मक्का की फसल को खरपतवारों के प्रकोप से बचाएं, ऐसे करें नियंत्रण

Save maize crop from the outbreak of weeds

मक्का की फसल में उगने वाले खरपतवारों के प्रकोप से फसल में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। अधिक खरपतवार उगाने के कारण मक्का के पौधों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में बाधा पहुंचती है। इसके कारण पौधों की अच्छी वृद्धि नहीं हो पाती है। अधिक खरपतवार होने से कीट व रोग का प्रकोप होने लगता है। जहां तक संभव हो, निराई-गुड़ाई से खरपतवारों की रोकथाम करें, इससे खरपतवार तो कम होंगे, साथ ही साथ पौधों का विकास भी अच्छी तरह से होगा।

रासायनिक नियंत्रण लिए, बुवाई के तुरंत बाद धानुजीन (एट्राजिन 50% WP) 300-400 ग्राम/एकड़ या (बुवाई के 20 से 30 दिन बाद) लाउडिस (टेंबोट्रीयोन 42% SC) 115 मिली/एकड़ को 200 लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें।

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एक हफ्ते तक उत्तर, मध्य व पूर्वी भारत में मानसून रहेगा सक्रिय, होगी भारी बारिश

know the weather forecast,

मानसून ने अब तेजी पकड़ ली है। मानसून अब पूर्वी भारत सहित मध्य भारत और उत्तर पश्चिम भारत में सक्रिय हो गया है। भारत के पश्चिमी तट पर भी भारी बारिश की संभावना बनी हुई है। दिल्ली में अब बारिश की गतिविधियां बढ़ने की संभावना है। सबसे अधिक तेज बारिश उत्तरी हरियाणा, उतरी पंजाब, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश तथा बिहार के तराई वाले जिलों में देखने को मिलेगी।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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अरहर की खेती पर सरकार देगी 3600 रुपए की सब्सिडी, जानें क्या है सरकार की योजना

Government will give subsidy of Rs 3600 on cultivation of tur

वर्ष 2027 तक भारत सरकार ने दलहन के उत्पादन में देश को आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिए दालों का घरेलू उत्पादन बढे और आयात में कमी आए इस उद्देश्य की पूरी के लिए केंद्र व राज्य सरकारों की तरफ से योजनाएं चलाई जा रही हैं। इन्हीं में से एक है बिहार सरकार द्वारा चलाई जा रही “खरीफ अरहर प्रोत्साहन कार्यक्रम 2024-25” जिसके तहत अरहर की खेती को राज्य भर में बढ़ावा दिया जा रहा है।

खरीफ अरहर प्रोत्साहन कार्यक्रम 2024-25 का कार्यान्वयन क्लस्टर के अनुसार किया जाएगा। बता दें की एक क्लस्टर 25 एकड़ जमीन का होगा। इसके कार्यक्रम के अंतर्गत बिहार के 38 जिलों के किसान लाभ ले सकते हैं। अरहर फसल प्रत्यक्षण स्कीम के माध्यम से 3,600 रुपये प्रति एकड़ सब्सिडी किसानों को जाएगी।

स्रोत: ज़ी बिजनेस

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लहसुन के भाव में तेजी जारी, 30000 रुपये तक पहुंचे उच्च भाव

garlic mandi rate

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों में क्या चल रहे हैं लहसुन के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

मध्य प्रदेश की मंडियों में लहसुन के ताजा मंडी भाव
जिला कृषि उपज मंडी किस्म न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल) अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)
रतलाम आलोट लहसुन 10500 11200
शाजापुर अकोदिया औसत 3000 16301
उज्जैन बड़नगर औसत 3800 14204
उज्जैन बड़नगर देसी 7705 13700
उज्जैन बड़नगर लहसुन 1900 11750
धार बड़नावर देसी 9900 9900
भोपाल भोपाल लहसुन 8000 8000
राजगढ़ ब्यावरा लहसुन 2900 5000
मन्दसौर दलोदा लहसुन 3600 7500
सागर देवरी औसत 4350 6000
इंदौर गौतमपुरा लहसुन 6000 18200
इंदौर इंदौर औसत 11800 13800
इंदौर इंदौर लहसुन 1000 22500
रतलाम जावरा लहसुन 2201 29400
शाजापुर कालापीपल लहसुन 3000 13100
नीमच मनासा लहसुन 6500 19611
मन्दसौर मंदसौर लहसुन 1000 30000
राजगढ़ नरसिंहगढ़ लहसुन 6500 6500
नीमच नीमच लहसुन 12000 15200
नीमच नीमच औसत 3300 25450
मन्दसौर पिपल्या लहसुन 1001 20801
मन्दसौर पिपल्या लहसुन 1752 16453
रतलाम रतलाम लहसुन-ऑर्गेनिक 2000 18680
रतलाम रतलाम देसी 1900 23700
रतलाम सैलाना लहसुन 7400 17501
रतलाम सैलाना औसत 8888 16300
रतलाम सैलाना देसी 13100 13100
शाजापुर साजापुर लहसुन 5000 19000
राजगढ़ सारंगपुर लहसुन 3260 8000
राजगढ़ सारंगपुर औसत 4000 4000
सीहोर सीहोर लहसुन 3300 16897
मन्दसौर शामगढ़ लहसुन 6013 14300
शाजापुर शुजालपुर देसी 2010 23000
मन्दसौर सीतमऊ देसी 10000 18900
मन्दसौर सीतमऊ लहसुन 6400 6400
शाजापुर सोयतकलां लहसुन 11155 11155
उज्जैन उज्जैन लहसुन 2000 18510

