाने से कार्बन डाइऑक्साइड एवं नाइट्रसऑक्साइड का उत्सर्जन होता है जो वातावरण को प्रदूषित करता है, तथा भूमि में नाइट्रोजन एवं कार्बन का अनुपात प्रभावित होता है।

फसल अवशेषों में आग लगाने से मेड़ों पर लगे पौधे जल जाते हैं, तथा कभी कभी गावों में भी आग लगने की संभावना बढ़ जाती है।

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मध्य प्रदेश, विदर्भ और पूर्वी राज्यों में फिर होगी बारिश, देखें मौसम पूर्वानुमान

know the weather forecast,

वेस्टर्न डिस्टरबेंस कमजोर हो गया है तथा आगे बढ़ गया है। आज से पहाड़ों पर बर्फबारी लगभग थम जाएगी। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली तथा उत्तर प्रदेश से भी बारिश की गतिविधियां समाप्त हो जाएगी। 16 मार्च से विदर्भ, छत्तीसगढ़ और पूर्वी मध्य प्रदेश में बारिश शुरू होगी जो 17, 18 और 19 मार्च को पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, झारखंड तथा बिहार के दक्षिणी जिलों सहित दक्षिण पूर्वी उत्तर प्रदेश तक पहुंच सकती है।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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ड्रैगन फ्रूट की खेती में उपयोगी कृषि मशीन पर मिल रही 80% की सब्सिडी

80% subsidy is available on agricultural machines useful in dragon fruit cultivation

भारतीय की कुल जनसँख्या में से करीब 70 प्रतिशत से ज्यादा आबादी खेती बाड़ी कर के अपना जीवन यापन करती है। इन किसानों में की सहायता हेतु सरकार की तरफ से कई लाभकारी योजनाएं चलाई जाती हैं जिसमे माध्यम से किसानों को सब्सिडी दी जाती है। इसी कड़ी में ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले किसान को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से सरकार नए कदम उठा रही है।

दरअसल ड्रैगन फ्रूट की खेती में सिंचाई की पूर्ती हेतु स्प्रिंकलर तकनीक का उपयोग किया जाता है। ऐसे में जो किसान इसका उपयोग करना चाहते हैं उन्हें सरकार 80% तक की सब्सिडी दे रही है। गौरतलब है की थाइलैंड, वियतनाम और इज़राइल जैसे देशों में लोकप्रिय ड्रैगन फ्रूट को इन दिनों भारत में भी काफी पसंद किया जा रहा है। भारतीय बाजार में इस फल की कीमत 200 से 250 रूपए है। इस कारण खेती के नज़रिए से भी ड्रैगन फ्रूट काफी प्रचलन में है।

उपयुक्त बताई गई सब्सिडी दरअसल बिहार सरकार उद्यान निदेशालय द्वारा किसानों के लिए शुरू की एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के तहत ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले किसानों को दी जायेगी। इस योजना में सरकार की ओर से प्रति इकाई लागत (₹1.25 लाख/हेक्टेयर) का 40% अनुदान दिया जाएगा। इस हिसाब से ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले किसानों को सब्सिडी के तौर 40% यानी ₹50 हजार मिलेंगे। योजना से सम्बंधित ज्यादा जानकारी के लिए बिहार कृषि विभाग, उद्यान निदेशालय की वेबसाइट horticulture.bihar.gov.in पर जरूर जाएँ।

स्रोत: कृषि जागरण

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मध्य प्रदेश की मंडियों में सोयाबीन के उच्च भाव 5200 रुपए के पार

soybean mandi Bhaw,

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों में क्या चल रहे हैं सोयाबीन के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

