गोभी वर्गीय फसल में डायमंड बैक मोथ के लक्षण एवं नियंत्रण

Symptoms and control of Diamond back moth in cabbage crop

डायमंड मोथ नाम का यह कीट गोभी वर्गीय सब्जियों को सबसे अधिक नुकसान होता है, ख़ासकर फ़रवरी माह में देर से बुआई की जाने वाली फसल में यह अत्याधिक नुकसान पहुंचाता है।  

लक्षण: इस कीट के पतंगे रात के समय ज्यादा सक्रिय होते हैं और पत्तियों के निचली सतह पर मध्य नस के पास पीले रंग के अंडे देते हैं। इस कीट की सूंडी हानिकारक होती है जो शुरूआती अवस्था में हरे-पीले रंग की होती है और बाद में पत्तों के रंग जैसी हो जाती है। ये इल्लिया प्रारंभिक अवस्था में पत्तियों की निचली सतह को खुरचती हैं जिससे पत्तियों पर सफेद धब्बे बन जाते हैं। बाद की अवस्था में यही इल्लिया पत्तों में छेद कर नुकसान पहुंचाती हैं। 

नियंत्रण: डायमंड बैक मोथ के नियंत्रण एवं निगरानी के लिए, डीबीएम लूर @ 10 ट्रैप प्रति एकड़ के दर से खेत में लगाएं एवं प्रकोप दिखाई देने पर इमानोवा (इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एससी) @ 60-80 मिली प्रति एकड़ या कवर (क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.50% एससी) @ 20 मिली प्रति एकड़ के दर से 150-200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

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अगले सप्ताह मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में बारिश के आसार

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9 फरवरी से महाराष्ट्र के विदर्भ और मराठवाड़ा में बारिश शुरू होगी जो 11 फरवरी तक चलेगी। दक्षिण पूर्वी मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के कुछ इलाकों में भी इस दौरान बारिश हो सकती है। अगले 24 घंटे के दौरान पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल सहित पूर्वोत्तर राज्यों में बारिश होगी। 6 फरवरी से पहाड़ों सहित उत्तर पश्चिम भारत और मध्य भारत का मौसम शुष्क हो जाएगा।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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डेयरी खोलने के लिए 20 लाख रुपये तक का लोन दे रही है सरकार, जानें क्या है योजना?

Dairy Entrepreneur Development Scheme

किसान खेती-बाड़ी के साथ ही डेयरी व्यवसाय में भी आजकल खूब हाथ आजमा रहे हैं। गौरतलब है की डेयरी का बिजनेस कम दो गाय या भैंस के साथ भी शुरू किया जा सकता है। इस तरह यह व्यवसाय शुरू करने में कम पूंजी लगती है। छोटी शुरुआत के बाद इसे धीरे धीरे बढ़ाया भी जा सकता है। बहरहाल डेयरी क्षेत्र की तरफ किसानों की बढ़ती दिलचस्पी को देखते हुए सरकार भी कई प्रकार की योजनाओं के माध्यम से इसे बढ़ावा दे रही है। नाबार्ड की तरफ से भी युवाओं एवं किसानों के लिए डेयरी बिजनेस से जुड़ी “डेयरी उद्यमिता विकास योजना” चलाई जा रही है। इस स्कीम के माध्यम से किसानों को डेयरी व्यवसाय शुरू करने के लिए आर्थिक मदद मिलती है।

डेयरी उद्यमिता विकास योजना (Dairy Entrepreneur Development Scheme -DEDS) के अंतर्गत डेयरी से जुड़ी छोटी यूनिट इकाइयों के लिए लोन उपलब्ध होते हैं। जो उन्हें अधिक उत्पादक बनाने और उनके लिए बेहतर बाजार उपलब्ध कराने में मदद करते हैं। इस योजना के तहत पशुपालन करने वाले व्यक्ति को प्रोजेक्ट की कुल लागत का 33.33% अनुदान के रूप में मिलता है। इसके साथ ही दूध देने वाली मशीनों/मिल्कोटेस्टर/बल्क मिल्क कूलिंग यूनिट की खरीद के लिए भी इस योजना के तहत 20 लाख रुपये तक का लोन दिया जाता है।

डेयरी व्यवसाय करने के इच्छुक किसान इसके लिए सब्सिडी और लोन लेने के लिए बैंक में संपर्क कर सकते हैं। इसके बाद उन्हें नाबार्ड की तरफ से सब्सिडी वाला लोन मिल जाएगा। नाबार्ड की योजना के अंतर्गत डेयरी फार्मिंग के अलावा पशुपालन, मुर्गी पालन और पशुपालन के लिए लोन मिलता है। आप चाहें तो नाबार्ड की वेबसाइट https://nabard.org पर भी योजना के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.