स्रोत: एगमार्कनेट

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सोयाबीन में FIR का तिहरा बीज उपचार फसल को हर समस्या से बचाएगा

Benefits of seed treatment with fungicide, insecticide and rhizobium in soybean

सोयाबीन की फसल में बीज उपचार करने से बीज जनित तथा मिट्टी जनित बीमारियों का आसानी से नियंत्रण कर फसल के अंकुरण को भी बढ़ाया जा सकता है। बीज उपचार आमतौर पर 3 प्रकार से किया जाता है, जिसे हम ‘फकीरा’ (FIR) पद्धति कहते है। फकीरा पद्धति में हम बारी बारी से फफूंदनाशक, कीटनाशक और राइज़ोबियम से बीज उपचार करते हैं।

  • फफूंदनाशक से बीज़ उपचार करने से सोयाबीन की फसल उकठा व जड़ सड़न रोग से सुरक्षित रहती है। 

  • कीटनाशक से बीज़ उपचार करने से मिट्टी के कीटों जैसे सफ़ेद ग्रब, चींटी, दीमक आदि से सोयाबीन की फसल की रक्षा होती है। बीज का अंकुरण सही ढंग से होता है अंकुरण प्रतिशत बढ़ता है। 

  • राइज़ोबियम से बीज़ उपचार सोयाबीन की फसल की जड़ों में गाठो (नॉड्यूलेशन) को बढ़ाता है एवं अधिक नाइट्रोज़न का स्थिरीकरण करता है। 

सोयाबीन बीज उपचार की  FIR विधि :- 

  • सबसे पहले क्षेत्र के अनुसार आवश्यक बीज की मात्रा तिरपाल/प्लास्टिक शीट पर फैला दें। 

  • इसके बाद  बीज के ऊपर हल्की पानी की फुहार दें और इसके बाद, फफूंदनाशक के रूप में करमानोवा (कार्बेनडाज़िम 12% + मैनकोज़ेब 63% WP) 2.5 ग्राम/किलोग्राम बीज के हिसाब से बीज को उपचारित करें और 10 मिनट के लिए छायादार स्थान पर सुखाएं। 

  • फफूंदनाशक से उपचारित करने के बाद, कीटनाशक के रूप में थियानोवा सुपर (थियामेथोक्सम 25% WG) 5 मिली/किलोग्राम बीज के हिसाब से बीज को उपचारित करें।  

  • और अंत में, जैव वाटिका (राइजोबियम कल्चर) 5 ग्राम/किलोग्राम बीज के  हिसाब से बीज को उपचारित करने के उपरांत, बीज की बुआई खेत में करें।

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मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में भारी बारिश के आसार, दक्षिणी राज्यों में मानसून सुस्त

know the weather forecast,

अगले दो दिनों के दौरान हरियाणा, दिल्ली, उत्तर पूर्वी राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और पूर्वोत्तर राज्यों सहित महाराष्ट्र और कर्नाटक के तटीय जिलों में भारी बारिश की संभावना है। गुजरात, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल और उत्तरी उड़ीसा में भी अच्छी बारिश हो सकती है। राजस्थान के पश्चिमी जिलों के साथ-साथ पश्चिमी हरियाणा, पश्चिमी पंजाब, और दक्षिण भारत के अंदरूनी इलाकों में अगले दो दिनों के दौरान मानसून कमजोर बना रहेगा।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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सोयाबीन की बुवाई के लिए ऐसे करें खेत को तैयार की मिले बंपर पैदावार

How to prepare the field for soybean sowing

सोयाबीन की फसल के लिए खेत की तैयारी गहरी जुताई से शुरू करनी चाहिए। इसके बाद 2-3 जुताई हैरो या मिट्टी पलटने वाले हल की सहायता से करें और मिट्टी को भुरभुरी बना लें, ताकि मिट्टी की जलधारण क्षमता बढ़ जाए और बीज अंकुरण भी अच्छे से हो सकें।