मध्य प्रदेश की मंडियों में सोयाबीन के ताजा मंडी भाव
जिला कृषि उपज मंडी किस्म न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल) अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)
रतलाम अलोट सोयाबीन 4252 4450
शाजापुर आगर सोयाबीन 3710 4627
शाजापुर अकोदिया सोयाबीन 3940 4399
आलीराजपुर आलीराजपुर सोयाबीन 4000 4300
बड़वानी अंजड़ पीला 4200 4300
गुना एरन सोयाबीन 3965 4400
अशोकनगर अशोकनगर सोयाबीन 3470 4419
सीहोर आष्टा पीला 2815 4612
सीहोर आष्टा सोयाबीन 3487 4581
छतरपुर बड़ामलहेड़ा पीला 4060 4400
शिवपुरी बदरवास सोयाबीन 4065 4235
उज्जैन बड़नगर पीला 3600 4569
उज्जैन बड़नगर सोयाबीन 3801 5203
धार बदनावर सोयाबीन 4400 4400
धार बदनावर पीला 3300 4890
बड़वानी बड़वानी पीला 4200 4300
बड़वानी बलवाड़ी सोयाबीन 4300 4300
सागर बामोरा पीला 4150 4420
सागर बामोरा सोयाबीन 4400 4400
होशंगाबाद बानापुरा पीला 2750 4435
भोपाल बैरसिया पीला 2700 4520
भोपाल भोपाल सोयाबीन-जैविक 3211 4445
राजगढ़ ब्यावरा सोयाबीन 4100 4700
छतरपुर बिजावर सोयाबीन 4200 4305
सागर बीना सोयाबीन 4172 4457
बुरहानपुर बुरहानपुर सोयाबीन 4241 4336
राजगढ़ छापीहेड़ा सोयाबीन 4340 4340
छिंदवाड़ा छिंदवाड़ा पीला 4246 4367
मन्दसौर दलौदा सोयाबीन 3701 4652
दमोह दमोह पीला 4000 4000
दमोह दमोह सोयाबीन 3710 4330
देवास देवास सोयाबीन 4448 4448
धार धामनोद पीला 4275 4275
धार धामनोद सोयाबीन 4125 4215
धार धार सोयाबीन 4450 4540
नरसिंहपुर गाडरवाड़ा सोयाबीन 4250 4371
रायसेन गैरतगंज सोयाबीन 4250 4300
विदिशा गंज बासौदा पीला 4425 4425
विदिशा गंज बासौदा सोयाबीन 1610 4531
विदिशा गंज बासौदा सोयाबीन-जैविक 4250 4250
इंदौर गौतमपुरा सोयाबीन 4125 4436
डिंडोरी गोरखपुर पीला 4050 4225
देवास हाटपिपलिया सोयाबीन 3300 4396
हरदा हरदा पीला 1100 4397
हरदा हरदा काला 4111 4271

स्रोत: एगमार्कनेट

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जानें मूंग की फसल में क्या है राइज़ोबियम कल्चर का महत्व

Importance of rhizobium culture in moong crop

राइजोबियम एक सहजीवी जीवाणु है। जो विशेष कर दलहनी फसलों के जड़ों में पाया जाता है। यह एक विशिष्ट प्रजाति का जीवाणु है जो विशिष्ट पौधे के साथ रहता है जैसे सोयाबीन, मूंगफली, चना, मूंग, उड़द, मटर आदि। विभिन्न फसलों के राइजोबियम जीवाणु भी अलग होते हैं। राइजोबियम जीवाणु मुख्य रूप से सभी तिलहनी और दलहनी फसलों में सहजीवी के रूप में रहकर वायुमंडलीय नाइट्रोज़न को नाइट्रेट में परिवर्तित करके फसलों में नाइट्रोजन की पूर्ति करता है। राइजोबियम जीवाणु मिट्टी में जाने के बाद फसलों की जड़ों में प्रवेश करके छोटी छोटी छोटी गाठें बना लेते हैं। इन गाठों में जीवाणु बहुत अधिक मात्रा में रहता है। यह जीवाणु प्राकृतिक नाइट्रोजन को वायुमंडल से ग्रहण करके पोषक तत्वों में परिवर्तित कर के पौधों को उपलब्ध करवाते हैं। पौधे की जड़ों में अधिक गाठों का होना पौधे को स्वस्थ रखता है। राइजोबियम द्वारा नाइट्रोजन के स्थिरीकरण की प्रक्रिया में, एक अन्य उत्पाद और बनता हैं वह है हाइड्रोजन। राइजोबियम की कुछ विशेष किस्मे इस हाइड्रोज़न का उपयोग नाइट्रोज़न स्थिरीकरण की प्रक्रिया में ही कर लेती हैं। 

राइजोबियम जीवाणु का उपयोग फसलों के लिए दो प्रकार से किया जा सकता है, बीज़ उपचार और मिट्टी उपचार के तौर पर। 