स्रोत: कृषि जागरण

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मध्य प्रदेश की प्रमुख मंडियों में गेहूँ भाव में दिखी कितनी तेजी?

wheat mandi bhaw,

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों में क्या चल रहे हैं गेहूँ के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

मध्य प्रदेश की मंडियों में गेहूँ के ताजा मंडी भाव
जिला कृषि उपज मंडी किस्म न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल) अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)
आलीराजपुर आलीराजपुर मिल गुणवत्ता 2400 2400
छतरपुर बड़ामलहेड़ा मिल गुणवत्ता 2325 2325
रीवा बैकुंठपुर मिल गुणवत्ता 2380 2400
रायसेन बरेली मिल गुणवत्ता 2550 2550
राजगढ़ ब्यावरा मिल गुणवत्ता 2185 2460
शाहडोल बुढ़ार मिल गुणवत्ता 2550 2550
रीवा चाकघाट मिल गुणवत्ता 2400 2425
डिंडोरी गोरखपुर मिल गुणवत्ता 2100 2100
रीवा हनुमना मिल गुणवत्ता 2300 2300
हरदा हरदा मिल गुणवत्ता 2478 2680
खंडवा हरसूद मिल गुणवत्ता 2450 2500
इंदौर इंदौर लोकवन 2301 2501
टीकमगढ़ जतारा मिल गुणवत्ता 2460 2480
कटनी कटनी मिल गुणवत्ता 2370 2390
टीकमगढ़ खरगापुर मिल गुणवत्ता 2350 2401
मंडला मंडला मिल गुणवत्ता 2200 2200
मंडला मंडला स्थानीय 2275 2275
सतना मेहर स्थानीय 2370 2390
टीकमगढ़ निवाड़ी मिल गुणवत्ता 2380 2461
धार राजगढ़ लोकवन 2490 2495
रीवा रीवा मिल गुणवत्ता 2350 2350
सीहोर सीहोर लोकवन 2150 2630
होशंगाबाद सेमरीहरचंद मिल गुणवत्ता 2410 2425
सीधी सीधी मिल गुणवत्ता 2270 2270
टीकमगढ़ टीकमगढ़ मिल गुणवत्ता 2373 2400

स्रोत: एगमार्कनेट

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गोभी वर्गीय फसल में डाऊनी मिलड्यू रोग के लक्षण एवं नियंत्रण के उपाय

Symptoms and control of downy mildew disease in cabbage crop

डाऊनी मिलड्यू रोग के लक्षण: इस रोग के प्रकोप से पत्तियों की निचली सतह पर बैंगनी रंग के धब्बे दिखाई देते हैं, जबकि ऊपरी सतह पर पीले भूरे रंग के धब्बे एवं रोयेंदार कवक की वृद्धि पाई जाती है, साथ ही तनों में काले से भूरे रंग के धब्बे या लकीरें दिखाई देते हैं। फूलगोभी का फूल अंदर और बाहर दोनों तरफ से काला पड़ जाता है। इस रोग के गंभीर रूप में पूरा पौधा नष्ट हो जाता है।

नियंत्रण के उपाय: इस रोग के नियंत्रण के लिए नोवैक्सिल @ (मेटालैक्सिल 8% + मैनकोज़ेब 64% डब्ल्यूपी) @ 60 ग्राम + सिलिकोमैक्स गोल्ड @ 5 मिली + नोवामैक्स (जिबरेलिक ऍसिड 0.001% L) @ 30 मिली, प्रति 15 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।  

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सुबह और रात के तापमान में गिरावट रहेगी बरकरार, मौसम रहेगा साफ़

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वेस्टर्न डिस्टरबेंस आगे बढ़ गया है। पहाड़ों पर जारी बारिश और बर्फबारी की गतिविधियां अब थम जाएगी। अगला वेस्टर्न डिस्टरबेंस 16 फरवरी के आसपास आएगा। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली सहित राजस्थान के पश्चिमी जिलों से मौसम साफ हो गया है। आज उत्तर प्रदेश के एक दो स्थानों पर हल्की बारिश हो सकती है। 6 फरवरी से अधिकांश इलाकों का मौसम साफ हो जाएगा। पहाड़ों से चलने वाली सर्द हवाएं उत्तर भारत में सुबह और रात के तापमान में गिरावट ला सकती है, वहीं दिन में धूप निकलेगी।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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जानिए कैसे स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस फसलों के लिए है एक लाभकारी जीवाणु

How Pseudomonas fluorescens is a beneficial bacteria

स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस एक मित्र जीवाणु है जो जीवाणु एवं फफूंद से होने वाले रोग को  मिट्टी और हवा में फैलाने से रोकने में मदद करते हैं। साथ ही यह पौध वृद्धि कारक तत्वों का निर्माण करता है जिससे उपज में भी वृद्धि होती है। यह अंतरदेहि जैव नियंत्रण के रूप में काम करता है।