मई-जून के महीनों में सूरज की रोशनी ज़मीन पर सीधे पड़ती है और उच्च तापमान बहुत ज्यादा होता है। ऐसे में खेत की गहरी जुताई करने से मिट्टी में मौजूद खरपतवार, उनके बीज, हानिकारक कीट, उनके अंडे और प्युपा समाप्त हो जाते हैं। इसके साथ साथ मिट्टी में उपस्थित फफूंद जनित रोग के जनक भी खत्म हो जाते हैं।

खेत की तैयारी के वक़्त सोयाबीन समृद्धि किट के उन्नत उत्पादों का उपयोग बेहद फायदेमंद साबित होता है। ग्रामोफोन द्वारा तैयार की गई “सोया समृद्धि किट” की कुल मात्रा 8 किलो होती है जिसे प्रति एकड़ के हिसाब से अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद में मिला कर बीजों की बुवाई से पहले खेत में एक सामान रूप से बिखेर दें। इसके बाद पाटा चलाकर खेत को समतल बना लें। इस बात का ध्यान रखें की किट का उपयोग करते समय मिट्टी में पर्याप्त नमी जरूर हो।

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कपास की फसल में सूत्रकृमि पहुंचाएगा नुकसान, जानें प्रबंधन के सही उपाय

Symptoms and Management of Root Knot in Cotton

पौधों के जड़ों पर गांठें बनना सूत्रकृमि के प्रकोप के मुख्य लक्षण हैं। इसके कारण रोग ग्रस्त पौधे की जड़ों पर छोटी-छोटी गांठें बन जाती हैं, जिसकी वजह से पौधे में पोषक तत्व व जल सुचारु रूप से नहीं पहुंच पाते। इससे पौधे का विकास रुक जाता है और पत्तियां पीली पड़ जाती हैं। फलस्वरूप पौधा सूख जाता है और पैदावार कम हो जाती है।

नियंत्रण के उपाय:

  • गर्मियों में खेत की हल्की सिंचाई के बाद 2-3 गहरी जुताई 10-12 दिन के अंतर पर करें। इससे सूत्रकृमि ऊपरी सतह पर आकर अधिक तापमान से नष्ट हो जाते हैं। 

  • इसके नियंत्रण के लिए, निमेटो फ्री प्लस (वर्टिसिलियम क्लैमाइडोस्पोरियम) 2-4 किलो/एकड़ में खेत की तैयारी व बुवाई के समय उपयोग करें।

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1 जुलाई तक भारी बारिश जारी रहने के आसार, देखें मौसम पूर्वानुमान

know the weather forecast,

दिल्ली में मानसून पहुंच गया है। दिल्ली के साथ जैसलमेर में भी मानसून ने दस्तक दे दी है। भारी बारिश के कारण दिल्ली का जन जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। 30 जून से 1 जुलाई के बीच पश्चिम उत्तर प्रदेश से दिल्ली, हरियाणा, उत्तरी मध्य प्रदेश, उत्तर पूर्वी राजस्थान और दक्षिणी पंजाब में भारी से अति भारी बारिश की संभावना है। मुंबई सहित महाराष्ट्र के ज्यादातर क्षेत्रों में भारी बारिश होगी। बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और उत्तर पूर्वी राज्य भी तेज बारिश देख पाएंगे।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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इस राज्य के किसानों को ट्रैक्टर पर मिल रही 50% की सब्सिडी, पढ़ें पूरी खबर

Farmers of this state are getting 50% subsidy on tractors

किसानों को ट्रैक्टर की मदद से खेती करने में बेहद आसानी हो जाती है। इसीलिए आज के वक़्त में ट्रैक्टर किसानों की सबसे बड़ी जरुरत बन गया है। सरकार भी किसानों की इस जरूरत को भलीभांति समझती है इसीलिए ट्रैक्टर की खरीदी पर किसानों को अच्छी खासी सब्सिडी उपलब्ध करवाती है। इसकी कड़ी में झारखंड सरकार भी अपने प्रदेश के किसानों को ट्रैक्टर पर अच्छी सब्सिडी दे रही है।

झारखंड में इसके लिए जो योजना चलाई जा रही है उसका नाम है मुख्यमंत्री ट्रैक्टर योजना। इसके माध्यम से राज्य के किसानों को ट्रैक्टर पर 50% तक की सब्सिडी दी जा रही है। इस योजना से किसान समूह, स्वयं सहायता समूह, पानी पंचायत, लैम्पस- पैक्स और किसान संगठनों से संबंध रखने वाके किसानों को ट्रैक्टर दी जाती है।

इस योजना का लाभ लेने की इच्छा रखने वाले किसान अपने क्षेत्र के जिला कृषि कार्यालय जा सकते हैं और इसकी समस्त जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इस योजना के अंतर्गत आवदेन के लिए किसान भूमि संरक्षण कार्यालय जा सकते हैं। यहाँ आगामी 3 जुलाई तक आवेदन की प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं।

स्रोत: किसान तक

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