बीज़ उपचार: नाइट्रोज़न स्थिरीकरण जीवाणु की 5 ग्राम मात्रा/किलो बीज़ के हिसाब से लेकर बीजों के ऊपर लेप बनाकर बीज़ उपचार करें एवं बीज़ उपचार किये गये बीजों को तुरंत बुवाई के लिए उपयोग करें। 

मिट्टी उपचार: नाइट्रोज़न स्थिरीकरण जीवाणु की 1 किलो/एकड़ मात्रा लेकर पकी हुई गोबर की खाद या खेत की मिट्टी में मिलाकर बुवाई से पहले खाली खेत में भुरकाव करें। 

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उत्तर भारत में बारिश और पहाड़ों पर बर्फबारी की संभावना, देखें मौसम पूर्वानुमान

know the weather forecast,

13 मार्च को पहाड़ों पर अच्छी बर्फबारी होगी। 14 मार्च से बारिश और बर्फबारी की गतिविधियां कम हो जाएगी तथा मौसम साफ होने लग जाएगा। 13 मार्च को ही पंजाब और हरियाणा के उत्तरी जिलों में बारिश के साथ कहीं-कहीं ओलावृष्टि हो सकती है। उत्तर प्रदेश के उत्तर पश्चिम जिलों में हल्की से मध्यम बारिश की संभावना है। गंगीय पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, दक्षिणी बांग्लादेश, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में भी बारिश हो सकती है। 16 और 17 मार्च को झारखंड सहित पूर्वी मध्य प्रदेश विदर्भ उड़ीसा और छत्तीसगढ़ में बारिश की संभावना है।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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खेतों में सोलर पंप लगाकर कृषि लागत को कम करें और कमाएं अच्छा लाभ

Reduce agriculture costs by installing solar pumps in fields and earn good profits

डीजल और बिजली वाले जनरेटर पंपों का उपयोग आपकी कृषि लागत को बढ़ा देता है। अगर किसान कम कृषि लागत में अच्छा लाभ कमाना चाहते हैं तो खेतों में जनरेटर पंपों के बजाय सोलर पंप लगवाएं। ये पंप खेती को तो आसान बनाती ही है साथ ही साथ किसानों को कमाई का अतिरिक्त साधन भी दे देती है। सोलर पंप को बढ़ावा देने के लिए सरकार की तरफ से किसानों के लिए कई प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही हैं।

आप भी अपने खेतों में विभिन्न सरकारी योजनाओं के माध्यम से सोलर पंप लगवा सकते हैं। गौरतलब है की सोलर पंप पर मिलने वाली सब्सिडी आम तौर पर केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारों के साथ साथ नगर पालिकाओं द्वारा दी जाती है। इस सब्सिडी का उद्देश्य किसानों को सस्ती एवं सुरक्षित ऊर्जा के उपयोग हेतु प्रेरित करना है।

अगर आप भी सब्सिडी पर सोलर पंप लगवाना चाहते हैं तो सबसे पहले राज्य सरकार, केंद्र सरकार, या फिर नगर पालिका की सोलर पंप सब्सिडी योजनाओं से जुड़ी जानकारी प्राप्त कर लें। आप ये जानकारियां नगर पालिका, कृषि विभाग, या फिर नगर विकास निगम कि ऑफिसियल वेबसाइट से प्राप्त कर सकते हैं।

बहरहाल बता दें की केंद्र सरकार की सोलर पंप से जुड़ी एक ख़ास योजना है पीएम कुसुम योजना जिसके तहत किसान सोलर पंप लगाने पर 90% की सब्सिडी पा सकते हैं। इसका अर्थ हुआ की आप सिर्फ 10% खर्च पर अपने खेतों में सोलर पंप लगवा सकते हैं। इसी योजना की तरह अन्य राज्य सरकारें भी कई प्रकार की सब्सिडी देती है।

स्रोत: कृषि जागरण

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मध्य प्रदेश की प्रमुख मंडियों में गेहूँ भाव में दिखी कितनी तेजी?

wheat mandi bhaw

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों में क्या चल रहे हैं गेहूँ के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