जब स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस का छिड़काव करते है तब ये कुछ द्वितीयक मेटाबोलाइट्स (चयापचय तत्वों) जैसे जिब्रेलिक, ऑक्सिस का निर्माण करते हैं जिससे पौधे में हरापन रहने में मदद होती है। साथ हीं यह पौधे में तनाव, रोग आदि के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

इसका उपयोग हम ज़मीन से या छिड़काव से साथ ही बीज प्रक्रिया के लिए कर सकते है। यह विभिन्न प्रकार की फसलों, फलों और सब्जियों में जड़ सड़न, तना सड़न, डैम्पिंग ऑफ़, उकठा, लाल सड़न, जीवाणु झुलसा आदि रोगों के नियंत्रण के लिए प्रभावी है। 

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देश में मछली उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार करेगी यह काम

Government will do this work to increase fish production in the country

केंद्र सरकार ने वर्ष 2024 के लिए अपना अंतरिम बजट 1 फरवरी को पेश किया। इस बजट को पेश करते हुए वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने कृषि क्षेत्र के लिए भी कई घोषणाएं की हैं। इन्हीं में से एक घोषणा मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए भी किया गया है। उन्होंने कहा कि “हमारी सरकार देश में मछली के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए काम कर रही है। इसके लिए मछुआरों की सहायता करने हेतु मत्स्य क्षेत्र के लिए एक अलग विभाग की स्थापना की गई है। जिसके चलते देश में अन्तर्देशीय और एक्वाकल्चर उत्पादन दोनों दोगुना हो गया है। साथ ही 2013-14 से सी-फूड का निर्यात भी दोगुना हो गया है।”

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण के दौरान देश में एक्वाकल्चर उत्पादकता को प्रति हेक्टेयर 3 टन से बढ़ाकर 5 टन करने की घोषणा की है। साथ ही निर्यात को भी दोगुना कर 1 लाख करोड़ रुपये तक पहुँचाने और निकट भविष्य में 55 लाख रोजगार अवसरों का सृजन करने के लिए पीएम मत्स्य संपदा योजना के क्रियान्वयन में तेज़ी लेनी की घोषणा की है।

स्रोत: किसान समाधान

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प्याज़ की फसल में सूक्ष्म पोषक तत्वों के कमी के लक्षणों को पहचानें

Symptoms of Micronutrient Deficiency in Onions

प्याज़ की फसल में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस एवं पोटाश के अलावा सूक्ष्म पोषक तत्व भी बेहद आवश्यक होते हैं, और इनकी कमी होने पर उत्पादन एवं उत्पादकता पर बुरा प्रभाव पड़ता है। प्याज़ में तीखापन, एलाइल प्रोपाइल डाईसल्फाइड नामक तत्व के कारण होता है इस तीखेपन को बढ़ाने व उत्पादन में वृद्धि के लिए, सल्फर की आवश्यकता होती है।

सल्फर: सभी पत्तियां नई तथा पुरानी एक समान पीली दिखाई देती है, साथ ही सल्फर (गंधक) की कमी वाले पौधे में पत्तियों का हरा रंग समाप्त हो जाता है।

मैंगनीज: पत्तियों की शिराएँ पीली पड़के जलने लगती हैं, पत्तियों का रंग फीका पड़ता है साथ ही वे ऊपर की ओर मुड़ने लगती है। फसल की वृद्धि रुक जाती है, प्याज़ के कंद देर से बनते हैं और कंद का ऊपरी भाग (गर्दन) मोटी हो जाती है।

कॉपर: प्याज की फसल में कंद के ऊपरी आवरण विकास के लिए फसल में कॉपर की उचित मात्रा होना आवश्यक है। कॉपर के कमी से नई पत्तियां नोक से सफ़ेद होती है और सर्पिले आकार में मुड़ जाती हैं, या पौधे के दाये भाग में मुड़ते है, साथ ही कंद का आवरण नरम होके हल्का पीला और पतला हो जाता है।

कैल्शियम: फसल में वृद्धि एवं भंडारण गुणवत्ता के लिए कैल्शियम एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है। इसके कमी से नई पत्तिया बिना पीली पड़े अचानक से सुखने लगती है साथ ही पत्तियाँ बहुत संकरी हो जाती है।

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आज से अगले दो दिनों तक कई राज्यों में होगी बारिश, पहाड़ों पर फिर बर्फबारी

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आज राजस्थान के कई जिलों में बारिश होगी। 4 फरवरी को पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के अधिकांश इलाकों में अच्छी बारिश के साथ कहीं-कहीं ओले गिरने की भी संभावना है। आज से 5 फरवरी तक पहाड़ों पर फिर बर्फबारी होगी, कुछ जगह भारी बर्फबारी का भी अंदेशा है। अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में स्नोफॉल होगा। उत्तर पूर्वी राज्यों में हल्की बारिश होगी। गंगिय पश्चिम बंगाल उड़ीसा तथा उत्तरी आंध्र प्रदेश सहित दक्षिणी तमिलनाडु और केरल में भी हल्की बारिश हो सकती है।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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