मध्य प्रदेश की मंडियों में गेहूँ के ताजा मंडी भाव
जिला कृषि उपज मंडी किस्म न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल) अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)
रतलाम अलोट स्थानीय 2184 2330
शाजापुर आगर मिल गुणवत्ता 2203 2203
शाजापुर आगर स्थानीय 2119 2675
पन्ना अजयगढ़ मिल गुणवत्ता 2350 2380
शाजापुर अकोदिया स्थानीय 2390 2500
शाजापुर अकोदिया मिल गुणवत्ता 2250 2250
आलीराजपुर आलीराजपुर स्थानीय 2000 2000
सतना अमरपाटन मिल गुणवत्ता 2300 2370
बड़वानी अंजड़ स्थानीय 2100 2200
गुना एरन स्थानीय 2556 2590
अशोकनगर अशोकनगर शरबती 2861 2900
अशोकनगर अशोकनगर स्थानीय 2461 3445
अशोकनगर अशोकनगर लोकवन 3051 3051
सीहोर आष्टा लोकवन 2105 2497
सीहोर आष्टा स्थानीय 2070 4700
सीहोर आष्टा अन्य 2002 2380
छतरपुर बड़ामलहेड़ा मिल गुणवत्ता 2300 2300
उज्जैन बड़नगर मिल गुणवत्ता 2370 2488
उज्जैन बड़नगर लोकवन 2271 2434
उज्जैन बड़नगर स्थानीय 2400 2400
धार बदनावर स्थानीय 2260 2695
धार बदनावर लोकवन 2200 2750
शाजापुर बड़ोद स्थानीय 1880 2616
खरगोन बड़वाह स्थानीय 2152 2512
खरगोन बड़वाह मिल गुणवत्ता 2300 2300
बड़वानी बड़वानी लोकवन 2050 2100
बड़वानी बड़वानी स्थानीय 2465 2502
देवास बागली मिल गुणवत्ता 2185 2935
रीवा बैकुंठपुर मिल गुणवत्ता 2325 2350
रीवा बैकुंठपुर स्थानीय 2250 2425
सागर बामोरा मिल गुणवत्ता 2195 2195
सागर बामोरा स्थानीय 2510 2510
होशंगाबाद बानापुरा स्थानीय 2211 2346

स्रोत: एगमार्कनेट

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जानिए फसल उत्पादन बढ़ाने में मधुमक्खी कैसे होती है मददगार?

Know how bees are helpful in increasing crop production

मधुमक्खियां मनुष्य को ना केवल शहद देती हैं, बल्कि यह फसलों व वृक्षों में परागण कर उनका उत्पादन बढ़ाने में भी सहायक होती हैं। फल सब्जियों व फसलों से मधुमक्खियां पराग और मकरंद जमा करती हैं। इससे मधुमक्खियां अनजाने में ही परागण क्रिया कर इनकी उपज में बढ़ोतरी कर देती हैं। पालतू व जंगली मधुमक्खियां परागण क्रिया में 80 प्रतिशत तक का योगदान करती हैं। 

मधुमक्खियों द्वारा पैदावार में बढ़ोतरी से होने वाली आय इससे प्राप्त शहद व मोम से कई गुना ज्यादा होती है। एक मधुमक्खी एक बार में लगभग 100 फूलों पर जाती हैं। इस प्रकार वे एक फूल से दूसरे फूल पर पराग ले जाकर परागण करती रहती हैं। इससे बीज व दाने बनने की क्रिया तेज हो जाती है। मधुमक्खी फसलों को कोई हानि नहीं पहुंचाते तथा इन्हें हम अपनी इच्छा से जरूरत के अनुसार परागण के लिए फसलों में रख सकते हैं। मधुमक्खियां अपने निवास स्थान से लगभग एक किलोमीटर क्षेत्र में आने वाली फसलों में परागण करती हैं।

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हल्की बूंदाबांदी के आसार, देखें अपने क्षेत्र का मौसम पूर्वानुमान

know the weather forecast

आज 12 मार्च को मौसम लगभग साफ रहेगा परंतु बादल छा सकते हैं। पहाड़ों पर बहुत हल्की बारिश और हल्की बर्फबारी हो सकती है। कल 13 मार्च से पंजाब और हरियाणा के उत्तरी जिलों में तेज बारिश के साथ ओलावृष्टि हो सकती है शेष पंजाब हरियाणा और उत्तर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हल्की बारिश के आसार हैं। दिल्ली और उत्तर पश्चिमी राजस्थान में हल्की बूंदाबांदी या बादलों की आवाजाही के साथ तेज हवाएं चल सकती है।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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